संशोधित कि. न्या. अधिनियम के अनुसार “अधिग्रहण” का अर्थ है वह प्रक्रिया जिसके तहत अधिग्रहित बच्चा हमेशा के लिए अपने जैविक माता-पिता से अलग होकर इस सम्बन्ध से जुड़े अपने सभी अधिकार सुविधाओं और कर्तव्यों के साथ अपने अधिग्रहण करनेवाले माता-पिता की क़ानूनी संतान बन जाता है। (धारा 2 (99)
पुनर्वास एवं सामाजिक पुर्नजुडाव के विकल्प (अनुच्छेद 40-45)
इस अधिनियम के अंतर्गत दिए गए गैर संस्थागत विकल्प निम्नलिखित हैं
दत्तक ग्रहण (अनुच्छेद 41)
(1) दत्तक ग्रहण से अनाथ, परित्यक्त या समर्पित बच्चों क मौजूदा उपकरणों द्वारा पुनर्वास किया जायेगा।
(7) समय-समय पर राज्य सरकार या केन्द्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन संस्था द्वारा दिए गए व केंद्र सरकार द्वारा सूचित अधिग्रहण से सम्बन्धित दिशानिर्देशों में मौजूदा प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए किसी न्यायालय द्वारा बच्चों को अधिग्रहण के लिए दिया जा सकता है जब वह संतुष्ट हो कि इससे सम्बन्धित जरुरी जाँच हो चुकी है।
(8) राज्य सरकार उपधारा (3) में दिए दिशानिर्देशों के अनुसार हर जिले में एक या एक से अधिक सरकारी संस्थाओं और स्वयंसेवी संगठनों को अनाथ, परित्यक्त और समर्पित बच्चों के अधिग्रहण के लिए विशेष संस्था के रूप में चिन्हित करेंगी।
देखभाल एवं सुरक्षा के जरूरतमंद बच्चों के लिए राज्य सरकार या स्वयंसेवी संगठनों द्वारा संचालित बालगृह एवं संस्थाएं सुनिश्चित करें, इनमें मौजूद अनाथ, परित्यक्त और समर्पित बच्चों के अधिग्रहण के लिए उपयुक्त घोषित किया जाए और उस जिले की दत्तक ग्रहण संस्था में उनका नाम प्रस्तावित किया जाए ताकि उन बच्चों को उपधारा(3) के अंतर्गत सूचित दिशानिर्देशों के अनुसार अधिग्रहण में दिया जाये।
“(6) न्यायालय निम्नलिखित लोगों को बाल अधिग्रण की अनुमति दे सकती है।
बच्चे को अधिग्रहण के लिए मुक्त घोषित करने में बाल कल्याण समिति की भूमिका
यदि किसी बच्चे को परित्यक्त या दरिद्रता के स्थिति में पाया जाता है तो उसे अधिग्रहण के लिए क़ानूनी रूप से मुक्त घोषित करने से पहले उसे बाल कल्याण समिति या उसकी अनुपस्थिति में जिलाधिकारी के समक्ष पेश करने के प्रक्रिया से गुजरना आवश्यक है।
परित्यक्त बच्चों के लिए जरुरी प्रक्रियाएं
अनाथ व परित्यक्त बच्चों के मामलों में निम्नलिखित प्रक्रियाएं लागू होंगी:
किसी बच्चे को समर्पण या उसका उसके जैविक या जन्म देने वाले माता-पिता द्वारा ही किया जा सकता है। किसी बिन ब्याही माँ या विवाह सम्बन्ध से बाहर के बच्चे के मामले में माँ ही एकमात्र कानूनी अभिभावक होती है, इसलिए ऐसे मामलों में वह समर्पण के कागजात पर हस्ताक्षर कर सकती है। यदि माँ की शादी हो चुकी है, तो समर्पण के कागजात पर माता-पिता दोनों के हस्ताक्षर होने चाहिए, माता-पिता में से किसी एक की मृत्यु या तलाक के मामलों में मृत्यु प्रमाणपत्र या तलाक के कागजात पेश करना जरुरी है। यदि यह चीजें ना मौजूद हों पर फिर बच्चों के सम्भावित पिता ने यदि माँ को त्याग दिया हो तो फिर बाल कल्याण समिति के समक्ष चलाई जाने वाली प्रक्रिया इन बच्चों के साथ भी लागू होगी।
जैविक या जन्म देने वाले माता-पिता द्वारा किसी बच्चे का समर्पण समर्पित बच्चों के मामलें में निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
