इस माह निम्बू तथा गलगल से अचार, तथा स्क्वैश, निम्बू वर्गीय फलों से स्क्वैश, मार्मलेड तथा संतरा व माल्टा के छिलकों से केंडी बनाई जा सकती है। निम्बू, गलगल, संतरा तथा माल्टा के रस को स्क्वैश तथा कार्डियल बनाने के लिए पोटाशियम मैटाबाइसल्फाइट डालकर परिरक्षित किया जा सकता हैं।
आवले से मुरब्बा, केंडी तथा आचार बनाया जा सकता हैं।
इस माह पहले से परिरक्षित किये हुए निम्बू प्रजातीय फलों के रस से स्क्वैश बनाया जा सकता हैं। पपीते से चटनी, मुरब्बा इत्यादि पदार्थ बनाये जा सकते हैं।
इस माह में स्ट्राबेरी का जैम, पपीते की चटनी, जैम, केंडी इत्यादि बनाई जा सकती है।
इस माह लीची का रस, स्क्वैश आदि बना कर परिरक्षित किये जा सकते हैं। कच्चे आम से आचार, चटनी तथा सुखा कर अमचूर बना सकते हैं। पके हुए आम से आम का मुरब्बा बना सकते हैं। अच्छी तरह पके हुए आम का प्रयोग जैम तथा स्क्वैश बनाने में किया जा सकता हैं। खुमानी तथा आम के फलों से गुदा तैयार कर परिरक्षित किया जा सकता हैं जिसका बाद में विभिन्न उत्पाद बनाने में उपयोग किया जा सकता हैं। आम से अन्य उत्पाद जैसे चटनी, नेक्टर तथा पापड़ इत्यादि भी बनाये जा सकते हैं।
आम से विभिन्न उत्पाद बनाये जा सकते हैं। पल्म, खुमानी, आडू तथा सेब से जैम, चटनी इत्यादि बनाई जा सकती हैं। खुमानी तथा प्लम को सुखाया जा सकता हैं। खुमानी तथा प्लम से स्क्वैश तथा एपीटाइजर तैयार किया जा सकता हैं। लीची से विभिन्न पदार्थ बनाये जा सकते हैं।
आडू से विभिन्न उत्पाद बनाये जा सकते हैं। सेब, आडू, नाशपाती से जैम, चटनी, तथा मुरब्बा तैयार कर सकते हैं। सेब तथा अमरुद से जैली बनाई जा सकती हैं।
सेब तथा अमरुद से विभिन्न पदार्थ बनाये जा सकते हैं। नाशपाती से जैम, चटनी तथा मुरब्बा बनाया जा सकता हैं। सेब के गुदे को परिरक्षित किया जा सकता हैं।
सेब तथा नाशपाती से विभिन्न पदार्थ बना सकते हैं। सेब को सुखाकर रख सकते हैं।
सेब से मुरब्बा, जैम, जेली तथा सेब का रस तैयार कर परिरक्षित कर सकते हैं। अनार तथा अंगूर के रस का परिरक्षण किया जा सकता हैं। अनार से स्क्वैश तैयार कर सकते हैं।
अंगूर से रस बना सकते हैं। पपीते से चटनी तथा जैम बना सकते हैं। आंवले से विभिन्न पदार्थ बनाये जा सकते हैं।
निम्बू प्रजातीय फलों से विभिन्न उत्पाद जैसे रस, स्क्वैश, कार्डियल, मार्मलेड इत्यादि बना कर परिरक्षित किये जा सकते हैं। अमरुद से विभिन्न पदार्थ, आंवले से मुरब्बा तथा केंडी, पपीते से विभिन्न पदार्थ, गलगल व माल्टा के छिलकों से केंडी बनाये जा सकते हैं।
स्त्रोत: कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
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