गोल्ड मॉनेटाईज़ेशन स्कीम किसके लिए है
लॉकर में रखे हुए गोल्ड का मूल्य उसकी क़ीमत के साथ बढ़ता तो है लेकिन वह आपको नियमित रुप से कोई ब्याज या डिविडेन्ड नही देता है। इसके विपरीत आपके ऊपर ही लागतें लगती हैं (जैसे लॉकर का किराया, आदि। मॉनेटाईज़ेशन स्कीम, आपको अपने गोल्ड पर नियमित ब्याज कमाने का मौक़ा देती है और आपके ख़र्चों को भी बचाती है। यह एक प्रकार का गोल्ड सेविंग अकाउन्ट होता है जिसमें, आप जो गोल्ड डिपॉज़िट करते हैं, उस पर ब्याज मिलता है। आप गोल्ड को फिज़िकल तरीक़े से डिपॉज़िट कर सकते हैं, जैसे ज्वेलरी, कॉइन्स या बार। इस गोल्ड पर इसके वज़न और मैटल वैल्यू के एप्रीसियेशन के आधार पर ब्याज मिलता है। आपको यह गोल्ड 995 फाईननेस गोल्ड के रुप में या भारतीय रुपयों में मिल सकता है, जैसा आप चाहें (यह विकल्प डिपॉज़िट के समय चुनना होता है)।
अकाउन्ट खोलने के फ़ायदे
गोल्ड मॉनेटाईज़ेशन स्कीम में डिपॉज़िट करने के अनेक फ़ायदे हैं:
- गोल्ड मॉनेटाईज़ेशन स्कीम में आपको अपनी उस गोल्ड ज्वेलरी पर ब्याज मिलता है जो कि आपके लॉकर में पड़ी रहती है। टूटी हुई ज्वेलरी या फिर वह ज्वेलरी जिसे आप पहनना नही चाहते, उसके गोल्ड पर आपको ब्याज मिल सकता है।
- कॉइन्स और बार पर, धातु की क़ीमत में वृद्धि के अलावा ब्याज भी मिलता है।
- आपके गोल्ड की सुरक्षा बैंक द्वारा की जाती है।
- इसका रिडम्पशन आपको फ़िज़ीकलगोल्ड या रुपयों में मिल सकता है, जिससे आपको आगे और भी धन प्राप्त करने का अवसर मिल सकता है।
- इस तरह से होने वाली आमदनी पर कैपिटल गेन टैक्स, वैल्थ टैक्स और इन्कम टैक्स से छूट मिलतीहै। डिपॉज़िट किए गए गोल्ड की बढ़ी हुई क़ीमत पर या उससे आपको मिलने वाले ब्याज पर भी कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगता है।
शामिल अवधि (मिनिमम लॉक इन पीरियड)
निर्धारित बैंक द्वारा गोल्ड डिपॉज़िट को छोटी अवधि (1-3 वर्ष) बैंक डिपॉज़िट, मध्यम (5-7 वर्ष) और दीर्घावधि बैंक डिपॉज़िट (12-15 वर्ष) की सरकारी डिपॉज़िट स्कीम्स में जमा किया जाता है।
गोल्ड की प्योरिटी को जांचें (वेरिफाई करें)
आपके गोल्ड की प्योरिटी की जांच करना ज़रूरी है और यह अब कलेक्शन और प्योरिटी टेस्टिंग सेन्टर्स के ज़रिए किया जा सकता है। आप अपने गोल्ड को किसी भी रूप में इन सेन्टर्स पर ले जा सकते हैं और वे आपके ही सामने गोल्ड की जांच करेंगे एवं प्योरिटी व गोल्ड कन्टेन्ट का प्रमाण-पत्र देंगे, जैसे ही आप उपलब्ध डिपॉज़िट स्कीमों में से किसी एक में गोल्ड जमा करना तय करते हैं।
निर्धारित वेरीफाई केंद्र के बारे में जानने के लिए क्लिक करें।
डिपॉज़िटर के लिये पात्रता
भारतीय निवासी {एकल, हिन्दू अविभाजित परिवार, ट्रस्ट जिसमें म्युच्युअल फ़न्ड / एक्स्चेन्ज ट्रेडेड फन्ड जो कि SEBI (म्युच्युअल फन्ड) नियामक और कंपनियों} में पंजीकृत हों, इस स्कीम में डिपॉज़िट कर सकते हैं। ग्राहक की पहचान के विषय में गोल्ड डिपॉज़िट एकाउंट्स खोलना उन ही सारे नियमों के अधीन होगा, जो किसी भी अन्य डिपॉज़िट अकाउन्ट पर लागू होते हैं।
बैंक द्वारा गोल्ड के साथ क्या किया जाएगा
निर्धारित बैंक द्वारा शॉर्ट टर्म बैंक डिपॉज़िट के तहत, स्वीकार किए जाने वाला गोल्ड एमएमटीसी (MMTC) को इंडिया गोल्ड कॉइन्स मिन्टिंग के लिये या ज्वेलर्स को या उन बैंक्स को बेचा जा सकता है जो कि इस स्कीम में सहभागी हैं।
स्वर्ण मुद्रीकरण योजना में संशोधन