(a) समर्पित बच्चा वह है जिसे समिति द्वारा जाँच की सही प्रक्रिया के बाद समर्पित व अधिग्रहण के लिए मुक्त घोषित किया गया हो। समर्पित बच्चा निम्न में से कोई भी हो सकता है:
(b) समिति द्वारा विभिन्न प्रयास किये जायेंगे, ताकि माता-पिता को अधिग्रहण के परिणामों से अवगत करवाया जा सके और कोशिश की जाएगी, कि माता-पिता बच्चों को अपने पास रखे। यदि माता-पिता असमर्थता जाहिर करते हैं, तो ऐसे बच्चों को शुरूआती स्तर पर घरनूमा देखरेख या प्रायोजकता मुहैया करवाने की व्यवस्था की जाएगी।
(c) यदि समर्पण को टालना संभव न हो तो, समर्पण के कार्य को गैर न्यायिक स्टैम्प कागज पर समिति के समक्ष लिखकर पूरा किया जाएगा।
(d) दत्तक ग्रहण संस्थाएं समर्पण के बाद जैविक माता-पता को दी गई पुनर्विचार की दो महीने के अवधि के पूरा होने का इंतजार करेंगी।
(e) ऐसा बच्चा जिसे उसके जैविक माता-पिता द्वारा समर्पित किया गया हो उसके समर्पण के कागजात पर माता-पिता के हस्ताक्षर समिति के समक्ष होंगे।
(f) केन्द्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन संस्थान के अनुसार, माता-पिता की दिए गये 60 दिनों की पुनर्विचार की अवधि और उपयुक्त जाँच के बाद बच्चे के समिति द्वारा अधिग्रहण के लिए क़ानूनी रूप से मुक्त घोषित कर सकती है।
अधिनियम की धारा 41 की जरूरतों के लिए, न्यायालय का अर्थ है नागरिक न्यायालय, जिसके अधिकार क्षेत्र में अधिग्रहण और अभिभावक के मामले हों और इसमें जिला न्यायालय, पारिवारिक और शहरी नागरिक न्यायालय शामिल है।
भारत में दत्तकग्रहण की क्रमबद्ध प्रक्रिया
समर्पण के करार के जरिये जैविक माता-पिता बच्चे को दत्तक ग्रहण के लिए अभ्यार्पित करते हैं |
एक बच्चा परित्यक्त पाया जाता है |
जन्म देने वाले माता-पिता को पुनर्विचार के लिए दिए गये 60 दिन |
किशोर न्याय व्यवस्था (CWC) द्वारा जाँच |
बाल कल्याण समिति द्वारा दिए गये 60 दिन पूरे होने के बाद बच्चे को दत्तक ग्रहण के लिए क़ानूनी रूप से मुक्त घोषित किया जाना |
इलाके की बाल कल्याण समिति द्वारा बच्चे को दत्तक के लिए क़ानूनी रूप से मुक्त घोषित किया जाना |
विशेषकृत दत्तक ग्रहण एजेंसी द्वारा (SAA) भारत में बच्चों के लिए भारतीय माता-पिता की खोज करना (देश के भीतर दत्तक ग्रहण |
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यदि विशेषकृत दत्तक ग्रहण एजेंसी को कोई भारतीय परिवार नहीं मिलता है, तो स्थानीय दत्तकग्रहण समन्वय संस्था को बच्चे की जानकारी दी जाएगी, जो अत-संस्थागत और अन्तर्राज्यीय समन्वयन से भारतीय परिवार की खोज करने में सहयोग करेगा। |
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यदि दत्तक ग्रहण समन्वय संस्था निश्चित समय के भीतर कोई भारतीय परिवार ढूंढने में असमर्थ होता है तो बच्चे को अंतर्देशीय दत्तक ग्रहण के लिए अनुमति प्रमाणपत्र दिया जायेगा। |
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मान्यता भारतीय प्लेसमेंट संस्था किसी बच्चे की सूचना सूचीकृत विदेशी दत्तक ग्रहण संस्था में दे सकती है, ताकि कोई उपयुक्त परिवार मिल सके (बच्चे के केस रिपोर्ट व चिकित्सकीय रिपोर्ट के साथ) केन्द्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन संस्थान के दिशानिर्देश के अनुसार सूचना देने में प्राथमिकता देना ) |
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यदि परिवार द्वारा बच्चे को स्वीकार किया जाता है तो दत्तक ग्रहण सूचना की फाइल व स्वीकृति के कागजात भारतीय एजेंसी को वापस भेजते हैं। |
