भारतीय ग्रामीण परिवेश में खुले में शौच की प्रथा को सामाजिक मान्यता सिदियों से प्राप्त है| इस पीढ़ियों कुप्रथा को तोड़ने की आवश्यकता है, खुले में शौच की जो आदत सहज ही बन गई है उसे बदलने की आवश्यकता है, व्यवहार में परिवर्तन लाने की आवश्यकता है ताकि खुले में जहाँ-तहाँ बिखरा मानव मल, जो कई बीमारियों को तो पैदा कर ही रहा है, साथ ही साथ हमारी मर्यादा पर भी एक बड़ा प्रश्नचिन्ह लगाता है, जिससे मुक्ति पा सकें और स्वस्थ रहते हुए आत्म गरिमा के साथ सारी दुनिया का सामना कर सके|
खुले में किये जा रहे मानव मल से मुक्ति पाने और इस पुरानी आदत को बदलने के लिए एक विधि का इस्तेमाल किया जा रहा है जिसकी अवधारणा का विकास श्री कमल कार द्वारा किया गया है जो सहभागी ग्रामीण अध्ययन विधि पर आधारित है| इस विधि को समुदाय संचालित सम्पूर्ण स्वच्छता कहा गया|
CLTS विधि के द्वारा समुदाय से उनके ही स्वच्छता सम्बन्धी व्यवहार का आत्म विश्लेषण करवाया जाता है, एवं उनमें अन्तः प्रेरणा की आग पैदा की जाती है जिससे समुदाय अपनी इस खुले में शौच की आदत का स्वयं विश्लेषण कर सके, इसके दुष्परिणामों का आकलन कर सके और ये सिर्फ व्यक्तिगत व्यवहार परिवर्तन का प्रश्न ना होकर सामाजिक व्यवहार परिवर्तन का मुद्दा बन सके| साथ ही यह समाज के हर तबके की आदत को बदलने के लिए एक सोच, एक विचार को जन्म दे सके|
स्वच्छता की वास्तविक स्थिति का सजीव चित्रण ग्रामीण समुदाय के बीच किया जाता है, जिससे समुदाय खुले में शौच की आदत के कारण स्वयं घृणा और शर्म का एहसास करता है और अस्वच्छता के कारण समूचे समुदाय/समाज पर पड़ने वाले दुष्परिणामों की विस्तृत चर्चा होती है| इससे समुदाय अपनी स्थिति को भांप कर एवं इसकी भयावह को समझते हुए व्यवहार परिवर्तन के लिए विहार कर एक मत से निर्णय लेकर सुधार एवं परिवर्तन के लिए संकल्पबद्ध होकर प्रयास करता है|
CLTS की सम्पूर्ण प्रक्रिया को सुव्यवस्थित ढंग से किये जाने के लिए कुछ त्रिकोण या टूल्स का प्रयोग किया जाता है| ये ट्रिगर टूल्स यानी उत्प्रेरण के तरीके समुदाय की परिस्थितियों एवं वातावरण पर निर्भर करते हैं| इस पूरी प्रक्रिया को ट्रिगरिंग कहा जाता है| ये शब्द बंदूक के ट्रिगर से बना है| इस ट्रिगर में किसी जान नहीं जाती परन्तु इस पूरी ट्रिगरिंग में समुदाय की आत्मा को झकझोरने का प्रयास होता है जिससे समुदाय एक होक अस्वच्छता/खुले में शौच के रूप में पसरे मल्लासुर या मानव बम (खुले में बिखरे मानव मल से उत्पन्न राक्षस) को ख़त्म कर स्वास्थ्य जीवन यापन करते हुए समृद्धि की ओर कदम बढ़ा सके|
CLTS टूल्स के माध्यम से चिंतनीय/विचारणीय छोटे-छोटे प्रश्नों को समुदाय के बीच छोड़ा जाता है जिस पर विचार एवं चिंतन करते हुए समुदाय स्वच्छता के प्रति व्यवहार परिवर्तन लाने के लिए संकल्पबद्ध हो सामूहिक प्रयास करता है|
CLTS विधि में आमतौर पर प्रयोग में लाये जाने वाले उत्प्रेरण के तरीके या ट्रिगर टूल्स का उपयोग करने का कोई निश्चित क्रम नहीं होता| सामान्यतः सहजकर्ता/उत्प्रेरक समुदाय के साथ सहज होने के बाद जमीनी परिस्थितियों के अनुसार ही ट्रिंगरिंग प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हैं| ट्रिंगरिंग टूल्स इस प्रकार है:
