योजना |
मत्स्य बीज उत्पादन |
उद्देश्य |
आधुनिक वैज्ञानिक तकनीक पर आधारित विधि से मत्स्य बीज उत्पादन कर विभागीय व निजी क्षेत्र की मत्स्य बीज मांग पूर्ति करना । |
मिलने वाला लाभ |
सामान्य और आदिवासी क्षेत्र के विभागीय मत्स्य बीज उत्पादन इकाइयों (हैचरी, मत्स्य बीज प्रक्षेत्र संवर्धन इकाई आदि) से आधुनिक वैज्ञानिक तकनीक द्वारा विभागीय तौर पर मत्स्य बीज उत्पादन कर उत्पादित मत्स्य बीज का उपयोग, विभागीय जलाशयों में संचयन, नदियों में संचयन आदि के अतिरिक्त निजी मत्स्य पालकों/मछुआ सहकारी समितियों आदि को विक्रय हेतु किया जाता है। |
योजना |
जलाशयों एवं नदियों में मत्स्योद्योग का विकास |
उद्देश्य |
जलाशयों में मत्स्योद्योग का विकास कर मत्स्य उत्पादकता बढ़ाना एवं नदियों में मत्स्य बीज संचयन। |
मिलने वाला लाभ |
सामान्य एवं आदिवासी क्षेत्र के विभागीय जलाशयों का प्रबंधन एवं मत्स्य पालन विकास मत्स्योद्योग विभाग द्वारा किया जा रहा है। राज्य में प्रवाहित नदियों में प्रग्रहण मत्स्यिकी (केप्चर फिशरीज) अन्तर्गत अत्यल्प हो गये मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु इन नदियों में उत्तम गुणवत्ता वाले मत्स्य भण्डारण को पुनः स्थापित करने के उद्देश्य से आदिवासी बाहुल्य बस्तर क्षेत्र के इन्द्रावती तथा सबरी नदी में प्रतिवर्ष मत्स्य बीज संचयन कार्यों के लिए प्रावधान होता है। 0-10 हैक्ट., 10 हैक्ट से ऊपर तथा 100 हैक्ट तक, 100 हैक्ट से ऊपर तथा 200 हैक्ट तक, 200. से ऊपर 1000 हे. तक एवं 5000 हे. से ऊपर औसत जलक्षेत्र के जलाशय क्रमशः ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत, जिला पंचायत एवं विभाग द्वारा पट्टे पर शासन की नीति अनुसार दिए जा रहे हैं। 1000 हे. से 5000 हे. तक के जलाशय मत्स्य महासंघ को रायल्टी आधार पर मत्स्यपालन के लिए दिए गए हैं। |
योजना |
शिक्षण-प्रशिक्षण (मछुआरों का 10 दिवसीय प्रशिक्षण) |
उद्देश्य |
सभी श्रेणी के मछुआरों को मछली पालन की तकनीक एवं मछली पकड़ने, जाल बुनने, सुधारने एवं नाव चलाने का प्रशिक्षण प्रदान करना। |
मिलने वाला लाभ |
10 दिवसीय सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक प्रशिक्षण कार्यक्रम अंतर्गत प्रति प्रशिक्षणार्थी प्रशिक्षण व्यय रू. 1250/- स्वीकृत है, जिसके अन्तर्गत रू. 75/- प्रतिदन प्रति प्रशिक्षणार्थी के मान से शिष्यावृत्ति, रू. 400/- की लागत मूल्य का नायलोन धागा तथा रू. 100/- विविध व्यय शामिल है। |
योजना |
शिक्षण-प्रशिक्षण (मछुआरों का अध्ययन भ्रमण) |
उद्देश्य |
प्रगतिशील मछुआरो को उन्नत मछली पालन का प्रत्यक्ष अनुभव कराने हेतु राज्य के बाहर अध्ययन भ्रमण पर भेजना। |
मिलने वाला लाभ |
