सुशासन के कार्यक्रम अन्तर्गत राज्य सरकार के सात निश्चय के तहत हर घर नल का जल के क्रियान्वयन हेतु मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना वर्ष 2016-17 से प्रारंभ की गई है। इस योजना के तहत राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक घर को वर्ष 2019-20 तक पाईप द्वारा शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है।
मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना के अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में पाईप द्वारा शुद्ध पेयजल की आपूर्ति हेतु ग्राम पंचायतों द्वारा जलापूर्ति की छोटी-छोटी योजनाएं चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वित की जायेगी। इसके लिए साधारणतः भौगोलिक निरंतरता को ध्यान में रखते हुए ग्राम पंचायतों के वार्ड को एक इकाई मान कर प्रत्येक वार्ड के लिए एक योजना तैयार की जायेगी। योजना के अन्तर्गत अधिकतम 70 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन की दर से पानी उपलब्ध कराया जायेगा। पंचायती राज विभाग द्वारा इस योजना का कार्यान्वयन राज्य की 5,013 ग्राम पंचायतों (जहाँ जल गुणवत्ता प्रभावित नहीं है या लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा पूर्व से कार्य नहीं कराया जा रहा है) में किया जायेगा।
बिहार पंचायत राज (संशोधन) अध्यादेश, 2017 बिहार असाधारण गजट संख्या 493 दिनांक 08.06.2017 द्वारा एवं बिहार वार्ड सभा तथा वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति कार्य संचालन नियमावली, 2017 बिहार असाधारण गजट संख्या 568 दिनांक 29.06.2017 द्वारा अधिसूचित किया गया है। उक्त के आलोक में मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना की निम्न संशोधित दिशा-निर्देश जारी किये जाते हैं।
(क) राज्य के ग्रामीण परिवारों के लिए पेयजल का एक बेहतर विकल्प उपलब्ध कराना,
(ख) ग्रामीण परिवारों के लिए पाईप से शुद्ध पेयजल की सतत् उपलब्धता पूरे वर्ष सुनिश्चित करना,
(ग) पीने के लिए एवं अन्य घरेलू उपयोग (जैसे-खाना बनाना, नहाना एवं पशुओं के पीने के लिए) के लिए पर्याप्त मात्रा में जल की उपलब्धता सुनिश्चित करना,
(घ) जलजनित बीमारियों को कम कर ग्रामीणों के जीवन स्तर को सुधारना।
राज्य स्तरीय संरचना
मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना को प्रभावी रूप से क्रियान्वित कराने के लिए प्रधान सचिव / सचिव, पंचायती राज विभाग के अधीन राज्य स्तर पर एक क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण कोषांग का गठन किया जायेगा। यह क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण कोषांग नियमित रूप से योजना की प्रगति की समीक्षा करने के साथ ही जलापूर्ति की योजनाओं के मानक प्राक्कलनों की तैयारी एवं तकनीकी स्वीकृति, उनकी भौगोलिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय उपयुक्तता (applicability), वित्तीय प्रबंधन मॉड्यूल, क्षमता संवर्द्धन एवं सामुदायिक भागीदारी की गतिविधियों के लिए नीतियों/कार्यक्रमों को निरूपित करेगा। राज्य स्तरीय कोषांग में ग्रामीण विकास / स्वच्छता / जलापूर्ति के क्षेत्र में कार्य करने वाले अंतर्राष्ट्रीय/राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संगठनों के प्रतिनिधियों को विकास सहयोगी के रुप में शामिल किया जायेगा।
योजना के क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण कोषांग को तकनीकी सहयोग प्रदान करने के लिए राज्य स्तर पर राज्य स्तरीय योजना अनुश्रवण इकाई (State level scheme Monitoring Unit) का गठन किया जायेगा। यह इकाई योजना को मिशन मोड में क्रियान्वित करने के लिए विशेष प्रयासों को संयोजित करेगी। इकाई के अंतर्गत संविदा / आउटसोर्सिंग / प्रतिनियुक्ति के आधार पर आई टी विशेषज्ञ, अभियंता, वित्त प्रबंधक, जन संचार विशेषज्ञ, अनुश्रवण एवं मूल्यांकन विशेषज्ञ तथा सामाजिक वैज्ञानिक, आदि को रखा जायेगा । केन्द्र / राज्य सरकार के अनुभवी व योग्य सेवानिवृत्त कर्मियों को इकाई से जोड़ कर उनकी सेवाएं ली जायेंगी। योजना के क्रियान्वयन, अनुश्रवण एवं गुणवत्ता की निगरानी हेतु पंचायती राज विभाग के द्वारा सूचीबद्धता पर राज्य स्तरीय गुणवत्ता अनुश्रवक (State Quality Monitors) रखे जायेंगे।
(क) ग्रामीण पेयजल परियोजनाओं संबंधित नीतिगत मार्गदर्शन करना,
(ख) राज्य सरकार के विभिन्न विभागों तथा सम्बद्ध क्रियाकलापों में अन्य भागीदारों (यथा सहयोगी संस्थाएं, विशेषज्ञों / विशेषज्ञ संस्थाएं) के साथ आवश्यकतानुसार अनुबंध / समन्वय,
(ग) जिला जल एवं स्वच्छता समितियों का तकनीकी विषयों एवं वित्तीय प्रबंधन के लिए उचित मार्गदर्शन,
(घ) योजनाओं के कार्यान्वयन एवं परिचालन का अनुश्रवण करना
(ङ) ग्रामीण पेयजल परियोजनाओं के निर्माण की गुणवत्ता की जाँच हेतु स्वतंत्र प्रमाणन की व्यवस्था करना,
(च) ग्रामीण जल आपूर्ति सम्बद्ध संचार तथा विकास कार्यक्रमों को समेकित और संचालित करना,
(छ) मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना तथा मुख्यमंत्री गली-नाली पक्कीकरण योजना का समन्वय,
(ज) स्थानीय क्षेत्रों की आवश्यकतानुसार मानक प्राक्कलन तैयार करना (इस कार्य के लिए राज्य स्तरीय इकाई विशेषज्ञ संस्थाओं एवं विशेषज्ञों की सहायता ले सकती हैं) एवं तकनीकी स्वीकृति कर विभिन्न जिलों को उपलब्ध कराना।
जिला स्तरीय संरचना -