1 सम्बन्ध निर्माण
इन ट्रिंगरिंग टूल्स के बारे में विस्तृत वर्णन अगले अध्यायों में प्रस्तुत है:-
उद्देश्य – इसका मुख्य उद्देश्य समुदाय के बीच पारस्परिक विश्वास एवं सह-समझ को विकसित करना होगा है|
कैसे किया जाये:- सर्वप्रथम समुदाय का अभिवादन करते हैं एवं उनका अभिवादन सहज स्वीकार करते हैं| सहजकर्ता/उत्प्रेरक स्वयं का परिचय देते हुए समुदाय के बीच उपस्थित होने का उद्देश्य स्पष्ट करता है| सहजकर्ता चर्चा को रोचक बनाते हुए समुदाय को स्पष्ट करें कि वे कुछ देने नहीं आये हैं| साथ ही समुदाय से उनका प्रक्रिया हेतु समय मांग लिया जाये| चर्चा को इस बिंदु पर लाया जाये कि वे पूर्ण सहमति के साथ सहजकर्ता को ग्राम और ग्रामीण जीवन के बारे में निःसंकोच समस्त जानकारी देने लगें|
कब किया जाये: - इस गतिविधि को समुदाय से भेंट करते समय करना ही चाहिए| यह सब करने से सहजकर्ता समुदाय का विश्वास जीत लेते हैं एवं समुदाय का पूर्ण सहयोग प्राप्त होता है|
सम्बन्ध निर्माण के समय रखी जाने वाली सावधानियाँ:-
उद्देश्य- समुदाय की स्वच्छता की स्थिति एवं व्यवहार को समझने के लिए ग्राम का भ्रमण कर ग्राम में खुले में शौच का स्थान विशेष तौर पर देखा जाता है| इस टूल्स का मुख्य उद्देश्य समुदाय की नजरों से उनके गाँव को देखना व समझना है| भ्रमण के दौरान समुदाय के बीच स्वच्छता के सम्बन्ध में प्रश्न रखे जाते हैं|
कैसे किया जाए:- सहजकर्ता यात्रा में जिज्ञासु स्वाभाव बनाकर इस यात्रा के दौरान समुदाय के साथ उनके मुख्य स्थानों पर भ्रमण कर उनके बीच विश्वास को मजबूत करते हैं| इस यात्रा में ही समुदाय की बहुत सारी समस्याओं की भी जानकारी मिल जाती है जो उनके आत्म विश्लेषण में मददगार सिद्ध होती है| समुदाय के साथ क्षेत्र भ्रमण करते हुए गाँव के गंदगी वाले स्थान से गुजरे तब में पड़े मानव मल को देखकर रुक जाएँ और समुदाय से कुछ इस प्रकार से प्रश्न करें:-
ये क्या है?
इसे किस-किस नाम से जाना जाता है?
आपके क्षेत्र में इसका प्रचलित नाम क्या है?
ये टट्टी/गू/मल किसका है?
आपके ग्राम के पुरुष, महिलाएं और बच्चे हगने कहाँ-कहाँ जाते हैं?
क्या ये वही मक्खियाँ हैं जो आपके घर में भी उड़ती रहती है या फिर कुछ अलग हैं?
ये मक्खियाँ और कहाँ-कहाँ बैठती हैं?
मक्खियाँ आपके खाने पर बैठती हैं तो क्या वो खाना आप फ़ेंक देते हैं फिर मक्खियों को उड़ाने के बाद खा लिया जाता है?
आपके खाने पर मक्खियों के पैरों द्वारा क्या चिपक कर आया और आपके खाने पर छुट गया?
आपके खाने के साथ क्या खा लिया?
इस दौरान पानी को एक पारदर्शी गिलास में लेकर पहले सहजकर्ता स्वयं पीये एवं उसके बाद साथ खड़े लोगों को भी पिलाएँ तथा पानी के रंग और स्वाद के बारे में पूछें| फिर एक बाल के साथ मक्खी के एक पैर की तुलना करते हुए उस बाल को टट्टी मने लगाकर पानी में घोल कर पुनः सहजकर्ता समुदाय से पूछें कि अब वे इस पानी को पी सकते है? यदि नहीं तो क्यों? जब आँखों से देखा हुआ नहीं पीया जाता तो क्या ये सिलसिला अब भी जारी रहेगा?
