दीमक (टरमाइट)
- बुवाई के समय पेड़ों के ऊपर अथवा फसल की कटाई के बाद अथवा खड़ी फसल में प्रकोप होने पर गन्ने के समीप नाली बनाकर किसी एक कीटनाशक का प्रयोग कर ढ़क देना चाहिए।
- फेनवलरेट 0.4 प्रतिशत धूल (टाटाफेन 0.4 प्रतिशत धूल) 25.0 किग्रा0 प्रति हेक्टे0
- प्रभावित पौधों को खेतो से बाहर निकालकर जला देना।
- लिण्डेन 1.3 प्रतिशत धूल 25 किग्रा प्रति हेक्टे0
दीमक एवं अंकुर बेधक
- बुवाई के समय नालियों में पैड़ो के ऊपर अथवा फसल की कटाई के बाद अथवा खड़ी फसल में प्रकोप होने पर गन्ने के समीप नाली बनाकर किसी एक कीट-नाशक का प्रयोग कर ढत्रक देना चाहिए।
- क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत घोल 5.0 ली0 प्रति हेक्टे0 1875 ली0 पानी में घोल बनाकर हजारे द्वारा प्रयोग करना।
- लिण्डेन (गामा बीएचसी) 20 प्रतिशत घोल 6.25 ली0 प्रति हेक्ट0 1875 ली0पानी में घोल बनाकर हजारे द्वारा प्रयोग करना।
- 10: रवा 25 ग्रा0/हे0
- 6: रवा 20 ग्रा0/हे0
- कार्बेराइल-गामा बीएचसी 4:4 रवा(सेवीडाल रवा) 25 किग्रा प्रति हेक्टे0।
- रीजेण्ट 0.3 प्रतिशत रवा (फिप्रोनिल)200 किग्रा/हे0
अंकुर बेधक ;शूट बोरर
- ग्रीष्मकाल में फसल पर 15 दिन के अन्तर पर तीन बार मेटासिड 50 प्रतिशत घोल 1.0 ली0 को 625 ली0 पानी में घोलकर प्रति हेक्टे0 की दर छिड़काव।
- आंकुर बेधक से ग्रसित पौधों को सूड़ी सहित काटकर निकालना।
- जमाव के पश्चात गन्ने की दो पंक्तियों के मध्य 100 कु0 प्रति हेक्टे0 की दर से सूखी पताई बिछाना।
चोटीबेधक( टॉपबोरर)
- बुवाई के समय (शरद एवं बसंत) नालियों में 30 किग्रा कार्बोफयूरान 3 जी0 का प्रयोग प्रथम व द्वितीय पीढ़ी के नियंत्रण हेतु करना।
- मार्च एवं मई दोनों के प्रथम पखवारों में चोटीबेधक के प्रथम एवं द्वितीय पीढ़ी के अण्ड समूहों को एकत्रित करके नष्ट करना।
- अप्रैल एवं मई में चोटीबेधक के प्रथम एवं द्वितीय पीढ़ी से ग्रसित पौधों को सूड़ी/प्यूपा सहित काटकर नष्ट करना।
- जून के अंतिम या जुलाई के प्रथम सप्ताह में तृतीय पीढ़ी के विरूद्ध अधिकतम अण्डरोपण की अवधि में 30 किग्रा0 कार्बोफयूरान
- जी0 प्रति हेक्टे0 पौधों के समीप नमी की दशा में डालना।
गुरदासपुर बोरर
जुलाई अगस्त में ग्रसित अगोलों को सूड़ी सहित काटकर निकालना एवं नष्ट करना।
गन्ना बेधक (स्टाक बोरर)
- इण्डोसल्फान 35 प्रतिशत घोल 3.5 ली0/है0 को 1250 ली0 पानी में घोलकर अगस्त से अक्टूबर पर्यनत तीन सप्ताह के अन्तर पर तीन बार छिड़काव करना।