जिला पदाधिकारी की अध्यक्षता में लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के क्रियान्वयन हेतु गठित जिला जल एवं स्वच्छता समिति के माध्यम से योजना का क्रियान्वयन किया जायेगा तथा जिला पंचायत राज पदाधिकारी एवं विद्युत कार्यपालक अभियंता को इस योजना हेतु समिति के सदस्य के रूप में नामित किया जायेगा। यह समिति योजना को निर्धारित सीमावधि में पूरा कराने के लिए प्राधिकृत समिति होगी और स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप दिशा-निर्देश के प्रावधानों की व्यवहारिकता को ध्यान में रखते हुए गुणवत्तापूर्ण कार्य का संपादन सुनिश्चित करेगी। जिला पंचायत राज पदाधिकारी इस योजना हेतु विशेष जवाबदेही व भूमिका को सुनिश्चित करेंगे और ग्राम पंचायत की वार्षिक कार्य योजना को मासिक/ त्रैमासिक कार्य योजना में बांटते हुए सभी प्रखण्डों के लक्ष्य निर्धारण, उसकी समीक्षा, कार्य प्रगति की निगरानी, सामाजिक जागरूकता, क्षमता संवर्द्धन कार्यक्रमों के आयोजन कराया जाना सुनिश्चित करेंगे। सामाजिक या अन्य किसी प्रकार के विवाद आदि की स्थिति में यह समिति अंतिम रूप से निर्णय लेने के लिए अधिकृत होगी।
जिला पंचायत राज पदाधिकारी के कार्यालय में एक सहयोगी कोषांग (Support cel) गठित किया जायेगा, जो जिला स्तर पर संसाधन केन्द्र के रूप में योजना के क्रियान्वयन में सहयोग करेगा। सहयोगी कोषांग में वित्त प्रबंधन, सूचना प्रावैधिकी, जनसंचार / मीडिया, अनुश्रवण / मूल्यांकन आदि के अनुभवी व्यक्तियों को परामर्शी के रूप में जोड़ा जायेगा। सहयोगी कोषांग ग्राम पंचायत को सुचारू वित्तीय प्रबंधन, कार्यों की प्रगति रिर्पोटिंग एवं तकनीकी कार्य क्रियान्वयन में सहयोग प्रदान करने के लिए प्रति चार पंचायत पर एक की दर से लेखापाले-सह-आई.टी. सहायक और कनीय अभियंता का पैनल तैयार करेगा और उन्हें कार्य आधारित मानदेय (Performance based Honorarium) पर रखा जायेगा। इस हेतु जिला कार्यालय द्वारा Expression of interest प्रकाशित कर सूचीबद्ध (Empanel) करने का कार्य किया जायेगा। इस कार्य हेतु विभाग स्तर से आवश्यक सहयोग प्रदान किया जायेगा। योजना के प्रभावी क्रियान्वयन में उनकी भूमिका सुनिश्चित की जायेगी। जिला पदाधिकारी की अध्यक्षता में सुशासन के कार्यक्रम हेतु गठित अनुश्रवण समिति इस योजना के क्रियान्वयन की समीक्षा करेगी।
जिला जल एवं स्वच्छता समिति निजी तौर पर कार्य करने के इच्छुक अभियंताओं (न्यूनतम अर्हता/qualification - डिप्लोमा धारक) को तकनीकी सहायक के तौर पर सूचीबद्ध कर, ग्राम पंचायतों के साथ सूची साझा करेगी। ग्राम पंचायत इनमें से किसी एक तकनीकी सहायक को जलापूर्ति योजनाओं की रूपरेखा बनाने एवं पर्यवेक्षण करने के लिए नियुक्त कर सकेगी। तकनीकी सहायकों को परियोजना की अनुमानित लागत का दो प्रतिशत भुगतान पूर्व निर्धारित किस्तों में किया जा सकेगा (उदाहरण-योजना की रूपरेखा तैयार होने तथा प्रखंड स्तरीय इकाई द्वारा तकनीकी स्वीकृति प्राप्त होने पर 0.25 प्रतिशत; योजना अन्तर्गत पानी के स्रोतों का निर्माण तथा संग्रहण व्यवस्था पूर्ण होने पर 0.25 प्रतिशत; योजनान्तर्गत सभी लाभुक परिवारों का वितरण प्रणाली के साथ संयोजन होने के उपरान्त 0.25 प्रतिशत; योजना के सफलपूर्ण परीक्षण तथा प्रवर्तन के पश्चात् 0.75 प्रतिशत; योजना के प्रवर्तन के पश्चात् तीन माह तक सफल संचालन के पश्चात् 0.50 प्रतिशत) ।
मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना के संदर्भ में जिला जल एवं स्वच्छता समिति के दायित्व निम्न प्रकार होंगे -
(क) मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना के सिद्धांतों के बारे में जन प्रतिनिधियों, अधिकारियों तथा आम नागरिकों को जागरूक करना,
(ख) समस्त हितग्राहियों की क्षमता के विकास के लिए प्रशिक्षण देना,
(ग) योजना के चयन हेतु प्रखंड / पंचायतवार समयबद्ध कार्यक्रम तैयार करना तथा अभियान चलाकर ग्राम पंचायतों का वार्षिक एवं perspective विकास योजना तैयार कराना,
(घ) जिला स्तर पर निजी तौर पर कार्य करने के इच्छुक अभियंताओं (कम-से-कम डिप्लोमाधारी) को सूचीबद्ध करना एवं सूची ग्राम पंचायतों के साथ साझा करना,
(ङ ) मानक प्राक्कलनों को ग्राम पंचायत / सहायक अभियंता तथा तकनीकी सहायकों के साथ साझा करना; तकनीकी सहायकों को क्षमता विकास,
(च) ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं के क्रियान्वयन का अनुश्रवण करना ।
प्रखण्ड स्तर
प्रखण्ड विकास पदाधिकारी की अध्यक्षता में लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के क्रियान्वयन हेतु गठित प्रखण्ड स्तरीय अनुश्रवण इकाई के सहयोग से प्रखंड स्तर पर योजना का क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण किया जायेगा। योजना के क्रियान्वयन को सुनियोजित तरीके से कराने के लिए प्रखण्ड पंचायत राज पदाधिकारी की भूमिका facilitator की होगी तथा मनरेगा के सहायक/कनीय अभियंता भी इकाई को योजना के क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण में तकनीकी सहयोग प्रदान करेंगे। योजना को क्रियान्वित कराने के लिए प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी के स्तर पर एक कार्यपालक सहायक को जोड़ा जायेगा, जो योजना संबंधित आंकड़ों, रिपोर्ट, लेखा-विवरण, आदि की प्रखण्ड स्तर पर समयबद्ध रिर्पोटिंग सुनियोजित करेगा। प्रखण्ड विकास पदाधिकारी के स्तर पर पूर्व से पंचायती राज विभाग द्वारा प्रशिक्षित प्रशिक्षकों का एक पैनल बना कर उनकी आवश्यकता आधारित उपलब्धता (need based availability) बनाई रखी जायेगी। इसके अतिरिक्त प्रखण्ड विकास पदाधिकारी क्षमता संवर्द्धन, प्रचार-प्रसार एवं सामुदायिक सहभागिता की गतिविधियों को क्रियान्वित कराने के लिए नोडल पदाधिकारी होंगे। कनीय अभियंता, लेखापाल-सह-आई.टी. सहायक एवं प्रशिक्षकों को ग्राम पंचायतों के समूह में लगाये जाने की जिम्मेदारी एवं उनके द्वारा किये गए कार्य का मूल्यांकन प्रखण्ड विकास पदाधिकारी द्वारा संपादित किया जायेगा। कनीय अभियंता, लेखापाल-सह-आई.टी. सहायक एवं प्रशिक्षकों को कार्य आधारित मानदेय भुगतान के संबंध में विभाग द्वारा अलग से दिशा-निर्देश निर्गत किये जायेंगे।