कब किया जाए- समुदाय जब सहजकर्ता को चर्चा के लिए पर्याप्त समय देने को तैयार हो| जब समुदाय अपने गाँव को घुमाने के लिए सहर्ष तैयार हो, मौसम, गाँव भ्रमण के लिए अनुकूल हो|
क्षेत्र भ्रमण दौरान रखी जाने वाली सावधानियाँ:-
उद्देश्य- इस गतिविधि का मुख्य उद्देश्य गाँव की स्वच्छ्ता स्थिति के सम्बन्ध में समुदाय को आत्म विश्लेषण करने को प्रेरित करना है|
कैसे किया जाए:- गाँव के बीच के खुले मैदान में समुदाय के सदस्यों द्वारा ही गाँव का नक्शा बनाया जाता है| सहजकर्ता प्रश्न करते जाते हैं और सदस्यगण नक्शे में गाँव की मुख्य सड़कों एवं गाँव में उपलब्ध समस्त संसाधनों के साथ-साथ गाँव की बसाहट को भी नक्शे पर विभिन्न रंग की रंगोली या सहज उपलब्ध साधनों से उतारते जाते हैं| जब नक्शा पूरा बन जाता है तब सहजकर्ता समुदाय के मध्य सवाल रखते हैं कि आप का गाँव, आपको कैसा दिखाई दे रहा है? समुदाय से इस सवाल के सकारात्मक उत्तर मिलते हैं| सहजकर्ता भी सभी का उत्साहवर्धन करते हैं|
इस के पश्चात पुनः सहजकर्ता समुदाय से दूसरा सवाल करते हैं कि इस गाँव के लोग शौच करने के लिए कहाँ जाते हैं? समुदाय के सदस्यों को प्रेरित कर खुले में शौच के स्थान पर पीले रंग की रंगोली रखी जाती है| सहजकर्ता खुले में शौच के सभी स्थानों को जानने के लिए तरह-तरह से प्रश्न रखते हैं जैसे बरसात के मौसम में कहाँ जाते हैं? रात के समय कहाँ जाते हैं? दिन में कहाँ जाते हैं? बच्चों को कहाँ ले जाते हैं? शिशुओं के मल को कहाँ फेका जाता है? बुजुर्ग लोग कहाँ जाते हैं? देखते ही देखते गाँव के नक्शे पर मानव मल रूपी पीला रंग छा जाता है- गाँव के आस-पास, घरों के पास, पेयजल स्रोतों के पास सभी जगहों पर| सहजकर्ता पुनः अपना प्रश्न दोहराता है कि आपका गाँव आप को कैसा दिखाई दे रहा है? इस समय जवाब में मौन छा जाता है और चितन की प्रक्रिया प्रारंभ होती है|
स्वच्छता की स्थिति का सामुदायिक मानचित्रण करवाते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ:-
उद्देश्य- इस गणना से गाँव में खुले मल के उत्पादन की मात्रा आसानी से प्राप्त की जा सकती है जिससे समुदाय के सदस्यों को खुले में शौच की भयावह स्थिति को समझने में मदद होती है|
कैसे किया जाए:- समुदाय के सदस्यों से पूछा जाए कि आपको गाँव के कितने लोग हर रोज खुले में मल त्यागते हैं? एक व्यक्ति एक दिन में कितना त्यागता होगा? (अंदाज से) उदाहरण के लिए यदि एक व्यक्ति एक दिन में 400 ग्रा. मल त्यागे और पूरे गाँव से 500 व्यक्ति बाहर खुले में शौच को जाते है तो इस गाँव में हर रोज खुले में400 500 = 200000 ग्राम खुला मल यानि 200 किलो खुला मल यानि 2 किवंटल खुला मल हर रोज यहाँ बिखरता है| यदि एक दिन में 2 किवंटल हिसाब हो कि एक सप्ताह में कितना? एक माह में कितना? एक साल में कितना?
सहजकर्ता ये हिसाब-किताब समुदाय के सदस्यों के द्वारा ही होने हो, फिर सवाल करें कि बताएं कि इतने मल का ढेर कितना बड़ा होगा? पर ये कहीं भी दिखाई नहीं देता? तो आखिर ये सारा खुला मल कहाँ जा रहा है? क्या ये मल वापस हम तक लौट कर आ रहा है? यदि हाँ, तो कैसे? क्या ये मिट्टी में मिलकर हम तक आता है? क्या ये पानी में मिल जाता है/ क्या ये मक्खियों से हम तक आता है? क्या ये जानवरों के पैरों से, गाड़ी के पहियों से हम तक आता है? क्या गू या टट्टी हमारे मुँह में जाता है? क्या आप लोग गू खाने वाले प्राणी हैं? क्या ये गू खाने का सिलसिला जारी रखना चाहते हैं कि बंद करना चाहते हैं? निर्णय आपका है|
