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बैंक के सावधि जमा संबंधी नीति

बैंक के सावधि जमा संबंधी नीति

  1. प्रस्तावना
  2. जमा खातों के प्रकार
  3. अपना ग्राहक जाने (केवाईसी) संबंधी दिशानिर्देश
  4. खाता खोलने और जमा खातों का परिचालन
  5. खाता एक शाखा कार्यालय से दूसरे शाखा कार्यालय में अंतरित करना
  6. नामांकन
  7. ब्याज भुगतान
  8. संयुक्त खाताधारक (कों) का/के नाम जोड़ना/हटाना
  9. प्रतिबिक्री के प्रयोजन से ग्राहक सूचना
  10. ग्राहक के खाते की गोपनीयता
  11. सावधि जमा का समय पूर्व आहरण/समय –पूर्व बंदी
  12. नवीकरण पर ब्याज/अतिदेय सावधि जमा का भुगतान
  13. जमाराशियों के प्रति अग्रिम
  14. दिवंगत के जमा खाते
    1. देयराशियों का निपटान
    2. दिवंगत व्यक्तियों के सावधि जमा खाते में देय ब्याज
    3. दिवंगत जमाकर्ताओं के दावों का निपटान
  15. निष्क्रिय खाते
  16. जमाकर्त्ता शिक्षा एवं जागरूकता निधि
  17. शिकायत एवं परिवेदना निवारण

प्रस्तावना

व्यवसाय परिचालनों के लिए संसाधन बढ़ाने की दृष्टि से, भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक जमाराशियों से संबंधित ब्याजदरों और जमा खातों के संचालन के अन्य पहलुओं के बारे में समय – समय पर निर्देश /सलाह जारी करने के लिए अधिकृत हैं| वित्तीय प्रणाली के उदारीकरण और अविनियामन के साथ, बैंक भा. रि. बैंक से जारी व्यापक दिशानिर्देशों के अंदर जमा उत्पाद रूपायित करने के लिए स्वतंत्र हैं| भा. रि. बैंक ने बैंक को पांच वर्ष तक की परिपक्वता अवधि वाली जमराशियाँ जुटाने की अनुमति दी है|

जमा राशियों के बारे में यह नीतिगत दस्तावेज बैंक के सावधि जमा उत्पादों और खातों के संचालन से संबंधित शर्तें रूपायित करने के लिए मार्गदर्शी सिद्धन्तों की रूपरेखा प्रस्तुत किया करता है| यह दस्तावेज जमाकर्त्ताओं के अधिकारों को मान्यता देता है और इसका लक्ष्य ग्राहकों के लाभ के लिए, जन-साधारण से जमाराशियां स्वीकार करने, जमा खातों का संचालन और परिचालन करने, ब्याज के भुगतान, जमा खाता बंद करने, दिंवगत जमा कर्त्ताओं की जमाराशियों के निपटान की विधि, आदि से संबंधित विभिन्न पहलुओं के बारे में सूचनाओं का प्रसार करना है| आशा की जाती है कि इस दस्तावेज से व्यक्तिगत ग्राहकों से संव्यवहार करने में अधिक पारदर्शिता आएगी और ग्राहकों में अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ेगी| परम उद्देश्य यह है कि ग्राहक जो सेवाएँ पाने के अधिकार है, वे उन्हें बिना मांगे प्राप्त हो |

यह नीति अपनाते हुए, बैंक व्यक्तिगत ग्राहकों के प्रति अपनी उन प्रतिबंधित को दोहराता है.   जो बैंकरों की उचित व्यवहार संहिता में निर्दिष्ट है| यह दस्तावेज एक व्यापक ढाँचा है, जिसके अंतर्गत सामान्य जमाकर्त्ताओं के अधिकारों को मान्यता मिलती है| अवधि जमा योजना और संबंधित सेवाओं के बारे में विस्तृत परिचालन अनुदेश समय- समय पर जारी किए जाएंगे|

जमा खातों के प्रकार

बैंक न्यूनतम 12 माह की अवधि से लेकर 1 माह के गुणजों में अधिकतम 60 माह की अवधि तक की विभिन्न अवधि की जमाराशियां स्वीकार करेगा|