योजना की क्रियान्वयन इकाई वार्ड होगी और लगभग चार ग्राम पंचायतों के समूह को आधार मानकर ग्राम पंचायतों को तकनीकी परामर्श, वित्तीय प्रबंधन एवं प्रचार-प्रसार की सुविधा उपलब्ध कराई जायेगी।
मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना के संदर्भ में प्रखंड स्तरीय अनुश्रवण इकाई के दायित्व निम्न प्रकार होंगे -
ग्राम पंचायत स्तर
मुख्यमंत्री पेयजल निश्चय योजना के क्रियान्वयन में ग्राम पंचायत की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। मुखिया के नेतृत्व में ग्राम पंचायत योजना के क्रियान्वयन संबंधी समस्त दायित्वों का निर्वहन करेगी। ग्राम पंचायत के मुखिया द्वारा ग्राम पंचायत के निर्णय के आलोक में योजनाओं की प्रशासनिक स्वीकृति संसूचित की जायेगी तथा वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति द्वारा क्रियान्वित योजनाओं की नियमित अनुश्रवण एवं पर्यवेक्षण किया जायेगा। साथ ही, बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 की धारा 25 (vi) के अंतर्गत गठित लोक निर्माण समिति अपनी विशेष भूमिका निभायेगी तथा नियमित वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति को योजनाओं के क्रियान्वयन में सहयोग करेगी। ग्राम पंचायत में कार्यरत विभिन्न योजना से जुड़े कर्मी यथा- पंचायत रोजगार सेवक, पंचायत तकनीकी सहायक, ग्रामीण आवास सहायक, कृषि सलाहकार, विकास मित्र, टोला सेवक, आशा /आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, महिला स्वयं सहायता समूह / ग्राम संगठन के सदस्यों, जागरूक ग्रामीणों, आदि को भी सामुदायिक सहभागिता के लिए प्रेरक (motivator) के रूप में जोड़ा जायेगा। समुदाय के बीच सामूहिक चेतना के विकास एवं कार्य के निगरानी में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी। प्रेरक (motivator) के लिए कार्य के विरूद्ध परिणाम आधारित प्रोत्साहन राशि की व्यवस्था की जायेगी।
मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना से संबंधित, ग्राम पंचायत के दायित्व निम्न प्रकार होंगे -
वार्ड स्तर
बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 (यथा संशोधित) एवं बिहार वार्ड सभा तथा वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति कार्य संचालन नियमावली, 2017 में निहित प्रावधानों के अन्तर्गत ग्राम पंचायत के संबंधित वार्ड सदस्य की अध्यक्षता में सात सदस्यीय वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति का गठन वार्ड सभा के माध्यम से दो वर्षों के लिए किया जायेगा, जो मुख्य रूप से लाभुकों की समिति होगी और ग्राम पंचायत के लिए मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना का क्रियान्वयन एवं रखरखाव / अनुरक्षण प्रदत्त दिशा-निर्देश के अनुसार करेगी। संबंधित वार्ड से निर्वाचित ग्राम कचहरी पंच वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति के पदेन सदस्य होंगे। अध्यक्ष एवं पदेन सदस्य के अलावा, वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति में संबंधित वार्ड के निवासियों में से चार व्यक्तियों को सदस्य के रूप में वार्ड सभा द्वारा चयनित किया जायेगा। वार्ड में यदि जीविका के ग्राम संगठन/स्वयं सहायता समूह कार्यरत हों तो इसके एक प्रतिनिधि को भी समिति के सदस्य के रूप में निर्वाचित किया जायेगा। अगर संबंधित वार्ड में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के परिवार निवास करते हैं, तो वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति के सदस्यों में कम से कम एक सदस्य अनुसूचित जाति एवं जनजाति परिवार से अनिवार्य रूप से चयनित किये जायेंगे। समिति में कम-से-कम तीन महिला सदस्य होंगी एवं समिति में वार्ड सभा द्वारा एक परिवार में से एक से अधिक सदस्य चयनित नहीं किये जायेंगे। वार्ड सभा सचिव वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति, का पदेन सदस्य सचिव के रूप में कार्य करेगा। अध्यक्ष अथवा पंचायती राज संस्थाओं/ग्राम कचहरी के किसी पदधारक के परिवार के सदस्य को वार्ड सभा सचिव के रुप में नहीं चुना जायेगा। वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति की सभा बुलाने, बैठकों का कार्यवृत्त लेखन एवं लेखा-जोखा रखने की जिम्मेदारी सदस्य सचिव की होगी। वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति योजना की राशि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक के खाते में रखेगी। पूर्व में वार्ड विकास समिति के नाम से संधारित बैंक खातों का नामान्तरण नयी समिति के नाम के अनुरुप किया जायेगा। इस बैंक खाते का संचालन वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति के अध्यक्ष तथा सदस्य सचिव के संयुक्त हस्ताक्षर से होगा। वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति के निर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल दो वर्ष का होगा। ऐसे सदस्य जो समिति की लगातार तीन बैठकों में भाग नहीं लेगें या कार्यों में अभिरूचि नहीं लेंगे, उनके स्थान पर नये सदस्य का चयन उपर्युक्त वर्णित रीति से समिति के शेष अवधि के लिए किया जा सकेगा। दो वर्षों का कार्यकाल पूर्ण होने पर, वार्ड सभा पुनः वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति के सदस्यों का चयन करेगी।
वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति की पहली बैठक इसके गठन के तुरंत बाद की जायेगी तथा प्रत्येक बैठक में समिति की अगली बैठक की तिथि एवं समय निर्धारित की जायेगी। वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति की बैठक सामान्यतः साप्ताहिक होगी, किन्तु माह में कम से कम दो बैठकों का आयोजन अनिवार्य होगा। विशेष परिस्थिति में समिति के एक तिहाई सदस्यों की लिखित अधियाचना प्राप्त होने पर, जिसमें विचारणीय विषय के साथ-साथ बैठक हेतु तिथि की भी अधियाचना होगी, अध्यक्ष द्वारा उक्त तिथि को बैठक बुलाई जायेगी। समिति की पहली बैठक में इसके संचालन हेतु नियम / उपनियमों को विभागीय मार्गदर्शिका के आलोक में अंगीकृत किया जायेगा।
वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति के कुल सदस्यों में चार की उपस्थिति से बैठक की गणपूर्ति होगी। त्याग पत्र / मृत्यु इत्यादि की स्थिति में वार्ड सभा के द्वारा शेष अवधि के लिए रिक्ति भरी जाएगी।
आधारभूत संरचना एवं बेसलाईन सर्वेक्षण
मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना के क्रियान्वयन प्रारंभ किये जाने के पूर्व वार्डों की आधारभूत संरचना एवं बेसलाईन सर्वेक्षण का कार्य संपादित किया जायेगा। यह सर्वेक्षण कार्य जिला/ प्रखंड स्तरीय समिति के मार्गदर्शन में वार्ड सदस्य, पंचायत रोजगार सेवक, पंचायत तकनीकी सहायक एवं ग्रामीण आवास सहायक द्वारा निर्धारित प्रपत्र में चिन्हित वार्ड के परिसीमन में आधारभूत सरंचना एवं बेसलाईन सर्वेक्षण का कार्य करेंगे। साथ ही, बंधित वार्ड की आँगनबाड़ी सेविका, आशा कार्यकर्ता, विकास मित्र, टोला सेवक, जागरूक ग्रामीणों, महिला स्वयं सहायता समूह / ग्राम संगठन के सदस्यों, आदि का सहयोग लिया जायेगा। सर्वेक्षण का कार्य पंचायती राज विभाग द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त प्रशिक्षकों की देखरेख में Participatory Rural Appraisal (PRA) पद्धति से (अनुसूची-1) किया जायेगा।
वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति के उत्तरदायित्व एवं कार्य
जल आपूर्ति योजना के घटक / अवयव, मानक रूपरेखा एवं मानक प्राक्कलन
वार्ड स्तरीय जल आपूर्ति योजना के सामान्यतः निम्नवत् अवयव होते हैं -
(1) जल स्रोत,
(2) राइजिंग मेन (जल स्रोत को जल संग्रहण व्यवस्था के साथ जोड़नेवाली पाईप),
(3) जल संग्रहण व्यवस्था,
(4) सार्वजनिक जल वितरण प्रणाली,
(5) जल वितरण प्रणाली के साथ घर का संयोजन एवं
(6) घर की अंदरुनी वितरण व्यवस्था ।
जल आपूर्ति योजना के विभिन्न घटकों / अवयवों के मानक साधारणतः निम्न आधार पर स्थापित किये जायेंगे।
जल स्रोत
जल स्रोतों को सामान्यतः सरकारी / सार्वजनिक भूमि पर स्थित किया जायेगा। सामान्यतः भूगर्भीय जल पेयजल का स्रोत होगा, जिसे नलकूप के माध्यम से निकाला जायेगा। स्थानीय भौगोलिक स्थिति के अनुसार नलकूल की गहराई 100 मीटर (न्यूनतम) या उससे अधिक हो सकती है। नलकूप से जल निष्कासन 2 एच0पी0 के विद्युत संचालित सिंगल फेज पम्प से कर, जल संग्रहण प्रणाली में किया जा सकता है। विद्युत वोल्टेज (voltage) की समस्या के निदान हेतु बोरिंग करते समय इसके साथ ही earthing एवं voltage stabilizers का प्रावधान योजना में किया जायेगा।
राइजिंग मेन (जल स्रोत को जल संग्रहण व्यवस्था के साथ जोड़नेवाली पाईप)
राइजिंग मेन तथा जल स्रोत को जल संग्रहण व्यवस्था के साथ जोड़नेवाली पाईप साधारणतः पीएभी0सी0 (PVC) या हाई डेंसिटी पाली एथीलिन (HDPE) की होनी चाहिए तथा जमीनी सतह से कम-से-कम 3 फीट नीचे बिछाना चाहिए (राइजिंग मेन में उपयोग की जाने वाली पाईप योजना की रूपरेखानुसार उचित प्रेशर रेटिंग का होना आवश्यक है)।
जल संग्रहण
जल आपूर्ति योजना के अंतर्गत छोटे स्तर पर जल संग्रहण की व्यवस्था आवश्यकतानुसार की जायेगी। जल संग्रहण 5,000 लीटर क्षमता वाली टंकियों के माध्यम से किया जायेगा। किसी योजना में जल संग्रहण टंकियों की संख्या सामान्यतः दो से अधिक नहीं होगी। जल संग्रहण टंकियों को 8 से 10 फीट ऊँचाई के चबूतरे पर रखा जायेगा, जिससे सभी परिवारों को जल वितरण का लाभ मिल सके (अगर संबंधित गांव/टोले/वार्ड में नैसर्गिक उच्च स्थान उपलब्ध है, तो जमीन पर एक छोटा चबूतरा बनाकर अवस्थित किया जायेगा)। जल संग्रहण व्यवस्था की मवेशी आदि से आवश्यकतानुसार सुरक्षा की व्यवस्था की जायेगी। जल संग्रहण टंकियों को सामान्यतः सरकारी / सार्वजनिक भूमि पर स्थित किया जायेगा; स्थान का निर्धारण जल वितरण प्रणाली को ध्यान में रखकर (जिससे की सभी परिवारों को बराबर जल वितरण हो सके) किया जायेगा।
जल वितरण प्रणाली
इसके अन्तर्गत जल संग्रहण व्यवस्था से गलियों तक जल का अंतरण सम्मिलित है। जल
