जल पंपिंग पवन-चक्कियाँ, एयरोजेनरेटर्स (छोटे पवन-ऊर्जा जेनरेटर) एवं पवन-सौर हाइब्रिड प्रणालियाँ, देश के सुदूर ग्रामीण इलाकों में विकेंद्रीकृत ऊर्जा प्रणालियों के रूप में, ऊर्जा की सीमित आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु उपयुक्त पाई गई है।
जल-पंपिंग, पवन-चक्की कुँओं, तालाबों एवं नलकूपों से पीने हेतु, लघु-सिंचाई हेतु, नमक उत्पादन हेतु, मत्स्य उत्पादन हेतु जल खींचती है। उपलब्ध पवन चक्कियाँ दो प्रकार की होती हैं:
सबसे अधिक व्यापक रूप से उपयोग में लाई जाने वाली पवन चक्की में 10 से 20 मीटर की ऊंचाई वाले हल्के लोहे के टावर पर 3 से 5.5 मीटर व्यास का एक क्षैतिज धुरी वाला रोटर होता है जिसमें 12 से 24 तक पंखियाँ लगी होती हैं। रोटर के साथ एक 50 से 150 मिली मीटर व्यास वाला रेसीप्रोकैटिंग पंप, कनेक्टिंग रॉड द्वारा जुड़ा रहता है। इस तरह की पवन-चक्कियाँ हवा की गति के 8 से 10 किमी/घंटा होने पर जल खींचना शुरू करती है। सामान्यतौर पर एक पवन-चक्की की जल खींचने की दर 1000 से लेकर 8000 लीटर प्रति घंटे तक होती है, जो हवा की गति, जल स्तर की गहराई एवं पवन-चक्की के प्रकार पर निर्भर करती है।
पवन-चक्कियाँ 60 मीटर की गहराई से जल खींचने में सक्षम होती हैं। जल खींचने वाली पवन-चक्कियों का यह लाभ है कि उनके परिचालन में कोई इंधन आवश्यक नहीं होता, और इस प्रकार उन्हें दूर-दराज के हवा वाले (वातिक) क्षेत्रों में स्थापित किया जा सकता है जहाँ जल खींचने के पारंपरिक साधन काम में नहीं लाये जा सकते।
यद्यपि जल खींचने वाली पवन-चक्कियों की कुछ सीमाएँ भी हैं। उन्हें संतोषजनक तरीके से केवल उन्हीं क्षेत्रों (मध्यम पवन क्षेत्रों) में परिचालित किया जा सकता है जहाँ हवा की गति 12-18 किलोमीटर प्रति घंटे तक हो। साथ ही, इसके लिए स्थल के चयन में विशेष सावधानी रखनी होती है कि आसपास के क्षेत्र में भवनों और पेड़ों जैसे पवनरोधक कारक न हों। प्रणाली की स्थापना-व्यय अधिक होने के कारण बहुत से उपयोगकर्ता इसे स्थापित करने में सक्षम नहीं हो पाते।
लागत
जल खींचने वाली पवन-चक्कियों की लागत 45,000 रुपये से लेकर 1,50,000 रुपये के बीच आती है जो इसके प्रकार पर निर्भर है। इसके अलावा, 10,000 से 20,000 रुपये इसके लिए आधार निर्मित करने, संचयन टंकी बनाने और इसे स्थापित करने में खर्च होते हैं। क्योंकि प्रणाली में घूमने वाले पुर्जे लगे होते हैं, इसकी बार-बार मरम्मत की आवश्यकता होती है। पवन-चक्की की मरम्मत एवं रख-रखाव का व्यय 2,000 रुपये वार्षिक है।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, जल खींचने वाले पवन-चक्कियाँ हेतु कार्य पूर्व लागत का 50% अनुदान देता है जिसकी सीमा सीधी ड्राइव, गियर प्रकार एवं एवी-55 औरोविले मॉडलों हेतु क्रमश: 20,000 रुपये, 30,000 रुपये एवं 45,000 रुपये होती है। अविद्युतीकृत द्वीपों में कार्य पूर्व व्यय के 90% तक अनुदान प्राप्त होता है जिसकी सीमा उपरोक्त प्रकार की पवन-चक्कियों हेतु क्रमश: 30,000 रुपये, 45,000 रुपये तथा 80,000 रुपये है।