अपना ग्राहक जाने (केवाईसी) संबंधी दिशानिर्देश

ग्राहक जानें (केवाईसी) वह मंच है, जिसके आधार पर बैंकिंग प्रणाली खाता खोलने और उनके संचालन के लिए निर्धारित विभिन्न प्रक्रियाओं का अत्यंत सतर्कतापूर्वक पालन कर, परिचालनगत, विधिक और प्रतिष्ठागत जोखिमों तथा उनके परिणामस्वरूप होने वाली हानियों के खतरों से बचता है| बैंक ने भा.रि.बैंक के लागू दिशानिर्देशों तथा बैंक के अन्य मानकों के केवाईसी संबंधी नीतिगत दिशानिर्देश, प्रक्रियाएं और आन्तरिक नियंत्रण कार्यप्रणाली अपनाई है|

खाता खोलने और जमा खातों का परिचालन

क. बैंक सावधि जमा खाता खोलने से पहले, भा. रि. बैंक से जारी “अपना ग्राहक जाने (केवाईसी) संबंधी दिशा-निर्देशों, धन- शुद्धि निरोधी नियमों एवं विनियमों और/या समय - समय पर बैंक द्वारा अपनाए गए ऐसे अन्य मानकों या प्रक्रियाओं के अधीन अपेक्षित सम्यक कर्त्यव्यपरायणता पूरी करेगा|

ख. ग्राहक से यह भी अपेक्षित होगा कि वे ऐसे दस्तावेज प्रस्तुत करें, जो जमा के अस्तित्व के दौरान प्रभावी होने वाले किसी कानून/विनियामक अपेक्षाओं की पूर्ति जरूरी हों|

ग. बैंक संभावित जमाकर्त्ताओं को खाता खोलने का फॉर्म और अन्य मुद्रित लेखन सामग्री उपलब्ध कराएगा| उनमें प्रस्तुत की जाने वाली सूचनाओं तथा सत्यापन और/या अभिलेख के लिए प्रस्तुत किए जाने वाले दस्तावेजों का विवरण शामिल होगा| सावधि जमा खाता खुलवाने वाले बैंक अधिकारीयों से यह अपेक्षित होगा कि वे संभावित ग्राहक को प्रक्रियागत औपचारिकताओं के बारे में जानकारी दें और उसकी जिज्ञासाओं का अपेक्षित स्पष्टीकरण दें| जिन मामलों में संभावित ग्राहक सूचनाएं प्रस्तुत नहीं करेगा और/ या असहयोग करेगा, उनकें बैंक खाता नहीं खोल सकता है| यदि मौजूदा ग्राहक दस्तावेज/सूचनाएं प्रस्तुत नहीं करेगा, तो बैंक विधिवत सूचना देते हुए खाता बंद कर देगा|

घ. कोई व्यक्ति, अविभाजित हिन्दू परिवार (कर्ता के माध्यम से), स्वामित्व प्रतिष्ठान, भागीदार फर्म, कंपनी निकाय कॉपरेट, बैंक, सोसाइटी, व्यक्तियों का संघ, न्यास (ट्रस्ट), धर्मार्थ न्यास, राहत निधि एवं गैर सरकारी संगठन, सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम, केंद्र/राज्य सरकार का विभाग, भविष्यनिधि न्यास, पत्तन न्यास, म्यूच्यूअल फंड, कल्याण निधि, सरकारी विश्वविद्यालय/संस्थान, निजी शैक्षिक संस्थान और संविधिक निकाय सावधि जमा खाता खोल सकता है, जो ऐसे जमा खातों में निवेश करने के लिए अधिकृत हों|

ङ. सावधि जमा के लिए सम्यक कर्तव्यपरायणता संबंधी प्रक्रिया के अंतर्गत, बैंक से जारी तत्संबंधी मौजूद केवाईसी दिशानिर्देशों के अनुसार आवश्यक दस्तावेज प्राप्त कर, व्यक्ति की पहचान पते के सत्यापन, उसके पेशे तथा आय के स्रोतों के बारे में संतुष्टि करना शामिल है|