वितरण प्रणाली की पाईप साधारणतः जमीनी सतह से कम-से-कम ढाई फीट नीचे बिछायी जायेगी। जल वितरण प्रणाली में साधारणतः पीoभी0सी0 (PVC) या हाई डेंसिटी पाली एथीलिन (HDPE) पाईप का उपयोग किया जायेगा। सार्वजनिक जल वितरण प्रणाली में उपयोग की जाने वाली पाईप योजना की रूपरेखानुसार उचित प्रेशर रेटिंग का होना आवश्यक है।
जल वितरण प्रणाली के साथ घर का संयोजन
जल वितरण प्रणाली के साथ घर का संयोजन (घरेलू पाईप कनेक्शन)1/2 (आधा इंच) पाईप के माध्यम से एक फेरूल कनेक्शन द्वारा ही दिया जायेगा।
घर की अंदरूनी वितरण व्यवस्था
इसकी पूरी जिम्मेदारी लाभुक परिवार की होगी। लाभुक परिवार अधिक से अधिक तीन स्थान पर टेप (नल) लगा सकेंगे (रसोई घर में, शौचालय में तथा स्नान घर में)। प्रथमवार योजना अन्तर्गत यह तीनों नल (वितरण पाईप सहित) लगाया जायेगा तथा वितरण पाईप की अधिकतम लंबाई 25 फीट के अंदर तक योजना में ही सन्निहित होगी। इसके अतिरिक्त पाईप की आवश्यकता होने पर इसके व्यय का वहन उपभोक्ता द्वारा किया जायेगा। लाभुक परिवार / परिवारों द्वारा अपनी आवश्यकता / उपयोगिता के अनुरुप रसोई घर का नल के स्थल का चयन रसोईघर के बाहर या अपनी सुविधानुसार कई घर मिलाकर एक सामुहिक स्थल पर भी किया जा सकेगा। योजना क्रियान्वयन के उपरान्त घर केनलों एवं पाईपों के रख-रखाव का दायित्व उपभोक्ता का होगा।
मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना का ग्राम पंचायत/वार्ड स्तर पर परिचालन
ग्राम पंचायत स्तर पर, मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना परिचालन के दो मुख्य चरण होंगे -
(1) वित्तीय वर्ष में लिये जाने वाले वार्डों का चयन एवं
(2) वार्ड स्तर पर परियोजना क्रियाकलाप ।
वार्डों का चयन/प्राथमिकता
वार्ड सभा से अनुमोदित योजनाओं को ग्राम पंचायत स्तर पर समेकित कर ग्राम सभा द्वारा पारित किया जायेगा तथा राशि की उपलब्धता के अनुरूप प्रथम वर्ष के लिए 20 प्रतिशत, द्वितीय वर्ष के लिए 30 प्रतिशत, तृतीय वर्ष के लिए 30 प्रतिशत एवं चतुर्थ वर्ष के लिए 20 प्रतिशत वार्डों को योजना के कार्यान्वयन हेतु चयनित किया जायेगा। वार्डों के चयन में प्राथमिकता का निर्धारण सर्वप्रथम वार्डों की अनुसूचित जनजाति/अनुसूचित जाति की संख्या बाहुल्यता के आधार पर जनसंख्या के घटते क्रमानुसार किया जायेगा। अवशेष वार्डों के चयन की प्राथमिकता का आधार वार्डों की कुल जनसंख्या के घटते क्रम को रखा जायेगा। यदि भौगोलिक रूप से एक वार्ड में दूसरे वार्ड का क्षेत्र आंशिक रूप से शामिल हो रहा है, तो उसे इसी वार्ड की योजना में शामिल कर लिया जायेगा। ODF ग्राम पंचायतों को इस योजना अन्तर्गत प्राथमिकता पर पूर्णतः आच्छादित किया जायेगा। इस निमित संबंधित ग्राम पंचायतों को राज्य योजना मद से विशेष सहायता दी जायेगा। पंचायत अन्तर्गत मॉडल विकसित करने हेतु खुले में शौच से मुक्त(ODF) वार्ड का चयन प्राथमिकता के आधार पर किया जा सकेगा।
परियोजना क्रियाकलाप
प्रतिदर्शात्मक रूप से, ग्रामीण जल आपूर्ति योजनाओं की अवधि सामान्यतः 6 माह होगी। वार्ड स्तर पर परियोजना क्रियाकलाप तीन मुख्य चरणों में बांटा गया है, यथा
पूर्व तैयारी
इस चरण की अवधि साधारणतः एक माह होगी।
जल आपूर्ति योजना प्रणाली की आयोजना
इस चरण की अवधि साधारणतः एक माह होगी।
योजना कार्यान्वयन (अधिकतम तीन माह)
योजना चालू करना एवं सुचारू रूप से संचालन (एक माह)
निरंतरता
जल आपूर्ति योजना का प्रवर्तन होने के एवं सुचारू रूप से पेयजल सुविधा उपलब्ध कराने के पश्चात्, योजना का संचालन एवं प्रबंधन का दायित्व वार्ड स्तरीय वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति के पास रहेगा। स्थानीय वार्ड के नागरिक मिलकर इस योजना से निरंतर सेवाएँ प्राप्त करने के लिए वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति की सहायता करेंगे।
कार्य पूर्व नियोजन (Pre Work Planning)
सामग्री आपूर्ति श्रृखंला (Material supply Chain) की उपलब्धता
ग्राम / पंचायत स्तर पर निर्माण सामग्री आपूर्ति प्रबंधन को सुदृढ़ किया जायेगा
पंचायतों को चौदहवें वित्त आयोग की अनुशंसा से प्राप्त होनेवाली बुनियादी अनुदान (Basic Grant) की कम-से-कम 40 प्रतिशत राशि एवं पंचम राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा से प्राप्त होनेवाली प्रतिनिधायन (Devolution) की राशि का कम-से-कम 45 प्रतिशत राशि को जोड़ने के उपरांत वार्ड हेतु स्वीकृत पेयजल निश्चय योजना को पूरा करने के लिए वांछित अवशेष राशि को राज्य योजना मद से पूरा किया जायेगा। इस योजना हेतु ग्राम पंचायत द्वारा एक अलग बैंक खाता एवं सहायक रोकड़ बही कैश बुक संधारित किया जायेगा।
ग्राम पंचायत के क्षेत्रों की स्थानीय भौगोलिक परिस्थितियों, को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग क्षेत्रों के अनुरूप जलापूर्ति योजना हेतु विभिन्न विशिष्टियों के विभिन्न प्रकार के मानक प्राक्कलन तैयार किये जायेंगे। इस हेतु विभाग द्वारा एक हरितका का विकास कर वार्ड सदस्यों को ग्राम पंचायत के माध्यम से उपलब्ध कराया जायेगा, ताकि योजना के क्रियान्वयन में तकनीकी चुनौतियों को सहज किया जा सके। मानक प्राक्कलन पर जिला एवं प्रखण्ड स्तर पर विशेषज्ञों की देख-रेख में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।
बिहार गजट( असाधारण अंक,बिहार सरकार द्वारा प्रकाशित,(संo पटना 568) पटना, वृहस्पतिवार, 29 जून 2017- पंचायती राज विभाग- सं0 8प0/वि0-04-01/2016/5685/पंoरा0—बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 (बिहार अधिनियम, 6, 2006),