कब किया जाए:- जब समुदाय के सदस्य खुले में बिखरे शौच की भयावहता नहीं महसूस कर पा रहे हों, उस समय इस गणना को करवाया जाना कारगर सिद्ध होता है|
मल गणना करते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ
उद्देश्य- उन कारणों एवं माध्यमों की पहचान करना जिनके द्वारा खुले में छोड़ा हुआ मल वापस समुदाय के भोजन एवं जल में पहुँचता है|
इस गतिविधि के द्वारा समुदाय आसानी से ये अनुभव कर पाटा है कि खुले छोड़ा गू/टट्टी कैसे विभिन्न मार्गों से मुंह तक पहुँच जाता है|
कैसे किया जाए:- मल गणना के पश्चात मल के ढेरों का कंही भी दिखाई ना देने वाले प्रश्न के साथ जोड़ते हुए पूछा जाए कि ये मल आखिर कहाँ जाता है? क्या पशुओं के पैरों में चिपककर वापस आ रहा है? क्या पानी में मिल कर वापस आ रहा है? क्या मक्खियाँ इसे हमारे भोजन पर ला रही है? क्या ये हवा में घुल कर वापस आ रहा है? क्या मिट्टी में मिलकर वापस आ रहा है? क्या हमारे गाड़ियों के पहियों में चिपककर हम तक वापस आ रहा है? क्या ये हमारे हाथों की उँगलियों में चिपककर हम तक वापस आ रहा है? तो ये सिलसिला जारी रखना चाहते हैं कि बंद करना चाहते हैं? निर्णय आपका है|
कब किया जाए- जब समुदाय के सदस्य मल के मुंह में पहुँचने वाली चर्चा से असहमत दिखें एवं उन्हें इसका एहसास मुश्किल हो रहा हो|
मल का मुख तक का मार्ग-प्रवाह चित्र करते समय रखी जाने वाली सावधानियां
उद्देश्य- बीमारियां जो गंदगी के कारण होती है उनके इलाज पर होने वाले खर्च की गणना और ये एहसास कराना कि स्वच्छता कायम रखने से पैरों की बचत और सुख-समृद्धि का मार्ग खुलता है|
कैसे किया जाए- समुदाय से प्रश्न करें कि रोग कैसे फैलते हैं? कौन-कौन से रोग आमतौर पर गाँव में होते हैं? उनके इलाज पर कितना खर्च आता है? इलाज करने पर कहाँ-कहाँ खर्च होता है?
एक बार डॉक्टर की फीस कितनी?
दवाईयों और जाँच का एक बार में खर्चा कितना?
इलाज के लिए जाने आने का खर्च कितना?
बीमारी के दौरान खान-पान पर विशेष खर्च कितना?
सब जोड़कर एक आदमी के बीमार होने पर खर्च, इसी प्रकार पूरे परिवार पर एक एक वर्ष में बीमारियों पर होने वाला खर्च और फिर पूरे गाँव के परिवारों पर बीमारियों के मद में होने वाले खर्च की गणना करवाई जाती है| फिर पूछा जाता है कि क्या इस खर्च को बचत में बदला जा सकता है?
कब किया जाए- इस गतिवधि को तब करें जब समुदाय स्वच्छता और खुले में शौच से मुक्ति को आर्थिक प्रगति से जोड़कर नहीं सोच पा रहा हो|
चिकित्सीय खर्चों की गणना करते समय रखी जाने वाली सावधानियां
उद्देश्य- शर्म और मर्यादा का एहसास होता है| खुले में शौच करने की मजबूरी के कारण महिलाओं के अपमानित होने का अनुभव कराया जाता है|
कैसे किया जाए- समुदाय से चर्चा के दौरान प्रश्न किया जाए कि आप को मान-सम्मान प्यारा है? यदि आपकी बेटी से कोई व्यक्ति छेड़खानी करें तो आप क्या करेंगे? जब आप के घर की मर्यादा यानि आपकी बहु-बेटियां बाहर खुले में शौच के लिए जाती हैं तो क्या आप पूरे गाँव में पर्दा लगवा देते हैं? क्या पराया लोगों की गलत निगाहों आप के घर की, गाँव की बहन-बेटियों पर नहीं जाती होंगी? क्या आप अपनी बहन-बेटियों को सुरक्षित जीवन दे पा रहे हैं? आपनी बहन-बेटियों को सुरक्षित जीवन देना किसका फर्ज है? क्या ये समुदाय इस स्थिति को बदलने के लिए तैयार है?