च. सम्यक कर्तव्यपरायणता संबंधी अपेक्षाओं के अलावा, बैंक से यह अपेक्षित है की वह केवाईसी मानकों के अधीन, कानून के अनुरूप स्थायी खाता संख्या (पैन संख्या) या सामान्य सूचकांक रजिस्टर (जीआईआर) संख्या या विकल्पत: आयकर अधिनियम/नियमों के अंतर्गत निर्दिष्ट फार्म सं. 60 या 61 में घोषणा प्राप्त करें|

छ. कोई व्यक्ति अपने नाम में (हैसियत: एकल मन में खाता कहा जाता है) या एक से अधिक व्यक्तियों के नाम में (हैसियत: संयुक्त खाता कहा जाता है) सावधि जमा खोल सकता है| कोई अवयस्क अपने प्राकृतिक संरक्षक/विधिक संरक्षक (न्यायालय में नियुक्त) के साथ संयुक्त से सावधि जमा खाता खोल सकता है|

ज. संयुक्त खाते का परिचालन: संयुक्त खाते केवल व्यक्तियों से स्वीकार किए जाते हैं| संयुक्त जमा खाते अधिकतम तीन व्यक्ति मिलकर खोल सकते हैं|

1. संयुक्त जमा निम्नलिखित के अधीन किया जा सकता है|

क. दोनों/तीनों में से कोई या उत्तरजीवी: यदि खाता दो व्यक्तियों, अर्थात् मान लें, क एवं ख ने धारित किया हुआ है, तो किसी एक खाताधारक के दिवंगत हो जाने की स्थिति में, परिपक्वता के समय, लागू ब्याज सहित अंतिम अतिशेष राशि उत्तरजीवी को अदा की जाएगी| तथापि, जमाराशि के समय-पूर्व आहरण की स्थिति में, उत्तरजीवी जमाकर्त्ता और नामिती दोंनो की सम्मति अपेक्षित होगी|

ख. कोई एक या उत्तरजीवी: यदि खाता दो से अधिक व्यक्तियों, अर्थात् मान लें, क, ख, एवं ग ने धारित किया हुआ है, तो किन्हीं दो खाताधारकों के दिवंगत हो जाने की स्थिति में, परिपक्वता के समय, लागू ब्याज सहित अंतिम अतिशेष राशि उत्तरजीवी को अदा की जाएगी| तथापि, के समय पूर्व आहरण की स्थिति में, उत्तरजीवी जमाकर्त्ताओं और नामिती दोनों की सम्मति अपेक्षित होगी|

ग. पहला या उत्तरजीवी: यदि खाता दो अर्थात् मान लें, क एवं ख ने धारित किया हुआ है, तो पहला या उत्तरजीवी की शर्त केवल उस स्थिति में प्रभावी होगी, जब  मूल जमा कर्त्ता दिवंगत हो जाए और दुसरे नाम खाताधारक पहले नाम वाले खाताधारक के जीवन काल के दौरान इस अनुदेश को लागू करने का अधिकार नहीं रखता है| पहले खाताधारक के दिवंगत होने की स्थिति में, परिपक्वता के समय, लागू ब्याज सहित अंतिम अतिशेष राशि उत्तरजीवी को अदा की जाएगी| तथापि, जमाराशि के समय-पूर्व अहरन की स्थिति में, उत्तरजीवी जमाकर्त्ता और नामिती दोनों की सम्मति अपेक्षित होगी|

उपर्युक्त अधिशेष सावधि जमाराशियों की परिपक्वता तिथि पर या उसके बाद लागू या प्रभावी होंगे| उक्त अधिदेश सभी खाताधारकों की सहमित से आशोधित्त किए जा सकते हैं|

घ. सावधि जमा के खाताधारक जमा रखते समय जमा खाते की परिपक्वता तिथि पर उसे बंद करने या आगे की अवधि के लिए स्वत: नवीकृत करने का अनुदेश दे सकते है|