समय-समय पर यथासंशोधित, की धारा 146 सह–पठित धारा 170 क, 170 ख एवं 170 ग द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए बिहार के राज्यपाल निम्नलिखित नियमावली बनाते हैं -
बिहार वार्ड सभा तथा वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति कार्य संचालन नियमावली, 2017
1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारंभ
(1) यह नियमावली बिहार वार्ड सभा तथा वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति कार्य संचालन नियमावली, 2017 कही जा सकेगी।
(2) इसका विस्तार सम्पूर्ण बिहार राज्य में होगा।
(3) यह तुरंत प्रवृत्त होगी।
2. परिभाषाएं
इस नियमावली में, जबतक कोई बात, विषय या संदर्भ के विरूद्ध न हो –
(क) अधिनियम से अभिप्रेत है बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006;
(ख) धारा से अभिप्रेत है बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 की धारा;
(ग) सरकार से अभिप्रेत है बिहार राज्य सरकार
(घ) मुखिया से अभिप्रेत है इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन किसी ग्राम पंचायत का निर्वाचित मुखिया;
(ङ) ग्राम पंचायत के सदस्य या वार्ड सदस्य से अभिप्रेत है अधिनियम की धारा 12 की उप धारा (1) के खंड (ख) के अधीन निर्वाचित ग्राम पंचायत का सदस्य;
(च ) ग्राम सभा से अभिप्रेत है ग्राम स्तर पर पंचायत के क्षेत्र के भीतर समाविष्ट किसी ग्राम से संबंधित निर्वाचक नामावली में रजिस्ट्रीकृत व्यक्तियों को मिलाकर गठित निकाय;
(छ) वार्ड सभा से अभिप्रेत है धारा 170क की उप धारा-(1) के अधीन गठित वार्ड सभा; वार्ड सभा सचिव से अभिप्रेत है इस नियमावली के नियम-3 के उप-नियम (4) के अधीन चयनित वार्ड सभा सचिव ;
(ज ) वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति से अभिप्रेत है अधिनियम की धारा 170 ख के अधीन गठित वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति;
(झ) सदस्य सचिव से अभिप्रेत है वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति का सदस्य सचिव,
(ञ) कार्यपालक पदाधिकारी से अभिप्रेत है अधिनियम की धारा 60 के अधीन नियुक्त पंचायत समिति का कार्यपालक पदाधिकारी;
(ठ) इस नियमावली में प्रयुक्त किन्तु अपरिभाषित सभी शब्दों तथा अभिव्यक्तियों से वही अभिप्रेत
होंगे जो अधिनियम में क्रमशः उनके लिए समनुदेशित किए गए हों।
3. वार्ड-सभा और उसकी बैठकें
(1) ग्राम पंचायत के प्रत्येक प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र या वार्ड के लिए अलग-अलग वार्ड सभा होगी। उस वार्ड की निर्वाचक नामावली में दर्ज सभी व्यक्ति संबंधित वार्ड–सभा के सदस्य होंगे।
(2) वार्ड से निर्वाचित ग्राम पंचायत सदस्य (वार्ड सदस्य) अधिनियम में विनिर्दिष्ट कृत्यों का पालन करने के लिए, समय-समय पर, वार्ड सभा की बैठकें बुलायेगा किन्तु किसी भी वार्ड सभा की दो बैठकों का अन्तराल तीन महीने से अधिक का नहीं होगा।
(3) नियमावली के नियम-4 में यथानिर्दिष्ट स्थान पर नियमित रूप से वार्ड-सभा की बैठकों का आयोजन किया जाएगा। वार्ड सदस्य द्वारा वार्ड सभा का आयोजन नहीं कराए जाने की स्थिति में, संबंधित ग्राम पंचायत का मुखिया अथवा मुखिया द्वारा अधिकृत किये जाने पर उक्त ग्राम पंचायत का उप–मुखिया बैठक का संयोजन करेगा तथा बैठक की अध्यक्षता करेगा। जब मुखिया अथवा उप–मुखिया भी वार्ड सभा की बैठक आयोजित करने में विफल रहे या वार्ड सदस्य का पद रिक्त हो, तब संबंधित पंचायत समिति के कार्यपालक पदाधिकारी की दृष्टि में यह बात लायी जाएगी, जो संबंधित मुखिया / वार्ड सदस्य को ऐसे वार्ड सभा की बैठक शीघ्र आयोजित करने हेतु दिशा-निर्देश दे सकेगा।
(4) वार्ड सभा अपने सदस्यों के बीच से एक व्यक्ति को वार्ड सभा के सचिव के रूप में कार्य करने हेतु चयनित करेगी, जिसकी शैक्षणिक योग्यता न्यूनतम दसवीं कक्षा उत्तीर्ण होगी। अध्यक्ष अथवा ग्राम पंचायत/ग्राम कचहरी के किसी पदधारक के परिवार के सदस्य को वार्ड सभा सचिव के रूप में नहीं चुना जाएगा। वार्ड सभा सचिव का मुख्य दायित्व वार्ड सदस्य के निदेशों के अधीन वार्ड सभा की बैठक हेतु सूचना निर्गत करना, बैठकों की कार्यवाही अभिलिखित करना तथा वार्ड सभा द्वारा समय-समय पर सौंपे गये अन्य दायित्वों का निर्वहन करना होगा।
4. बैठक का स्थान
वार्ड सभा की बैठक वार्ड में अवस्थित पंचायत भवन/पंचायत सरकार भवन या सामुदायिक भवन या किसी अन्य सुविधाजनक सार्वजनिक स्थान पर होगी। यह किसी निजी मकान या स्थान पर नहीं होगी। इस बात का ध्यान रखा जायेगा कि बैठक का स्थान खुला हो तथा वहाँ पर्याप्त रोशनी हो और वार्ड सभा के सदस्य एक साथ आसानी से बैठ सकें।
5. बैठक की नोटिस का प्रकाशन
(1) बैठक की तारीख, समय एवं स्थान को अंतर्विष्ट करते हुए नोटिस,उसमें कार्यसूची का ब्यौरा देते हुए, कम-से-कम 7 दिन पूर्व, निम्नलिखित रीति से प्रकाशित एवं प्रचारित की जाएगी -
गणपूर्ति एवं गणपूर्ति के अभाव में वार्ड सभा की बैठक का स्थगन