सामान्य/अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के प्रगतिशील मछुआरों को उन्नत मछली पालन का प्रत्यक्ष अनुभव कराने हेतु देश के अन्य राज्यों में अपनाई जा रही मछली पालन तकनीकी से परिचित कराने के उद्देश्य से प्रति मछुआरा रू. 2500/- की लागत पर 10 दिवसीय अध्ययन भ्रमण प्रशिक्षण पर व्यय किया जाता है। स्वीकृत योजनानुसार प्रति प्रशिक्षणार्थी रू. 1000/- शिष्यावृत्ति, रू. 1250/- आवागमन व्यय तथा रू. 250/- विविध व्यय का प्रावधान है । |
योजना |
शिक्षण-प्रशिक्षण (रीफ्रेशर कोर्स) |
उद्देश्य |
पूर्व से प्रिशिक्षित मछुआरो को पुनः अद्यतन करना । |
मिलने वाला लाभ |
सभी वर्ग के पूर्व से प्रिशिक्षित मछुआरों को पुनः उन्नत मछली पालन का प्रिशिक्षण देने हेतु एवं मछली पालन तकनीकी से परिचित कराने के उद्देश्यसे प्रति मछुआरा रू. 1000/- की लागत पर 03 दिवसीय रीफ्रेशर कोर्स प्रशिक्षण दिया जाता है । |
योजना |
पंजीकृत मत्स्य सहकारी समितियों को ऋण/अनुदान |
उद्देश्य |
सभी वर्ग की पंजीकृत मछुआ सहकारी समितियों को मछली पालन हेतु उपकरण एवं अन्य प्रयोजनों यथा तालाब पट्टा, मत्स्य बीज, नाव-जाल आदि हेतु पात्रतानुसार अनुदान उपलब्ध करवाना। |
मिलने वाला लाभ |
मछुआरों की पंजीकृत सहकारी समितियों को मछली पालन हेतु मध्य प्रदेघ मछुआ सहकारी समितियों (ऋण/अनुदान) नियम-1972 के अंतर्गत प्रदेघ में सभी वर्ग की पंजीकृत मछुआ सहकारी समितियों को मछली पालन हेतु उपकरण एवं अन्य प्रयोजनों तथा तालाब पट्टा, मत्स्य बीज, नाव जाल क्रय इत्यादि हेतु विद्यमान नियमों के तहत् पात्रतानुसार ऋण/अनुदान के लिए आर्थिक सहायता/सहायक अनुदान मद से प्रावधानित राघि व्यय की जाती है। योजनान्तर्गत लगातार 3 वर्षो में अधिकतम रूपये 3 लाख की सहायता राघि प्रति सहकारी समिति आईटमवार सीमा के अधीन दिए जाने का प्रावधान है । |
योजना |
मत्स्य पालन प्रसार (झींगा पालन) |
उद्देश्य |
मत्स्य पालकों की आय में वृद्धि करना। |
मिलने वाला लाभ |
अनुसूचित जाति/जन जाति के मत्स्य पालकों को मीठे जल में पॉलीकल्चर झींगा पालन तथा आलंकारिक मत्स्योद्योग विकास की प्रसार योजनान्तर्गत नई योजना क्रियान्वित होगी जिसके तहत् हितग्राहियों को वस्तुविषय के रूप में क्रमशः रू. 15000/- एवं 12000/- का तीन वर्षो में आर्थिक सहायता (अनुदान) देना प्रावधानित है। |
योजना |
मत्स्य पालन प्रसार (मौसमी तालाबों में मत्स्य बीज संवर्धन) |
उद्देश्य |
छोटे मौसमी तालाबों, पोखरों को उपयोगी बनाकर मत्स्य बीज संवर्धन कर आय में वृद्धि करना। |
मिलने वाला लाभ |
मौसमी तालाबों में मत्स्य बीज संवर्धन कर मत्स्य बीज विक्रय से स्वरोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्यसे 0.5 हेक्टर के तालाब में प्रति हितग्राहियों को मत्स्य बीज संवर्धन, तालाब सुधार एवं इनपुट्स मत्स्य बीज आदि हेतु रू. 30000/- की आर्थिक सहायता उपलब्ध करायी जाती है । |
योजना |
मत्स्य पालन प्रसार (नाव जाल या जाल क्रय सुविधा) |
उद्देश्य |
सभी श्रेणी के मछुआरों को मत्स्याखेट हेतु सहायता प्रदान करना। |
मिलने वाला लाभ |