खाता एक शाखा कार्यालय से दूसरे शाखा कार्यालय में अंतरित करना

यदि कोई ग्राहक अपना खाता बैंक के किसी दुसरे शाखा कार्यालय में अंतरित करने के अनुदेश देता है, तो यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सावधि जमा खाते के साथ संबंधित दस्तावेज, अर्थात मूल आवदेन फॉर्म, नामांकन फॉर्म और खाते से संबंधित कोई अन्य अधिदेश, जो जमाकर्ता (ओं) ने दिए हों, भी निवेदित शाखा कार्यालय को हस्तांतरित किए जाएँ और ग्राहक को इसकी सूचना दी जाए| योजना की यह सुविधा आरएमएस सॉफ्टवेयर में समुचित आशोधन करने के बाद परिचालनरत की जाएगी|

नामांकन

नामांकन केवल उन जमा खातों के संबंध में किए जाएँ, जिन्हें जमाकर्ताओं ने व्यक्तिगत रूप

नामांकन की सुविधा केवल उन सावधि जमा के लिए उपलब्ध है, जिन्हें व्यक्तियों ने एकल या संयूक्त रूप से खोला हो| नामांकन केवल एक व्यक्ति के पक्ष में किया जा सकता है| खाताधारक किसी भी समय इस प्रकार किए गए नामांकन निरस्त या परिवर्तित कर सकता है/सकते हैं| संयूक्त खाते के मामले में, नामांकन निरस्त करने या परिवर्तित करने का कार्य सभी जमाकर्ताओं को करना आवश्यक होगा| तथापि, अवयस्क या अविभाजित हिन्दू परिवार की ओर से आवेदन करने वाले व्यक्ति या मुख्तारनामा धारक नामांकन नहीं कर सकता है|

अवयस्क के पक्ष में भी नामांकन किया जा सकता है| जिन मामलों में नामिनी अवयस्क हो, उनमें जमाकर्ता या एक साथ सभी जमाकर्ता, जैसा मामला हो, नामांकन करते समय, जमाकर्ता या जमाकर्ताओं, जैसे मामला हो, के नाम में रखी गई हो, तो नामांकन किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाएगा, जो कानूनी रूप से अवयस्क की ओर से कार्य करने के लिए अधिकृत हो|

यदि नामांकन फॉर्म, में केवल खाताधारक के अँगूठे का निशान होगा, तो उसे दो गवाहों से प्रमाणित कराया जाएगा| नामांकन या नामांकन के निरस्तीकरण या प्रस्तुत नामांकन में परिवर्तन का विधिवत रूप से पूर्ण फॉर्म बैंक की बहियों में पंजीकृत किया जाएगा| नामांकन या नामांकन का निरस्तीकरण या नामांकन में परिवर्तन केवल जमा के नवीकरण के कारण समाप्त नहीं होगा|

बैंक यह अनूशंसा करता है कि सभी व्यक्तिगत जमाकर्ता नामांकन सुविधा का उपयोग करें| जमाकर्ता (ओं) की मृत्यु होने पर, विधिक उत्तराधिकारियों के न्यासी के रूप में नामिती खाते में जमा अतिशेष राशि प्राप्त करेगा| जमा खाता खोलने के समय जमाकर्ता को नामांकन सुविधा के लाभ से अवगत कराया जाएगा|

ब्याज भुगतान

1. समय - समय भा.रि.बैंक से जारी सामान्य दिशानिर्देश के तहत, बैंक सावधि जमा की ब्याजदरों का निर्णय करता है|

2. भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देशों के अनुसार, सावधि जमा पर ब्याज का परिकलन तिमाही अंतराल पर किया जाएगा और उसका भुगतान उस दर पर किया जाएगा, जिसका निर्णय बैंक ने जमा अवधि के आधार पर किया हो|

संचयी ब्याज भुगतान विकल्प के मामले में: सावधि जमा की तिथि (सावधि जमा की तिथि चेक/मांगड्राफ्ट/एनईएफटी/आरटीजीएस की वसूली तिथि होती है) से प्रत्येक 3 माह के बाद चक्रवृद्धि रूप में ब्याज लगाया जाएगा|

निम्नलिखित मामलों में

क. तिमाही ब्याज भुगतान विकल्प: पहले ब्याज का परिकलन चेक/मांगड्राफ्ट/एनएएफटी/आरटीजीएस की वसूली तिथि से 3 कैलेंडर माह की समाप्ति पर किया जाएगा और स्रोत पर कर की लागू कटौती (टीडीएस) के बाद निवल पात्र ब्याज का भुगतान तिमाही आधार पर किया जाएगा|