वार्ड-सभा के कुल सदस्यों के दसवें भाग या कम-से-कम पचास सदस्यों की उपस्थिति से किसी बैठक की गणपूर्ति होगी। किसी बैठक के लिए नियत समय पर यदि गणपूर्ति नहीं हुई हो या यदि बैठक आरंभ हो जाए और गणपूर्ति की कमी की ओर ध्यान आकृष्ट किया जाए, तो ऐसी स्थिति में पीठासीन पदाधिकारी एक घंटा प्रतीक्षा करेगा और यदि उसके भीतर भी गणपूर्ति नहीं होती हो तो पीठासीन पदाधिकारी उस बैठक को, अगले सप्ताह के किसी दिन एवं किसी समय के लिए, जो उसके द्वारा निर्धारित किया जायेगा, स्थगित कर देगा। अगले सप्ताह आयोजित की जाने वाली बैठक का स्थान सामान्यतया वहीं रखा जाएगा जो स्थगित बैठक के लिए रखा गया था, परन्तु किसी कारण से बैठक का पूर्व स्थान उपलब्ध नहीं हो तो ग्राम पंचायत सदस्य अपने विवेक से नियम 4 के उपबंधों के अनुसार किसी अन्य स्थान पर बैठक का आयोजन करने का निर्णय ले सकेगा। अगले सप्ताह होने वाली बैठक के लिए नियत स्थान, तिथि और समय की सूचना नियम 5 के अनुसार पुनः वार्ड–सभा के सभी सदस्यों को दी जाएगी।
गणपूर्ति के कमी के चलते स्थगित बैठक के बाद की बैठक के लिए भी गणपूर्ति वार्ड सभा के कुल सदस्यों के दसवें भाग या पचास सदस्यों की उपस्थिति से पूरी होगी एवं इसमें उसी एजेण्डा पर विचार किया जायेगा और निपटाया जाएगा, जो स्थगित बैठक में रखे गए थे।
बैठक की अध्यक्षता
वार्ड–सभा की प्रत्येक बैठक की अध्यक्षता संबंधित वार्ड सदस्य द्वारा की जायेगी। अगर किसी कारण से वार्ड सदस्य बैठक में नहीं आ सके, तो वार्ड सभा की अध्यक्षता वार्ड सभा के किसी ऐसे सदस्य द्वारा की जायेगी जो बैठक में उपस्थित सदस्यों के बहुमत द्वारा, इस प्रयोजनार्थ निर्वाचित किया जाए।
संकल्प
अधिनियम के अधीन वार्ड सभा को प्रदत्त विषयों में से किसी के संबंध में कोई संकल्प वार्ड सभा की बैठक में उपस्थित एवं मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत से पारित किया जाएगा।
वार्ड–सभा की बैठकों के लिए कार्य सूची
(1) वार्ड–सभा की बैठक की कार्यसूची में, अधिनियम की धारा-170क (4) के अधीन बैठक में विचाराधीन विषयों के अतिरिक्त, निम्नलिखित विषय भी सम्मिलित किए जा सकेंगे -
(क) वार्ड सभा की पूर्ववर्ती बैठक की कार्यवाही की सम्पुष्टि;
(ख) गत वार्ड सभा बैठक में विचारित / पारित प्रस्तावों के अनुपालन की स्थिति;
(ग) सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा विभिन्न योजनाओं/कार्यक्रमों के सूत्रण, कार्यान्वयन एवं पर्यवेक्षण के लिए वार्ड को यथा समनुदेशित अधिकार एवं जिम्मेवारी पालन करने के लिए वार्ड द्वारा की जानेवाली कार्रवाई का प्रस्ताव;
(घ) वार्ड सभा के विनिश्चय पर ग्राम पंचायत द्वारा की गई अनुवर्ती कार्रवाई के संबंध में सूचना प्राप्त करना;
(ङ ) स्थानीय लोगों की प्रतिभा को पहचान देने हेतु सांस्कृतिक उत्सवों एवं खेलों का आयोजन करना;
(च ) ग्राम पंचायत की आय बढ़ाने के उपाय,
(छ ) ग्राम पंचायत के मुखिया से वार्ड से संबंधित किसी विनिर्दिष्ट क्रियाकलाप, योजना या आय और व्यय के संबंध में प्रतिवेदन माँगना;
(ज) वार्ड से संबंधित संपरीक्षा टिप्पणियाँ
(झ) निगरानी समिति के प्रतिवेदन पर टिप्पणियाँ
(ञ) वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति के कार्यकलाप एवं इसके माध्यम से क्रियान्वित योजनाएँ।
वार्ड सभा की बैठक में निम्नलिखित विषयों पर भी चर्चा की जाएगी -
सामाजिक अंकेक्षण
वार्ड में अबतक क्रियान्वित सभी विकास कार्यों का सामाजिक अंकेक्षण करना वार्ड–सभा का महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व होगा। वार्ड सभा का सचिव पूर्व तिमाही के दौरान क्रियान्वित वार्ड से संबंधित समस्त कार्यों तथा कार्यवार व्यय का ब्यौरा आदि वार्ड–सभा में पढ़कर सुनायेगा। इसके अतिरिक्त निष्पादित कार्यों की गुणवत्ता पर चर्चा भी की जाएगी तथा कार्यों का भौतिक सत्यापन भी कराया जाएगा।
चर्चा के दौरान अगर उपस्थित सदस्यों द्वारा कोई आपत्ति उठायी जाए तो उसे वार्ड सभा सचिव पंजी में दर्ज करेगा तथा पंचायत समिति के कार्यपालक पदाधिकारी एवं मुखिया को सूचित करेगा। पंचायत समिति के कार्यपालक पदाधिकारी एवं मुखिया द्वारा इन समस्त आपत्तियों पर नियमानुसार कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। वार्ड सभा की अगली बैठक में इस संबंध में अनुपालन प्रतिवेदन भी रखा जाएगा।
सामाजिक सदभाव
वार्ड सभा की बैठकों में सामाजिक समरसता/ साम्प्रदायिक सदभाव कायम रखने के बिन्दु पर नियमित रूप से चर्चा की जाएगी।
कार्यवाहियों का अभिलेख
कारबार का संव्यवहार
प्रत्येक साधारण या विशेष बैठक में संव्यवहृत किया जाने वाले कारबार के क्रम का विनिश्चय
बैठक की अध्यक्षता करने वाले व्यक्ति द्वारा किया जायेगा।
बैठक का चलते रहना
यदि वार्ड सभा की बैठक के लिए नियत तारीख को सभी मुद्दों पर विचार-विमर्श पूरा होना संभव न हो, तो बैठक एक पक्ष के भीतर, किसी पश्चात्वर्ती दिन तक चालू रखी जा सकती है। उस बैठक की अगली तारीख का विनिश्चय उसी बैठक में किया जाएगा।
कारबार के संचालन का विनियमन
वार्ड सभा की बैठक की अध्यक्षता करने वाला व्यक्ति कारबार के संचालन को विनियमित करेगा और व्यवस्था बनाए रखेगा। यदि कोई सदस्य अध्यक्षता करने वाले व्यक्ति के प्राधिकार की अवहेलना करता है या बैठक के दौरान बाधा डालने या आक्रामक आचरण का दोषी है, तो अध्यक्षता करने वाला व्यक्ति उसे समुचित व्यवहार करने के लिए कह सकेगा और वैसा करने में उसके असफल होने पर उसे बैठक से चले जाने का निर्देश दे सकेगा।
वार्ड–सभा के प्रस्तावों/संकल्पों का अनुपालन
(1) वार्ड–सभा बैठक में पारित प्रस्तावों की प्राथमिकताएं तय करते हुए ग्राम पंचायत को भेजेगी एवं पंचायत सचिव इसे ग्राम सभा की अगली बैठक में अनिवार्य रूप से रखेगा।