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विशेषकृत दत्तक ग्रहण एजेंसी कागजात के एक प्रति केन्द्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन संस्थान के पास भेजता है ताकि अनापत्ति प्रमाणपत्र (एन.ओ.सी) मिल सके। अनापत्ति प्रमाणपत्र मिलने के बाद वैधानिक अभिभावकत्व दत्तक ग्रहण के लिए न्यायालय में मामला फाइल किया जाता है। |
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जाँच एजेंसी के द्वारा केस की जाँच की जाती है, न्यायालय की ओर से वह सुनिश्चित करती है कि बच्चा दत्तक ग्रहण हेतु मुक्त है, अभिभावकत्व के कागजात ठीक है और बच्चे की नियोजन बच्चे के सर्वोत्तम हित में है। |
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न्यायालय दत्तक ग्रहण/अभिभावक हेतु अनुमति देता है। |
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सारे कागजात की पुष्टि के बाद विदेशी संस्था द्वारा दत्तक ग्रहणकर्त्ता माता-पिता के पास भेजा जायेगा। पासपोर्ट के आवेदन, उसके बाद बच्चे के लिए वीजा की स्वीकृति |
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बच्चा दत्तक ग्रहणकर्त्ता माता-पिता के साथ यात्रा करने के लिए तैयार |
बाल दत्तक ग्रहण: तीन विधान
क) भारत में हिन्दू
ख) भारत में बाहर के हिन्दू
क) गैर हिन्दू भारतीय
a) भारतीय नागरिकता
b) विदेशी नागरिकता
ख) विदेशी माता-पिता गैर भारतीय एवं विदेशी नागरिकता वाले दोनों
क) सक्षम करने वाला/वैकल्पिक
ख) धर्मनिरपेक्ष व सभी अधिग्रहण करनेवाले माता-पिता पर लागू
ग) लिंग की दृष्टि से न्याय पूर्ण
दत्तक ग्रहण प्रक्रिया के मुख्य सहयोगी
बच्चा
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विशेष दत्तक ग्रहण संस्था मान्यता प्राप्त भारतीय प्लेसमेंट संस्था
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सूचीकृत विदेशी मान्यता प्राप्त भारतीय दत्तक ग्रहण संस्था
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बाल कल्याण समिति |
केन्द्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन संस्था |
राज्य सरकारें
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जाँच संस्था
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न्याय व्यवस्था किशोर न्याय अधिनियम |
दत्तक ग्रहण समन्वय संस्था |
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वकील |
डॉक्टर |
दत्तक ग्रहण कर्त्ता माता पिताओं के संगठन |
नागरिक समाज |
किशोर न्याय कार्याधिकारियों व सहयोगी व्यवस्थाओं की भूमिकाएं
निगरानी अधिकारी व बाल कल्याण अधिकारी
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गैर सरकारी संस्थाएं व उनके कार्यतंत्र |
पुलिस व्यवस्था विशेष किशोर पुलिस इकाई रेल शहर |
केंद्र सरकार व सम्बन्धित मंत्रालय |
नागरिक समाज स्वयंसेवी एवं सामाजिक संगठन रोटरी लायंस क्लब |
संस्थागत कार्याधिकारी सुपरिटेंडेंट बाल देखरेखकर्त्ता गृह अभिभावक मेट्रन |
शिक्षक कार्यधारित प्रशिक्षक |
क़ानूनी व्यवस्था वकील क़ानूनी विशेषज्ञ |
मिडिया |
स्वास्थ्य व्यवस्था डॉक्टर फोरेंसिक विशेषज्ञ |
राज्य सरकार की मशीनरी निदेशालय जिला कार्यालय राज्य सलाहकार समितियाँ |
बाल कल्याण समिति या किशोर न्याय बोर्ड |
स्त्रोत: चाईल्डलाईन इंडिया फाउंडेशन
अंतिम बार संशोधित : 9/18/2019
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