ख. वार्षिक ब्याज भुगतान विकल्प: ब्याज का परिकलन चेक/मांगड्राफ्ट/एनएएफटी/आरटीजीएस की वसूली तिथि से 12 कैलेंडर माह की समाप्ति पर तिमाही आधार पर चक्रवृद्धि करते हुए किया जाएगा और स्रोत पर कर की लागू कटौती (टीडीएस) के बाद निवल पात्र ब्याज का भुगतान वार्षिक आधार पर किया जाएगा|

3. 365 या 366 (यदि अधिवर्ष है) दिन का वर्ष हिसाब में लेते हुए, वित्तवर्ष आधार पर ब्याज का परिकलन दिनों की वास्तविक संख्या के लिए अनुपातिक रूप में किया जाएगा| यदि जमा/परिपक्वता की तिथि ऐसे वित्तवर्ष के दौरान होगी, जिसमें फरवरी में 29 दिन होंगे, तो विभाजक 366 दिन होगा, भले ही जमा उस वित्तवर्ष में  फरवरी के बाद शुरू हुआ हो/परिपक्वता फरवरी से पहले हो|

4. शाखा परिसर में जमाराशि की ब्याजदरें प्रमुखता से प्रदर्शित किन जाएँगी| यदि योजनाओं और अन्य संबंधित सेवाओं में कोई परिवर्तन होगा, तो उसकी सूचना के माध्यम से दी जाएगी और/ बैंक की वेबसाइट पर प्रमुखता से प्रदर्शित की जाएगी|

5. यदि किसी व्यक्ति की सभी सावधि जमाराशियों पर अदा/देय कूल ब्याज आयकर अधिनियम में विनिर्दिष्ट राशि से अधिक होता है, तो बैंक का यह संविधिक दायित्व है कि वह स्रोत पर कर की कटौती करे| जिन मामलों में ग्राहक पैन संख्या प्रस्तुत नहीं करेगा, उनमें आयकर नियमों के अनुसार स्रोत पर कर की कटौती (टीडीएस) उच्चतर दर से की जाएगी| कटी गई कर-राशि के लिए बैंक टीडीएस प्रमाणपत्र जारी करेगा| यदि जमाकर्त्ता टीडीएस से छूट का हकदार है, तो वह प्रत्येक वित्तवर्ष के आरंभ में निर्धारित प्रारूप में घोषणा प्रस्तुत कर सकता है|

संयुक्त खाताधारक (कों) का/के नाम जोड़ना/हटाना

यदि परिस्थितियों के अनुसार अपेक्षित होगा, तो बैंक सभी संयुक्त खाताधारक (कों) का/के नाम जोड़ने/हटाने की अनुमति दे सकता है|

प्रतिबिक्री के प्रयोजन से ग्राहक सूचना

बैंक और उसकी सहायक एवं सहयोगी संस्थाएँ ग्राहकों से एकत्र की गई सूचनाओं का उपयोग सेवाओं और उत्पादों की प्रतिबिक्री के लिए नहीं करेगी| यदि बैंक ऐसी सूचनाओं का उपयोग करने का प्रस्ताव करना चाहता है, तो ऐसा खाताधारक की सहमति से ही किया जाना चाहिए|

ग्राहक के खाते की गोपनीयता

बैंक ग्राहक की व्यक्त या निहित सहमति के बिना उसके खाते विवरण किसी अन्य व्यक्ति या पक्ष को प्रकट नहीं करेगा| तथापि, इसमें कुछ अपवाद हैं, जैसे- जब कानून की बाध्यता के अधीन सूचनाएं प्रकट करना हो, जब सूचनाएं प्रकट करना जनता के प्रति दायित्व हो, जब बैंक के हित में सूचनाएं प्रकट करना अपेक्षित हो और जब भारत सरकार तथा किसी अन्य देश की सरकार या अन्य अंतराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ किए गए समझौते/व्यवस्था के अंतर्गत दायित्व के पालन के लिए ऐसा प्रकटीकरण आवश्यक हो|