कब किया जाए- परिस्थिति को समझते हुए इस टूल्स का प्रयोग करना चाहिए|
मर्यादा की रक्षा टूल का प्रयोग करते समय रखी जाने वाली सावधानियां
उद्देश्य- इस टूल्स के द्वारा मल के मुंह तक के मार्ग को सजीव कर अस्वच्छता की स्थिति से बाहर निकलने का विचार समुदाय में उत्पन्न किया जा सकेगा| खुले में शौच के प्रति घृणा की भावना प्रबल होगी| तत्काल इस स्थिति से निकलने के लिए समुदाय प्रेरित होगा|
कैसे किया जाए- जब समुदाय के साथ चर्चा चल रही हो उसी बीच में इस टूल को दिखाया जा सकता है| इस को प्रदर्शित करते समय सहजकर्ता समुदाय को यह दृश्य दिखाकर शांत खड़े रहें| समुदाय को आपस में चर्चा करने दें तथा बाद में प्रश्न करें- क्या ये खाने खिलाने का सिलसिला जारी रखना चाहते हैं कि बंद करना? इस को तत्काल कैसे बंद करेंगे? कुछ देर चर्चा और प्रश्न उत्तर होने के बाद, मल पर मिट्टी लाकर डाल दें और टट्टी को गड्ढे में गाड़ने का संकेत दें|
इन टूल्स के अतिरिक्त अन्य टूल्स भी प्रयोग में लाये जा सकते हैं जिससे समुदाय आत्म चितन के लिए प्रेरित हो और स्वच्छता के प्रति एकजुट होकर प्रयास करें|
CLTS कार्यकर्ता के तौर पर आपका व्यवहार कैसा हो?
क्या अवश्य करें |
क्या न करें |
सर्वप्रथम सम्पूर्ण टीम अपना परिचय दें एवं गाँव में आने का उद्देश्य करें| |
अपना परिचय दिए बिना समुदाय को परिचय देने के लिए करना| |
समुदाय के साथ उनके स्तर पर ही बैठें ना कि कुर्सी आदि का प्रयोग करें |
श्रेष्ठतम जैसा व्यवहार करना |
गाँव में पहुँचते ही अपने मोबाइलसेट को बंद करें अथवा शांत रखें |
मोबाइल पर बात करते रहना और लोगों को इंतजार कराना |
प्रक्रिया के दौरान सभी व्यक्तियों से चर्चा हो |
कुछ ही लोगों पर ध्यान केन्द्रित करना |
समुदाय को अपनी स्वच्छता की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करने में मदद करें |
लोगों को शिक्षा देना, भाषण देना एवं कीच करने के लिए कहना |
लोगों को स्वयं के विश्लेषण द्वारा महसूस करने दें| |
लोगों को बताना कि उनके लिए क्या अच्छा है क्या बुरा है| सुझाव देना| |
लोगों को स्वयं में परिवर्तन लाने के लिए ट्रिगर करें |
कार्य करने के लिए दबाव डालना और बार-बार कहना| |
स्वयं पीछे रहें व स्वाभाविक नेताओं पर सबकुछ छोड़ दें| |
उनके कार्य का जिम्मा लेना |
शांत रहें और लोगों को आपस में चर्चा करने दें व प्रज्ज्वलन का क्षण आने पर उस पहचानें| |
जब उपस्थित समुदाय एक दुसरे पर दोषारोपण कर रहें हों तो उसे रोकना| |
जब समुदाय की आपस में बहस प्रारम्भ हो जाए तो आप शांत रहें| याद रखें कि ये प्रज्ज्वलन का क्षण आने के संकेत हैं |
लोगों को बहस करने से रोकना अरु जब लोग एक दूसरे को कार्य करने के लिए कह रहे हों तो जल्दी ही प्रक्रिया को समेटने की कोशिश करना व जल्द ही निकल जाना| |
जो लोग प्रक्रिया में स्वाभाविक रूप से आगे आ रहे हों उनके प्रशसा करें व उन्हें प्रोत्साहित करें| |
उभरते हुए लोगों को, बच्चो को महिलाओं को नजरअंदाज करना |
जो लोग गरीबों की मदद के लिए आगे आए उनकी प्रसंशा करें |
गरीबों की मदद करने वालों को नजरअंदाज करना |
लोगों को साधारण शौचालय बनाने के लिए आविष्कार करने दें |
किसी विशेष प्रकार के शौचालय के मॉडल को बनाने के लिए बढ़ावा देना |
स्थानीय स्तर पर कारवाई के लिए प्रेरित करें| समुदाय में स्वयं निर्भरता के लिए प्रेरित करें |
शौचालय निर्माण के लिए अनुदान प्रदान करना |
सावधान रहते हुए मजबूती से अपनी बात को रखें |
लोगों को अपनी बात पर दवाब डालकर सहमत कराना |
सब कुछ ध्यानपूर्वक सुनें| पूर्वाग्रह ना रखे |
व्यवधान डालना |
जाने निर्मल भारत अभियान और उससे जुड़े शौचालय निर्माण के तकनीकी पहलुओं को
1.निर्मल भारत अभियान क्या है?
2. निर्मल भारत अभियान अंतर्गत क्या-क्या किये जा सकते हैं?
निर्मल भारत अभियान के अंतर्गत स्वच्छता के सात घटकों पर कार्य किया जाता है| ये घटक इस प्रकार हैं|
3. व्यक्तिगत शौचालय निर्माण के लिए कितनी प्रोत्साहन राशि दी जाती है?