एयरोजेनरेटर एक छोटा पवन-विद्युतीय जेनरेटर होता है जिसकी क्षमता 30 किलोवाट होती है। विकेंद्रीकृत विद्युत उत्पादन हेतु, एयरोजेनरेटर एकल रूप में लगाया जा सकता है अथवा सौर-फोटोवोल्टेईक प्रणाली के साथ पवन-सौर हाइब्रिड प्रणाली के रूप में। एयरोजेनरेटर, ऐसे अविद्युतीकृत क्षेत्रों में लगाया जा सकता है जहाँ हवा की गति पर्याप्त हो। इसमें 2-3 पत्तियों वाली 1-10 मीटर व्यास का एक रोटर, स्थाई-चुंबक जेनरेटर, नियंत्रण उपकरण, पार्श्ववर्तन तकनीक, टावर, संग्राहक बैट्री इत्यादि होते हैं। एयरोजेनरेटर का रोटर हवा की गति 9-12 किलोमीटर/घंटा रहने पर घूमना आरंभ कर देता है। यद्यपि इससे विद्युत की आदर्श मात्रा तब प्राप्त होती है जब हवा की गति 40-45 किलोमीटर/घंटा हो। मनचाहे समय में इसके द्वारा विद्युत उत्पादन नहीं करने की इसकी कमी को बैट्री बैंक का उपयोग कर दूर किया जा सकता है।
एयरोजेनरेटर की लागत 2-2.50 लाख रुपये/किलोवाट आती है। इसके अतिरिक्त, निर्माण कार्यों सहित इसे स्थापित करने का खर्च 5,000 रुपये/किलोवाट होता है। मरम्मत एवं रख-रखाव व्यय 2,000 रुपये/किलोवाट प्रतिवर्ष होता है।
जब एयरोजेनरेटर एवं सौर-फोटोवोल्टेईक प्रणालियों को साथ लगाया जाय तो इनसे विद्युत का उत्पादन परस्पर पूरक होता है और इस प्रकार बनी हाइब्रिड प्रणाली विकेंद्रीकृत रूप में विश्वसनीय एवं लागत-प्रभावी विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करती है। पवन-सौर हाइब्रिड प्रणाली में, ए.सी (AC) विद्युत की आपूर्ति हेतु, मुख्य रूप से एक या दो एयरोजेनरेटर उपयुक्त क्षमता वाले सौर-फोटोवोल्टेईक पैनलों के साथ आवेश नियंत्रक, इंवर्टर, बैट्री बैंक इत्यादि के साथ जुड़े होते हैं। इस प्रणाली का सबसे बड़ा लाभ यह है कि उन अविद्युतीकृत क्षेत्रों में जहाँ विद्युत आपूर्ति की ग्रिड प्रणाली अब तक नहीं पहुँची, विद्युत आवश्यकता की पूर्ति इस प्रणाली द्वारा की जा सकती है। पवन एवं सौर यंत्रों द्वारा उत्पादित विद्युत बैट्री बैंक में संचित कर ली जाती है ताकि आवश्यकता पड़ने पर प्रयोग किया जा सके।
प्रणाली की लागत 2.50-3.50 लाख रुपये/किलोवाट आती है जो पवन एवं सौर घटकों के अनुपात पर निर्भर करती है। निर्माण कार्यों सहित इसे स्थापित करने का व्यय 10,000 रुपये/किलोवाट होता है। मरम्मत और रख-रखाव पर 3,000 रुपये/किलोवाट/वर्ष व्यय होता है।
प्रणाली के कार्य-पूर्व व्यय का 50% अनुदान के रूप में उपलब्ध कराया जाता है जिसकी सीमा व्यक्ति, उद्योग तथा शोध-संस्थान एवं शिक्षा संस्थानों के लिए 1.50 लाख रुपये/किलोवाट होती है। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, समुदाय एवं केंद्र व राज्य सरकार के विभागों एवं रक्षा तथा अर्धसैन्य बलों के उपयोग हेतु कार्य-पूर्व व्यय का 75% अनुदान उपलब्ध कराती है, जिसकी सीमा अधिकतम 2 लाख रुपये/किलोवाट होती है। अविद्युतीकृत द्वीपों के लिए, कार्य-पूर्व व्यय का 90% अनुदान उपलब्ध है जिसकी सीमा अधिकतम 2.4 लाख रुपये/किलोवाट होती है।
स्रोत: नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
इस पृष्ठ में भारतीय सौर ऊर्जा निगम लिमिटेड (सेकी) ...
इस पृष्ठ में इंदिरा पर्यावरण भवन, जो देश की पहली न...
अंडा संरक्षण हेतु कम कीमत वाली तकनीकी की जनकारी दी...
इस पृष्ठ में उपग्रह मौसम विज्ञान की जानकारी दी गयी...