तालाबों, जलाशयों अथवा नदियों में मत्स्याखेट करने वाले अनुसूचित जाति के सक्रिय मछुआरों को नाव, जाल उपकरण क्रय करने हेतु प्रति मछुआरा रू. 10000/- की सहायता उपलब्ध कराई जाती है। यह सहायता वस्तु विशेष के रूप में दी जाती है। |
योजना |
मत्स्य पालन प्रसार (फिंगरलिंग क्रय कर संचयन पर सहायता) |
उद्देश्य |
तालाबों में फिंगरलिंग क्रय कर संवर्धन कर मत्स्य उत्पादन में वृद्धि करना। अधिक मत्स्य उत्पादन से अधिक आय अर्जित करना। |
मिलने वाला लाभ |
मत्स्य कृषकों द्वारा वर्तमान में संचित मत्स्य बीज अर्थात् 10000 फ्राई प्रति हेक्टर के स्पान पर क्रय कर 5000 फिंगरलिंग प्रति हैक्टर डालकर मत्स्य उत्पादन में वृद्धि होगी साथ ही आहार आय अधिक होगी । ऐसी स्थिति में मत्स्य कृषक को पांच वर्षो तक रू 2000/- प्रति वर्ष कुल रूपये 1000/-की सहायता प्रदान की जाती है। |
योजना |
श्रीमती बिलासाबाई केंवटिन मत्स्य विकास पुरस्कार |
उद्देश्य |
मत्स्य पालन के क्षेत्र में कार्यरत प्रगतिशील मत्स्य कृषकों को प्रोत्साहित करना। |
मिलने वाला लाभ |
मत्स्य पालन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्ति/संस्था/समूह को रू. 1 लाख का पुरस्कार दिए जाने हेतु प्रावधान है। पुरस्कार प्रतिवर्ष एक व्यक्ति/संस्था/समूह को दिया जाता है। |
योजना |
एक्वाकल्चर मत्स्य कृषक विकास अभिकरण |
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उद्देश्य |
ग्रामीण क्षेत्र के गरीबी-रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों को स्वरोजगार योजना हेतु प्रशिक्षण, आर्थिक सहायता एवं मत्स्य पालन हेतु दीर्घ अवधि पट्टे पर तालाब उपलब्ध कराना, स्वयं की भूमि में तालाब बनाने, हैचरी स्थापित करने, फीड मील स्थापित करने, एरियेटर स्थापित करने पर मत्स्य पालकों को अनुदान उपलब्ध कराना । |
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मिलने वाला लाभ |
केन्द्र प्रवर्तित योजना 75:25 के आनुपातिक अंशदान से संचालित है। स्वयं के भूमि पर तालाब निर्माण
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योजना |
मत्स्य जीवियों का दुर्घटना बीमा |
उद्देश्य |
मछुआरों की मत्स्य पालन एवं मत्स्याखेट के दौरान दुर्घटना होने पर उनके परिवार को सहायता प्रदान करना । |
मिलने वाला लाभ |
केन्द्र प्रवर्तित योजनान्तर्गत केन्द्रः राज्य के 50 : 50 के आनुपातिक अंशदान से योजना संचालित होती है । योजनान्तर्गत मत्स्य जीवी दुर्घटना बीमा के संबंध में वार्षिक बीमा प्रीमियम राशि रू. 65/- प्रति हितग्राही के मान से व्यय का प्रावधान है । राज्यांश राशि रू. 32.50/- प्रति हितग्राही के मान से बैंकड्राफ्ट के माध्यम से ''फिशकोफेड'' नई दिल्ली को प्रेषित की जाती है। फिशकोफेड केन्द्रांश राशि रू. 32.50/- प्रति हितग्राही राज्याशं राशि में जोड़कर सीधे बीमा कम्पनी को जमा कराती है। बीमित मछुआरों का मत्स्य पालन/मत्स्याखेट के दौरान दुर्घटना की स्थिति में अस्थाई अपंगता पर रू. 1 लाख तथा स्थाई अपंगता अथवा मृत्यु पर रू. 2 लाख का बीमा लाभ प्राप्त होता है । |
