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कुटकी,रागी एवं मक्का

कुटकी

बीज उपचार

  • बीज को, मिट्टी और बीज से उत्पन्न होने वाले रोगों से बचाने के लिए उपचारित करना चाहिए।
  • बीज उपचार के लिए 55 डि.से. गर्म पानी में 8 से 12 मिनट तक रखें।
  • बीज को उपचारित करने के लिए1कि.ग्रा. बीज को 2 ग्राम बेवीस्टीन या विटावेक्स से उपचारित करना चाहिए।
  • या
  • बीज को उपचारित करने के लिए1कि.ग्रा. बीज को 2.5 से 3 ग्राम कैपटन या थाईरम से उपचारित करना चाहिए।
  • बीज उपचार का कार्य छाया में करना चाहिए।
  • कुटकी में बीज शोधन से पूर्व बीज उपचारित करना चाहिए।

बीज शोधन

  • बीज का शोधन एग्रोबेक्टीरियम रेडियोबेक्टर और एस्परजिल्लस आवामुरी का 25 ग्राम/कि.ग्रा. बीज की दर से करें।
  • या
  • एजोटोबेकटर्स या एजोस्पाईरिलम से बीजों निवेशन कर सकते है।
  • गुड़ का एक लीटर का घोल बनाकर उसमें 150 ग्राम के 5 पैकेट निवेशक को अच्छी तरह मिला लें।
  • 80-100 कि.ग्रा. बीजों पर छिड़कें।
  • कम मात्रा में बीजों को ले जिससे अच्छी तरह मिल जाए।
  • हवा में छाया में सुखाए फिर तुरन्त बोनी कर दें।
  • निवेशक की मात्रा बीज दर के अनुसार ही लें।
  • निवेशक बीज को सूर्य की रोशनी और ताप से बचायें।

बीज दर और बोनी

  • कतार बुआई के लिए उपयुक्त बीज दर 8 कि.ग्रा/हे है।
  • अच्छी पैदावार के लिए बीज दर 8 से 12 कि.ग्रा/हे
  • छिड़का बुआई के लिए बीज दर 12 से 15 कि.ग्रा./हे है।
  • बीज को 2 से 3 सेमी से ज्यादा गहरा न बोये।
  • अच्छे परिणाम के लिए पौध से पौध की दूरी करीब 7.5 से.मी. तथा कतार से कतार की दूरी करीब 22.5 से.मी. होना चाहिए।
  • छिड़का पद्धति से बुआई नहीं करना चाहिए। यदि किसी कारणवश छिड़का पद्धति द्वारा बुआई की जाती है तो बीज दर 15 कि.ग्रा/हे रखें।

रागी

बीज उपचार

  • बीज को,मिट्टी और बीज से उत्पन्न होने वाले रोगों से बचाने के लिए उपचारित करना चाहिए।
  • बीज को उपचारित करने के लिए 1 कि.ग्रा. बीज को 2.5 से 3 ग्राम कैपटन या थाईरम से उपचारित करना चाहिए।
  • बीज उपचार का कार्य छाया में करना चाहिए।
  • रागी में बीज शोधन से पूर्व बीज उपचारित करना चाहिए।
  • बीज शोधन

    • एजोटोबेकटर्स या एजोस्पाईरिलम से बीजों निवेशन कर सकते हैं।
    • गुड़ का एक लीटर का घोल बनाकर उसमें 150 ग्राम के 5 पैकेट निवेशक को अच्छी तरह मिला लें।
    • 80-100 कि.ग्रा. बीजों पर छिड़कें।
    • कम मात्रा में बीजों को ले जिससे अच्छी तरह मिल जाए।
    • हवा में छाया में सुखाए फिर तुरन्त बोनी कर दें।
    • निवेशक की मात्रा बीज दर के अनुसार ही लें।
    • निवेशक बीज को सूर्य की रोशनी और ताप से बचायें।

    बीज दर और बोनी

    • बीज की दर एवं बोने का तरीका उपयुक्त होना बहुत जरूरी है।
    • ताकि अच्छी पौध संख्या एवं उपज हो।
    • प्रमाणित और अच्छे अंकुरण क्षमता वाले बीजों का उपयोग करें।
    • पंक्ति बोनी के लिए बीज दर 8-10 कि.ग्रा./हे है और छिड़का बुआई के लिए 12-15 कि.ग्रा./हे।

    मक्का

    बीज उपचार

    • बीज उपचार बहुत महत्वपूर्ण है इससे मिट्टी एवं बीजों से जनित रोगों से बचाव किया जा सकता है।
    • बीज उपचार 3 ग्राम थाईरम या 3 ग्राम कैपटन या 3 ग्राम वेवीस्टीन प्रति कि.ग्रा. बीज में करना चाहिए।
    • इसके लिए उपरोक्त फंफूदनाशक में से किसी एक को छाया में बीजों के साथ अच्छी तरह से शोधन के पहले मिलाना चाहिए।

    बीज शोधन

    • बीजों उपचार के बाद बीज शोधन करना चाहिए।
    • मक्का के बीजों को एजिक्टोवेक्टर या एजोस्पाइरीलम से शोधन करना चाहिए।
    • एक लीटर पानी में गुड़ या चावल के ग्रोयल का घोल बनाकर पांच पेकैट (150 ग्राम प्रत्येक को मिला लें।
    • उपरोक्त को 80 से 100 कि.ग्रा बीज पर छिड़काव करें एवं छाया में सुखा लें। इसके पश्चात तुरन्त बोनी करें।
    • शोधन किये बीजों को सूर्य के ताप से बचायें।
    • 5 ग्राम पी.एस.बी. प्रति कि.ग्रा बीज की दर मिलायें इससे आंशिक रूप से स्फुर की मात्रा की पूर्ति की जा सकती है।
    • बिहार के कुछ भागों में बीज का शोधन 5 प्रतिशत जलशक्ति से भी किया जा सकता है।

    बीज दर और बोनी

    • खरीफ मक्का उत्पादन के लिए बुआई का समय वर्षा के आगमन पर या कम वर्षा वाले इलाके में वर्षा आगमन के पांच दिन पूर्व करना चाहिए।
    • सिंचाई उपलब्ध होने पर वर्षा शुरू होने के 10 से 15 दिन पूर्व बुआई कर देना चाहिए।
    • संकर किस्मों के लिए 16 से 17 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर बीज दर होना चाहिए।
    • मध्यम अवधि वाली संकुलित किस्मों के लिए 18 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर बीज दर होना चाहिए।
    • शीघ्र पकने वाली संकुलित किस्मों के लिए 20 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर बीज दर होना चाहिए।
    • पौध संख्या 70000 से 80000 प्रति हेक्टेयर होना चाहिए।
    • बीज को जमीन से 5 से.मी. गहराई पर लगाना चाहिए।
    • पौधे से पौधे की दूरी 20 से 25 से.मी. होनी चाहिए।
    • कतार की कतार से दूरी 60 से 70 से.मी. होनी चाहिए।
    • समतल भूमि में कतारों में सरता द्वारा बोयें।
    • अति वर्षा वाले इलाकों में घाड़े बनाकर घाड़े के तल पर खाद डालें और 1 या 2 इंच की ऊंचाई पर बोएं।

    स्त्रोत : एमपीकृषि,किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग,मध्यप्रदेश सरकार

    अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020



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