व्यक्तिगत शौचालय निर्माण एवं उपयोग के लिए प्रोत्साहन राशि रु. 5500/- है| जिसमें रु. 3200/- का केन्द्रांश, रु. 1400/- का राज्यांश एवं रु. 900/- का हितग्राही का अंशदान होता है|
4. व्यक्तिगत शौचालय निर्माण के लिए कितनी प्रोत्साहन राशि दी जाती है क्या वह शौचालय निर्माण के लिए होती है?
5. व्यक्तिगत शौचालय निर्माण की प्रोत्साहन राशि ए.पी.एल. व्यक्तियों को भी दी जाती है?
6. शाला शौचालय के लिए कितनी प्रोत्साहन राशि दी जाती है?
7. आंगनबाड़ी शौचालय के लिए कितनी प्रोत्साहन राशि का प्रावधान है?
8. क्या निर्मल भारत अभियान के अंतर्गत कूड़े-कचरे के प्रबंध के लिए भी राशि का प्रावधान है?
हाँ, कूड़े-कचरे के प्रबंध के लिए भी राशि का प्रावधान ग्राम में परिवारों की संख्या के आधार पर हैं जिसमें 70 प्रतिशत केन्द्रांश एवं 30 प्रतिशत राज्यांश होता है|
9. क्या निर्मल भारत अभियान और महात्मा गाँधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना मने मिला-जुला कर काम किया जा सकता है?
10.क्या निर्मल भारत अभियान में स्वयं सेवी संस्थाएं भी काम कर सकती हैं?
शौचालय निर्माण के तकनीकी पहलू कौन-कौन से है:-
11.शौचालय निर्माण क्यों आवश्यक है?
12.कौन सा शौचालय ग्रामीण क्षेत्रों के लिए उपयुक्त होगा?
ग्रामीण क्षेत्रों के लिए लीच-पिट तकनीक से बना शौचालय उपयुक्त होगा क्योंकि
13. लीच-पिट शौचालय को बनाने में कितनी जमीन लगती है?
14. लीच-पिट के गड्ढे को किस नाप से खोदना चाहिए?
15. लीच-पिट जालीदार चुनाई क्यों आवश्यक है?
लीच-पिट में जालीदार चुनाई करना अतिआवश्यक है क्योंकि
16. लीच-पिट के अंदर जालीदार दीवार में कितने माप के छिद्र रखने चाहिए?
17. लीच-पिट के अंदर छिद्र किस प्रकार छोड़ना चाहिए?
लीच-पिट में ईटों से जालीदार दीवार बनाते समय ध्यान रखना चाहिए कि-
18.लीच पिट का उपयुक्त आकर क्या है?
19. क्या लीच पिट के अंदर जालीदार दीवार, ईंट के अतिरिक्त किसी अन्य साधन से भी बनाया जा सकता है?
लीच पिट के अंदर जालीदार दीवार, ईंट के अतिरिक्त और भी कई साधनों से बन सकती है
20 लीच पिट के गड्ढे की गहराई 1 मीटर की ही क्यों राखी जाती है?
लीच पिट के गड्ढे की गहराई 1 मीटर तक गहरे रखने के कई कारण हैं-
21. एक लीच पिट का गड्ढा कितने वर्षों में भर जाता है?
22. लीच पिट को चूहे भी नुकसान पहुंचाते हैं अरु उसमें मिट्टी भर देते हैं यदि ऐसा हो तो क्या करना चाहिए?
जिस क्षेत्र में चूहे हों वहाँ लीच पिट को बनाते समय एक बहुत आसान उपाय करना चाहिए-
बालू को पिट के अंदर गिरने नहीं देगा|
23. क्या लीच पिट को घर के अंदर भी बनाया जा सकता है?
24. क्या लीच पिट शौचालय में से बदबू आती है?
25. दो लीच पिट के गड्ढों में कम से कम कितनी दूरी होनी चाहिए?
26. क्या लीच पिट वाले शौचालय में वेंट पाइप लगाया जाता है?
27. लीच पिट में बनने वाली जैविक खाद में क्या-क्या गुण होते हैं?
28. ये खाद कितने दिनों में तैयार हो जाती है?
29. क्या लीच पिट से बाहर ओवर-लो का पानी निकलता है?
30. क्या लीच पिट से जमींन के पानी के ख़राब होने का खतरा होता है?
31. क्या लीच पिट वाला शौचालय हमारे बजट में तैयार हो सकता है?
32.लीच पिट की पेयजल स्रोत से कितनी दूरी होनी चाहिए?
33.लीच पिट जब हर जाए तब क्या करना चाहिए?
34.सेफ्टिकटैंक और लीच पिट में से कौन सी तकनीक बेहतर है?