योजना |
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना |
उद्देश्य |
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मिलने वाला लाभ |
यह योजना वर्ष 2007-08 से भारत शासन द्वारा शत्-प्रतिशत अनुदान पर छत्तीसगढ़ राज्य में लागू की गई है। योजना अंतर्गत निम्न कार्यक्रमों के माध्यम से शत्-प्रतिशत् अनुदान पर हितग्राहियों को लाभान्वित किया जा रहा है। यह योजना वर्ष 2008-09 से क्रियान्वित की गई है :- 1. मौसमी तालाबों में मत्स्य बीज संवर्धन-रू. 30000/- 2. स्वयं की भूमि पर तालाब निर्माण-तालाब निर्माण पर अधिकतम रू 2 लाख तथा इनपुटस पर अधिकतम रू. 80000/- कुल 2.80 लाख । 3. संतुलित एवं परिपूरक आहार-रू. 10000/- 4. तालाबों में अंगुलिका संचयन-रू. 3000/- 5. तालाबों में प्रदर्घन इकाई की स्थापना-अधिकतम रू. 1.11 लाख 6. मत्स्य पालकों को नाव जाल-रू. 25000/- एवं नदियों में रू. 30000/- 7. मत्स्य सहकारी समितियों को रू. 1 लाख 8. कोल्ड चेन की स्थापना - रू. 5 लाख 9. फुटकर मत्स्य विक्रय - रू. 4500/- |
योजना |
बचत सह राहत (सेंविंग कम रिलीफ) |
उद्देश्य |
जलाशयों में प्रत्यक्ष रूप से मत्स्याखेट में संलग्न मछुआरों को बंद ऋतु में सहायता पहुंचाना । |
मिलने वाला लाभ |
बंद ऋतु में मत्स्याखेट पर प्रतिबंध के कारण रोजगार से वंचित मछुआरों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने हेतु योजना क्रियान्वित की जा रही है । योजना क्रियान्वयन का 50 प्रतिशत राज्य शासन एवं 50 प्रतिशत केन्द्र शासन द्वारा व्यय वहन किया जाता है । योजनान्तर्गत मछुआरों द्वारा 9 माह में रू. 100/- मासिक अंशदान से रू. 900/- तथा शासन द्वारा अंशदान रू. 1800/- कुल रू. 2700/- हितग्राही के नाम से बैंक में जमा किये जाते हैं जिन्हें बंद ऋतु के 3 माह में रू. 900/- मासिक आर्थिक सहायता के रूप में हितग्राहियों को प्रदाय किये जाते हैं। |
योजना |
मछुआ आवास योजना |
उद्देश्य |
जलाशयों में मत्स्याखेट करने वाले मछुओ को जलाशयों के समीप रहने एवं अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाना। |
मिलने वाला लाभ |
जलाशयों पर मत्स्याखेट करने वाले सक्रिय मछुआरों को मूलभूत सुविधाऍ यथा आवास, पेयजल, सामुदायिक भवन (चौपाल) आदि उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जलाशय के समीप ही आवास बनाकर मछुआरों को बसाया जाता है । योजनान्तर्गत मछुआ आवास पर रू. 75000/- प्रति आवास एवं 10 से 100 मछुआ आवास पर 5 ट्यूबवेल खनन पर रू. 30000/- (प्रति ट्यूबवेल) तथा 75 से अधिक आवास पर रू. 1.75 लाख सामुदायिक भवन निर्माण हेतु व्यय का प्रावधान है । योजनान्तर्गत केन्द्र एवं राज्य शासन द्वारा 50-50 प्रतिशत के अनुपात में व्यय भार वहन किया जाता है । |
स्त्रोत : किसान पोर्टल,भारत सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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