- प्रभावित पौधों को खेतो से बाहर निकालकर जला देना।
- मोनोकोटोफास 36 प्रतिशत घोल 2.1 ली0/हे0 की दर से 1250 ली0 पानी में घोलकर दो बार मध्य अगस्त एवं सितम्बर में छिड़काव करना।
काला चिकटा
ग्रीष्मकाल में प्रकोप होने पर 625 ली0 पानी में घोल, गोंफ में किसी एक कीटनाशक का प्रति हे0 की दर से छिड़काव करना।
- इण्डोसल्फान 35 प्रतिशत 0.67 ली0 प्रति हे0।
- क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत घोल 1.0 ली0 प्रति हे0।
- फेनिटोथियान 50 प्रतिशत घोल 1.5 ली प्रति हे0।
- फेन्थियान 100 प्रतिशत घोल 0.75 ली0 प्रति हे0।
- क्वीनालफॉस 25 प्रतिशत घोल 0.80 ली0 प्रति हे0।
- डाईमेथोएट 30 प्रतिशत घोल 0.825 ली0 प्रति हे0।
- मेटासिड 50 प्रतिशत घोल 0.6 ली0 प्रति हे0।
- डाइक्लोरवास (नुवान) 76 प्रतिशत घोल 0.25 ली0 प्रति हे0।
- गामा बीएचसी (लिण्डेन) 20 प्रतिशत घोल 1.25 ली0 प्रति हे0।
सफेदमक्खी (व्हाइट फ्लाई)
अगस्त-सितम्बर में प्रकोप होने पर किसी एक कीटनाशक को 1250 ली0 पानी में घोलकर 15 दिन के अन्तर पर दो बार छिड़काव करना।
- फेनिटाथियान 50 प्रतिशत घोल 1.0 ली0 प्रति हे0।
- इण्डोसल्फान 35 प्रतिशत घोल 1.4 ली0 प्रति हे0।
थ्रिप्स
मई-जून में प्रकोप होने पर 625 ली0 पानी में किसी एक कीटनाशक का घोल बनाकर छिड़काव करना।
- मैलाथियान 50 प्रतिशत 1.0 ली0 प्रति हे0।
- डाइमेथोएट 30 प्रतिशत 1.0 ली0 प्रति हे0।
- इकालक्स 25 प्रतिशत घोल 1.0 ली0 प्रति हे0।
- नुवाकान 40 प्रतिशत घोल 0.75 ली0 प्रति हे0।
- एल्सान 50 प्रतिशत घोल 0.50 ली0 प्रति हे0।
टिड्डा (ग्रास हॉपर)
प्रकोप होने पर जुलाई-अगस्त में किसी एक कीटनाशक का 1250 ली0 पानी में घोल बनाकर छिड़काव।
- मैलाथियान 50 प्रतिशत घोल 1.25 ली0 प्रति हे0।
- बायोनीम/जवान 1.25 ली0 प्रति हे0 (नीम प्रोडक्ट)
- लिण्डेन 1.3 प्रतिशत धूल 25.0 किग्रा/हे0 की दर से।
- फेनवलरेट 0.4 प्रतिशत धूल 25.0 किग्रा/हे0 की दर से।
अष्टपदी (माइट)
प्रकोप होने पर किसी एक कीटनाशक का प्रयोग
लाइमसल्फर (1:30) का 625 ली0 पानी में घोल बनाकर प्रति हे0 की दर से छिड़काव।
सफेद ग्रव बिटिल (व्हाइट ग्रव बिटिल)
- जून में प्रथम वर्षा के समय शाम को नीम की टहनियों की सहायता से वयस्कों को पकड़कर नष्ट करना।
- अगस्त-सितम्बर में 15 सेमी की गहराई पर कई बार जुताई करना चाहिए जिससे चिडि़यॉं गिडारों को खा जाये।