लीच-पिट तकनीक का शौचालय |
सेफ्टिकटैंक तकनीक का शौचालय |
कम जगह लगती है |
अधिक जगह लगती है |
कम पानी लगता है |
अधिक पानी लगता है |
सरल तकनीक है |
कठिन तकनीक है |
बजट अनुसार बनाया जा सकता है |
अधिक खर्च आता है |
अधिक से अधिक दो दिन में बन जाता है |
कम से कम 1 माह का समय लगता है |
जैविक खाद तैयार की जाता है |
कुछ भी नहीं किया जा सकता |
खाली करना बहुत आसान है| स्वयं खाली किया जा सकता है |
बाहर से मशीन द्वारा ही सम्भव है |
पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता| |
पर्यावरण के लिए हानिकारक है |
वेंट पाइप की जरुरत नहीं होती |
वेंट पाइप जरुरी होता है| |
ओवर लो या बदबू की शिकायत नहीं होती है |
ओवर लो या बदबू की शिकायत होती है |
35. लीच पिट को कैसे खाली करना चाहिए?
36.अलग-अलग संसाधनों से बनाये गये लीच पिट में कितना खर्च आता होगा?
इस्तेमाल किये जा रहे संसाधनों के स्थानीय बाजार में उपलब्धता और भाव पर खर्च निर्भर करता है|
लीच पिट को कई प्रकार से बनाया जा सकता है जैसे
इस प्रकार के पिट को तैयार करने में कोई भी सामग्री नहीं लगती है| ये पिट 2 वर्षों के लिए प्रर्याप्त है|
इस तरह के पिट को तैयार करने में बांस, लोहे के पतले तार, लोहे की कील एवं अलकतरा के लियो आदि की जरुरत होगी| ये पिट 4 से पांच वर्षों के लिए प्रर्याप्त है| इसकी लागत का अनुमान आप निम्न सारणी अनुसार स्वंय लगा सकते हैं-
क्रमांक |
सामग्री |
मात्रा |
राशि |
1 |
बांस |
1 नग |
|
2 |
लोहे का पतला तार |
10 मीटर |
|
3 |
लोहे की कील |
100 ग्राम |
|
4 |
अलकतरा का लेप |
200 ग्राम |
|
इस प्रकार के पिट को तैयार करने में किसी भी पुराने लोहे के ड्रम या अलकतरे के ड्रम का उपयोग किया जा सकता है| ये पिट भी 3 से 4 वर्षों तक पर्याप्त है| eskeskiइसकी laglagtलागत का अनुमान आप निम्नानुसार स्वयं लगा सकते हैं-
क्रमांक |
सामग्री |
मात्रा |
राशि |
1 |
लोहे का पुराना ड्रम |
1 |
नग |
4.चित्र 4 के अनुसार पत्थर की लाइनिंग वाला लीच पिट
इस प्रकार के पिट को तैयार करने में बड़े आकर के पत्थरों, सीमेंट और बालू की आवश्यकता होती है| ये पिट बहुत वर्षों तक पर्याप्त है| इसकी लगात का अनुमान आप निम्नानुसार स्वयं लगा सकते हैं
क्रमांक |
सामग्री |
मात्रा |
राशि |
1 |
पत्थर |
1/2 ट्रोली |
|
2 |
सीमेंट |
1 बोरी |
|
3 |
बालू |
10 बोरी |
|
5.चित्र 5 के अनुसार ईंट की लाइनिंग वाला लीच पिट
इस प्रकार के पिट को तैयार करने में बड़े आकर के पत्थरों, सीमेंट और बालू की आवश्यकता होती है| ये पिट बहुत वर्षों तक पर्याप्त है| सामान्य मिट्टी में इस प्रकार के लीच पिट को तैयार करने में नीचे से पहली दो हफ्तों में और ऊपर से पहली दो परतों में कोई छिद्र नहीं छोड़े जाते| शेष परतों में 2 इंच के छिद्र छोड़े जाते हैं| इस तरह एक परत में 7 से 8 छिद्र आते हैं| छिद्रों को छोड़ते समय ये ध्यान रखना चाहिए कि छिद्र के ऊपर दूसरा छिद्र ना आये| गड्ढे का माप 1X1X1 मीटर का होता है|
यदि काली मिट्टी हो तो हर एक परत के बाद दूसरी परत पर छिद्र परत पर छिद्र छोड़े जाते हैं| इसकी लागत का अनुमान आप निम्नानुसार स्वयं लगा सकते है-
क्रमांक |
सामग्री |
मात्रा |
राशि |
1 |
ईंट |
175 |
|
2 |
पत्थर |
1 बोरी |
|
3 |
सीमेंट |
20 बोरी |
|
4 |
बालू |
10 बोरी |
|
6. चित्र 6 के अनुसार सीमेंट कंक्रीट की रिंग की लाइनिंग वाला लीच पिट
इस प्रकार का पिट सभी प्रकार के मिट्टी के लिए उपयुक्त है और मजबूत भी होता| इसकी लागत का अनुमान आप निम्नानुसार स्वयं लगा सकते है-
क्रमांक |
सामग्री |
मात्रा |
राशि |
1 |
पत्थर |
2 ट्रोली |
|
2 |
सीमेंट |
30 बोरी |
|
3 |
बालू |
20बोरी |
|
37.शौचालय में ग्रामीण सीट लगाने से क्या फायदा है?