सावधि जमा का समय पूर्व आहरण/समय –पूर्व बंदी

जमा की तिथि से 12 माह पूर्ण होने से पहले, जमाकर्ता की मृत्यु, चिकित्सीय अत्यावश्यकताओं, शैक्षिक व्यय और बैंक को स्वीकार्य ऐसे अन्य कारणों से सावधि जमा का समय- पूर्व आहरण/समय- पूर्व बंदी केवल व्यकितगत जमाकर्त्ताओं के मामले में अनुमत है| तथापि, गैर व्यक्तिगत जमाकर्ताओं के मामले में, समय-पूर्व आहरण/समय-पूर्व बंदी एक वर्ष से पहले अनुमत नहीं हैं| समय पूर्व आहरण/समय-पूर्व बंदी के मामले में निम्नलिखित प्रावधान लागू होंगे:

क्र.सं.

विवरण

अभियुक्तियाँ

1

6 माह से पहले

कोई ब्याज अदा नहीं किया जाएगा

2

6 माह से 1 वर्ष के बीच

4% प्रतिवर्ष के दर से ब्याज अदा किया जाएगा (अनूसूचित वाणिज्य बैंकों की प्रचलित बचत बैंक ब्याजदर)

3

एक वर्ष के बाद

जमा को जितनी अवधि हो चुकी है, उतनी अवधि के लिए जमा की तारीख को प्रचलित ब्याजदर वे 1 प्रतिशत कम|

यदि जमाकर्ता की मृत्यु के कारण सावधि जमा 1 वर्ष के बाद समय पूर्व बंद किया जाता है, तो समय पूर्व आहरण/समय- पूर्व बंदी के लिए कोई दंड नहीं लगाया जाएगा|

4

दलाली

यदि सावधि जमा रखते समय कोई दलाली अदा की गई होगी, तो पूरी हो कुकी/संबंधित अवधि के लिए लागू दलाली घटाकर परिपक्वता राशि से उसकी वसूली की जाएगी|

तथापि, उन सावधि जमाराशियों के समय- पूर्व आहरण/समय-पूर्व बंदी के मामलों में ब्याजदर संबंधी उपर्युक्त शर्ते लागू नहीं होगी, जिन्हें बैंक के कहने पर समय-पूर्व की गई सावधि जमाराशियों के स्थान पर सृजित किया गया है|

नवीकरण पर ब्याज/अतिदेय सावधि जमा का भुगतान

जब परिपक्वता पर कोई सावधि जमा नवीकृत किया जाता है, तो जमाकर्ता ने जो अवधि निर्दिष्ट की है, उसके लिए नवीकृत जमा पर वह ब्याजदर लगाई जाएगी, जो परिपक्वता तिथि पर लागू होगी|

यदि नवीकरण का अनुरोध परिपक्वता तिथि के बाद प्राप्त होता है, तो ऐसे अतिदेय जमा परिपक्वता तिथि से और देय तिथि, पर लागू ब्याजदर पर नवीकृत किए जाएंगे, बशर्ते ऐसा अनुरोध परिपक्वता तिथि से 14 दिन के अंदर प्राप्त हो| तथापि, उस अतिदेय सावधि जमा पर कोई ब्याज अदा नहीं किया जाएगा, जिसकी चुकौती परिपक्वता तिथि से 14 दिन के अंदर की जा रही हो|

जो अतिदेय सावधि जमा परिपक्वता तिथि से 14 दिन के बाद नवीकृत/चुकाए जाते हैं, उनके संबंध में, लागू टीडीएस काटने के बाद, परिपक्वता राशि पर 4% प्रतिवर्ष (अनुसूचित वाणिज्य बैंकों की प्रचलित बचत बैंक ब्याजदर) की दर से साधारण ब्याज अदा किया जाएगा| ऐसा ब्याज परिपक्वता तिथि से परिपक्वता राशि के भुगतान की तिथि तक अदा किया जाएगा|