- मझोली एवं दीर्घकालिक अवधि सरकारी जमाओं (एमएलटीजीडी) के तहत अपरिपक्व मोचन (रिडेम्प्शन): किसी भी मझोली अवधि के जमा को तीन वर्ष के बाद निकासी की अनुमति दी जाएगी जबकि दीर्घकालिक अवधि के जमाओं को पांच वर्ष के बाद निकासी की अनुमति दी जाएगी। ये अदा किए जाने वाले ब्याज में कटौती के विषय होंगे।
- बैंकों को मझोली एवं दीर्घकालिक अवधि स्वर्ण जमाओं पर उनकी सेवाओं अर्थात स्वर्ण शुद्धता जांच परीक्षण शुल्क, परिष्कृत करने, भंडारण एवं माल ढुलाई यानी ट्रांसपोर्टेशन शुल्क आदि के लिए अदा किए जाने वाले शुल्क। बैंकों को इस योजना के लिए 2.5 फीसदी कमीशन प्राप्त होंगे जिसमें संग्रह एवं शुद्धता जांच केंद्र/रिफाइनर्स के लिए अदा किए जाने वाले शुल्क शामिल हैं।
- स्वर्ण जमाकर्ता अपने सोने को सीधे परिशोधक को भी दे सकते हैं बजाये कि केवल संग्रह एवं शुद्धता जांच केंद्रों (सीपीटीएस) के जरिये देने के। यह संस्थानों समेत बल्क यानी थोक जमाकर्ताओं को योजना में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
- भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने ऐसे परिशोधकों के लिए लाइसेंस की शर्तों में संशोधन किया है जिनके पास पहले से ही राष्ट्रीय परीक्षण एवं अशांकन प्रयोगशाला मान्यता बोर्ड (एनएबीएल) की मान्यता है। अब उनके लिए मौजूदा तीन वर्ष की जगह एक वर्ष के अनुभव को स्वीकृति दे दी गई है। इससे लाइसेंसप्राप्त परिशोधकों की संख्या में बढोतरी होने की उम्मीद है।
- बीआईएस ने अपनी वेबसाइट पर एक रूचि अभिव्यक्ति (ईओआई) पत्र प्रकाशित किया है जिसमें इस योजना में एक सीपीटीसी के रूप में काम करने के लिए 13,000 से अधिक लाइसेंसप्राप्त जौहरियों से आवेदन आमंत्रित किया गया है, बशर्ते कि उनका बीआईएस के लाइसेंसप्राप्त परिशोधकों से करार हो।
- इस योजना के तहत संग्रहित सोने की मात्रा को एक ग्राम के तीन दशमलव तक व्यक्त किया जाएगा। यह ग्राहक को जमा किए गए सोने के लिए बेहतर मूल्य देगा।
- सीपीटीसी/परिशोधक के पास जमा सोना कितनी भी शुद्ध हो सकती है। सीपीटीसी/परिशोधक सोने की जांच करेंगे एवं इसकी शुद्धता का निर्धारण करेंगे जोकि जमा प्रमाणपत्र जारी किए जाने के लिए आधार होगा।
- अल्पकालिक अवधि के जमाओं के मामले में बैंक अपनी स्थिति को हेज करने (रोके रखने) के लिए मुक्त होंगे।
- ब्याज गणना की प्रणाली एवं जीएमएस जमा पर ऋण लेने के तंत्र जैसे मुद्वों का भी स्पष्टीकरण कर लिया गया है।
- भारतीय बैंक संगठन (आईबीए) बैंकों को बीआईएस लाईसेंसप्राप्त सीपीटीएस एवं परिशोधकों की सूची संप्रेषित करेगा। प्रिंट एवं मोबाइल एसएमएस अभियान की भी शुरूआत कर दी गई है। सरकार ने एक समर्पित वेबसाइट और एक टाॅल फ्री नंबर 18001800000 भी प्रारंभ किया है जो इन योजनाओं के बारे में सभी जानकारियां मुहैया कराता है।
- एक बार यह फिर से स्पष्ट किया जाता है कि जीएमएस के तहत कर छूटों में जमा किए गए सोने पर अर्जित ब्याज पर छूट एवं ट्रेडिंग के जरिये या रिडेम्प्शन पर प्राप्त पूंजीगत लाभों पर छूट शामिल है। यह भी दुहराया जाता है कि सीबीडीटी निर्देश संख्या 1916, तारीख 11 मई, 1994 के तहत आईटी सर्च यू/एस 132 के दौरान प्रति विवाहिता 500 ग्राम सोने के जवाहरात, प्रति अविवाहिता 250 ग्राम सोने के जवाहरात एवं परिवार के प्रति पुरुष सदस्य 100 ग्राम सोने को कर अधिकारियांे द्वारा जब्त किए जाने की जरूरत नहीं है।
स्त्रोत : वित्त मंत्रालय,भारत सरकार