(2) ग्राम सभा वार्ड सभा द्वारा तय की गई प्राथमिकताओं पर विचार करेगी। ग्राम पंचायत के विकास की योजनाओं का अंतिम रूप से चयन करते समय ग्राम पंचायत ग्राम सभा द्वारा पारित प्रस्तावों की प्राथमिकताओं का ध्यान रखेगी।
(3) अनुपालन प्रतिवेदन, अगर कोई हो, वार्ड सभा की अगली बैठक में रखी जायेगी।
(4) पंचायत समिति के कार्यपालक पदाधिकारी, प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी एवं अन्य पदाधिकारी ग्राम पंचायतों के अपने निरीक्षण के दौरान अनुपालन की प्रगति का पुनर्विलोकन करेंगें।
निगरानी समिति के प्रतिवेदन को वार्ड सभा के समक्ष रखा जाना
बिहार ग्राम सभा (बैठक के संयोजन एवं संचालन की प्रक्रिया)नियमावली, 2012 के नियम (18) के अधीन गठित संबंधित वार्ड की निगरानी समिति का प्रतिवेदन, वह जब भी उपलब्ध हो, वार्ड सभा की बैठक में रखा जायेगा तथा सदस्यों को निगरानी समिति के प्रतिवेदन में उल्लिखित बिन्दुओं से अवगत कराया जायेगा। वार्ड सभा अपने वार्ड से संबंधित निगरानी समिति के प्रतिवेदन पर अनुवर्ती कार्रवाई करने हेतु ग्राम पंचायत एवं संबंधित प्राधिकारियों से अनुरोध कर सकेगी।
वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति
(1) अधिनियम में अभिहित सामान्य एवं वित्तीय कार्यों / दायित्वों के निर्वहन एवं सम्पादन हेतु वार्ड सभा द्वारा अपने सदस्यों के बीच से वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति का गठन किया जायेगा।
2) वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति में अध्यक्ष सहित 7 (सात) सदस्य होंगे। वार्ड से निर्वाचित ग्राम पंचायत सदस्य (वार्ड सदस्य) समिति के पदेन सदस्य एवं अध्यक्ष होंगे। वार्ड से निर्वाचित ग्राम कचहरी के पंच एवं वार्ड सभा का सचिव समिति के पदेन सदस्य होंगे। परन्तु यह कि वार्ड सदस्य का पद रिक्त रहने पर मुखिया या मुखिया द्वारा प्राधिकृत किये जाने पर उप–मुखिया वार्ड सभा की बैठक आहूत करेगा। वार्ड सभा ऐसी बैठक में अपने सदस्यों के बीच से पूर्णतः अस्थायी कार्य व्यवस्था के अधीन एक सदस्य को वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य करने हेतु चुनेगी। वार्ड सदस्य पद के लिए नियमित चुनाव के पश्चात् कार्यकारी व्यवस्था के अधीन अध्यक्ष के रूप में चयनित व्यक्ति की अधिकारिता स्वतः समाप्त हो जाएगी एवं ऐसा निर्वाचित वार्ड सदस्य तुरंत वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाल लेगा।
(3) समिति के शेष सदस्यों का चयन निम्न आधार पर किया जायेगा -
(4) नियम-3 के उप नियम– (4) के अधीन चयनित वार्ड सभा सचिव समिति के सदस्य सचिव के रूप में कार्य करेगा।
(5) वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति का गठन दो वर्षों के लिए किया जायेगा। ऐसे सदस्य जो समिति की तीन लगातार बैठकों से अनुपस्थित रहेंगे अथवा समिति के कार्यों/दायित्वों में रूचि नहीं लेंगे, उन्हें वार्ड सभा प्रस्ताव पारित कर समिति की सदस्यता से हटा सकेगी। ऐसी पदमुक्ति से उत्पन्न रिक्ति अथवा किसी सदस्य के त्याग पत्र एवं मृत्यु के फलस्वरूप उत्पन्न रिक्ति को भरने हेतु वार्ड सभा उनके स्थान पर नये सदस्यों का चयन समिति की शेष कार्यावधि के लिए कर सकेगी।
6) समिति अपनी सभी प्राप्तियों को नजदीक के राष्ट्रीयकृत बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक या किसी अन्य अधिसूचित वाणिज्यिक बैंक में अपने नाम से बचत खाता खुलवाकर जमा करेगी या करायेगी।
(7) दो वर्षों का कार्यकाल पूरा होने पर वार्ड सभा उप-नियम (3) में वर्णित सदस्यों का चयन नये सिरे से करेगी।
(8) समिति के खाते का संचालन अध्यक्ष (वार्ड सदस्य) एवं सदस्य सचिव के संयुक्त हस्ताक्षर से किया जायेगा। समिति द्वारा क्रियान्वित योजना से संबंधित अभिलेखों तथा बैंक पासबुक, चेक बुक आदि अध्यक्ष (वार्ड सदस्य) की अभिरक्षा में रखे जायेंगे।
(9) वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति मुख्यतः निम्नलिखित कृत्यों का निर्वहन करेगी -
(10) वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति की पहली बैठक इसके गठन के तुरंत बाद की जायेगी तथा प्रत्येक बैठक में समिति की अगली बैठक की तिथि, समय एवं स्थान निर्धारित की जायेगी। समिति की बैठक सामान्यतः साप्ताहिक होगी, किन्तु माह में कम से कम दो बैठक का आयोजन अनिवार्य होगा। समिति के एक तिहाई सदस्यों की लिखित अधियाचना प्राप्त होने पर, जिसमें विचारणीय विषय के साथ-साथ बैठक हेतु तिथि की भी अधियाचना अंकित होगी, अध्यक्ष द्वारा उक्त तिथि को विशेष बैठक बुलाई जायेगी। समिति के कुल सदस्यों में से चार की उपस्थिति से बैठक की गणपूर्ति होगी।
(11) समिति अपने कर्तव्यों के निर्वहन एवं बैठकों के संचालन हेतु विभागीय मार्गदर्शिका के आलोक में विनियम अंगीकृत कर सकेगी।
(12) समिति लोक निर्माण योजनाओं के क्रियान्वयन में अधिनियम की धारा 25 (1) (vi) के अधीन गठित लोक निर्माण समिति के सामान्य मार्गदर्शन के अधीन कार्य करेगी और उक्त समिति (लोक निर्माण समिति) द्वारा समय-समय पर मांगे गये प्रतिवेदन एवं विवरण (reports and returns) भी समर्पित करेगी।
प्रकीर्ण
राज्य सरकार इस नियमावली के किसी प्रावधान को अधिसूचना/अनुदेश के द्वारा स्पष्ट कर सकेगी तथा उसके क्रियान्वयन में उत्पन्न होने वाली कठिनाईयों को दूर कर सकेगी।
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
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