जमाराशियों के प्रति अग्रिम

बैंक जमाराशियों के प्रति कोई ऋण मंजूर नहीं करेगा| तथापि, बैंक से उधारकर्ता के नाम में जारी सावधि जमा रसीद संपार्श्विक प्रतिभूति के रूप में स्वीकार की जा सकती है बशर्ते सिडबी की असंतुष्टि के अनुरूप समुचित प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया जाए| बैंक के पास गिरवी रखी गई सावधि जमा रसीद किसी भर/ग्रहणाधिकार से मुक्त होनी चाहिए| संपार्श्विक प्रतिभूति के रूप में स्वीकृत सावधि जमा रसीद पूर्णत:/विधिवत उन्मोचित होनी चाहिए| चूक की स्थिति में, बैंक को निर्धारित अवरूद्धता अवधि के पहले सावधि जमा रसीद का नकदीकरण नहीं करना चाहिए| किसी समय-पूर्व पूरोबंध (बंदी)/आहरण की अनुमति नहीं है| संपार्श्विक प्रतिभूति के रूप में स्वीकृत की जाने वाली प्रस्तावित सावधि जमा रसीद जमाकर्ताओं की अपनी निधियों से सृजित की गई होनी चाहिए, न कि उधार की निधियों से |

दिवंगत के जमा खाते

देयराशियों का निपटान

क. एकल या सभी संयुक्त जमाकर्ताओं की मृत्यु होने, सावधि जमा की ब्याज राशि सहित कुल जमाराशि आवेदनपत्र में अंकित नामिती को या यदि जमाकर्ता (ओं) ने बाद में आवेदन पत्र के किए गए नामांकन में परिवर्तन किया हो, नामांकन फॉर्म में अंकित नामिती को अदा की जाएगी|

ख. यदि आवेदन में नामांकन नहीं किया गया है, तो सिडबी ऐसी जमाराशियों के लिए उस/उन व्यक्ति(यों) के हक़ को मान्यता देगा, जो सिडबी की संतुष्टि के अनुरूप दस्तावेज प्रस्तुत कर अपेक्षित कानूनी प्रतिनिधित्व सिद्ध करेगा/करेंगे|

ग. यदि दावेदारों के बीच कोई विधिक विवाद नहीं होगा, तो बैंक उत्तराधिकारी प्रमाणपत्र/प्रबन्धाधिकार पत्र, आदि पर जोर दिए बिना परिपक्वता राशि का भुगतान करेगा, बशर्ते विधिक उत्तराधिकारी/दावेदार क्षतिपूर्ति पत्र प्रस्तुत करें|

घ. ऐसा/ ऐसे व्यक्ति इस प्रकार के भुगतान की प्राप्ति से पूर्व, जमा से संबंधित ऐसे सभी उत्तरदिनांकित ब्याज वारंट (यदि कोई हों, तो) बैंक को लौटाएगा, जिनका भुगतान होना शेष है| साथ ही, वह संबंधित जमा रसीद भी सिडबी को लौटाएगा|

ङ. किसी एक संयूक्त जमाकर्ता की मृत्यु की स्थिति में, और तब जब कोई नामांकन भी नहीं किया गया हो, बैंक सावधि जमा राशि के भुगतान के लिए जमा आवेदनपत्र में दिए गए विवरण के अनुसार शेष जमाकर्ता(ओं) के हक़ को मान्यता देगा|

दिवंगत व्यक्तियों के सावधि जमा खाते में देय ब्याज

जमाराशियों की परिपक्वता से पूर्व जमाकर्ता की मृत्यु हो जाने और परिपक्वता तिथि के बाद जमाराशि का दावा किए जाने पर, बैंक परिपक्वता तिथि तक संविदागत दर से ब्याज अदा करेगा| परिपक्वता तिथि से भुगतान तिथि तक, बैंक इस संबंध में बैंक की नीति के अनुसार, उस अवधि के लिए 4% प्रतिवर्ष (अनुसूचित वाणिज्य बैंकों की प्रचलित बचत बैंक ब्याजदर) की दर से साधारण ब्याज अदा करेगा, जिस अवधि में परिपक्वता तिथि के बाद जमाराशि बैंक के पास रही होगी|

तथापि, अतिदेय जमाराशि की परिपक्वता तिथि के बाद जमाकर्ता की मृत्यु हो जाने पर, बैंक परिपक्वता तिथि से भुगतान तिथि तक 4% प्रतिवर्ष (अनुसूचित वाणिज्य बैंकों की प्रचलित बचत बैंक ब्याजदर) की दर से साधारण ब्याज अदा करेगा|