ग्रामीण सीट का ढाल अधिक होता है (लगभग 35’’ से 45’’) जिसके कारण
38. ये ग्रामीण सीट कहाँ से प्राप्त हो सकती है?
39. ये ग्रामीण सीट कितने दामों में आती है?
40. ग्रामीण सीट के साथ लगने वाले मुर्गे में क्या विशेषताएं होती हैं?
41. क्या जंक्शन चैबर बनाना चाहिए?
42. जंक्शन चैबर का आकार कैसा होना चाहिए?
43. जंक्शन चैबर से जुड़कर लीच पिट के गड्ढे तक जाने वाली पाइप का माप क्या होना चाहिए?
44. पाइप का ढाल कितना होना चाहिए?
45. पाइप को गड्ढे के कितने अदंर तक ले जाना चाहिए?
46. बरसात/वर्षा का जल गड्ढे के अंदर ना पहुंचे, इसके लिए क्या करना चाहिए?
47. प्लेटफार्म/प्लिंथ के लिए कितनी खुदाई करनी चाहिए?
48. शौचालय में कदमदान/पांवदान/ कदमचे को जमाते समय क्या सावधानियां रखनी चाहिए?
49. शौचालय का कमरा कैसा बनाना चाहिए?
50. क्या शौचालय का कमरा ईंट के आलावा अन्य साधनों से भी बनाया जा सकता है? जाता है| बांस, लकड़ी, चटाई, पत्थर, टीन आदि से बन जाता है|
51. ग्रामीण शौचालय के सबसे सामान्य प्रकार कौन-कौन से है?
गड्ढे के ऊपर शौचालय
इस तरह के शौचालयों में गड्ढे के ऊपर ही सीट और मुर्गे को फिट किया जाता है| यह उन घरों के लिए उपयोगी है जहाँ की कमी हो| इन शौचालयों के साथ तब परेशानी आती है जब पिट भर जाता है| इससे सीट और शौचालय के कमरे को हटाना पड़ता है नये सिरे से शौचालय निर्माण करना होता है तथा पहले वाले पिट को खाद बनने के लिए सील करना होता है| इस प्रकार के शौचालय उयोग करने वाले लोगों के लिए ये ठीक नहीं होगा कि होगा कि पक्का कमरा बनाएं|
गड्ढे से हटकर शौचालय
इस प्रकार के शौचालयों में एक या दो पिट बनाएं जा सकते हैं| दूसरा पिट कुछ वर्षों के बाद भी बन सकता है, लेकिन दूसरे पिट के लिए हमेशा जगह की गुंजाइश छोड़नी चाहिए| जंक्शन चैबर अनिवार्यतः बनना चाहिए| इसमें सीट और मुर्गे को गड्ढे से हटकर बनाया जाता है और सुविधायुक्त शौच के कमरे का निर्माण होता है| सीट और मुर्गे को जंक्शन चैबर के द्वारा पाइप के माध्यम से पिट से जोड़ा जाता है| दोनों पिट के बीच कम से कम 1 मीटर का अंतर होना चाहिए ताकि पहले पिट के भर जाने के उपरांत जब उसमें खाद बनने की प्रक्रिया चल रही हो तो दूसरे पिट की नमी पहले पिट में ना पहुँच पाए|
52. अलग-अलग साधनों से बनाए गए शौचालय के कमरों की क्या कीमत होगी?
53. क्या शौचालय में नल लगाया जा सकता है?
54. क्या लीच-पिट शौचालय में फ्लश सिस्टम लगाया जा सकता है?
55. क्या लीच-पिट शौचालय को शहरी शौचालय की तरह सुंदर और सुविधापूर्ण बना सकते हैं?
56. लीच-पिट शौचालय की साफ-सफाई कैसे रखी जाए?
57. लीच-पिट शौचालय की साफ-सफाई के लिए एसिड का प्रयोग क्यों नहीं करना चाहिए?
58. शौचालय के साथ-साथ और क्या सुविधा होनी चाहिए?
59. शौच के बाद साबुन से हाथों को धोना क्यों आवश्यक है?
60. हाथ होने के सही चरण-
स्रोत:- पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, झारखण्ड, राँची|
अंतिम बार संशोधित : 6/8/2019
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