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महिला समाख्या कार्यक्रम

भूमिका

सामाजिक और आर्थिक तौर पर पिछङे वर्गों के ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की शिक्षा और सशक्तीकरण के लिए राष्ट्रीय शिक्षानीति के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक निश्चित कार्यक्रम के रूप में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के लक्ष्यों के अनुसार वर्ष 1989 में महिला समाख्या कार्यक्रम शुरू किया गया।  महिला समाख्या स्कीम ने समानता के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए शिक्षा के केंद्रीकरण को मान्यता प्रदान की है।  इस उद्‌देश्य को प्राप्त करने के लिए महिला समाख्या के तहत एक नवाचारी दृष्टिकोण अपनाया गया है जिसमें मात्र लक्ष्यों को प्राप्त करने के बजाय प्रक्रिया पर विशेष ध्यान दिया गया है। महिला समाख्या के तहत शिक्षा को न केवल साक्षरता कौशल प्राप्त करने के माध्यम के रूप में माना गया है अपितु इसे प्रश्न पूछने,मुद्‌दों और समस्याओं का विशेष रूप से विश्लेषण करने तथा समाधान करने की प्रक्रिया के रूप में माना गया है। इसके तहत महिलाओं के लिए ऐसा वातावरण तैयार करने का प्रयास किया जाता है जिसमें महिलाएं स्वयं अपनी ओर से अध्ययन कर सकें, अपनी प्राथमिकताएं निर्धारित कर सके और अपनी पसंद के अनुसार ज्ञान तथा सूचना प्राप्त कर सके। इसमें महिलाओं में अपनी अवधारणा में परिवर्तन लाने तथा महिलाओं की ''परम्परागत भूमिकाओं'' के सम्बन्ध में समाज की अवधारणा में परिवर्तन लाने का प्रयास किया गया है। यह अनिवार्य रूप से महिलाओं विशेष रूप से सामाजिक और आर्थिक रूप से लाभवंचित तथा अन्य कमजोर वर्गों की महिलाओं को सक्षम बनाना है ताकि वे अलगाव और आत्मविश्वास की कमी, कठोर सामाजिक प्रथाओं जिन्हें उनके अध्ययन में शामिल किया गया है, का समाधान कर सकें, अस्तित्व के लिए संघर्ष कर सकें। इस प्रक्रिया से महिलाएं सशक्त होगी।

योजना के उद्देश्य

इस स्कीम के उद्‌देश्य इस प्रकार हैं -

  • महिलाओं की आत्मछवि तथा आत्मविश्वास में वृद्घि करना;
  • ऐसा वातावरण तैयार करना जहां महिलाएं ज्ञान तथा सूचना प्राप्त कर सकें जिससे वे समाज में एक सकारात्मक भूमिका निभा सकें;
  • प्रबंधन की विकेंद्रीकृत तथा सहभागी पद्घति तैयार करना;
  • महिला संघों को गांवों में शैक्षिक कार्यकलापों की सुविधा तथा मानीटरिंग करने में समर्थ बनाना;
  • महिलाओं तथा किशोरियों की शिक्षा के लिए अवसर प्रदान करना;
  • औपचारिक तथा अनौपचारिक शिक्षा कार्यक्रमों में महिलाओं तथा लड़कियों की अधिक सहभागिता प्राप्त करना।

योजना का क्रियान्वयन

महिला समाख्या स्कीम इन महिला संघों के माध्यम से बुनियादी स्तर पर महिलाओं की अधिकारिता की नींव रखने में सफल हुई हैं।  राज्यों में संघों ने दैनिक न्यूनतम आवश्यकताओं को पूरा करने, पेयजल, नागरिक सुविधाओं में सुधार लाने, स्वास्थ्य तथा पोषण, संसाधन उपलब्ध कराने तथा नियंत्रित करने, अपने बच्चों, विशेष रूप से बालिकाओं के लिए शिक्षा के अवसर सुनिश्चित करने से लेकर राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने, उनकी चिंताओं को दूर करने तथा महिलाओं के विरूद्घ हिंसा, बाल-विवाह, दहेज आदि सामाजिक समस्याओं का समाधान करने जैसे विषयों तथा समस्याओं को दूर करने में पहल की है। महिला समाख्या योजना के प्रभावीपन ने महिलाओं को शिक्षा हेतु गतिशील करके सर्व शिक्षा अभियान(एस.एस.ए.) के साथ भी निकट अन्तरण करने में परिणत हुई है।

 

वर्तमान में महिला समाख्या योजना को 10 राज्यों नामतः, आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ, झारखंड, कर्नाटक, केरल, गुजरात, उत्तर प्रदेश और उत्तरांचल के 104 जिलों और लगभग 32574 से भी अधिक गांवों में कार्यान्वित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम को राजस्‍थान राज्‍य में शुरू करने के लिए राज्य सरकार द्वारा कार्रवाई की जा रही है। इस स्कीम के लिए 11वीं योजना का बजटीय परिव्यय 210.00 करोड  रू. है।

महिला समाख्‍या योजना ग्रामीण क्षेत्रों खासकर सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े समूहों की महिलाओं की शिक्षा तथा उनके सशक्‍तिकरण के लिए 1989 में शुरू की गई। एनपीई, 1986 के उद्देश्‍यों के अनुरूप लक्ष्‍य हासिल करने के लिए एक ठोस कार्यक्रम के रूप में इसकी शुरूआत हुई। समानता हासिल करने में महिलाओं को शिक्षित बनाने में एमएस योजना को पहचाना जाता है। महिला संघ गांव स्‍तर पर महिलाओं को मिलने, सवाल करने और अपने विचार रखने तथा अपनी आवश्‍यकताओं को व्‍यक्‍त करने के अलावा अपनी इच्‍छाओं को जाहिर करने का स्‍थान मुहैया कराते हैं।

महिला संघों ने ग्रामीण महिलाओं के दृष्‍टिकोण में विभिन्‍न कार्यक्रमों और जागरूकता अभियानों के माध्‍यम से बदलाव ला दिया है जिसका प्रभाव अब घर, परिवार में, सामुदायिक तथा ब्‍लॉक और पंचायत स्‍तर पर देखा जा सकता है। कार्यक्रम में बच्‍चों खासकर लड़कियों की शिक्षा की आवश्‍यकता पर जागरूकता पैदा करने पर भी केंद्रित होता है। ताकि लड़कियों को भी बराबर का दर्जा और अवसर मिल सके। इसके परिणाम स्‍कूलों में लड़कियों के नामांकन में वृद्धि और स्‍कूल न छोड़ने के रूप में सामने आए हैं।

महिला समाख्‍या योजना आरम्भ में नौ राज्‍यों के 83 जिलों में 21,000 गांवों में चलाई जा रही थी। ये नौ राज्‍य हैं : आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, झारखंड, कर्नाटक, केरल, गुजरात, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड। वित्त वर्ष 2007-08 से इस योजना को दो और राज्‍यों मध्‍य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बढ़ाया गया | वित्त वर्ष 2007-08 में इस योजना के लिए 34 करोड़ का बजटीय प्रावधान रखा गया। वर्ष 2011-12 के लिए ` 50 करोड़ के परिव्‍यय का प्रस्‍ताव किया गया था।

स्त्रोत भारत सरकार का मानव संसाधन विकास मंत्रालय

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



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