दिवंगत जमाकर्ताओं के दावों का निपटान

दिवंगत जमाकर्ताओं के दावों का निपटान दावा प्राप्त होने की तिथि से 15 दिन से अनधिक अवधि के अंदर किया जाएगा, बशर्ते बैंक की संतुष्टि के अनुरूप, जमाकर्ता की मृत्यु तथा दावेदार (रों) की समुचित पहचान के प्रमाण प्रस्तुत किए जाएँ|

निष्क्रिय खाते

निष्क्रिय जमा: कोई जमाराशि, जो परिपक्व हो गई है और किसी भी कारण से, 6 माह से अधिक अवधि के लिए अदा नहीं की गई है, उसे “निष्क्रिय जमा” के रूप में वर्गीकृत किया जाता है| ऐसे खातों पर परिपक्वता तिथि से भुगतान तिथि तक 4% प्रतिवर्ष (अनुसूचित वाणिज्य बैंकों की प्रचलित बचत बैंक ब्याजदर) की दर से साधारण ब्याज उपचित/ अदा किया जाएगा| भुगतान/वित्तवर्ष के अंत पर लागू टीडीएस काटा जाएगा|

अदावी जमा: भा. रि. बैंक के दिशानिर्देश के अनुसार, कोई जमाराशि, जो परिपक्व हो गई है और किसी भी कारण से, 2 वर्ष अधिक अवधि के लिए अदा नहीं की गई है, उसे “अदावी जमा” के रूप में वर्गीकृत किया जाता है| ऐसे खातों पर परिपक्वता तिथि तक 4% प्रतिवर्ष (अनुसूचित वाणिज्य बैंकों की प्रचलित बचत बैंक ब्याजदर) की दर से साधारण ब्याज उपचित/अदा किया जाएगा| भुगतान/ वित्तवर्ष के अंत पर लागू टीडीएस कटा जाएगा|

जमाकर्त्ता शिक्षा एवं जागरूकता निधि

राजपत्र अधिसूचना दिनांक 24 मई, 2014 के अनुसार, भा.रि.बैंक ने बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 26ए के माध्यम से जमाकर्ता शिक्षा एवं जागरूकता निधि सृजित करने का प्रावधान किया है| इस धारा के प्रावधानों के अधीन, भारत में किसी बैंक जमा कोई ऐसी राशि, जिसका 10 वर्ष तक लेनदेन न किया गया हो, या कोई जमा या कोई राशि, जिसके  लिए 10 वर्ष से अधिक अवधि सी कोई दावा न किया गया हो, उसे 10 वर्ष की उक्त अवधि के समाप्त होने की तिथि से तीन माह की अवधि के अदंर उक्त निधि में जमा कर दिया जाएगा| वर्तमान में, ये दिशानिर्देश बैंक पर लागू नहीं हैं| तथापि, यदि भा.रि. बैंक विकास वित्त संस्थाओं को ऐसा करने के लिए निर्देश देगा, तो इसका अनुपालन किया जाएगा|

शिकायत एवं परिवेदना निवारण

जो जमाकर्ता बैंक से प्रदत्त सेवाओं के बारे में कोई शिकायत/परिवेदना करना चाहते हों, उन्हें ग्राहकों की शिकायत/परिवेदना का कार्य देखने वाले बैंक के पदनामित प्राधिकारी(रियों) से संपर्क करने का अधिकार है| शिकायत/परिवेदना के निवारण के लिए नोडल अधिकारीयों के नाम शाखा परिसर में प्रदर्शित किए जाएंगे और शिकायत निवारण के लिए स्थापित आन्तरिक व्यवस्था का विवरण बैंक की वेबसाइट पर प्रदर्शित किया जाएगा| शाखा के अधिकारी शिकायत दर्ज करने संबंधी प्रक्रिया के बारे में अपेक्षित सभी सूचनाएं उपलब्ध कराएंगें|

यह नीति समय - समय पर भा.रि.बैंक/ अन्य विनियामक एजेंसियों से जारी दिशानिर्देश के आधार पर पुनरीक्षण के अधीन है|

 

स्रोत: रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया

अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020



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