- बुवाई के समय लिण्डेन (गामा बीएचसी) 20 प्रतिशत घोल 12.5 ली0 को 1875 ली0 पानी में घोल बनाकर प्रति हे0 की दर से नालियों में पेड़ों के ऊपर हजारे द्वारा प्रयोग।
पायरिला
ग्रीष्मकाल में किसी एक कीटनाशक का छिड़काव प्रति हे0 625 ली0 पानी में मिलाकर।
- इण्डोसल्फान 35 प्रतिशत घोल 0.67 ली0 प्रति हे0।
- क्वीनालफॉस 25 प्रतिशत घोल 0.80 ली0 प्रति हे0।
- मैलाथियान 50 प्रतिशत घोल 1.25 ली0 प्रति हे0।
- फालीथियान 50 प्रतिशत घोल 0.80 ली0 प्रति हे0।
- फेन्थियान 100 प्रतिशत घोल 0.625 ली0 प्रति हे0।
- क्लोरपायरीफॉस 20 प्रतिशत घोल 0.80 ली0 प्रति हे0।
- डायमेथोएट 30 प्रतिशत घोल 1.0 ली0 प्रति हे0।
- मोनोक्रोटोफॉस 36 प्रतिशत घोल 0.375 ली0 प्रति हे0।
- डाइक्लोरोवास 76 प्रतिशत घोल 0.315 ली0 प्रति हे0।
कीट (स्केल इंसेक्ट)
गन्ने की कटाई के बाद पत्तियों को जलाना। जहां तक संभव हो ग्रसित क्षेत्रों में पेड़ी की फसल न ली जाये।
यदि मिल मालिक की सहमति हो तो प्रभावित फसल को आग लगाकर खड़ी फसल को जलाने के पश्चात तुरन्त गन्ना मिल को भेजना चाहिए।
टिड्डा (ग्रास हॉपर)
- फेनवलरेट 0.4 प्रतिशत धूल 25.0 किग्रा0/हे0 सायंकाल धूसरण।
- कलिण्डेन 1.3 प्रतिशत धूल का 25 किग्रा/हे0 सायंकाल धूसरण।
- प्रभावित खेतों में गन्ने क कटाई के पश्चात सूखी पत्तियों को बिछाकर जलाना।
गन्ने का रोग व उपचार
लाल सड़न रोग (रेड रॉट)
- गन्ने की बुवाई के पहले बीज (सेट्स) का किसी पारायुक्त कवकनाशी जैसे एगलाल या एरिटान के 0.25 प्रतिशत घोल उपचार करना।
- प्रभावित पौधों को खेतो से बाहर निकालकर जला देना।
- प्रभावित फसल की पेड़ी न लेना।
कण्डुआ (स्मट)
- इस रोग के लिए कोई रासायनिक उपचार नही है इससे बचाव के लिए कण्डुआ रहित बीज बुआई के लिए प्रयोग करना चाहिए।
- कण्डुआरोधी प्रजातियों का चयन।
- प्रभावित फसल की पेड़ी न लेना।
बिज्ट
- बुवाई से पहले 0.25 प्रतिशत एगलाल या एरिटान के घोल से बीज उपचार।
- प्रभावित फसल की पत्तियों एवं जड़ों को जलाकर नष्ट करना।
- प्रभावित फसल की पेड़ी न लेना।
ग्रासीसूट : एल्बिनो
- अवरोधी प्रजातियों का चयन।
- गर्म जलवायु शोधन 54 डिग्री सेग्रे0 पर 8 घंटे तक।
- प्रभावित फसल की पेड़ी न लेना।
रैट्न स्टन्टिंग
- स्वस्थ्य बीज का उपयोग।
- गर्म जलवायु शोधन 54 डिग्री सेग्रे0 ताप तथा 99 प्रतिशत आद्र्रता पर 2-3 घंटे तक।
- प्रभावित फसल की पेड़ी न लेना।
स्रोत: गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार