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पेयजल समर्थनकारी एवं संप्रेषण कार्यनीति सम्बन्धी रुपरेखा 2013-2022

पेयजल समर्थनकारी एवं संप्रेषण कार्यनीति सम्बन्धी रुपरेखा 2013-2022

परिचय

भारत ने अपनी वैशिवक उपलब्धि में उल्लेखनीय योगदान देते हुए, पेयजल सम्बन्धी संरचनागत ढांचे के विकास में उल्लेखनीय प्रगति की है और पेयजल के सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य को पूरा किया है| तथापि, संसाधन के परिवर्तनीय वित्तरण की तुलना में बढ़ती आबादी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए विकास में तेजी लाने और जलापूर्ति में निरंतरता की जरुरत को शामिल करते हुए चुनौतियाँ अभी भी है|

राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एनआरडीडब्लूपी) किफायती स्वच्छ पेयजल एवं पहुँच के दायरे में आपूर्ति सुनिश्चित करने पर जोत देता है जो कि पूरे ग्रामीण भारत में समान रूप से वितरित हो| एनआरडीडब्लूपी, पेयजल स्कीमों के सम्बन्ध में योजना बनाने, उन्हें अमल में  लाने, उनकी देखरेख एवं उन्हें निरंतर रूप से बनाए रखने हेतु पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआईएस) और सामुदायिक संगठनों के साथ भागीदारी बढ़ाने पर भी ध्यान केन्द्रित करंता है| एनआरडीडब्लूपी का अंतिम लक्ष्य स्वस्थ भारत का निर्माण करने में अपना योगदान देना है|

पेयजल आपूर्ति का उन्नत प्रबन्धन, सामाजिक एवं आर्थिक प्रगति के साथ-साथ बाल स्वास्थ्य के लिए भी जरुरी है| पेयजल की आपूर्ति और गुणवत्ता में सुधार लाने, खुले में शौच की प्रथा समाप्त करने और स्वच्छता से सम्बन्धित सकारात्मक व्यवहार अपनाने से बाल रुग्णता बाल-मृत्यु-दर में कमी लाने में और बच्चों के पोषण स्तर में सुधार लाने में  उल्लेखनीय रूप से योगदान मिलेगा|

पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय (एमडीडब्लूएस) ने स्वच्छता एवं व्यक्तिगत स्वास्थ्य से सम्बन्धित द्वारा अपनाया जाना सुनिश्चित करने हेतु स्वच्छता एवं स्वच्छता एवं स्वास्थ्य समर्थनकारी और संप्रेषण कार्यनीति की रुपरेखा (एसएचएसीएस) (2012-2017) बनाई है| इसका लक्ष्य एक नया सामाजिक मानदंड बनाना है जिसके तहत खुले शौच की प्रथा को पूर्णतः अस्वीकार्य माना जाए| एसएचएसीएस द्वारा पहचाने गए चार महत्वपूर्ण कार्यकलाप हैं_

शौचालयों का निर्माण एवं उपयोग

बाल-मल का सुरक्षित तरीके से निपटान

शौच जाने बाद खाने से पहले और बाल मल को साफ करने एक बाद हाथ धोना

पीने के पानी का सुरक्षित भंडारण एवं देखरेख

पेयजल समर्थनकारी एवं संप्रेषण कार्यनीति रुपरेखा का विकास अब स्वच्छता एवं व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए इस हेतु चल रही प्रक्रिया और संरचनागत ढांचे के आधार पर किया जाता है| पहचाने गये मुख्य व्यवहारों से सम्बन्धित समर्थकारी एवं संप्रेषण कार्यकलापों को राष्ट्रीय, राज्य एवं जिला स्तर पर सकारात्मक बदलाव लाने के लिए समुदायों एवं परिवारों को सशक्त बनाने के सम्बन्ध में इससे मार्गदर्शन मिलेगा|

पेयजल  समर्थनकारी एवं संप्रेषण कार्यनीति सम्बन्धी रुपरेखा, परिवार एवं सामुदायिक स्तर पर पेयजल से सम्बन्धित महत्वपूर्ण व्यवहारों पर ध्यान केन्द्रित करती है| वे हैं:

परिवारों द्वारा यह सुनिश्चित किया जाये की पेयजल का सुरक्षित तरीके से भंडारण एवं उठाई-धराई हो|

समुदायों द्वारा पंचायती राज संस्थाओं/लोक स्वास्थ्य अभियन्त्रिकी विभागों से ग्राम पंचायत स्तर पर पेयजल आपूर्ति हेतु प्रतिनिधि और कार्यशील समुदायों की स्थापना करने की मांग|

इसमें कार्यान्वयन के तीन चरणों की पहचान की जाती हैं जिसमें से प्रत्येक चरण में विशिष्ट संप्रेषण उद्देश्य हों और स्पष्ट रूप से यह परिभाषित करता हो कि:

सूचना प्राप्त करने वाले श्रोतागण (वे कौन हैं)

सुचना प्रेषित करने के लिए अपनाए गये तरीके( कैसे) तथा

बदलाव लाने सम्बन्धी कार्य को बढ़ावा देने सम्बन्धी पहलें

इसे, मास मिडिया, डिजिटल मिडिया और सामाजिक मिडिया को शामिल कर पूरी तरह से मल्टी-मिडिया के सहयोग से समर्थन, पारस्परिक संप्रेषण एवं सामुदायिक एकजुटता के माध्यम से प्राप्त किया जाता है|

कार्यान्वयन की विस्तृत रुपरेखा में शामिल है मुख्य भागीदारी/स्टेकहोल्डर, प्रत्येक समूह में प्रयोग की जाने वाली गतिविधियाँ एवं संप्रेषण सम्बन्धी आवश्यक उपकरण| नियमित मूल्यांकनों के साथ एक व्याख्यात्मक अनुवीक्षण एवं मूल्यांकन रुपरेखा, कार्यनीति में स्थानीय तौर पर संशोधन करने और उसका परिमार्जन करने को सुगम बनाती है| इन चरणों में से प्रत्येक चरण हेतु संकेतक, तीन स्तरों-परिणाम, निष्कर्ष एवं प्रक्रिया पर संचालित किये जाते हैं|

जिला संप्रेषण योजना टेम्पलेट, सम्पूर्ण रुपरेखा को सहयता प्रदान करता है| यह टेम्पलेट संप्रेषण कार्ययोजना के विकास को तथा इसे जिला, ब्लॉक और ग्राम/ग्राम पंचायत स्तर पर गति देने हेतु उठाये जाने वाले कदमों को रेखांकित करता है|

पेयजल समर्थनकारी और  संप्रेषण कार्यनीति रुपरेखा दस्तावेज की प्रयोग में लाना

भारतीय समर्थनकारी राज्यों में ग्रामीण जल आपूर्ति की चुनौतियों की विविधता को ध्यान में रखते हुए, यह दस्तावेज, पेयजल से सम्बन्धित व्यवहारों को प्रभावित करने हेतु समर्थनकारी और संप्रेषण सम्बन्धी गतिविधियों को मार्गदर्शन देने हेतु एक रुपरेखा है| ऊपर उल्लेख किये गए दो मुख्य व्यवहार सम्पूर्ण  भारत में लागू होंगे| इन दो व्यवहारों के अतिरिक्त राज्य, स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार, किन्हीं भी तीन अतिरिक्त व्यवहार हैं:

राज्य विकल्प 1

परिवारों द्वारा घरेलु स्तर पर ही पेयजल का शोधन करना

राज्य विकल्प 2

परिवारों और समुदायों द्वारा जल का संरक्षण

राज्य विकल्प 3

जल के स्रोतों के समुचित प्रचालन और रखरखाव को सुनिश्चित करने हेतु ग्राम पंचायत समितियों से जल के स्रोतों की नियमित समीक्षा किये जाने हेतु सामुदायिक मांग|

राज्य, अपनी राज्य-विशिष्ट पेयजल समर्थनकारी एवं संप्रेषण कार्यनीति हेतु कुछ अथवा सभी चुनिन्दा व्यवहारों का चयन कर सकता है|

एनआरडीडब्लूपी के एक अन्य घटक के रूप में, यह रुपरेखा एक राज्य-विशिष्ट पेयजल समर्थनकारी एवं संप्रेषण कार्यनीति का विकास करने तथा उसे गति देने के लिए राज्य सरकारों को दिशानिर्देशों सम्बन्धी रुपरेखा उपलब्ध कराती है| विषय आधारित इन कार्यनीतियों के माध्यम से पेयजल से सम्बन्धित स्वच्छता सम्बन्धी मुख्य व्यवहारों को बढ़ावा देने और सुरक्षित, पर्याप्त और निरंतर जलापूर्ति सुनिश्चित करने हेतु सेवा सम्बन्धी मांग बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा|

यह रुपरेखा उन सबके लिए बनाई गई है जो कि राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तरों पर एनआरडीडब्लूपी के सम्बन्ध में योजना बनाने और उनका कार्यान्वयन करने में शामिल है तथा इसका उद्देश्य निम्न प्रकार से सहायता करना है:

राष्ट्रीय स्तर

परिवारों द्वारा पेयजल के सुरक्षित भंडारण और देखरेख को बढ़ावा देना, जिसमें स्वास्थ्य के लिए सकारात्मक परिणामों पर ध्यान केन्द्रित किया जाए|

समुदायों हेतु इस प्रकार का वातावरण बनाने में सहायता की जाए जिससे कि वे पेयजल सेवा के प्रावधानों की मांग करने के साथ-साथ उनका प्रभावशाली तरीके से उपयोग करें

राज्य स्तर

राज्य-विशिष्ट पेयजल समर्थनकारी एवं संप्रेषण कार्यनीति के विकास के माध्यम से स्तरीय तौर पर राष्ट्रीय रुपरेखा को कारगर बनाने के लिए राज्य सरकारों को सहायता देना| राज्य स्तरों पर समर्थनकारी और संप्रेषण गतिविधियों का प्रसार करने हेतु कार्यान्वयन सम्बन्धी योजनाओं के बारे में दिशानिर्देश देना|

जिला स्तर

संप्रेषण सम्बन्धी गतिविधियों का प्रसार करने में सुगमता लाने हेतु जिला स्तरीय संप्रेषण सम्बन्धी योजना बनाने में मार्गदर्शन देना|

यह दस्तावेज चार मुख्य खंडों में विभाजित है, जिनमें से प्रत्येक के उप-खंड है_

पेयजल समर्थनकारी एवं संप्रेषण कार्यनीति रुपरेखा की आवश्यकता क्यों है?

स्थितिगत विशलेषण (ग्रामीण पेयजल क्षेत्र द्वारा सामना की जा रही चुनौतियाँ)

स्वच्छ पेयजल की मांग और उपयोग में मुख्य रुपरेखा का मुख्य केंद्र बिंदु क्या है?

सामाजिक और व्यावहारिक (संकल्पनात्मक रुपरेखा)

मुख्य व्यवहार

मुख्य भागीदारी/स्टेकहोल्डर

समर्थनकारी और संप्रेषण सम्बन्धी उद्देश्य

संप्रेषण से सम्बन्धित पहलें

पेयजल समर्थनकारी एवं संप्रेषण कार्यनीति रुपरेखा के तीन अभिकल्प मैट्रिक्स

क)   जागरूकता पैदा करके

ख)   समर्थन

ग)    सामाजिक और व्यावहारिक सम्बन्धी संप्रेषण

कार्यान्वयन सम्बन्धी रुपरेखा

राज्य-विशिष्ट पेयजल समर्थनकारी और संप्रेषण कार्यनीतियाँ का विकास करने के लिए मार्गदर्शी नोट

जिला संप्रेषण योजना टेम्पलेट

अनुवीक्षण और मूल्यांकन रुपरेखा

पेयजल समर्थनकारी एवं संप्रेषण कार्यनीति सम्बन्धी रुपरेखा की आवश्यकता क्यों है?

यह सर्वविदित है कि सभी को सुविधाजनक रूप से तथा निरंतर पेयजलापूर्ति उपलब्ध कराने में बाधाएँ आती हैं| इस सम्बन्ध में प्रबल समर्थनकारी एवं संप्रेषण कार्यनीति के विकास की दृष्टि से यह महत्वपूर्ण होगा कि हम इन्हें समझे और इन बाधाओं का निराकरण करें|

इस खंड में अध्ययनों, राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर की सरकार, क्षेत्र विशेषज्ञयों, संप्रेषण से जुड़े विशेषज्ञयों, विकास से सम्बद्ध साझेदारों एवं इस क्षेत्र के अनुभवी व्यक्तियों के साथ किये गए परामर्शों के आधार पर स्वच्छ पेयजल की मांग एवं उपयोगिता से सम्बन्धित संकटपूर्ण बाधाओं पर ध्यान केन्द्रित किया गया है|

स्वच्छ पेयजल की मांग एवं उपयोगिता से सम्बन्धित प्रमुख समस्याएँ

जल उपलब्धता कराना चिंता का प्रमुख विषय है

ग्रामीण जलापूर्ति क्षेत्र की चुनौतियों में से जल की उपलब्धता एक प्रमुख चुनौती है| भारत के कई भागों में, मौसमी जल आभाव एवं जल की निरंतरता के आभाव के कारण उसमें उपयोग सम्बन्धी तौर-तरीकों (ओद्योगिक, कृषि सम्बन्धी एवं घरेलू) से जल की अपर्याप्तता बनी रहती है| ऐसी परिस्थितियों में, जल की उपलब्धता की सुनिश्चता की आवश्यकता उसकी गुणवत्ता से कहीं अधिक है| भारतवर्ष में किये गए शोध अध्ययन दर्शाते है कि लोग पाइपों द्वारा जलापूर्ति कराए जाने के बावजूद भी अस्वच्छ जल स्रोतों का उपयोग करने के लिए मजबूर हैं| इसका कारण गर्मियों के दौरान या तो जल की दुर्लभता होती है अथवा रूक-रुक कर विद्युत आपूर्ति होने से जल की उपलब्धता में कमी आ जाती है| जल में संदूषण के बढ़ने की संभावना मुख्य रूप से तभी होती, जब लोग कई जल स्रोतों का उपयोग करते हैं|

ग्रामीण भारत में स्वच्छ जल की मांग से सम्बन्धित एक अध्ययन में दर्शाया गया है कि जहाँ कहीं भी जल की उपलब्धता है, वहाँ स्रोतों की निकटता एवं उपलब्धता पर ध्यान केन्द्रित किया जाए| अध्ययन में यह भी दर्शाया गया कि ग्रामीणों की जलगुणवत्ता सम्बन्धी शिकायतों को आमतौर पर पीआरआई प्राप्त नहीं करती है| पीएचईडी से पूछताछ भी जल गुणवत्ता की बजाये हैंडपम्पों की स्थापना के बारे में अधिक होती है| स्वच्छ पेयजल की सुनिश्चता आबादी  की मांग के अनुसार इसकी पूर्ति हेतु जल उपलब्धकर्त्ताओं को बहुत ही कम प्रोत्साहन मिलता है|

स्वच्छ जल एवं स्वास्थ्य के सम्बन्ध में भ्रातियाँ एवं धारणाएँ

स्वच्छ जल के सम्बन्ध  में लोगों की धरना सापेक्ष मूल्यों पर आधारित होती है: पीने में मिठास, शुद्धता, गन्धरहित एवं दिखाई देने वाली अशुद्धताओं का आभाव| शोध दर्शाता है कि जो जल देखने में साफ-सुथरा हो, वही स्वच्छ पेयजल को परिभाषित करने वाला एकमात्र प्रमुख घटक है| गंदले या या मटमैले जल को व्यक्तियों द्वारा असुरक्षित समझा जाता है तथा उसे पीने के लिए उपयोग में नहीं लाया जाता| पेयजल की मिठास या स्वाद अन्य मानदंडों पर भारी पड़ सकते हैं| खुली आँखों से दिखाई न देने वाले जीवाणुओं द्वारा संदूषित जल के बारे में जागरूकता पूरे विश्व में न के बराबर है|

जल स्रोतों में संदूषण को जलभराव, खराब जल निकासी तथा कूड़ा-करकट उठाने के लिए अपर्याप्त कार्य-प्रणाली से भी पहचान जा सकता है| लोग संदूषण को, संदूषण की प्रकृति की तुलना में स्त्रोत की गहराई से भी जोड़कर देखते हैं| यह भी मान्यता है कि 150 फीट यह इससे अधिक गहरे खोदे जाने वाले हैन्डपम्प का जल उन हैंडपम्पों की तुलना में अधिक स्वच्छ एवं मीठा है जो कि जल के स्तर के पहले स्तर पर (सामान्यतः 60 फीट पर पाया गया) ही खोद दिए जाते हैं| एक मान्यतः यह भी है कि जल की गुणवत्ता, जल स्रोत की गहराई से सीधे-सीधे समानुपातिक है क्योंकि यह जल में लौह तत्व की मौजूदगी की संभावना को न्यून करती है|

संदूषित जल के उपयोग एवं स्वास्थ्य पर पड़ने वाले उनके जोखिमों की परस्पर कड़ी की जानकारी बहुत कम है| स्वच्छ जल सम्बन्धी धारणा, वास्तविक जल गुणवत्ता की तुलना में किसी स्रोत की अस्वस्थता दर के स्तर से संबद्ध है| सतत अल्पकालिक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएँ जैसे अतिसार रोग ‘अस्वच्छ जल’ के उपयोग से जनित नहीं है| इसके अलावा, स्वास्थ्य सम्बन्धी अन्य समस्याओं के बारे में सिमित जानकारी का होना है, जिसमें अस्थि ढाँचे का कमजोर पड़ना, दांतों का रंग पीला पड़ना तथा संदूषित जल के उपयोग के परिणामस्वरूप त्वचा सम्बन्धी समस्याएँ शामिल हैं|

पारिवारिक जलोपचार

परिवार में जल संशुद्धिकरण प्रणालियों के लाभ के प्रति जागरूकता का अभाव है तथा इसके उपचार को नेमी तौर पर करने की भी जरूरत है| अध्ययन दर्शाते हैं कि अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में जल को उबालने सम्बन्धी जानकारी का होना आम बात है लेकिन व्यवहार में ऐसा बहुत कम होता है| उदाहरणार्थ: स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं की सलाह पर उबला हुआ पानी पीना, समस्त परिवार की बजाए रोगी परिवार के सदस्यों तक ही सिमित होता है| इसके अतिरिक्त उबालकर पीना एक नीरस कार्य एवं अधिक ईधन लागत वाला कार्य लगता है| अतः पारिवारिक स्तर पर पेयजल के नेमी उपचार में मुख्य बाधाओं के रूप में जागरूकता, उपलब्धता, लागत एंव समय की सीमाएँ हैं|

जल संग्रहण, लाने-ले जाने, भंडारण एवं पुनः प्राप्ति के दौरान पेयजल संदूषण

पेयजल  में संदूषण, इसके प्रबंधन के समय अलग-अलग समय तथा स्थलों पर हो जाता ह| यहाँ तक कि स्रोत स्थल से उपलब्ध कराया गया स्वच्छ जल इसके परिवहन, भंडारण एवं उठाई-धराई के कारण उपयोग किये जाने से पूर्व पुनः प्रदूषित हो जाता है|

संदूषण के अंतर्गत निम्न उदाहरण शामिल है:-

हाथ से बर्तन में संदूषण, जहाँ एकत्रित किये गए बर्तन से पानी के निकालकर दूसरे बर्तन में डाला जाता है, विशेषतः जहाँ कुओं से जल खीचा जाता है|

एक ही बार में कई बर्तनों को भरने की प्रथा जिससे अस्वच्छ एवं घर के बीच बिना ढके बर्तनों को भरने की प्रथा जिससे अस्वच्छ हाथों से सम्पर्क का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है|

स्त्रोत एंव घर के बीच बिना ढके बर्तनों को लाना ले जाना|

संग्रहण एवं परिवहन हेतु अस्वच्छ बर्तनों का उपयोग करना|

जल स्रोत के निकट किये जाने वाले अन्य कार्यकलाप भी पेयजल में संदूषण के कारण  बनते हैं| इनमें जल पात्रों की धुलाई, नहाना-धोना एवं पशुओं को पानी पिलाना आदि शामिल हैं| प्रायः सार्वजनिक स्रोतों की ऐसी कोई प्रणाली अपशिष्ट जल निकासी हेतु नहीं है, अतः ठहरे हुए जल-कुंडों से भूजल संदूषण का खतरा बढ़ जाता है| जल स्रोत के आस-पास साफ-सफाई की कमी का कारण स्वामित्व की भावना भी है क्योंकि यह स्रोत सबका साझा होता है|

पेयजल का सुरक्षित संग्रहण एवं देखरेख सम्बन्धी जानकारी एवं व्यक्तिगत  साफ-सफाई से सम्बन्धित व्यवहार में अंतर

यह जानने पर भी कि उक्त प्रथाओं के कारण जल संदूषण फैलता है, लोगों के वास्तविक व्यवहार में परिवर्तन नहीं आता है| शोध से पता चलता है कि पेयजल लेने के लिए नल वाले पात्र अथवा लम्बे हैंडल वाले कलछुल के उपयोग के महत्व से लोग परिचित है, तथापि, यह प्रथा कम प्रयोग में आती है|

पेयजल की स्वच्छता एवं सुरक्षा की सुनिश्चिता में सामुदायिक भागेदारी का आभाव

जलापूर्ति परियोजनाओं में सामुदायिक स्वामित्व एवं भागेदारी के खराब स्तरों के कर्ण पेयजल का अपर्याप्त प्रबंधन हुआ है| यदि किसी समुदाय को डिजाइन, विकास एवं कार्यान्वयन की प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाता है तो साधारण सी बात है कि स्थानीय लोग आपूर्ति एवं इसके स्वामित्व एवं प्रबन्धन की भावना को शायद ही महूसस करेंगे|

सामान्यतः दोनों ही सेवा प्रदाताओं को, लाइन फंक्शनरीज एवं स्थानीय लोगों सहित, जलापूर्ति परियोजना चक्रों, कार्यक्रम संघटकों एवं नीतियों की जानकारी का आभाव रहता है| इसके अतिरिक्त, सामुदायिक संस्थान, जलापूर्ति प्रबंधन हेतु अपनी भूमिका एवं दायित्व उठाने के लिए न तो तैयार हैं, न ही सशक्त है| जल संरचना का रखरखाव एक गम्भीर मुद्दा है तथा बहुदा पंचायतों के पास, परिसम्पत्तियों के रखरखाव के लिए तकनीकी सहायता हेतु कोई व्यापक योजना यह पर्याप्त पहुँच नहीं है|

इसके बारे में एक सामान्य सोच यह है कि स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने और उसका अनुरक्षण करने की जिम्मेदारी सरकार की है, अतः लोग वस्तु यह नकदी के रूप में योगदान नहीं करना चाहते | विशेषरूप से यह सामुदायिक आपूर्तियों से जुड़ा मामला है, जिसकी ओर लोग बिलकुल ध्यान नहीं देना चाहते| लोगों की यह सोच, ग्रामीण जल स्रोतों के आस-पास जीवाणु संदूषण की उपस्थिति तथा बेहद अस्वच्छ व्यवहार द्वारा अभिव्यक्ति होती है, जहाँ लोग इन मामलों की गंभीरतापूर्वक नहीं लेते हैं क्योंकि हैन्डपम्प, सार्वजनिक होते हैं तथा किसी एक व्यक्ति/परिवार से संबद्ध नहीं होते हैं|

स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था की जिम्मेदारी पीआरआई के समान ही ग्रामीण परिवारों में अधिकांशतः देखी जाती है| पीआरआई समझते हैं कि उनकी भूमिका सामग्री की आपूर्ति होने पर जल स्रोतों की मरम्मत एवं रखरखाव तक ही सिमित है, जिसमें परिवारों में वितरण हेतु जाँच किटें एवं क्लोरीन गोलियाँ भी सम्मिलित है| पीआरआई में शिकायत प्रक्रिया के प्रति जागरूकता काफी कम है तथा जन स्वास्थ्य अभियन्त्रिकी विभाग (पीएचईडी) के अधिकारों के साथ आदान-प्रदान या तो सिमित है या न के बराबर है जिसके कारण समस्याओं के निराकरण में विलम्ब हो जाता है| पीएचईडी  में प्रायः स्टाफ की कमी होती है और वे इन मुद्दों का निपटारा अपनी ओर से पहल करके सक्रिय भूमिका निभाकर करने की स्थिति में नहीं होते|

स्वच्छ जल का अधिकार के बारे में सिमित जागरूकता

गुणवत्तापूर्ण पेयजल की उपलब्धता का आभाव या उसकी सिमित मात्रा को अनेक ग्रामीण समुदायों द्वारा बेमन से ‘सामान्य’ की तरह स्वीकार कर लिया गया है| व्यक्तिगत एवं सामुदायिक दोनों स्तर पर उदासीनता ने इस मुद्दे पर निष्क्रियता की भावना को जन्म दिया है तथा यह, कुल मिलाकर जन स्वास्थ्य के लिए गंभीर चिंता का विषय है|

इस सम्बन्ध में, सेवा प्रदाताओं की भूमिका एवं जिम्मेदारी यह है की वे समुदायों के साथ मिलकर कार्य करें और उनमें इस भावना को जाग्रत करें एवं सुनिश्चित करें की सभी पेयजल सुरक्षित हैं| इस हकदारी को तभी प्राप्त किया जा सकता है, जब सेवा प्रदाता एवं समुदाय साथ मिलकर काम करें|

इस प्रक्रिया में समुदायों के साथ कार्य करना शामिल है ताकि वे समझ सकें कि:

‘स्वच्छ पेयजल” कौन सा है और कौन सा नहीं है|

जल गुणवत्ता को एक मुलभुत अधिकार के रूप में देखने की आवश्यकता, ताकि सभी समुदाय सदस्य स्वच्छ पेयजल का लाभ उठा सकें|

सेवा व्यवस्था की सीमाएँ तथा इसे चौबीस घंटें उपलब्ध कराने के लिये क्या किया जा सकता है और क्या नहीं तथा जलापूर्ति के संरक्षण हेतु स्थानीय स्तर पर कार्रवाई किय जाने की तुरंत आवश्यकता

स्वच्छ जल की मांग के लिए समर्थनकारी घटक

स्वच्छ पेयजल के लिए मांग को प्रेरित करने एवं सुलभ कराने के लिए समर्थनकारी या उत्प्रेरक घटक मौजूद हैं ये है:

नियमित एवं प्रासंगिक सूचना: जल सम्बन्धी मामलों से सम्बन्धित नियमित  एवं विश्वसनीय जानकारी प्राप्त करना अनिवार्य है| इसमें अस्वच्छ जल के परिणामों के बारे में सतत अनुवर्ती कार्रवाई शामिल है, ताकि लोग इनकी समस्याओं को समझ सकें तथा मिल-जुलकर उनका समाधान निकाल सकें|

सामुदायिक भागेदारी एवं स्वामित्व: पेयजल स्रोत के अनुरक्षण, रखरखाव एवं साफ-सफाई में सामुदायिक स्वामित्व-बोध एवं सामूहिक प्रयास आवश्यक है| ग्राम स्तरों पर सकारात्मक आदर्शपरक मॉडल एवं नेताओं की पहचान करना, स्थानीय स्वामित्व बोध की प्रक्रिया का एक अंग है|

शिकायत निवारण: पीआरआई एवं पीएचईडी द्वारा  सुलभ कराया गया एक पारदर्शी एवं सक्षम निवारण तंत्र, निरंतर जलापूर्ति में सफल अनुरक्षण एंव निवेशों के रखरखाव की दिशा में एक सकारात्मक कदम है|

क्षमता विकास: विभिन्न स्तरों पर संवेदनशीलता एवं क्षमता निर्माण, निरंतरता के आधार पर स्वच्छ पेयजल की आयोजना, कार्यान्वयन, प्रचालन एवं प्रबंधन में महत्वपूर्ण है| सेवा प्रदाता-पीएचईडी, पंचायत पदाधिकारियों तथा समुदायों को भी प्रस्तावित सरकारी योजनाओं, स्कीमों एवं निवेशों के बारे में पूर्णतः सूचित किया जाना आवश्यक है| एनआरडीडब्लूपी का यह एक महत्वपूर्ण घटक है, क्योंकि पीआरआई एवं ग्रामीण समुदाय को स्वच्छ पेयजल के प्रबन्धन एवं उसे उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी उठानी होगी|

सम्बद्ध विभागों एवं प्रमुख स्टेक होल्डरों के साथ तालमेल बिठाना: स्थानीय सरकारी निकायों एवं पीएचईडी के बीच समन्वयन एक कमजोर कड़ी है, जिसे सुदृढ़ किया जाना आवश्यक है| अन्तर्विभागीय समन्वयन तथा पंचायत एवं सामुदायिक प्रतिनिधियों की अधिक भागीदारी, सरपंच सहित, बेहतर आयोजन एवं कार्यान्वयन हेतु आवश्यक है|

 

सामाजिक मॉडल

वास्तविक वातावरण

संरचना एवं अवसंरचना

जन निति

राष्ट्रीय राज्य, स्थानीय कानून

संस्थागत

संगठन, सामाजिक संस्थान

 

समुदाय

सामाजिक नेटवर्क और सांस्कृतिक मानदंड

 

व्यक्तिगत पारस्परिक

परिवार एवं मित्र


व्यक्तिगत

ज्ञान, गुण, योग्यता

पेयजल समर्थनकारी तथा संप्रेषण कार्यनीति सम्बन्धी रुपरेखा

सामाजिक एवं व्यवहारगत परिवर्तन

स्वच्छ पेयजल आपूर्ति की मांग एवं प्रबंधन से सम्बन्धित अनेक बाधाओं को दूर कनरे के लिए सामाजिक एवं व्यवहारगत परिवर्तन की आवश्यकता को समझना जरुरी है|

सामाजिक एवं व्यवहारगत परिवर्तन एक जटिल प्रक्रिया है तथा यह परिवर्तन केवल व्यक्तिगत ज्ञान के बढ़ने से ही नहीं होता है| सही सूचना सहित व्यक्तियों एवं परिवारों को जागरूक करने के साथ-साथ सामाजिक तनाव एवं बड़े समुदाय में सहज एवं अनुकूल वातावरण तैयार कनर इसमें परिवर्तन शामिल है| अनुकूल वातावरण में वे नीतियाँ भी हैं, जिसमें गुणवत्ता सम्बन्धी सेवाओं की सुलभता में सुधार करना शामिल है तथा ऐसे संकल्पबद्ध नेता भी हैं  जो परिवर्तन का समर्थन करते हुए उसे बढ़ावा देते हैं| इसमें समुदाय के सदस्य भी शामिल हैं जो समस्याओं का समाधान ढूढ़ने में योगदान देते हैं तथा समाधानों को लागू करने में समर्थन भी प्रदान करते हैं| समर्थनकारी निति, समुदाय को प्रेरित करना एवं व्यक्तिगत पारस्परिक संप्रेषण सहित समवेत दृष्टिकोणों का प्रयोग करते हुए, सभी स्तरों पर सकारात्मक परिवर्तन करने में संप्रेषण की महत्वपूर्ण भूमिका है|

ग्रामीण पेयजल आपूर्ति के क्षेत्र में स्थितिगत विशलेषण को तथा पेयजल की उपलब्धता, गुणवत्ता एवं प्रबंधन से सम्बन्धित चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, यह रुपरेखा सामाजिक मॉडल पर आधारित है|

परिवार से समुदाय तक, संस्थाओं तक जो सहायता एवं नीतिगत रुपरेखा एक लिए भी उत्तरदायी हैं, विभिन्न स्तरों पर व्यक्तिगत वातावरण को समझने के लिए उक्त मॉडल एक रुपरेखा प्रदान करता है| यह मॉडल इस बात पर बल देता है कि अधिकांशतः मसले, विशेष रूप से मसले जो व्यक्तिगत व्यवहार गहन सामाजिक तानेबाने से समुदाय के सामाजिक सांस्कृतिक मानदंडों से तथा वास्तविक वातावरण, जिसमें व्यक्ति रहता है, से निर्धारित किये जाते हैं| इन स्तरों में से प्रत्येक स्तर इस बात को प्रभावित करता है कि व्यक्ति कैसे व्यवहार करता है|

सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध की गई एवं सु-स्थापित समर्थनकारी निति एवं संप्रेषण कार्यनीति, व्यक्तियों एवं समुदायों में स्वच्छ पेयजल की मांग एवं प्रबंधन के लिए व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सहायक सिद्ध हो सकती है| यह निति सेवा प्रदाताओं एवं संस्थाओं की प्रतिक्रियाशीलता एवं जननीति प्रभावशीलता को प्रभावित कर सकती है|

मुख्य व्यवहार

राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर प्रमुख स्टेकहोल्डरों के साथ विस्तृत परामर्श के आधार पर यह रुपरेखा, परिवार एवं समुदाय दो स्तरों पर व्यवहारों को प्रभावित करने पर बल देती है| प्रमुख व्यवहारों को राष्ट्रीय स्तर पर प्राथमिकता दी जाती है, जहाँ इसकी अहमियत सम्पूर्ण भारत में तथा राज्य स्तर पर राज्य की विशिष्ट आवश्यकताओं के आधार पर अतिरिक्त व्यवहारों को बढ़ावा देने की जरूरत है, क्योंकि यह इनकी पेयजल समर्थनकारी तथा संप्रेषण कार्यनीति पर विचार करती है| यह व्यवहार नीचे दी गई सूची में से चुने जा सकते हैं:

राष्ट्रीय स्तर (जहाँ व्यवहारगत गुण पूरे भारत में आवश्यक हैं)

परिवार, पेयजल के स्वच्छ भंडारण एवं संचालन को सुनिश्चित करते हैं|

इसमें जल रखने वाले बर्तनों को साफ करना, ले जाना एवं भंडारण, स्रोत से जल ले जाते समय बर्तन को ढककर रखना, भंडारण के बर्तनों को ढकना, भंडारण वाले बर्तन से जल निकालने के लिए साफ-सुथरी, कलछुल अथवा नल का प्रयोग करना, जल ले जाने एवं भंडारण एक लिए अलग से बर्तनों का प्रयोग करना, तथा पेयजल वाले बर्तनों में हाथों को डूबने से रोकना|

पीआरआई/जीपी स्तर से पेयजल की आपूर्ति के लिए प्रतिनिधि एवं कार्यशील समितियों की स्थापना हेतु समुदायों की मांग

इसमें स्वच्छ पेयजल की योजना बनाने, उसके कार्यरूप देने, प्रबंधन प्रचालन एवं रखरखाव के लिए पंचायती राज संस्थाओं अथवा जन स्वास्थ्य इंजीनियरी विभाग से ग्राम पंचायत स्तर पर सक्रिय समिति की स्थपाना में समुदायों की सक्रिय रूप से भागेदारी शामिल है|

समुदाय सुनिश्चित करें कि यह समिति, जल आपूर्ति योजनाओं को योजना बनाने, उसे कार्यरूप देने, अनुवीक्षण करने के लिए उत्तरदायी हैं तथा जल का उपयोग करने वाले के प्रभारों में समुदाय का योगदान हो ताकि जल स्रोतों के संचालन एवं रखरखाव को सुविधाजनक बनाया जा सके| समुदाय सुनिश्चित करें कि इस समिति में समुदाय के प्रतिनिधि हों (जीपी के गाँव –जिनमें महिलाओं, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति तक समुदाय के गरीब तबकों का उपयुक्त प्रतिनिधित्व हो)|

राज्य स्तर

(जहाँ कि एक राज्य, राष्ट्रीय स्तर पर पहचाने गए मुख्य व्यवहारों के अतिरिक्त विशिष्ट जरूरतों के आधार पर कुछ अथवा सभी चुने गए व्यवहारों का चयन कर सकता है)

राज्य विकल्प 1

पारिवारिक द्वारा घरेलू स्तर पर पेयजल का शोधन

परिवार के स्तर पर इस्मने उबालना. यूबी विकिरण, फिल्टरेशन, रासायनिक रोगाणुनाशन शामिल हो सकते हैं| शोधन का तरीका, स्थानीय परिस्थिति पर निर्भर करेगा, और साथ ही जल शोधन के पारम्परिक तरीकों, जल गुणवत्ता से जुड़ें खतरों (माइक्रोबायोलोजिकल आर्सेनिक, फ्लूओराइड, लौहतत्व आदि) और अपेक्षित उत्पाद की उपलब्धता और निरंतरता पर भी निर्भर करेगा|

 

राज्य विकल्प 2

परिवारों और समुदायों द्वारा जल का संरक्षण

पारिवारिक स्तर पर इसमें शामिल हैं- पानी बर्बाद न होने देना, रिसते नालों को ठीक करना, और नल खुला छोड़ने से बचना और जल बचाने के अन्य तरीके जिनमें जल की बर्बादी में कमी लाना और जहाँ कही संभव हो उसका पुनः उपयोग करने पर जोर देना| सामुदायिक स्तर पर इसमें शामिल हैं-वर्षाजल संचयन, टैंक का रखरखाव, अपशिष्ट जल का प्रबंधन, चैक डैम का निर्माण, वर्षा जल संचयन से पानी का पुनार्भणडारण, आधुनिक और पारम्परिक प्रौद्योगिकियों दोनों का उपयोग कर जल संरक्षण के अन्य तरीके|

राज्य विकल्प 3

जल के स्रोतों का उचित संचालन एवं रखरखाव सुनिश्चित करने हेतु समुदायों द्वारा ग्राम पंचायत समितियों से जल स्रोतों की नियमित समीक्षा किये जाने की मांग|

इसमें शामिल हैं समुदायों द्वारा कार्य कर रही समिति से जल स्रोत की सफाई की जाँच और संरक्षण (जिसमें जल का स्टैंड, हैण्ड पंप, झरना, कुआँ आदि भी शामिल हो) स्रोतों का संचालन एवं रखरखाव, यह सुनिश्चित करना कि स्रोतों का अत्यधिक दोहन न हुआ हो, परिवार और समुदाय स्वच्छ जल का तात्पर्य समझें और पेयजल के अस्वच्छ स्रोतों की उपयोग से बचें  और जल गुणवत्ता परीक्षण की मांग करें, विशेष रूप से मानसून  से पूर्व  और बाद के दिनों की अवधियों में|

संप्रेषण के उद्देश्य:

इस रुपरेखा का सम्पूर्ण उद्देश्य है, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के उस लक्ष्य में अपना योगदान जिसके तहत सतत आधार पर प्रत्येक ग्रामीण व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ जल उपलब्ध करने का उद्देश्य है|

राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल का कार्यक्रम

स्वप्न बोध

ग्रामीण भारत में हर समय सभी के लिए स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता

राष्ट्रीय लक्ष्य

ग्रामीण व्यक्ति को सतत आधार पर पीने, खाना बनाने और अन्य घरेलू आधारभूत जरूरतों के लिए स्वच्छ जल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराना इस मुलभूत आवश्यकता एक अंतर्गत जल इस प्रकार का हो कि उसमें जल गुणवत्ता के न्यूनतम मानदंड को पूरा किया गया हो और वह हर स्थिति में हर समय आसानी से उपलब्ध हो|

सूचना, शिक्षा और संप्रेषण

स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता और उपयोग में सतत आधार पर सुधार लाने के लिए एनआरडीडब्लूयूपी स्वच्छ जल की विभिन्न पहलुओं पर ग्रामीण समुदाय में जागरूकता लाने और ज्ञान को बढ़ाने हेतु बेहतर तरीके से योजनाबद्ध सूचना, शिक्षा और संप्रेषण प्रक्रियाओं का उपयोग करने की सिफारिश करती है| संप्रेषण से सम्बन्धित योजनाओं के कार्यान्वयन से न केवल स्वच्छ जल की मांग पैदा होगी बल्कि जल आपूर्ति और जल स्रोतों  के लिए समुचित रूप से योजना बनाने, उनका कार्यान्वयन करने, रखरखाव के लिए समुदाय को भी शक्ति  सम्पन्न बनाएगा|

समर्थनकारी संप्रेषण सम्बन्धी उद्देश्य

पेयजल समर्थनकारी एवं संप्रेषण कार्यनीति रुपरेखा, निम्नलिखित व्यापक समर्थनकारी और संप्रेषण सम्बन्धी उद्देश्यों को प्राप्त करने का लक्ष्य रखती है|

परिवारों और समुदायों को अपने स्वास्थ्य स्तर में सुधार लाने के लिए स्वच्छ पेयजल से सम्बन्धित व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए अपेक्षित व्यवहारों को शुरू करने के लिए सुदृढ़ बनाना|

निर्णयकर्त्ताओं और मुख्य प्रभावशील व्यक्तियों को पर्याप्त और स्वच्छ पेयजल से सम्बन्धित मुद्दों पर उनकी प्रतिबद्धता एवं उनके कार्यों के लिए उन्हें प्रभावित करना|

जल स्रोतों की नियमित समीक्षा को सुनिश्चित करने हेतु एक संस्थागत तंत्र की स्थापना करने में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए परिवारों और समुदायों को एकजुट करना जिसके पेयजल सेवा प्रावधानों का बड़े स्तर उपयोग हो सके|

इन व्यापक उद्देश्यों के आधार पर राज्यों को राज्य से सम्बन्धित कार्यनीतियों के लिए अपने विशिष्ट समर्थनकारी एक संप्रेषण उद्देश्य बनाने की जरूरत है|

इन उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु एक महत्वपूर्ण घटक यह होगा कि संप्रेषण कार्य तथा  कार्यक्रम कार्यान्वयन के साथ संप्रेषण गतिविधियों के समेकन कार्य से जुड़े लोगों के कौशल और क्षमता का विकास किया जाए|
सर्वोत्तम ,मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी परिवारों द्वारा घरेलू स्तर पर स्वच्छ पेयजल के सम्बन्ध में व्यक्तिगत स्वास्थ्य से सम्बन्धित सही व्यवहारों को अपनाया करने और समुदायों के भाग के रूप में जल स्रोतों की सुरक्षा करने और उनका प्रबंधन करने की पूरी जिम्मेदारी लें एवं स्वामित्व बोध के लिए सामूहिक और सक्रिय रूप से इस समझ के साथ भाग लें कि ये उनके स्वयं के लाभ और खुशहाली के लिए है|

मुख्य भागीदार/स्टेकहोल्डर

किसी भी संप्रेषण कार्यनीति को प्रभावशाली बनाने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि मुख्य स्टेकहोल्डर समूहों की पहचान की जाये जिनका भागीदारों एक रूप में भी उल्लेख किया गया है जिससे कि उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप कार्यनीति बनाई जा सके| केवल तभी यह अपेक्षित व्यवहारों को अमल में लाने और उसे सतत रूप से बनाये रखने में उनकी सहायता करने में वास्तविक तौर पर सफल होगी| भागीदारी करने वाले समूहों में से प्रत्येक भागीदारी करने वाले समूहों में से प्रत्येक भागीदारी के लिए संप्रेषण सम्बन्धी  विभिन्न दृष्टिकोणों, संदेशों एवं विषयवस्तु की आवश्यकता पड़ती हिया| मुख्य भागीदारी करने वाले समूहों की पहचान करने से बेहतर तरीके से बनाए गए, अधिक केन्द्रित और स्पष्ट संदेश रूपाकार लेते हैं| इस उद्देश्य हेतु भागीदारों को प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक समूहों में विभाजित किया जाता है|

प्राथमिक भागीदार-वे हैं, जिन्हें उनके व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए सीधे तौर  पर कहा जाता है| उदाहरणार्थ पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को सही सूचना के आधार पर घरों में पेयजल के सम्बन्ध में पानी का सुरक्षित भंडारण करने और पानी  की सुरक्षित तरीके से उठाई-धराई करने सम्बन्धी व्यवहारों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है| वीडब्लूयूएससी सदस्यों में पेयजल की सतत आधार पर उपलब्धता को सुनिश्चिता करने से सम्बन्धित सभी गतिविधियों की योजना बनाने, उनकी डिज़ाइन बनाने और उन्हें कार्यान्वित करने का कौशल आ जाता है|

द्वितीयक भागीदारी- वे हैं, जिनके व्यवहार अथवा कार्यों से प्राथमिक भागीदारों के व्यवहार पर गहरा प्रभाव पड़ता है| वे  प्राथमिक भागीदारों के सांस्कृतिक एवं सामाजिक परिवेश से आते हैं| उदाहरणार्थ महत्वपूर्ण स्थान में कार्यरत व्यक्ति सरकारी पदाधिकारीगण एजेंसियां और नेता जो कार्यक्रम के प्रति सहमति रखते हैं और कार्यक्रम में सहयोग देते हैं और इससे व्यवहारों को आसानी से अपनाने के लिए अनुकूल वातावरण बनाने में सहयोग मिलता है|

तृतीयक भागीदारी: वे हैं, जिनके कार्यों से अन्य भागीदारों के व्यवहारों में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से सहायता मिलती है अथवा उनमें बाधाएँ आती है| उनके कार्यों से व्यापक  तौर पर  सांस्कृतिक, सामाजिक और नीतिगत पहलू झलकते हैं जिनसे अपेक्षित व्यवहारगत परिवर्तन बनाए रखने के लिए अनुकूल वातावरण तैयार होता है| उदाहरण के लिए राजनीतिज्ञ, निति निर्माता, सेवा प्रदाता अथवा सरकारी कमर्चारी, और धार्मिक नेता अथवा मिडिया|

स्टेक होल्डर का विभाजन

प्राथमिक भागीदार/ स्टेक होल्डर:

जिन्हें अपने व्यवहार में बदलाव लाने को सीधे कहा जात है

परिवार-पुरुष महिलाएँ और बच्चे  वीडब्लूयूएससी/वीएचएससी के सदस्यों सहित समुदाय

द्वितीयक भागीदारी/ स्टेक होल्डर:

वे प्राथमिक भागीदारों के व्यवहार को प्रभावित करते हैं

पंचायती राज संस्थाएँ स्कूली शिक्षक, महत्वपूर्ण स्थान में कार्यरत व्यक्ति जैसे कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा जल सरक्षक, एसएचजी समुदाय के नेता स्वयंसेवक, धार्मिक नेता, स्थानीय गैर-सरकारी संगठन|

तृतीयक भागीदारी / स्टेक होल्डर:

वे जिनके साथ पेयजल हेतु अनुकूल वातावरण बनाने के लिए समर्थन की आवश्यकता पड़ेगी|

निति निर्माता, कार्यक्रम प्रबंधक, मिडिया, अभिमत रखने वाले नेता, युवा शिक्षण से जुड़ा वर्ग, निजी क्षेत्र|

 

संप्रेषण सम्बन्धी दृष्टिकोण

इस रुपरेखा का उद्देश्य संप्रेषण के विभिन्न स्रोतों के माध्यम से सभी स्तरों पर भागीदारों तक पहुँचाना है| मुख्य भागीदारों हेतु सुझाए गए संप्रेषण सबंधी मुख्य दृष्टिकोण हैं समर्थनकारिता, पारस्परिक संप्रेषण समुदाय की एकजुटता, मास मिडिया द्वारा समर्थन एवं मजबूती प्रदान करना|

समर्थनकारिता: स्वच्छ पेयजल से सम्बन्धित की गई पहलों के लिए नीतियाँ बनाने, वित्तपोषण, संगठनात्मक सहयोग एवं प्रतिबद्धता के लिय निर्णय लेने वालों को प्रभावित करना और उन्हें इसमें शामिल करना है| इसका उद्देश्य स्वच्छ पेयजल से जुड़े मुद्दे को नीतिगत एजेंडे में उच्च स्तर पर उठाना है|

पारस्परिक संप्रेषण: यह ग्रामीण समुदायों के बीच स्वच्छ पेयजल के महत्व के सम्बन्ध में ज्ञान बढ़ाने के लिए की गई मूख्य  पहलों में से एक और परिवार एवं समुदाय के स्तर पर पेयजल के सम्बन्ध में स्वच्छ व्यवहारों को अपनाए जाने को भी प्रभावित करता है|

समुदाय में एकजुटता लाना: स्वच्छ पेयजल से सम्बन्धित महत्वपूर्ण मुद्दों से निपटने के लिए समुदाय से जुड़े सदस्यों के बीच वार्ता की शुरुआत करना और जल के स्रोतों की सुरक्षा एवं रखरखाव के लिए समुदाय की भागीदारी और स्वामित्व की भावना के लिए मंच उपलब्ध कराना|

मास मिडिया, बाह्या मिडिया और लोक मिडिया: जल गुणवत्ता के मुद्दों पर जन जागरूकता पैदा करने, पहचाने गए मुख्य व्यवहारों और कार्यक्रम सम्बन्धी संरचना को बढ़ावा देने के लिए अन्य बातों के अतिरिक्त मास मिडिया, बाह्या मिडिया और लोक मिडिया का भी उपयोग किया जायेगा| इसके साथ ही इन माध्यमों से प्राप्त सूचना से पारस्परिक संप्रेषण एवं सामाजिक एकजुटता से जुड़े प्रयासों से विश्वसनीयता बढ़ेगी और मजबूती मिलेगी|

पेयजल समर्थनकारी और  संप्रेषण कार्यनीति की रुपरेखा को कैसे कार्यान्वित किया जाये

यह रुपरेखा एक मार्गदर्शी दस्तावेज है जिसे एनआरडीडब्लूयूपी के उद्देश्ययों को प्राप्त करने में राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर समर्थनकारी और  संप्रेषण गतिविधियों को सहयोग देने हेतु बनाया गया है| यह रुपरेखा चरणबद्ध तरीके से समर्थनकारी और  संप्रेषण उद्देश्यों को प्राप्त करने की परिकल्पना करता है|

ये तीन चरण है:-

चरण 1 : जागरूकता पैदा करना

चरण 2: समर्थनकारिता

चरण 3: सामाजिक और व्यवहारगत परिवर्तन सम्बन्धी संप्रेषण

चरण 1 : जागरूकता पैदा करना

अस्वच्छ पानी पीने के खतरों एवं प्रभावों के प्रति जागरूकता एवं ज्ञान बढ़ाना

चरण 2: समर्थनकारिता

पर्याप्त और स्वच्छ पेयजल के लिए निर्णय लेने वाले व्यक्तियों एवं मुख्य प्रभावशाली व्यक्तियों में प्रतिबद्धता एवं सम्बन्धित कार्य को बढ़ाना

चरण 3: सामाजिक और व्यवहारगत परिवर्तन सम्बन्धी संप्रेषण

व्यक्तिगत स्वच्छता के लिए उचित तरीके अपनाने के लिए परिवारों और समुदायों को सशक्त बनाना, पर्याप्त और सुरक्षित जल की मांग करना और सतत आधार पर पर्याप्त एवं सुरक्षित पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु मिलकर कार्य करना|

ये तीनों चरण क्रमबद्ध रूप से नहीं है और कार्यान्वयन के दौरान शुरू की गई गातिविधियों में कुछ सीमा तक परस्पर व्याप्तता बनी रहेगी| इस प्रभाग का निर्माण एक तार्किक दिशा में मैक्रोस्तर पर कार्यनीति को डिज़ाइन करने एवं कार्यान्वयन को सुगम बनाने के लिए किया गया है| तथापि माइक्रो स्तर पर कार्य करते समय, अर्थात् परिवार/समुदायों के स्तर पर कार्य करते हुए राज्य कार्यान्वयनकर्त्तोओं को यह समझने की आवश्यकता होगी कि परिवार/समुदाय किस चरण में है ताकि इस आधार पर उनकी आवश्यकता के अनुरूप संप्रेषण को और अधिक उपयुक्त बनाया जा सके| उदाहरण के लिए, एक समुदाय में ऐसे परिवार होंगे जो कि पीने के पानी को सुरक्षित तरीके से संग्रहण न करने और उसकी सुरक्षित उठाई-धराई न करने के खतरों से अनभिज्ञ है, जबकि दूसरे समुदाय हो सकता है इन खतरों को जानते हों लेकिन इस विषय में कुछ नहीं कर रहे हैं और संभव है कि अन्य कुछ ऐसे हो, जो अपेक्षित व्यवहारों को अपनाने की प्रक्रिया में हों| अतः व्यक्तियों अथवा समुदायों से संप्रेषण करने से पूर्व माह महत्वपूर्ण’ है कि पहले यह विशलेषण किया जाए कि वे किस चरण में है|

मुख्य समर्थनकारी एवं  संप्रेषण सम्बन्धी गतिविधियाँ

समर्थनकारी एवं  संप्रेषण सम्बन्धी उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु निम्नलिखित तीन चरणों के लिए विभिन्न संप्रेषण सम्बन्धी गतिविधियों/कार्यकलापों की पहचान की गई है:

चरण 1 : जागरूकता बढ़ाने के लिए संप्रेषण

प्रथम चरण में पयेजल से सम्बन्धित मामलों से समझने के सम्बन्ध में भागीदारों में जागरूकता पैदा करने एवं ज्ञान बढ़ाने पर ध्यान केन्द्रित है| संप्रेषण से सम्बन्धित विषय या संदेश उन मुख्य व्यवहारों को रेखांकित करेंगे जिन्हें राष्ट्र या राज्य स्तर पर पहचाना गया है|

कार्यनीति ढांचा मीट्रिक प्रतिदर्श

चरण 1 : जागरूकता बढ़ाना –अस्वच्छ जल का उपयोग करने के जोखिमों एवं प्रभावों की जागरूकता एवं जानकारी बढ़ाना

श्रोतागण भागीदारी

संदेश की विषयवस्तु

संप्रेषण माध्यम

सामान्य जनता

स्वच्छ जल सम्बन्धी भ्रातियों को दूर भगाएँ

जनसंचार

अभियान

इस बात को समझना कि साफ दिखाई देने वाला पानी संदूषित हो सकता है

 

पयेजल के संग्रहण एवं उसे संभालने सम्बन्धी सही जानकारी

मोबाइल मिडिया अभियान

इस बात को समझना कि पेयजल को उचित प्रकार से संग्रहित यह संभाला नहीं गया तो स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है

सामाजिक म्ध्यमों को जोड़ना

जल के स्रोतों के बचाव एवं देखरेख सम्बन्धी सही जानकारी

 

अस्वस्थकर व्यवहारों (जैसे खुले में मल त्याग) पेयजल स्रोतों के संदूषण के साथ इसके सम्पर्क के खतरों/जोखिमों को समझें

ब्रांड अम्बेसडर/चैम्पियनों के माध्यम से बढ़ावा देना|

स्वास्थ्य के साथ संदूषित जल के उपयोग को जोड़कर समझने की आवश्यकता

 

जीवाणु विज्ञानं एवं रासायनिक संदूषण के लिए जल स्रोतों की जाँच के महत्व को जानें

 

जल स्रोतों के बचाव एवं देखरेख के लाभों को समझें

 

 

मास मिडिया: मास मिडिया बड़ी संख्या में लोगों के साथ प्रभावी रूप से संप्रेषण के लिए एक महत्वपूर्ण  माध्यम है जो उन पर जोरदार छाप छोड़ता है| यह साक्षरता तथा भाषा के बाधाओं तथा संकेंद्रित संदेश देने हयूत आदर्श माध्यम है| यद्यपि देश अनेक ‘मीडिया डार्क’ क्षेत्र हैं फिर भी बढ़ती हुई टीवी और रेडियों कवरेज एवं अन्तःप्रवेशन (पैठ) में तेजी से वृद्धि हुई है| मास मिडिया से सामुदायिक एकजुटता तथा परस्पर संप्रेषण प्रयासों को सहायता मिल सकती है, बहुविध गतिविधियों तथा रेडियो तथा टीवी जन सेवा उदघोषणाओं, रेडियो एवं टीवी प्रदर्शन (शो), समाचार पत्रों तथा पत्रिकाओं जैसे उत्पादों के माध्यम से विशिष्ट व्यवहारों का संवर्धन हो सकता है, सुचना और सेवा के विश्वसनीय स्रोतों के रूप में सामुदायिक स्वंसेवकोण जैसे गैर-पेशेवरों की विश्वसनीयता में वृद्धि हो सकती है, महत्वपूर्ण तार्किक सुचना के बारे आसानी से जानकारी मिल सकती है| जल गुणवत्ता सम्बन्धी मुद्दों पर अधिक जागरूकता सृजित करने हेतु टीवी, रेडियो एवं प्रिंट सहित मास मिडिया का निर्धारित मुख्य व्यवहारों तथा कार्यक्रम सूचना को बढ़ावा देने के लिए प्रयोग किया जा सकता है| इसी प्रकार इन माध्यमों से प्राप्त जानकारी से अन्तः परस्पर संप्रेषण और सामाजिक एकजुटता के प्रयासों के लिए  विश्वसनीयता एवं पुष्टिकरण प्राप्त होगा|

चरण 1 : की गतिविधियों के उदाहरण:

दूरदर्शन एवं रेडियों पर जन सेवा से सम्बन्धित उदघोषणाएँ : दूरदर्शन एवं रेडियों  के जरिये बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार के लिए स्वच्छ पेयजल पर राष्ट्र के ख्याति प्राप्त व्यक्तियों को शामिल करते हुए अपील की जा सकती है|

सामाजिक संचार माध्यम : फेसबुक पेजों, यू-टूयूब, एसएमएस अभियानों एवं अन्य सामाजिक नेटवर्किंग साधनों को प्रयोग में लाकर स्वच्छ पेयजल सम्बन्धी मामलों में प्रोत्साहन एवं जागरूकता सृजन में उनको (विशेषकर युवाओं को) शामिल किया जाए|

ख्याति  प्राप्त व्यक्तियों को शामिल करना:  स्वच्छ पेयजल सम्बन्धी मुद्दे को आगे बढ़ाने के लिए ख्याति प्राप्त व्यक्तियों को शामिल किया जा सकता है ताकि कार्यक्रम प्रत्यक्षतः दृष्टिगोचर हो सके| इस मुद्दे को चर्चा किये जाने हेतु उपयुक्त मंचो पर द्वारा उठाया जा सकता है| वे इनकी गतिविधियों का अनुवीक्षण करने के लिए कुछेक स्थलों का दौरा भी सकते  तथा जमीन से जुड़े कार्यकर्त्ताओं को सम्मानित भी किया जा सकता है जिसे मिडिया  द्वारा कवर किया जा सकता है ऐसा करने से कार्यक्रम की रुपरेखा को एवं कार्यक्रम के लिए कार्य कर रहे कर्मठ कार्यकर्त्ताओं को प्रोत्साहन मिलेगा| क्षेत्रीय स्तर पर स्थानीय रूप से विख्यात लोगों को पेयजल सम्बन्धी मामलों को प्रोत्साहित करने एवं प्रचारित करने में सम्मिलित किया जा सकता है|

मोबाइल फ़ोनों का प्रयोग: जैसा कि मोबाइल टेलीफोन की पैठ ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर बढती जा रही है, इसका प्रयोग जागरूकता पैदा करने के लिए किया जा सकता है| इन गतिविधियों में विख्यात व्यक्ति की आवाज में मोबाइल टेलीफोनकम्पनी के साथ साझेदारी करके देश के नागरिकों को भेजा जा सकता है| संदेशों का आदान-प्रदान मोबाइल फोन प्रयोक्ताओं को विकल्प देकर किया जा सकता है| राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय स्तर पर नवोन्मेषी विषयवस्तु का भी विकास किया जा सकता है|

चरण 2; सकारात्मक नीतियों एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन-समर्थनकारी हेतु अनुकूल वातावरण तैयार करने के लिए संप्रेषण

कार्यनीति ढांचे क समर्थनकारी घटक का उद्देश्य नई नीतियों एवं एनआरडीडब्लूयूपी के कार्यान्वयन हेतु एक सहायक वातावरण का सृजन करना है| इस चरण के अतर्गत, प्रभावशाली एवं निर्णायक की भूमिका निभाने वालों को सम्बंद्ध  सूचनाएँ प्रदान की जाएँगी तथा सकारात्मक परिवर्तन हेतु कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा| सम्बंद्ध  स्टेकहोल्डरों से समर्थन, प्रतिबद्धता एवं कार्रवाई करने पर ध्यान केन्द्रित किया जायेगा, जो कि पेयजल की उपलब्धता गुणवत्ता एवं साफ-सफाई सम्बन्धी पहलों जैसे गम्भीर मुद्दों पर नीतियों में बदलाव लाने, संसाधनों का आबंटन करने, नीतियों को कार्यान्वित करने, अपनी बात को जोर देकर कहने एवं जनविमर्श प्रारभ करने पर केन्द्रित होगा| इस कार्यनीति की रुपरेखा के कार्यान्वयन में एनआरएचएम , आईसीडीएस, आईएवाई, एवं एमजीएनआरईजीए जैसे राष्ट्रीय एवं परिवार कल्याण मंत्रालय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय एवं पंचायती राज जैसे राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय स्तर के अन्य सम्बंद्ध मंत्रालयों के साथ संयुक्त मंचों पर कार्य करके उनका समर्थन करना इस चरण का एक महत्वपूर्ण घटक होगा|

इसके अतिरिक्त, समर्थनकारी गतिविधियाँ प्रमुख भागीदारों को समर्थक या ‘चैम्पियन’ब्ब्ने के लिए उनकी क्षमता के निर्माण पर तथा कार्यक्रम से सम्बन्धित मुद्दों पर इन समर्थकों एवं चैम्पियनों को अपनी बात रखने पर ध्यान केन्द्रित करेगी|

प्रत्येक राज्य के लिए उनकी राज्य विशिष्ट कार्यनीतियों को कार्यान्वित करने के लिए समर्थनकारी प्रयासों को अनुकूलन करने की आवश्यकता है| प्रत्येक राज्य, अपने अपेक्षित परिणामों को प्राप्त करने के लिए समर्थनकारी कार्यनीतियों को कार्यान्वित करने हेतु सम्बंद्ध राज्य स्तर पर के साझेदारों एवं स्टेकहोल्डरों की पहचान करेगा| यह भी महत्वपूर्ण एवं क्षेत्रीय स्तर समर्थनकारी मामलों में अंतर रखा जाए| राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान समर्थन, निति परिवर्तनों एवं सुधारों पर अधिक केन्द्रित होता है जबकि स्थानीय स्तर समर्थन उस वातावरण के सृजन के बारे में अधिक होता है, जो कार्यक्रम के कार्यान्वयन में सहायक सिद्ध होता है| उदाहरण स्वरुप जिला स्तर के पदाधिकारियों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि जाँच हेतु नमूनों को इकट्ठा करने के लिए तथा उन्हें जल जाँच प्रयोगशाला में भेजने के लिए जल जाँच हेतु सब डिविजनल प्रयोगशालाओं एवं वीडब्ल्यूएससी सदस्यों के मिलजुल कर काम करने के लिए प्रणालियाँ मौजूद हैं| इस जाँच को रासायनिक एवं जैविक दोनों मापदंडों पर संचालित किया जायेगा तथा इसके पश्चात परिणामों को समुदाय के पास वापस भेज दिया जायेगा|

कार्यनीति ढांचा मीट्रिक प्रतिदर्श

चरण 2: पक्ष समर्थन-पर्याप्त एवं स्वच्छ पेयजल के लिए निर्णायकों एवं प्रमुख प्रभावशाली व्यक्तियों के बीच एवं कार्रवाई में तेजी लाना

भागीदारी

संदेश की विषयवस्तु

समर्थनकारी गतिविधियाँ

निति निर्माता , कार्यक्रम प्रबंधक, मिडिया विचारशील नेतागण, युवा, निजी क्षेत्र

स्वच्छ पेयजल के महत्व को समझना तथा निरंतरता के आधार पर स्वच्छ पेयजल की पहुँच एवं उपयोगिता में सुधार लाने के लिए सरकारी पहलों के बारे में जानकारी

पारस्परिक बैठकें

 

राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम एवं इसके विभिन्न घटक

कार्यशालाओं को संवेदनशील बनाना

 

कार्यक्रम एवं निरंतर समाधान सम्बन्धी चुनौतियाँ

क्षेत्रीय दौरे/अभिव्यक्ति

 

प्रमुख स्टेकहोल्डरों को भूमिका एवं दायित्व

दौरे गोष्ठियाँ/सम्मेलन/जल स्वच्छता, साफ-सफाई एवं स्वास्थ्य सार्वजनिक

 

जल कार्यक्रम में सहायता करने तथा स्वच्छता, साफ-सफाई, पोषण एवं स्वास्थ्य के साथ सम्पर्कों को तैयार करने के लिए सम्बद्ध क्षेत्र एवं कार्यक्रम से सम्बन्धित सूचना को परस्पर बाँटना|

निजी साझेदारी के लिए साझा मंच

 

चरण 2 की गतिविधियों क उदाहरण:

राष्ट्रीय  एवं राज्य स्तर पर निति निर्माताओं के साथ समर्थन: संबद्ध मंत्रालयों एंव विभागों के उच्च स्तरीय सरकारी अधिकारियों का चुने हुए प्रतिनिधियों सहित, कार्यशालाओं के माध्यम से अभिमुखीकरण तथा स्वच्छ पेयजल के गंभीर मामलों पर उन्हें संवेदनशील बनाने के लिए पारस्परिक बैठकें करना| इस प्रकार की कार्यशालाएँ एंव बैठकें करके स्वच्छ जल पर साक्ष्य आधारित समर्थनकारी पैकेज का विकास किया जा सकता है| जिनमें जल एवं साफ-सफाई से सम्बन्धित सम्बद्ध मामलों पर तथ्यात्मक विवरण, लोगों के लिए रोचक कहानियाँ एवं पॉवर प्वाइंट प्रस्तुतिकरण शामिल है|

ग्रामीण पेयजल के लिए जिम्मेदार जिला प्रशासन एवं सम्बद्ध प्राधिकारियों के साथ समर्थन: इन क्षेत्र में कार्यान्वयन की चुनौतियों एवं बाधाओं से निपटने के लिए कार्यशालाओं, परामर्शों एवं बैठकों के जरिये जिला प्राधिकारियों को संवेदनशील बनाना| जिला स्तर पर जल सम्बन्धी मामलों को वरीयता प्रदान करने के लिए सम्बन्धित आंकड़े एवं बाधाओं का विशलेषण एवं प्रस्तुतियों जो विशेष रूप से जिला कलेक्टर/मजिस्ट्रेट (डीसी/डीएम) के रखी गई हों, के साथ चित्रों का विकास किया जा सकता है| जिला स्तर पर समेकित जिला संप्रेषण आयोजनाओं के विकास, इसके कार्यान्वयन, अनुवीक्षण एवं मूल्यांकन में सहायता उपलब्ध कराना|

सम्बंद्ध मंत्रालयों एवं विभागों के साथ संयुक्त प्रयास हेतु समर्थन: जल से सम्बन्धित जानकरी प्रदान करना तथा स्वास्थ्य पोषण एवं डब्ल्यूएएसएच (वाश) के मामलों को निपटाने के लिए साझा बैठक मंचों का सृजन करना|

मिडिया के जरिये समर्थन करना: राष्ट्रिया एवं क्षेत्रीय मिडिया दोनों के साथ मिलकर स्वच्छ जल साझेदारी की कार्यसूची के प्रचार/प्रसार को प्रोत्साहित करना| प्रक्रियाउन्मुखी कार्यशालाएँ आयोजित करने के लिए मिडिया के साथ प्रेस बैठकें की जा सकती है| सहायक साधनों के रूप में लोगों के लिए रोचक कहानियाँ, तथ्यात्मक विवरण, फोटो निबंध सहित मिडिया किटों का विकास किया जा सकता है|

साझेदारी एवं गठबंधन निर्माण हेतु निजी क्षेत्र एवं अन्य संगठनों/नेटवर्क के साथ समर्थन: कार्यक्रम के कार्यान्वयन में सहायता करने के लिए संदेश भेजने सूचना का प्रचार-प्रसार करने में मदद करने के लिए कॉपोरेट एवं अन्य साझेदारियों का विकास करना|

क्षेत्रीय दौरे: स्वच्छ जल मामलों में जागरूकता बढ़ाने एवं इसमें नागरिक समुदाय की भागीदारी बढ़ाने के लिए मिडिया, प्रतिष्ठित समर्थकों एवं चुने हुए अधिकारियों के लिए दौरों को संचालित करना|

प्रक्रिया का दस्तावेजीकरण: विशिष्ट प्रक्रिया दस्तावेजीकरण परिणामों को विकसित किया जाना, जिनमें ‘अच्छा व्यवहार’ ‘अच्छी सीख’ ‘न्वोमेषन’, क्षेत्र से प्राप्त जानकारी आदि को शामिल किया जा सकता है|

संगोष्ठियाँ एवं सम्मेलन: जल स्रोतों का संचालन एवं देखरेख पर राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय स्तर पर सर्वोत्कृष्ट व्यवहारों के मापन हेतु राष्ट्रीय सम्मेलन/ सम्मेलनों को आयोजित करना| राज्य एवं जिला स्तर के अधिकारियों की बैठक करना एवं प्रारंभ  की गई पहलों को आपस में बाँटना| प्राप्त की गई जानकारियाँ कार्यक्रम के कार्यान्वयन की सूचना देने में मददगार होंगी एवं कार्यक्रम में सुधार किये जा सकेंगे|

चरण;3 परिवारों एवं समुदायों में सामाजिक एवं व्यावहारिक परिवर्तन लाने के लिए संप्रेषण

कार्यनीति का यह चरण पेयजल से सम्बन्धित महत्वपूर्ण मुद्दों पर लोगों में जागरूकता एवं साझेदारी के उच्च स्तर पर आधारित होगा| ऋण ऐसे वातावरण के तैयार करने में सक्षम होगा जो परिवर्तन को समर्थन दे सकेगा| संप्रेषण सम्बन्धी पहलें, संप्रेषण सम्बन्धी दृष्टिकोणों विशेष रूप से अंत व्यैक्तिक संप्रेषण (आईपीसी) एवं सामुदायिक गतिशीलता के रूप से एकजुट होने के जरिये मुख्य स्टेकहोल्डर के बदलते हुए व्यवहारों एवं अहर्ता पर केन्द्रित होंगी|

इसका उद्देश्य है पेयजल के सम्बन्ध में, मौजूदा व्यवहारों में परिवर्तन लाने हेतु सही जानकारी एवं समझ के आधार पर परिवारों एवं समुदायों को निर्णय लेने में समर्थ बनाना| समुदायों को, उनकी स्वच्छ पेयजल की आवश्यकता पूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए जल स्रोतों से सम्बन्धित आयोजन, प्रबंधन की अति सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया जायेगा|

यह सुनिश्चित करना कि पेयजल सबंधी मामलों पर संप्रेषण, इस स्थिति में विभिन्न भागीदारों द्वारा आंतरिक तौर पर प्रयुक्त संप्रेषण दृष्टिकोणों से कहीं अधिक वैयक्तिक आदान-प्रदान, चर्चाओं, बैठकों एवं लोक संचार (मिडिया) पर केन्द्रित है यदि इसे स्वीकार कर लिया जाए तो इन व्यवहारों से इसके जोखिमों एवं फायदों की समझ में वृद्धि हो सकती है| गौण भागीदार, सकारात्मकव्यवहार को अपनाने के लिए प्राथमिक भागीदारों को प्रभावित करने में एक मुख्य भूमिका अदा करते हैं, बशर्तें कि वे इन अपेक्षित व्यवहारों को उपयोग में लाने के फायदों को समझ लें| विचारशील नेताओं, प्रभावशाली सूत्रों एवं कार्यक्रमों को कार्यान्वित करने वालों के समर्थन की एक महत्वपूर्ण भूमिका होगी|

चरण 3 एसबीसीसी – पेयजल से सम्बन्धित साफ-सफाई के सही व्यवहारों को अपनाने के लिए परिवारों और समुदाय को सशक्त बनाना, पर्याप्त एवं स्वच्छ पेयजल की मांग और स्थायी आधार पर पर्याप्त एवं स्वच्छ पेयजल सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक रूप से कार्य करना|

भागीदारी

संदेश की विषयवस्तु

संप्रेषण माध्यम

प्रारम्भिक स्टेकहोल्डर

स्वच्छ पेयजल एवं सरकारी कार्यक्रम के सम्बन्ध में सही जानकारी

पारिस्परिक  संप्रेषण

परिवार-पुरुष, महिलाएं एंव बच्चे, वीडब्ल्यूएससी सदस्य

पेयजल के सही संग्रहण एवं देखरेख के फायदों का समझना

सामुदायिक तौर पर एकजुट होना

गौण भागीदार, पीआरआईएस, स्कूल, शिक्षक, मुख्य कार्यकर्त्ता, स्वास्थ्य व्यवसायी

जल, स्वच्छता (खुले में मल त्याग) स्वास्थ्य के परस्पर सम्बन्धों को समझना

मल्टीमीडिया अभियान

 

जीवाणुयुक्त  एवं  रसायन संदूषण से जलस्रोतों की जाँच के महत्व को समझना

क्षमता निर्माण

 

जल स्रोतों के बचाव एवं देखरेख के फायदों को जानना

 

पेयजल सम्बन्धी सरकारी कार्यक्रम एवं वीडब्ल्यूएससी की जिम्मेदारियों एवं भूमिकाओं को जानना|

 

समुदाय के जुडाव के दीर्घकालीन लाभ एवं जल स्रोतों के बचाव/संचालन एवं देखरेख हेतु स्वामित्व के महत्व को समझना

 

सरकारी कार्यक्रमों एवं वीडब्ल्यूएससी सदस्यों के क्षमता निर्माण की जानकारी

 

पेयजल सम्बन्धी सरकारी कार्यक्रमों तथा वीडब्ल्यूएससी के सदस्यों की भूमिका एवं जिम्मेदारियों को जानना

 

जल प्रणालियों के संचालय एवं देखरेख को समझना

 

न्यून लागत एवं सही प्रौद्योगिकी विकल्प के बारे में जागरूकता

 

लागत प्रभावित एवं तकनीकी विकल्पों की निरंतरता के प्रति जागरूकता

 

चरण 3 की गतिविधियों के उदाहरण

वैयक्तिक एवं छोटे-छोटे समूहों के परामर्श सत्रों का संचालन : सत्रों के अंतर्गत, स्वच्छ जल के बारे में फैली भ्रांतियों, पेयजल जीवाणु सम्बन्धी एवं रासानियक संदूषण, स्वास्थ्य एवं अस्वच्छ जल के उपयोग के बीच सम्बन्ध, जल स्रोतों के निकट अस्वच्छ व्यवहारों एवं जल संदूषण के बीच सम्बन्ध, अस्वच्छ जल के उपयोग से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव, उदाहरण स्वरुप खुले में मल त्याग जैसे व्यवहारों के कारण जल में जीविक संदूषण फैलाने वाले कारकों को शामिल किया जा सकता है| इन संदेशों को, अपने मूल कार्यकर्त्ताओं (आशा/एडब्ल्यूडब्ल्यू/जल संरक्षकों समुदाय स्वयं सेवियों) के लिए जरिये, परिवारों में उनकी पहुँच एवं उच्च विश्वसनीयता को ध्यान में रखते हुए, पहुँचाया ज सकता है| इन  संदेशों को जनसंचार, बाह्य एवं लोक शैली के जरिये मजबूती प्रदान की जा सकती है| इसके लिए समुदाय में से स्वयं सेवियों द्वारा घरेलू दौरे एवं छोटे समूहों में शैक्षिक बैठकें आयोजित की जायें|

मूल कार्यकर्ताओं का क्षमता निर्माण एवं अभिमुखीकरण

पारिस्परिक संप्रेषण कौशल में सुधार लाने के लिए मूल कार्यकर्त्ताओं को विशेष तौर पर परामर्श/बातचीत में प्रशिक्षण देना, तथा चर्चा को सुगम बनाने के लिए साधनों (फिल्पचार्ट/पिक्टोरियल पोस्टर्स) सहित पेयजल मामलों पर सही जानकारियाँ देना|

समुदाय के स्वय सेवियों के बीच पेयजल सम्बन्धी मामलों पर पारस्परिक संप्रेषण के कौशल एवं जानकारी को सुदृढ़ बनाना जिससे कि वे घरेलू दौरों के दौरान जानकारी एवं परामर्श प्रभावी रूप से प्रदान कर सकें|

सामाजिक नेटवर्क को सक्रिय बनाना: समुदाय के नेताओं स्वयं सेवियों महिला समूहों के सामाजिक नेटवर्क को, जल स्रोतों की सुरक्षा की तथा पेयजल से सम्बन्धित साफ-सफाई के व्यवहारों के बारे में सूचना के प्रचार-प्रसार के लिए प्रोत्साहित करना|

अंतवैयक्तिक संप्रेषण: आदान-प्रदान के एक माध्यम के रूप में आईपीसी, इसके मुख्य भागीदारों को जानकारी उपलब्ध कराने में  सहायक होता है| यह विचारों, संदेशों एवं व्यवहारों की तुरंत  प्रतिपुष्टि भी करता है| अंतवैयक्तिक संप्रेषण, मौजूदा सामाजिक नेटवर्कों यह अंतवैयक्तिक सम्बन्धों (परिवार, मित्रों, संगी-साथियों, पड़ोसियों एवं सहकर्मियों) का प्रभावपूर्ण उपयोग करेगा जो संप्रेषणीयता को बढ़ाने  के लिए व्यक्तियों को एकजुट करता है| आईपीसी न केवल जल गुणवत्ता सम्बन्धी मामलों की जानकारी बढ़ाने में बल्कि, जल के उपयोग करने से पूर्व इसके स्वच्छ संग्रहण एवं पेयजल की उठाई-धराई या पेयजल उपचार जैसे पेयजल से सम्बन्धित व्यक्तिगत सफाई की वस्तुतः स्वीकार्यता का भी एक मुख्य माध्यम है| स्वयं सेवी एवं बहुतायत में सामाजिक नेटवर्कों जिनमें धार्मिक ग्रन्थों, क्लबों एवं समुदाय के जनसमूहों को शामिल करते हुए, अंतवैयक्तिक संप्रेषण का उपयोग करके स्वच्छ जल सम्बन्धी व्यवहारों में बढ़ोतरी कर सकते हैं|

समुदाय की गतिशीलता: समुदाय की गतिशीलता, एक ऐसी पहल है जिसका प्रयोग स्वच्छ पेयजल के गंभीर मुद्दे का निराकरण करने के लिए समुदाय के सदस्यों में संप्रेषणीयता प्रारंभ करने के लिए किया जाता है| यह पहल उन ग्रामीण व्यवस्थाओं में विशेषरूप से प्रभावी है जहाँ समुदाय ‘क’ सूत्र में बंधे रहते हैं तथा यदि उन्हें विचारशील नेताओं द्वारा समर्थन प्राप्त हो एवं अन्य प्रभावशाली स्रोतों में निरंतरता लाने के लिए स्वतः प्रभावपूर्ण परिवर्तन लाया जाए| इसके लिए  समुदायों को अपनी समस्याओं को पहचानने के साथ-साथ उनका समाधान करने की आवश्यकता है| समुदाय से बाहरी तौर पर दिए गए समाधानों पर मुशिकल से ही कायम रह जा सकता है क्योंकि उनकी जिम्मदारी कोई नहीं उठाता| अतः समुदायों के साथ  जुड़ना एंव उनकी भागीदारी को सुनिश्चित करना कठिन है| अग्रणी कार्यकर्त्ता एवं पीआरआई के सदस्य भी इसके कतिपय व्यवहारों के समर्थन में गतिशीलता को बढ़ाने में एक घटक के रूप में भूमिका निभाता है|

पीआरआई, वीडब्ल्यूएससी) (अन्य समिति) के सदस्यों एवं अन्य समुदाय के नेताओं का क्षमता निर्माण: जल स्वच्छता एवं साफ-सफाई के मामले के बारे में उनके समुदायों में संवाद कायम करना तथा पेयजल एवं स्वच्छता सम्बन्धी समस्त गतिविधियों की आयोजना एंव कार्यान्वयन पर भी संवाद कायम करना| क्षमता निर्माण में सहयता प्रदान करने के लिए जल गुणवत्ता सम्बन्धी मामलों पर एक टूलकिट का विकास किया जा सकता है जिसमें समुदाय के नेताओं के मार्गदर्शन कैसे करें भी शामिल है|

जल से सम्बन्धित संदेशों को मजबूती प्रदान करने के लिए धार्मिक स्थलों एवं त्योहारों का प्रभाविशाली ढंग से उपयोग किया जा सता है| स्थानीय धार्मिक नेताओं का समर्थन प्राप्त करके उनके मंचों से धार्मिक प्रवचनों के साथ-साथ जल से सम्बन्धित मुद्दों को शामिल करके सूचना का प्रचार-प्रसार किया जा सकता है|

आउटडोर मिडिया और लोक मिडिया मुख्य व्यवहारों से सम्बन्धित उन्हीं संदेशों के बार-बार प्रचार-प्रसार करने के लिए विभिन्न संप्रेषण मिडिया के सहयोग से व्यवहारगत परिवर्तनों को प्रभावशाली ढंग से प्रोत्साहित किया जा सकता है| उदाहरण के लिए आईपीसी के साथ मिलकर मुद्रित सामग्री, जैसे हवा में लहराने वाली पताकाएँ, झंडियाँ एवं लोक मंच के माध्यम से मुख्य संदेश को मजबूती प्रदान करने में इन माध्यमों को प्रयुक्त किया जा सकता है|

सूचीबद्ध की गई समर्थनकारी एवं संप्रेषण गतिविधियों का प्रयोग करते हुए राज्य की कार्यान्वयन योजनाओं का विकास करने के लिए इस कार्यनीति रुपरेखा के एक भाग के रूप में एवं विस्तृत कार्यान्वयन योजना का विकास किया गया है जिसे सन्दर्भ के रूप में प्रयोग में लाया जा सकता है| कार्यान्वयन सम्बन्धी, रुपरेखा, समर्थनकारी एवं संप्रेषण गतिविधियों का एक पुंज है जिसमें से राज्य, प्रमुख गतिविधियों का चयन कर सकते हैं जो उनकी कार्यनीतियों के लिए अत्यधिक उपयुक्त है| यह नोट किया जाए कि यह सूची व्यापक नहीं है| राज्य सूची से बाहर की गतिविधियों को भी लागू कर सकते हैं|

राज्य विशिष्ट पेयजल समर्थनकारी निति एवं संप्रेषण कार्यनीति की रुपरेखा के विकास के लिय मार्गदर्शी टिप्पणी

इस खंड का उद्देश्य राज्य के लिए पेयजल समर्थनकारी एवं संप्रेषण व्यापक कार्यनीति को डिजाईन करके राज्य सरकारों को सहयता प्रदान करने के लिए डिज़ाइन, योजना एवं कार्यान्वयन सम्बन्धी प्रक्रिया के माध्यम से सुविधाजनक तरीके से सारे बढने की सुगमता प्रदान करना है| राज्य विशिष्ट कार्यनीतियों के विकास एवं उनके कार्यान्वयन के लिए अपेक्षित चरण गत प्रक्रियाओं को समझने के लिए राज्यों के लिए एक खाका तैयार करने की व्यवस्था करना इसका उद्देश्य है|

इस प्रक्रिया के लिए अपेक्षित गतिविधियाँ नीचे दी गई है”-

  1. प्रारंभिक तैयारी के कदम

स्थितिगत विशलेषण: जैसा अपेक्षित हो, डेस्क-समीक्षा/विकासत्मक आध्ययन/आधारभूत सर्वेक्षण के केएपी परखने तथा/अथवा चुनौतियों को समझने में, संप्रेषण कार्यनीति का मार्गदर्शन करने में प्रमुख सूचना प्रदान करने में तथा कार्यक्रम के उद्देश्यों को पूरा करने में सहयता प्रदान करेगा| प्राथमिक एवं गौण प्रतिभागियों/स्टेकहोल्डरों की पहचान करना, प्रतिभागियों के बारे में गहन सूचना, उदाहरण के लिए उनका ज्ञान, व्यवहार तथा सूचना, सेवा, मिडिया के प्रति उनकी व्यवहार-शैली का पता लगाना उसमें शामिल है| इस प्रक्रिया के एक भाग एक रूप में संप्रेषण/मिडिया परिदृश्य का सर्वेक्षण करना सहायक सिद्ध होगा, जो सूचना  के प्रचार-प्रसार के लिए चैनलों का तथा प्रमुख  स्टेकहोल्डरों (लिंग, हैसियत, आयु एवं पहुँच) द्वारा चुने गए चैनलों की पहचान एवं खाका तैयार करने में सहायता प्रदान करेगा|

प्रमुख व्यवहारों की पहचान करना: राष्ट्रिय एवं राज्य स्तर पर व्यवहारों की पहचान राष्ट्रीय  स्तर पर की गई परामर्श बैठकों की माध्यम से की गई है जिन्हें इस दस्तावेज़ में राष्ट्रीय  एवं राज्य स्तरीय व्यवहार के रूप में सूचीबद्ध किया गया है| स्थितिगत विशलेषण के भाग  के रूप इमं ध्यान मुख्य व्यवहारों पर होना चाहिए, जिन्हें राष्ट्रीय व्यवहारों के अंतर्गत सूचीबद्ध किया गया है| यह नोट करना महत्वपूर्ण है की राज्य के लिए बनाई गई, कार्यनीतियों में राष्ट्रीय व्यवहारों को शामिल करना वार्ता से परे हो तथापि राज्यों को यह छूट है कि वे अपने राज्यों की स्थितियों के सन्दर्भ में अतिरिक्त व्यवहारों को शामिल करें| इन व्यवहारों पर स्थितिगत विशलेषण, स्टेकहोल्डरों के वर्ग को सहायता प्रदान करेगा तथा इन में सहायक सिद्ध होगा और ये प्रेरक कारक अथवा सुगम बनाने वाली कारक साबित होंगे, जो आगे ले जाने में सार्थक सिद्ध होंगे|

  1. समर्थनकारी नीति  एवं संप्रेषण कार्यनीति का विकास

राज्य स्तरीय परामर्श: स्थितिगत विशलेषण के माध्यम से प्राप्त सुचना के आधार पर राज्यों को प्रोत्साहित किया जाता है कि वे सरकारी विकास से जुड़े एवं कार्यान्वयन करने वाले प्रमुख व्यक्तियों को अपने साथ जोड़कर राज्य स्तर पर परामर्श करें| यह, राज्य स्तर के मत्रालयों/ विभागों के साथ संयुक्त सहयोग करने में  एक मंच प्रदान  करेगा तथा कार्यनीति के विकास के लिए एवं उसे आगे बढ़ाने में भूमिकाओं एवं दायित्वों के स्पष्ट रूप से पहचान करेगा| इन बैठकों में वे प्रमुख व्यक्ति शामिल होने चाहिए जो समर्थनकारी एवं संप्रेषण गतिविधियों की योजना बनाने एवं उनके कार्यान्वयन में अभिन्न अंग होंगे|

कार्यदल अथवा समूह का गठन: यह एक छोटा सा स्व-समूह होगा जिसकी पहचान परामर्श प्रक्रिया से की जाएगी, जिसमें प्रमुख व्यक्ति होंगे, जो सरकारी व्यक्तियों, विकास कार्य से जुडी एजेंसियों, संप्रेषण कुशल विशेषज्ञों, अकादमिक, एनजीओ आदि से उनकी विशेषज्ञता के आधार पर चुने जायेंगे| यह समूह, कार्यों का आबंटन करेगा, स्पष्ट भूमिकाओं एवं दायित्वों का निर्धारण करेगा, जो की निर्धारित समय-सीमा में पूरे किये जायेंगे| यह कार्यदल निम्नलिखित कार्यों के लिए उत्तरदायी होना चाहिए|

सम्बद्ध विभागों के पदाधिकारियों एवं अन्य स्टेकहोल्डरों विभागों को अपेक्षित निर्देश एवं मार्गदर्शी निर्देश जारी करना सुनिश्चत करना|

पहचान किये गए प्रशिक्षण मॉडयूल एंव संप्रेषण से सबंधित सामग्री के विकास में मार्गदर्शन प्रदान करना| इसमें मिडिया सम्बन्धी योजनाओं का विकास एवं कार्यान्वयन सामग्री का प्रचार-प्रसार करने वाली योजनाएँ एवं उनका कार्यनिष्पादन शामिल है|

समर्थनकारी कार्यनीति एवं समुदाय को एकजुट करने के लिए सम्बन्धित एजेंसियों की सहभागिता की पहचान करने एवं उनका विकास करने में सहायता प्रदान करना| विभिन्न स्तरों पर क्षमता निर्माण भी प्रक्रिया को समर्थन प्रदान करना |

अनुवीक्षण एवं मूल्यांकन योजनाओं एवं साधनों के विकास में सहायता प्रदान करना|

कार्यनीति सम्बन्धी दस्तावेज़ एवं कार्यान्वयन सम्बन्धी योजनाओं का विकास करना: राज्य स्तर पर परामर्श प्रक्रिया राज्य स्तर और संप्रेषण के उद्देश्यों का विकास करने में सहायक होगी, जो संप्रेषण के उद्देश्यों का विकास करने में सहायक होगी, जो संप्रेषण की पहल के परिणामस्वरुप आशान्वित व्यवहार में अपेक्षित परिवर्तन लायेंगे| संप्रेषण सम्बन्धी उद्देश्य कार्यक्रम के समग्र उद्देश्यों  को पूरा करने में योगदान देंगे| एक विस्तृत कार्यान्वयन योजना तैयार की जाए, जिसमें गतिविधियाँ समय अवधि, बजट, संप्रेषण सम्बन्धी पैकेज (साधन एवं सामग्री) तथा अनुवीक्षण एवं मूल्यांकन योजना शामिल हो| इस प्रक्रिया से राज्य –स्तरीय समर्थनकारी एवं संप्रेषण कार्यनीति उभर कर सामने आएगी|

जिला स्तर पर कार्यशाला: जिला स्तर पर संप्रेषण योजनाएँ तैयार करने के लिए जिला स्तर पर कार्यशाला/शालाएं आयोजित की जाएँ| जिला स्तर पर मुख्य प्रतिभागियों को यह मच एक साथ लाएगा, जिससे संप्रेषण के मुख्य संदेशों की पहचान एवं सहमति बन सकेगी तथा परामर्श बैठकों एवं राज्य स्तरीय कार्यनीति के परिणामस्वरुप स्टेकहोल्डरों को फीडबैक मिल सकेगा| जिला स्तर पर इन कार्यशालाओं को आयोजित करने का उद्देश्य राष्ट्रीय जिला संप्रेषण योजना के टेम्पलेट के आधार पर जिला संप्रेषण कार्य योजना के टेम्पलेट के आधार पर जिला संप्रेषण कार्य योजना तैयार करना है| एक विस्तृत जिला संप्रेषण योजना टेम्पलेट का विकास इस दस्तावेज़ के एक भाग के रूप में किया गया है ताकि इन कार्यशालाओं  को सहायता प्रदान की जा सके| जिला स्तर पर आईईसी बजट के विभाजन का निर्णय राष्ट्रीय परामर्श प्रक्रिया के माध्यम से लिया गया है|

व्यवहारों को मजूबत करने के लिए तथा व्यवहारों को अपनाने के लिए सप्लाई को बढ़ाना

यह नोट किया जाए कि स्वच्छ जल की जब मांग बढ़े तो इस प्रकार की मांग को पूरा करने के लिए तदनुरूप क्षमता को बढ़ाना एवं आपूर्ति करना भी जरुरी है| संरचनागत ढांचा उप्पब्ध होना चाहिए संस्थाएं, कार्यकारी एवं मानव-संसाधन अपेक्षित सेवा प्रदान करने में सक्षम हों तथा उनमें यह कुशलता होनी चाहिए कि जनता की मांग को पूरा करने के लिए उनके साथ विचारों का आदान-प्रदान कर सके| यह जरुरी है क्योंकि यदि कार्यनीति सम्बन्धी पहल सफल हो जाती है| आपूर्ति एवं सबंधी की डिलीवरी संतोषजनक न होने पर बढ़ी हुई मांग, संप्रेषण सम्बन्धी भावी पहल को नुकसान पहुँचा सकती है|यदि प्रभाविशाली ढंग से योजना तैयार करके अमल में लाई गई है तो संस्थान एवं आपूर्ति  को मजबूत करना समग्र कार्यनीति को लागू करने में एक दूसरे के लिए सहायक सिद्ध होंगे और तय किये गए उद्देश्य को निर्धारित समयावधि में प्राप्त करने की संभावना को अत्याधिक बल मिलेगा|

राज्य स्तरीय कार्यनीति दस्तावेज के प्रमुख घटक

अखिल भारतीय स्तर पर पहचान में आए व्यवहारों पर ध्यान केन्द्रित करना| कार्यनीति रुपरेखा में राज्य की सूची में दिए गए अतिरिक्त व्यवहारों को चुनना (वैकल्पिक) स्थानीय सन्दर्भ/स्थित को समझा तथा सामाजिक-सांस्कृतिक एवं भौगोलिक विविधता, मिडिया की पैठ एवं पहुँच, सामाजिक अपवर्जन आदि को ध्यान में रखते हुए, राज्य के सन्दर्भ में राष्ट्रीय संप्रेषण कार्यनीति को अनुकूलन करना|

राज्य विशिष्ट कार्यान्वयन योजना तैयार करना अनुवीक्षण एवं मूल्यांकन योजनाओं का अनुकूलन करना|

जिला योजना टेम्पलेट के प्रमुख घटक

संस्थान की संरचना एवं कार्य: राज्य, जिला, ब्लॉक एवं ग्राम स्तर पर संप्रेषण कार्य से जुड़े हुए वर्तमान संस्थानों का तथा उनकी भूमिका एवं उत्तरदायित्व का पता लगाना|

संदेश, माध्यम एवं संप्रेषक: मुख्य व्यवहारों (यदि राज्य स्तर पर कुछ जोड़े गए हों, प्रयुक्त किये जाने वाले संदेशों का पता लगाना, जिन प्रतिभागी समूहों को सम्बन्धित किया जाना है जिस माध्यम से ये संदेश दिए जायेंगे तथा वे प्रभावित होने वाले व्यक्ति, जो इन सेंसेशों को आगे संप्रेषित करेंगे|

अनुवीक्षण एवं मूल्यांकन: जैसी योजना बनाई गई है, संप्रेषण सम्बन्धी गतिविधियाँ अमल में लाई जाती हैं इन्हें सुनिश्चित करने के लिए प्रक्रिया तथा उन व्यक्तियों की पहचान, जो उन गतिविधियों का अनुवीक्षण करेंगे तथा उनकी भूमिका एवं उत्तरदायित्व|

बजट सम्बन्धी पहलू: वित्तपोषण सम्बन्धी औपचारिकताओं का पता लगाना तथा मार्गदर्शी सिद्धांतों के अनुसार, निधि-प्रबन्धन|

अनुवीक्षण एवं मूल्यांकन रुपरेखा

गतिविधियों और सम्पूर्ण कार्यवृत के निष्पादन पर नियमित रूप से सूचना प्रेषण हेतु संप्रेषण गतिविधियों के अनुवीक्षण एवं मूल्यांकन हेतु प्रणाली का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है जिससे संप्रेषण सम्बन्धी गतिविधियों में खामियों का पता लगाने और उनमें जरुरी संशोधनों में मदद मिलेगी| ग्रामीण पेयजल  क्षेत्र के मौजूदा नियोजन, अनुवीक्षण एवं मूल्यांकन रूपरेखाओं की समीक्षा करने से यह पता चलता है कि अब तक सहायता दिए गए अनुवीक्षण किया गए अधिकांश कार्यों में आपूर्ति के क्षेत्र में विशेष रूप संस्थागत ढांचे और सेवा प्रावधान की ओर ध्यान केन्द्रित  किया गया है| मांग बढ़ाने और मांग के साथ ही अन्य पहलुओं की निगरानी पर कम ध्यान दिया गया विशेष रूप परिवारों, और समुदायों के ज्ञान, जरूरतों, आकांक्षाओं, समुदाय की भागीदारी पहुँच, मौजूदा प्रवृतियों के साथ कार्य की गुणवत्ता और पेयजल से सम्बन्धित मुख्य व्यवहारों के आस-पास के सामाजिक मानक पर कम ध्यान दिया गया है|

अनुवीक्षण एवं मूल्यांकन पर राज्य के दिशानिर्देश

पेयजल से सम्बन्धित सम्बन्धी व्यवहारों के प्रति समझ बढ़ाने और पर्याप्त, स्वच्छ और सतत पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने वाली सेवाओं के लिए मांग बढ़ाने हेतु राज्य की कार्यनीतियाँ ऐसी होनी चाहिए जो की प्रासंगिक एवं सुसंगत संदेश के माध्यम से मुख्य भागीदारों के जुडाव में उत्प्रेक बने मौजूदा रवैया और सामाजिक मानकों को प्रभावित करें जिससे कि सामुदायिक भागीदारी को बल मिले और स्वास्थ्य और सुख समृद्धि के सामान्य लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु अंतर-क्षेत्रीय समन्वयन उत्प्रेरित हो| संप्रेषण सम्बन्धी पहलों का अनुवीक्षण बहुत से स्तरों पर किया जा सकता जिसमें इनपुट, आउटपुट, आउटकम और प्रभाव स्तर शामिल है|

राज्य की अनुवीक्षण एवं मूल्यांकन योजना में बहुत से घटक शामिल हो सकते हैं जैसे कि:

तीव्र-मूल्यांकन: उस परिप्रेक्ष्य को समझना जिसमें कार्यक्रम का कार्यान्वयन किया जायेगा, पहचाने गए मुख्य व्यवहारों के निर्धारकों को समझना (डब्लूएचावाई) और संप्रेषण एवं सामाजिक संसाधनों की पहचान करना, जो कि कार्यक्रम में उपलब्ध है|

आधारभूत-मूल्यांकन: वर्तमान स्थिति और रुझानों का आंकलन करना, जिसकी  तुलना में पूर्वानुमानित बदलावों की तुलना और उनका मूल्यांकन किया जा सकता है|

प्रगति की निगरानी: कार्यक्रम के कार्यान्वयन के पश्चात् लोगों के ज्ञान, रवैये एवं व्यवहार में आए बदलावों का पता लगाना| इससे भविष्य में सुधार करने में जरुरी कार्रवाई शुरू करने में मदद मिलेगी| प्रगति की निगरानी विभिन्न उपकरणों के प्रयोग से की जा सकती है, जिसमें स्टेकहोल्डरों के साथ समीक्षा, बैठकें, प्रक्रिया दस्तावेजीकरण, क्षमता निर्माण/प्रशिक्षण रिपोर्ट, तीव्र मूल्यांकन आदि शामिल हैं, जिससे कि चौक प्वाइंट यह सुनिश्चित करने के लिए बनाए जा सकें कि संप्रेषण सम्बन्धी गतिविधियाँ सही दिशा में है|

समुदाय आधारित प्रणाली की स्थापना  करना: समुदाय के सदस्यों द्वारा स्वयं के व्यवहारों पर निगरानी करने हेतु प्रयोग करने के लिए|

मध्याविधि एवं समापन अवधि तक: यह पता करना कि संप्रेषण उद्देश्य पूरे हुए हैं अथवा नहीं|

प्रभाव आंकलन: आधारभूत मूल्यांकन की तुलना में कार्यकलापों की सफलता का मापन करना|

लम्बी अवधि तक निरंतरता की निगरानी: पेयजल कार्यक्रम के परिणामों एवं प्रभाव को बनाए रखने हेतु स्वच्छ पेयजल से सम्बन्धित व्यवहारों, जल से सम्बन्धित सुविधाओं एवं संस्थागत तंत्रों को सतत रूप से बनाये रखने की संभाव्यता का  पता लगाना|

कार्यक्रम के प्रभाव एवं प्रक्रियाओं की गहराई से जानकारी प्राप्त करने के लिए गुणवत्ता अनुसंधान प्रणालियों का उपयोग या तो अलग से अथवा मात्रात्मक आंकड़ों को सहायता प्रदान करने के रूप में किया जा सकता है| इनमें शामिल है- सामूहिक-मापन, ढांचागत-सर्वेक्षण, प्रसंशापरक जाँच-पड़ताल, मुद्दों का अध्ययन एवं संरचित लिखित समीक्षाएं|

राज्य समर्थनकारिता और संप्रेषण कार्यनीति के भीतर अनुवीक्षण एवं मूल्यांकन योजना का समेकन मौजूदा आयोजना, अनुवीक्षण और मूल्यांकन प्रक्रियाओं को कारगार बनाने में मदद करेगा|

अनुवीक्षण एवं मूल्यांकन रुपरेखा

इनपुट                          आउटपुट                           आउटकम         प्रभाव

अनुवीक्षण: क्या निवेश किया गया है, क्या कार्य हुआ है और उत्पादित हुआ है, और इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए किस प्रकार प्रगति रहे है?

मूल्यांकन: क्या हुआ है और परियोजना के परिव्यय  के साथ में क्या प्राप्त किया गया है?

प्रभाव का मूल्यांकन: कौन से बड़ी अवधि के सतत परिवर्तन लाये गए हैं (उदाहरणार्थ: बालरूग्णता और मृत्युदर में कमी अथवा उसमें बढ़ते)

समर्थनकारी एवं व्यवहारगत सम्बन्धी गतिविधियों गुणवत्ता एवं प्रभाव की बेहतर समझ विकसित करने के लिए, राज्यों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे राज्य-विशिष्ट अनुवीक्षण एवं मूल्यांकन योजनाएं बनाएँ और प्रक्रिया, आउटपुट और आउटकम संकेतकों पर वार्षिक प्रगत सम्बन्धी सरंचना दें|

एक व्यापक अनुवीक्षण एवं मूल्यांकन रुपरेखा तैयार की गई है चूँकि इस कार्यनीति रुपरेखा का भाग वर्गीकृत स्तरों में संगठित है, आउटपुट संकेतक, आउटकम संकेतक प्रक्रिया संकेतक|

आउटकम संकेतक

आउटपुट  मूल्यांकन का उपयोग कार्यनीति की तयशुदा उद्देश्यों को पूरा करने में उसकी प्रभावशीलता का आंकलन करने में प्रयोग किया जाता है| आउटपुट संकेतकों को व्यवहारगत परिणामों, नीतिगत बदलाव अथवा उन सामाजिक मानदंडों के परिवर्तनों से परिभाषित किया जा सकता है जो कि उसके प्रारंभ से ही आस्तित्व में है|

आउटपुट संकेतक

आउटपुट आंकलन, संप्रेषण सम्बन्धी गतिविधियों के प्रारंभिक परिणामों के संकेत करता है, जबकि लंबी अवधि के संकेतकों के मूल्यांकन को संप्रेषण कार्यनीति के परिणामी (आउटकम) मूल्यांकन के रूप में माना जायेगा| मध्यवर्ती परिणामों के संकेतकों को व्यवहारगत परिवर्तन के भावी अनुमानों के रूप में उपयोग में लाया जा सकता है|

प्रक्रिया संकेतक

इसका उपयोग यह आंकलन करने में किया जाता है कि कितने बेहतर तरीके से संप्रेषण योजनाओं का कार्यान्वयन किया गया है और उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु किस प्रकार संप्रेषण/समर्थनकारी गतिविधियों और कार्यों में सामंजस्य बनाया जाता है कि क्या इनपुट और संसाधनों का आबंटन किया गया है अथवा उनका इस्तेमाल किया गया है और क्या योजनानुसार गतिविधियाँ कार्यान्वित की गई है|

पेयजल पर एमडीजी लक्ष्य और संकेतक

एमजीडी 7 लक्ष्य 7सी: उन लोगों का अनुपात (1990) जिनके पास स्वच्छ पेयजल और मूलभूत स्वच्छता सुविधा की सतत रूप में उपलब्धता नहीं है, 2015 तक आधा|

एमडीजी संकेतक

उस जनसंख्या का अनुपात जो की पेयजल उन्नत स्रोत का उपयोग करता है (शहरी एवं ग्रामीण)

जनसंख्या का अनुपात जो कि उन्नत स्वच्छता सुविधा का उपयोग करता है (शहरी एवं ग्रामीण)

ग्रामीण जल आपूर्ति क्षेत्र से सम्बन्धित मुख्य चुनौतियाँ

1.   जल की उपलब्धता

विश्व में भारत भूजल का सबसे बड़ा उपभोक्ता है और घरेलू जल की मांग का करीब 80 प्रतिशत, भूजल के माध्यम से पूरा होता है, ग्रामीण क्षेत्रों में यह प्रतिशत लगभग 90 प्रतिशत तक बढ़ जाता है| भू-जल एक असमिति संसाधन है, इस साधारण से इन संसाधन का अत्यधिक दोहन हुआ है| अत्यधिक दोहन होने निर्धारित स्तर तक भू-जल स्तर न रहने से भू-जल संसाधन की अत्यधिक खतरे में पड़ गई है, जिसके परिणाम स्वरुप बहुत से क्षेत्रों में, खास पानी प्रवेश कर गया है|

मौसम के कारण भी कमी होना भी विचार का एक गंभीर मुद्दा है| यह खतरे का विकास है कुछ सर्वाधिक उत्पादक (औद्योगिक एवं कृषि) में मुख्यतः जल क उपयोग के त्रिकोण के अनियमित उद्योग के कारण जल की कमी का सामना किया जा रहा है| वर्ष 2010 के अनुसार, लगभग 92 प्रतिशत शहरी आबादी और 90 प्रतिशत ग्रामीण आबादी को उन्नत जल स्त्रोतों जैसे कि पाईप द्वारा जल आपूर्ति टयूब बैल और संरक्षित स्रोतों से जल की सुविधा उपलब्ध है| तथापि, इस उपलब्धता से पर्याप्तता, गुणवत्ता और समान वितरण सुनिश्चित नहीं होता, और बहुत से क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति उपलब्धता तयशुदा मानकों के अनुसार नहीं है| केवल 2 प्रतिशत ग्रामीण आबादी को उनके घरों के आस-पास पाइप द्वारा जल आपूर्ति की सुविधा प्राप्त है, जबकि केवल 10 प्रतिशत गैर उन्नत स्रोतों (उदाहरणार्थ: सतही जल, सुरक्षित खोदे गए कुएं आदि का उपयोग करते हैं|

बढ़ती आबादी एंव प्रति व्यक्ति उपयोग के कारण पारिवारिक और सामुदायिक स्तर पर जल के संरक्षण  की आवश्कता बढ़ रही है| पानी का क्यों और कैसे संरक्षण करना चाहिए, इसकी बेहतर समझ जरुरी है| इसका मूलमंत्र है जल की स्वच्छता और सुरक्षा की संकल्पना, अर्थात् समुचित मात्रा में स्वच्छ पेयजल की सतत रूप से उपलब्धता| जल सुरक्षा योजना के उद्देश्य यह सुनिश्चता करना है कि व्यवस्था इस प्रकार हो की जिससे सभी को पीने, खाना बनाने एवं अन्य बुनियादी घरेलू जरूरतों के लिए सतत आधार पर पर्याप्त और स्वच्छ पानी उपलब्ध हो| समुदाय साथ मिलकर कार्य कर सकते हैं और अपने जल संसाधनों एवं उसके उपयोग के बारे में समझ पैदा कर सकते हैं जिससे कि एनआरडीडब्ल्यूपी के दिशानिर्देशों के अनुरूप जल स्वच्छता और सुरक्षा सम्बन्धी योजनाओं बनाई जा सके|

2.  जल प्रदूषण

भारत में लगभग 70 प्रतिशत सतही जल और भूजल के बढ़ते हिस्से में जैविक साथ ही साथ रासायिनक, जैविक, अजैविक और विषैले प्रदूषकों से संदूषित हो रहा है| ऐसे प्रदूषण के स्रोतों में मुख्य स्रोत जैसे कि खुले में शौच जाना, औद्योगिक बहिस्राव और घरेलू अपशिष्ट पदार्थ तथा गैर मुख्य स्रोत जैसे कि कृषि शामिल है| जल संसाधन, विशेष रूप से बहुत से क्षेत्रों में प्राकृतिक और मनुष्य जनित संदूषण के कारण प्रदूषित होते हैं|

माइक्रोबॉयल संदूषण:

पेयजल में रोग्कारी सूक्ष्म-जीवों का होना, स्वच्छ जल के लिए बहुत बड़ा खतरा है| यद्यपि भारत में जल उपलब्धता के आंकड़े उन्नत पेयजल स्रोतों की बढती उपलब्धता को दर्शाते हैं, तथापि, ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता अभी भी चुनौती बनी हुई है| भारत में 620 मिलियन से भी अधिक लोग खुले में शौच जाते हैं और अधिकांश भारतीय परिवारों द्वारा पयेजल क शोधन नहीं किया जाता| सर्वेक्षण से यह पुष्टि हुई है कि भूजल में उल्लेखनीय रूप से माइक्रोबायोलॉजीकल संदूषण होता है इनमें से अधिकांश संदूषण स्वच्छ और व्यक्तिगत स्वच्छता के व्यवहारों के साथ-साथ जल स्रोतों का उचित प्रचालन और रखरखाव से रोका जा सकता है|

जल संदूषण के प्राकृतिक स्रोत

लवणतःभारत के 7000 किमी लम्बी तटरेखा में तटवर्ती एक्क्वीफर, ताजे पानी का एक महत्वपूर्ण स्रोत बनाती है| ये एक्क्वीफर समुद्र से खरे पानी के साथ मिल जाने के प्रति संवेदनशील होती है| तटवर्ती क्षेत्रों में खारे पानी का प्रवेश, भूजल के बार-बार संकेंद्रित रूप से बाहर निकाले जाने से और प्राकृतिक जलीय ढलानों में परिवर्तन होने से और तीव्र हो जाता है|

लौह तत्व:

लौह तत्व भारत के बड़े भाग में बड़ी मात्र में पाया जाता है, सामान्यतः यह माना जाता है कि इससे स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता यद्यपि स्वाद सम्बन्धी कारणों से हो सकता है लोग लौहतत्व की उच्च मात्रा से बचने के लिए निम्न गुणवत्ता वाले स्रोतों से पानी पिएं|

फ्लूओराइड: अध्ययनों से पता चलता है कि पिछले  कई वर्षों से ग्रामीण भारत में फ्लूओंरोसिस एक मुख्य बड़ी स्वास्थ्य समस्या के रूप में सामने आई है| फ्लूओराइड का अत्यधिक मात्रा में सेवन से, जो कि स्वाभाविक रूप से हो जाता है, दांत दागदार हो सकते हैं और तीव्र मामलों में, हड्डी से सम्बन्धित  फ्लूओंरोसिस को बेकार बना दाता है|

आर्सेनिक: सन 1983 में भूजल में आर्सेनिक संदूषण का पहला मामला सामने आया तह, आर्सेनिक संदूषण मुख्य  रूप से पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, उत्तरप्रदेश, झारखण्ड एवं गंगा के मैदानी इलाकों सहित अन्य राज्यों में बढ़ गया है आर्सेनिक रूप से वर्णक्रत से त्वचा सम्बन्धी रोग, ऊपरी स्तर की तंत्रिका सम्बन्धी विकृति का कैंसर, मूत्राशय एंव फेफड़े का कैसर एवं ऊपरी नाड़ी सम्बन्धी रोग पाया गया है|

लोगों द्वारा पैदा किये गे अथवा उनके कारण होने वाले जल संदूषण के स्रोत

ठोस एवं तरल अपशिष्ट पदार्थ का निपटान: आज भारत में अपशिष्ट पदार्थ निपटाने की प्रभावशाली पद्यतियों के मामले में बहुत सी कमियां है, जिससे पेयजल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है| खुले में अपशिष्ट पदार्थों को फेंकने, ख़राब तरीके से प्रबंध किया गए भूमि भरावों से जल निकाय और भूजल, विषैले पदार्थों से प्रदूषित होते हैं| निःसंदेह ये स्थितियां भारत तक ही सिमित नहीं हैं और ये विश्व भर में चिंता का विषय है| जैसा  की पूर्व में बताया गया है, स्वच्छता सम्बन्धी खराब सुविधाएँ, पेयजल स्रोतों के आस-पास खुले में शौच और के संदूषित होने का एक मुख्य कारक है|

कृषि: कृषि क्षेत्र का जल गुणवत्ता में बहुत बड़ा प्रभाव रहा है| ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 13 प्रतिशत पेयजल में रासायनिक संदूषण पाया जाता है जिसमें मुख्यतः यूरिया के रूप में एवं उसके अपघटित उत्पाद (योजना आयोग, 2011) शामिल हैं| उर्वरक और कीटनाशक, अपवाहों के माध्यम से, जल आपूर्ति स्रोतों तक पहुंचाते हैं और भूजल स्तर तक पहुँच आपूर्ति स्रोतों तक पहुँच जाते हैं और इस प्रकार से ये तत्व मनुष्यों, पशुओं एवं पौधों की बड़ी संख्या के लिए खतरा पैदा करते हैं| भूजल में नाइट्रेट विशेष रूप से उथले एक्वीफेरों में भूजल में नाइट्रेट अवयव है| यह स्रोत मुख्य रूप से मानव जनित गतिविधियों जैसे कि उर्वरकों का उपयोग एवं भूमि पर ठोस अपशिष्ट पदार्थों का प्रयोग एवं कृषि क्षेत्रों से अवयव (अतिरिक्त तरल पदार्थ) के माध्यम से आता है| नाइट्रेट की अत्याधिक मात्रा में जमाव होने से भी स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती है|

औद्योगिक: प्रायः औद्योगिक अपशिष्ट जल अत्यधिक विषैले प्रदूषणों से संदूषित होता है जो कि वातावरण में अत्यधिक मात्रा में विद्यमान हैं| देश के औद्योगिक क्षेत्रों में ऐसे बहुत से मामले हैं जहाँ उद्योगों से बहने वाले अपशिष्ट पदार्थों को बिना किसी पूर्व शोधन उसके आस-पास रहने वाले लोगों के जीवन और जीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है|

3.  जल माइक्रोबायोलोजिकल प्रदूषण और बाल स्वास्थ्य

जल की खराब गुणवत्ता से स्वास्थ्य पर भीषण दुष्प्रभाव पड़ता अहि| जल एवं स्वच्छता से सम्बन्धित बीमारियाँ, भारत में 60 प्रतिशत पर्यावरण स्वास्थ्य भार के लिए उत्तरदायी हैं| भारत में जल होने वाली बीमारियों के लिए उत्तरदायी मुख्य रोग जन्य जीवाणु हैं बैक्टीरिया (ई.कोली, शिगेला, बी कोलरा) विषाणु (हैपेटाइटिस ए, पोलियों, वाइरस, रोग वायरस) एवं पैरासाइट (ई. हिस्टोलिटिया, गियारडीया) (खुराना एवं सेन, 2007) असुरक्षित पानी एवं ख़राब स्तर की स्वच्छता सुविधाओं से भारत में वर्ष 2002 में कुल 7.5 प्रतिशत मृत्यु होने सूचना मिली और कुल 9.4 प्रतिशत लोगों में विकलांगता सम्बन्धी समस्याएँ (डीएएलवाई) पाई गई (पीआरयूएसईटीएएल, 2008) भारत में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में होने वाली मृत्यु में से एक तिहाई मृत्यु डायरिया एवं निमोनियां के कारण होती है| बहुत से और बच्चे जो बच जाते हैं उनमें डायरिया, निमोनिया, मलेरिया एवं कीड़ों से होने वाले संक्रमण के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी दिखाई देती है और उनमें वजन में गिरावट आती है और वे कुपोषण के शिकार हो जाते हैं जिससे जीवन भर उनके सीखने की क्षमता पर तीव्र प्रभाव पड़ता है|

वाश और पोषण की महत्वपूर्ण भूमिका को अब बेहतर रूप से समझा जा रहा है| वैशिवक रूप से (यूनिसेफ, 2012) पांच मौतों में से 3 को रोकने के विचार पर बल दिया गया है| भारत में विश्व के अविकसित बच्चों की सबसे अधिक संख्या है जिनमें से 40 प्रतिशत सामान्य रूप से अथवा गहन रूप से कम वजन के होते हैं| विश्व में खुले में शौच करने वालों की संख्या भारत में सबसे अधिक है अर्थात् 620 मिलियन से भी अधिक है| चूँकि अविकसित खाद्य अंतर्ग्रहण, सामान्य स्वास्थ्य स्थिति तथा शारीरिक पर्यावरण पर निर्भर करती है अतः ये जल, स्वच्छता और साफ-सफाई (वाश) सभी तीनों घटकों से महत्वपूर्ण सरूप से सम्बंद्ध हैं| अनुमान लगाया गया है कि 50 प्रतिशत कुपोषण जल , स्वच्छता तथा साफ-सफाई (वाश) के कारण होता है|

4.  ख़राब वाश के कारण आर्थिक हानियाँ

भारत में जल जनित बीमारियों के कारण एक वर्ष में 90 मिलियन दिवसों की हानि होती है| जल एवं स्वच्छता कार्यक्रम (वाश) द्वारा किये गए अध्ययन से अनुमान है कि भारत में अपर्याप्त स्वच्छता कारणों से प्रत्येक वर्ष ‘पर्याप्त आर्थिक हानियाँ होती हैं जो 53.8 बिलियन अमेरिकी डालर (डब्ल्यूएसपी, 2010) है| यह भी पता चलता है कि बच्चे और गरीब परिवार ख़राब साफ-सफाई से ग्रस्त है| पूर्वानुमानित मृत्युदर सम्बन्धित आर्थिक हानियों की तीन तिमाहियों में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में मृत्यु और बीमारियाँ अधिक रही है|

5.  जल का असमान वितरण

यह समझने में महत्वपूर्ण बात है कि जल भी एक सामाजिक कारंक है और इसकी पहुँच सामाजिक रूप से ठोस है| यद्यपि, भारत ने पेयजल से सम्बन्धित सहस्त्राब्दी विकास, लक्ष्य (एमडीजी) को प्राप्त कर लिया है, तथापि, लगभग 13 प्रतिशत परिवार आज भी गैर-उन्नत स्रोतों से पयेजल प्राप्त करते हैं तथा अब अनुसूचित जन जातियों से सम्बन्धित यह आंकड़ा बढ़कर 27 प्रतिशत हो गया है| देश भर के सबसे धनी वर्ग के 65 प्रतिशत (अर्थात् भारतीय समाज के सबसे धनी वर्ग का 20 प्रतिशत) परिवारों में पाइपों द्वारा जल की आपूर्ति होती है, जबकि सबसे गरीब वर्ग के परिवारों में यह आपूर्ति मात्र 2 प्रतिशत ही है| ग्रामीण क्षेत्रों के सबसे धनी वर्ग के 32 प्रतिशत परिवारों में पाइपों द्वारा जल की आपूर्ति होती है, जबकि सबसे गरीब वर्ग में यह 1प्रतिशत ही है| अनुसूचित जनजाति (एसटी) के परिवारों में पाइप द्वारा जलापूर्ति का भारतीय औसत (44 प्रतिशत की तुलना में 24 प्रतिशत) से कमतर है, अनुसूचित जातियों (एससी) का तदनुरूपी मान 41 प्रतिशत है| अ.ज.जा. एवं अ.जा. का स्वच्छ्ता सम्बन्धी भारतीय औसत 50 प्रतिशत राष्ट्रीय औसत क्रमशः 75 प्रतिशत एवं 63 प्रतिशत की तुलना में गैर-आनुपातिक रूप से कमतर है|

6.  लैंगिक असमानताएँ

सभी आयु वर्ग की अधिकांश ग्रामीण एवं शहरी महिलाएं पशुधन के लिए जल सहित पारिवारिक जरूरतों के लिए जल के संग्रहण में लगी रहती है| साक्ष्य दर्शाता है कि भारत के ग्रामीण एवं शहर के आस-पास के क्षेत्रों में महिलाओं द्वारा तय की जाने वाली औसत दूरी, उनके सम्पूर्ण स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव डालती है तथा उनके उत्पादक कार्य घंटों में कमी लाती है| बालिकाओं का शैक्षिक एवं समग्र-आत्मविकास का स्तर गंभीर रूप से गिरता चला जाता है, जब वह जल संग्रहण के कार्य से जुडी रहती है|

यद्यपि महिलाओं की इस महत्वपूर्ण  भूमिका को जानने के बाद भी, सिमितताएँ बनी रहती है| एनआरडीडब्ल्यूपी के दिशानिर्देशों के अनुसार ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति (वीडब्ल्यूएससी) के सदस्यों को संघों के विभिन्न समूहों का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना जाना चाहिए जिसमें 50 प्रतिशत महिलाएँ विशेष रूप से अ.जा. अ.ज.जा. एवं ओ.बी.सी. से सम्बंद्ध होनी चाहिए| इसमें ग्राम सभा की भूमिका भी महत्वपूर्ण है| तथापि, इसमें अधिक से अधिक महिलाओं को नीतिगत स्तर पर कार्यक्रम में शामिल करने के प्रयास किए गए हैं जबकि सच्चाई यह है कि इन प्रावधानों का कार्यान्वयन मजबूत लिंग भेद के कारण किया जाना कठिन है| जल एवं स्वच्छता तथा व्यक्तिगत स्वच्छता (डब्ल्यूएएसएच) की गतिविधियाँ जिनमें महिलाओं के सम्बन्ध में किसी समाज के सामाजिक, आर्थिक, एवं पारिवारिक दबाव को ध्यान में रखते है, उनके लिए अनुपयुक्त परिणाम दिखा सकते हैं|

7.  मुख्य क्षेत्रीय अंतर:घरेलू उपयोग हेतु जल

एमडीडब्ल्यूएस की कार्यनीति योजना (2011-22) ग्रामीण पेयजल एवं स्वच्छता क्षेत्रों का लक्ष्य पारिवारिक कनेक्शनों (70 आईपैड या अधिक के लिए डिज़ाइन किया हुआ) सहित 80 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों को पेयजल उपलब्ध कराने का है| एनआरडीडब्ल्यूपी दिशानिर्देशों में, पेयजल की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए स्त्रोतों की निरंतरता, वित्त प्रबंधन एवं अवसंरचना को ध्यान में रखते हुए विकेन्द्रीकरण, मांग आधारित क्षेत्र विशिष्ट प्रदेशों के लिए पर्याप्त लचीलापन है| अतः समुचित प्रौद्योगिकी की स्वीकार्यता, परम्परागत प्रणालियों की प्रबलन/पुनःप्रवर्तन सतही एवं भूजल का संयुक्त प्रयोग, संरक्षण, वर्षा जल संचयन तथा पेयजल स्रोतों के पुनर्संचालन पर बल दिया गया है|

तथापि, इससे प्रगति एवं सापेक्ष नीतिगत वातावरण के बावजूद पेयजल स्रोतों की, निरंतरता एवं प्रणालियों एक गंभीर चुनौती रही है| परिणामतः निरंतरता के आधार पर पर्याप्तता एवं गुणवत्ता सहित पेयजल की उपलब्धता को सुनिश्चता करना एक बड़ा मुद्दा है|

चरण:1 सुरक्षित पेयजल पर जागरूकता एवं जानकारी में बढ़ोत्तरी करना

राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर

स्टेकहोल्डर-प्राथमिक समान्य सार्वजनिक राष्ट्रव्यापी

संप्रेषण गतिविधियाँ

अपेक्षित निविष्टियाँ

सहायक भागीदार

मास मिडिया अभियान

वीडियों अपीलों, ऑडियो अपीलों, प्रिंट विज्ञापनों, प्रेस विज्ञप्तियों, एसएमएस/पथ सहित विभिन्न माध्यमों के लिए चुनिंदा व्यवहारों पर संदेश देने के लिए विषय-वस्तु का सृजन

ब्रांड पेयजल संदेशों के लिए व्यवहारों पर सभी  संदेशों के लिए पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के लोगों के साथ सामान्य टैग लाइन्स अथवा मुख्य ब्रांड रंग

प्रत्येक माध्यम के लिए संदेशों के प्रचार-प्रसार हेतु विस्तृत मिडिया योजना-इसमें निम्नलिखित शामिल किया जाना चाहिए

विशिष्ट समय सीमा

विश्वसनीय रेटिंग्स पर आधारित/टीवी/रेडियो चैनलों तथा प्रिंट का चयन

कतिपय दर्शकों को लक्षित करने हेतु प्रदर्शन का समय उदाहरणार्थ-प्राइम टाइम में पीएसए को पापुलर सोप ओपेरा के बीच रखना अथवा लोकप्रय समाचार चैनलों पर समाचार के पहले अथवा बाद में रखना

टीवी और रेडियो पर लोकप्रिय कार्यक्रमों के जरिये संदेशों को सन्निहित करना

निदिर्ष्ट  विषय पर तैयार फीचर फिल्मों और लघु चलचित्रों में सन्निहित संदेश

पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय

संयुक्त राष्ट्र एंजेसीज

डोनर और अन्य एजेंसियाँ

 

 

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी)

निजी क्षेत्र

टीवी, रेडियों, प्रिंट, ऑनलाइन मिडिया (हिंदी व क्षेत्रीय/स्थानीय भाषाएँ)

 

 

फीचर फिल्में/डाक्यूमेंट्री

 

 

यह सुनिश्चित करना कि विभिन्न माध्यमों से इस ढंग से सूचना का समय पर प्रचार-प्रसार हो कि जनता को कुछ प्रमुख संदेशों से संतृप्ति प्राप्त हो सके|

 

 

अभियान को पूरे वर्ष गहन प्रयासों से चलाया जा सकता है और इस पर मिडिया योजना के भीतर पूर्व-निर्णय लिया जाना चाहिए| राष्ट्रिय एवं राज्य स्तर पर प्रसारण को दिखाने के प्रयास किये जाने चाहए|

 

 

सोशल मिडिया नेटवर्क का प्रयोग निर्धारित प्रमुख व्यवहारों के आसपास चहल पहल पैदा करना

सोशल नेटवर्क के लिए अपीलों सहित उपयुक्त विषयवस्तु तैयार करना|

पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के फेसबुक पेज पर एसडब्ल्यूएसएम, डीडब्ल्यूएसएम, संयुक्त राष्ट्र एंजेंसियों, सीएसओ/ गैरसरकारी संगठनों द्वारा नियमित अंशदान

एमडीडब्ल्यूएस की वेबसाइट को नियमित रूप से अद्यतन करना

वाश संप्रेषण साधनों और सामग्री की विषयसूची तैयार करना|

 

सोशल नेटवर्क (फेसबुक, यू-टूयूब, ट्विटर आदि का प्रयोग)

 

 

चर्चा (ब्लॉगस , ऑनलाइन फोरम) के लिय संगत प्लेटफार्म लाने हेतु सोशल मिडिया नेटवर्क सृजित करना

 

 

मंत्रालयों/महत्वपूर्ण कार्यक्रमों की वेबसाइट के साथ पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय की वेबसाइट को क्रॉस लिंक करना

 

 

राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर सोशल मिडिया एवं मेनलाइन प्रिंट मिडिया दोनों के बीच इंटरफेस का सृजन

 

 

जब मास मिडिया (जन संचार) की गति धीमी चल रही हो तब जागरूकता बढ़ाना और वार्ता को जारी रखना, सोशल मिडिया गतिविधियों की गहनता में वृद्धि की जानी चाहिए

 

 

पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय/डब्ल्यूएसएसओ वेबसाइट में संप्रेषण के साधनों और सामग्री का संग्रह

 

 

आईसी सामग्री का उत्पादन करने हेतु ऑडियो वीडियो सामग्री तथा आईसी सामग्री के “आर्टवर्क” की सॉफ्ट  कॉपी डाउनलोड करने हेतु डब्ल्यूएसएसओ तथा डब्ल्यूएसम समर्थ बनाने के लिए पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय तथा डब्ल्यूएसएसओ की वेबसाइट में संग्रह का कार्य शुरू किया जा सकता है|

 

 

मोबाइल अभियान

मोबाइल फ़ोनों के जरिये प्रसारित की जाने वाली सृजनशील विषयवस्तु तैयार करना

 

निम्नलिखित पर पहल करने हेतु एक सेवा प्रदाता के साथ भागीदारी पर जोर जा सकता है:

 

 

एसएमएस अभियान

मोबाइल टेलीफोन सेवा प्रदाताओं के साथ समझौता करना

 

बल्क

 

 

एसएमएस/संगीत/जिंगली/कॉलर ट्यून्स के माध्यम से मोबाइल संदेश

 

 

अन्य नवाचार मोबाइल संदेश

 

 

प्रतिष्ठित पहुँच वाले व्यक्ति द्वारा अभियान

कार्य को चैपियन की तरह करने हेतु प्रतिष्ठित व्यक्तियों की पहचान करना/ब्रांड अम्बेसेडरों का चयन करना

 

प्रमुख व्यवहारों का संवर्द्धन करने हेतु प्रतिष्ठित व्यक्तियों को नियोजित करना/ ये व्यक्ति राष्ट्रीय/राज्य/क्षेत्रीय स्तर पर लोकप्रिय हो सकते हैं

प्रतिष्ठित व्यक्तियों/ ब्रांड अम्बेसेडरों के साथ अपीलें करना|

फील्ड दौरों का आयोजना करना

 

अपने कार्य क्षेत्र में प्रमुख व्यवहारों के बारे में संदेशों को शामिल करने हेतु प्रतिष्ठित व्यक्तिको निदिर्ष्ट करना (उदाहरणार्थ एक कलाकार (अभिनेता) अपनी फिल्मों में पृष्टभूमि के रूप में बेहतर जल प्रबंधन व्यवहारों सहित)

हाथ  प्रक्षालन दिवस,विश्व जल दिवस, स्वच्छता दिवस, उत्सव जैसे पदामनित दिवस, सप्ताह/माह पर समारोह आयोजित करना|

 

जनसंचार के लिए प्रतिष्ठित व्यक्ति के  साथ पीएसए/लघु फिल्मों का विकास

 

 

प्रतिष्ठित व्यक्ति (सेलिब्रिटी) द्वारा फील्ड दौरे

 

 

समुदाय से मिलना

 

 

सर्वोत्तम व्यवहारों पर सूचना की भागीदारी

 

 

समारोह

 

 

ऐसे अधिकारियों, राजनैतिक नेताओं तथा सिविल सोसायटी संगठन, बाल एवं युवा एम्बेसडरों, निचले स्तर के कामगारों जिन्होंने वाश क्षेत्र/मिश्रित कार्यक्रमों में उत्कृष्ट कार्य किया है को पुरस्कार देने के लिए प्रतिष्ठित व्यक्तियों को सम्बद्ध करना

 

 

फन-फील्ड चाइल्ड फ्रेंडली गतिविधियों के साथ बच्चों को सम्बद्ध करना

 

 

टीवी.रेडियो चर्चाओं/विचार-विमर्शों में भागीदारी

 

 

विद्यालय स्तर पर मैराथन दौड़/क्रिकेट मैच/अन्य खेल

 

 

जल जागरूकता सप्ताह

 

 

जिला स्तर

संप्रेषण गतिविधियाँ

अपेक्षित निविष्टियाँ

सहायक भागीदार

महत्वपूर्ण स्थानों पर होडिंग्स

आउटडोर मिडिया और आईईसी सामग्री के लिए सृजनात्मक विषयवस्तु तैयार करना

 

प्रदर्शन स्थलों की पहचान.मापन-स्वास्थ्य केंद्र/अस्पताल, विद्यालय, बस स्टॉप, रेलवे स्टेशन, बाजार स्थल

 

प्रशिक्षण और कार्य-निष्पादन के लिए लोक नृत्य माध्यम ग्रुपों का निर्धारण करना

सीसीडीयू

 

डीडब्ल्यूएसएम

 

विकास एजेंसिया

जिला समन्वयक

निर्धारित संसाधन

व्यक्ति/(आईसी परामर्शदाता )

पेंटिंग्स,पोस्टरों के माध्यम से बीएस पैनल/सार्वजनिक परिवहन पर संदेश लिखना तथा बस स्टैंड और रेलवे स्टेशनों पर नियमित अंतरालों से संदेश की घोषणा करना

 

 

स्वास्थ्य सुविधा केन्द्रों, सरकारी कार्यालयों पर उदाहरण पोस्टरों के लिए प्रिंट आईसी का प्रयोग

 

 

कार्यशालाओं के माध्यम से स्क्रिप्ट (पटकथा) तैयार करने हेतु स्ट्रीट थिएटर ग्रुप और लोकनृत्य दल तथा प्रदर्शनों का कलैंडर तैयार करने के बाद निर्धारित ग्रामों में प्रदर्शनों की व्यवस्था करना

 

 

पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय द्वारा सांस्कृतिक दलों पर जारी परिपत्र को अपनाया जाए

 

 

जल सम्बन्धी मुद्दों पर फिल्में/लघु चलचित्र दिखाने के लिए निर्धारित ग्रामों का दौरा करने हेतु दृष्टांत संदेशों के साथ ऑडियो –वीडियों वाहन

 

 

ब्लॉक स्तर

संप्रेषण गतिविधियाँ

अपेक्षित निविष्टियाँ

सहायक भागीदार

महत्वपूर्ण स्थनों (ब्लॉक कार्यालय, बस स्टैंड, स्वास्थ्य सुविधा केन्द्रों आदि) पर होर्डिंग्स व वॉल पेंटिंग्स

वॉल पेंटिंग्स के लिए विषयवस्तु तैयार करना

रेडियो, टेलीविजन और लोक कार्यक्रम थिएटर के माध्यम से दिखाई जाने वाली विषयवस्तु तैयार करना

ब्लॉक संसाधन समन्वयक

संदेशों की सूची बनाना, स्थानीय टीवी/केबल चैनलों (जहाँ कहीं उपलब्ध हों) पर पेयजल से सम्बन्धित मुद्दों पर डॉक्टरों एवं विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श

 

 

 


ग्राम पंचायत

 

संप्रेषण गतिविधियाँ

अपेक्षित निविष्टियाँ

सहायक भागीदार

वॉल पेंटिंग्स

वॉल पेंटिंग्स के लिए विषयवस्तु तैयार करना

लोक रंगमंच और गीतों के माध्यम से दिखाए जाने वाले संदेश

प्रदर्शनी एवं प्रदर्शन के लिए संभार-तंत्र

ब्लॉक संसाधन समन्वयक

लोक मिडिया निष्पादन (गीत एवं नाटक)

 

 

मोबाइल वाहनों के जरिये संदेश

 

 

प्रदर्शनी एवं प्रदर्शन

 

 

चरण:2: समाभिरुपता और तदनुरूपी पर्यावरण सृजित करने हेतु निर्माताओं और प्रमुख स्टेकहोल्डरों के साथ समर्थन

राष्ट्रीय स्तर

स्टेकहोल्डरों

समर्थनकारी गतिविधियाँ

अपेक्षित निविष्टियाँ

सहायक भागीदार

केन्द्रीय मंत्रालयों के निर्णय-निर्माता/कार्यक्रम  प्रबन्धक

निम्नलिखित पर प्रकाश डालते हुए स्वच्छता सहित जल एवं साफ-सफाई पर अभिमुखी कार्यशालाएँ

कार्यशालाएं आयोजित करने के लिए मानक फ्रेमवर्क का विकास

साक्ष्य आधारित समर्थन पैकेज

तथ्यपरक शीट

 

वीडियो फिल्में

 

ऑडियो कार्यक्रम

 

कार्यक्रम से जानकारी के साथ प्रस्तुतिकरण

एनआरडीडब्ल्यूपी  की मुख्य विशेषताओं वाली पुस्तिका

स्थलों का निर्धारण करना और क्षेत्र दौरों में सहायता करना

कार्यशालाएँ आयोजित करना, प्रतिभागियों रिसोर्स पर्सनों तथा आवश्यक समाग्रियों का निर्धारण करना

एमडीडब्ल्यूएस

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां

दात्री संस्थाएँ

 

सीबीओ/आईएनजीओं

 

एनजीओ

 

अकादमी

राष्ट्रीय आयोग

सुरक्षित पेयजल का महत्व, सतत आधार पर सुरक्षित पेयजल के उपयोग पर पहुँच में सुधार लाने हेतु सरकारी पहलों तथा राष्ट्रीय आयोगों की सूचना

 

 

निर्वाचित प्रतिनिधि ससंद, मंत्री (प्रमुख तथा जिन मत्रालयों के साथ तालमेल किया जाएगा उनके केन्द्रीय जायेगा उनके केन्द्रीय तथा राज्य मंत्री)

सम्बन्धित प्रमुख राष्ट्रीय कार्यक्रमों, एनबीए, एनआरएचएम, आईसीडी एस, मनरेगा, आईएवाई, एसएसए, एनआरएलएम, भारत निर्माण इत्यादि की जानकारी

 

 

दाता, यूएन एजेंसियाँ तथा आईएनजीओ

अन्य मंत्रालयों और प्रमुख राष्ट्रीय कार्यक्रमों के साथ वर्तमान तालमेल की जानकारी

 

 

 

मंत्रालयों तथा राष्ट्रीय कार्यक्रमों के साथ तालमेल के दायरे को बढ़ाना/उदाहरण के तौर पर सीबीएसई/आईसीएसई पाठ्यक्रमों के स्कूल क्रियाकलापों में स्वच्छ पेयजल और स्वच्छता पर अध्याय शुरू करने की मानव  संसाधन विकास मंत्रालय से हिमायत करना और इसी तरह से उपाय करने के लिए राज्यों को निर्देशों जारी करने का अनुरोध करना

 

 

 

कार्यक्रम के कार्यान्वयन को बेहतर बनाने के लिए राज्यों के लिए मानक और दिशानिर्देश, निर्देश और परिपत्र/पत्र तैयार करना

 

 

 

सभी राज्यों के मुख्य मत्रियों, मत्रियों तथा सम्बन्धित विभागों के कार्य देखने वाले सचिवों के साथ राष्ट्रीय स्तर पर परामर्श करना ताकि ऊपर बताये गए मुद्दों पर सहयोग/क्रियाकलापों  को बढ़ाया जा सके|

 

 

 

पेयजल सम्बन्धी समान मुद्दों वाले क्षेत्रों के साथ क्षेत्रीय परामर्श (उदाहरण के तौर पर-रासायनिक जल संदूषण की समान समस्या वाले क्षेत्र को एक मंच पर लाना)

 

 

 

क्षेत्र की नवीनतम गतिविधियों/क्षमता विकास के प्रदर्शन के लिए अन्तर्राष्ट्रीय परामर्श

 

 

 

हरेक के साथ बैठकें

 

 

 

उत्कृष्ट कार्य करने वाले क्षेत्रों का स्थल दौरा

 

 




राज्य स्तर

स्टेकहोल्डरों

समर्थनकारी गतिविधियाँ

अपेक्षित निविष्टियाँ

सहायक भागीदार

नीतिनिर्धारक

जल और साफ-सफाई की आदतों पर अभिमुखीकरण कार्यशालाएँ जिसमें स्वच्छता भी शामिल हो और जो निम्नलिखित बातों को रेखांकित करती हों:

कार्यशालाएँ आयोजित करने के लिए मानक रुपरेखा विकसित करना

एमडीडब्ल्यूएस

एमआईबी

 

पीएचइडी (एसडब्ल्यूएसएम)

 

सीसीडीयू

 

यूएन एजेंसियां

 

दात्री संस्थाएं

 

सीबीओ/आईएनजीओ/एनजीओ

 

अकादमी

प्रमुख लाइन निर्माणों तथा प्रमुख राष्ट्रीय कार्यक्रम- स्वास्थ्य, शिक्षा ग्रामीण विकास, पीआरडी, पीएचईडी, समाज एवं कल्याण (आईसीडीएस) कृषि, सूचना और प्रसारण

स्वच्छ पेयजल की महत्ता, स्थायी रूप से स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता और इस्तेमाल को बेहतर बनाने सम्बन्धी सरकार की पहलों की जानकारी|

साक्ष्य आधारित समर्थन पैकेज

 

एसडब्ल्यूसएम, सीसीयू तथा आईईसी ब्यूरो से सम्बन्धित कार्य देखने वाले मुख्य सचिव, प्रधान सचिव|

सम्बन्धित  प्रमुख राष्ट्रीय कार्यक्रमों, एनबीए, एनआरएचएम, आईसीडीएस, मनरेगा, आईएवाई, एसएसए, एनआरएलएम, वाटर शेड विकास कार्यक्रम, त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम, भारत निर्माण इत्यादि के बारे में  जानकारी

फैक्ट शीट्स

 

वीडियों फ़िल्म

श्रव्य कार्यक्रम

कार्यक्रम से सम्बन्धित जानकारी वाला प्रस्तुतिकरण

 

राज्यों में सीईओ/सभी एनआरएलएम के प्रमुख (स्व-सहायता समूहों  के विशाल नेटवर्क का इस्तेमाल करने के लिए)

प्रमुख विभागों तथा प्रमुख राष्ट्रीय कार्यक्रमों के साथ मौजूदा तालमेल तथा तालमेल की संभावना पर जानकारी

स्थलों का निर्धारण करना और क्षेत्र दौरों में मदद करना

 

निर्वाचित प्रतिनिधि एमएलसी, एमएलए, जिला परिषद

हरेक के  साथ बैठकें

 

 

 

उत्कृष्ट कार्य करने वाले क्षेत्रों क स्थल दौरा

कार्यशालाएं आयोजित करना, प्रतिभागियों, रिसोर्स पर्सन्स तथा आवश्यक सामग्रियों का निर्धारण

 

जिला मजिस्ट्रेट/जिला कलक्टर

ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल को प्राथमिकता देने के लिए सभी जिलों के जिलाधिकारी/ जिला कलक्टर के साथ गोलमेज सम्मेलन/जिला स्तर पर की गई पहलों को साझा करने का मंच भी उपलब्ध कराएगा| इन पहलों से मिली सीख की जानकारी देगा और कार्यान्वयन में सुधार लाएगा|

 

 

 

क्षेत्रीय परामर्श-इसमें किसी राज्य अथवा राज्यों के समूह के भीतर एक समान मुद्दे वाले क्षेत्र आपस में अपना अनुभव साझा करेंगे|

 

 

 

जिला परिषद के अध्यक्षों का राज्य-स्तरीय सम्मेलन ताकि ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम और कार्यक्रम कार्यान्वयन प्रक्रिया में उनकी मुख्य भूमिका के सबंध में उनकी समझ बढ़ाई जा सके|

 

 




जिला स्तर

स्टेकहोल्डरों

समर्थनकारी गतिविधियाँ

अपेक्षित निविष्टियाँ

सहायक भागीदार

डीडब्ल्यूएसएम तथा  अन्य लाइन विभाग जिला परिषदों के सदस्य (पीआरआई)

हरेक के साथ बैठकें तथा जिला जल एवं स्वच्छता मिशन जिला ग्रामीण विकास एजेंसी के सदस्यों, जिला कलक्टरों/मजिस्ट्रेटो, जिला परिषद के सदस्यों तथा जिन अन्य कार्यक्रमों (जैसे-स्वास्थ्य, पोषण तथा शिक्षा) के साथ तालमेल किया जा रहा है, उनके सदस्यों के साथ अभिमुखीकरण कार्यशालाएँ

स्थानीय भाषा में साक्ष्य आधारित समर्थन पैकेज

 

फैक्ट  शीट्स

 

 

वीडियों फ़िल्म

 

श्रव्य कार्यक्रम

 

एमएसडब्ल्यूएस

 

 

सीसीडीयू

 

यूएन एजेसियाँ

जिला कलक्टरों/मजिस्ट्रेटो,

राष्ट्रीय शिक्षण विनिमय की तरह क्षेत्र प्रदर्शन दौरा

कार्यशालाएं तथा सम्मेलन आयोजित करना, प्रतिभागियों, रिसोर्स पर्सन्स तथा आवश्यक सामग्रियों का निर्धारण

 




 

ब्लॉकस्तर

स्टेकहोल्डरों

समर्थनकारी गतिविधियाँ

अपेक्षित निविष्टियाँ

सहायक भागीदार

खंड विकास अधिकारी

खंड विकास अधिकारियों, कनिष्ठ अभियंता और पंचायत कर्मियों के साथ अलग-अलग बैठकें

एनआरडीडब्ल्यूपी तथा एनबीए कार्यक्रम और कार्यान्वयन पर जानकारी शीट

ब्लॉक स्तरीय जल और स्वछता समितियां  (वीडब्ल्यूएससी)

 

जागरूकता कार्यशालाएं

 

 

 

प्रदर्शन दौरे

अन्य मुद्रित सामग्री जैसे-पत्र तथा पोस्टरों

ब्लॉक संसाधन समन्वयक

 

 

कार्यशालाएं आयोजित करना, प्रतिभागियों, रिसोर्स पर्सन्स का निर्धारण

 

ग्राम पंचायत/पंचायतें

एनआरडीडब्ल्यूपी तथा अन्य सरकारी कार्यक्रम जैसे एनबीए, एनआरएचएम, एमजीएनआरईजीएस, एसएसए इत्यादि के साथ सम्बन्ध के प्रति पंचायतों की भुकिकाओं और उत्तरदायित्वों पर प्रशिक्षण कार्यशालाएं

प्रशिक्षण मॉडयूल तैयार करण

ब्लॉक संसाधन समन्वयक

वीडब्ल्यूएससी /वीएसएससी /वीएचएस/डबल्यूएनसी/ अन्य

ग्राम पंचायतो सदस्यों का राज्य स्तरीय सम्मेलन ताकि उन्हें एनआरडीडब्ल्यूपी के कार्यान्वयन तथा इसकी सफलता में उनकी मुख्य भूमिका के प्रति संवेदनशील बनाया जा सके

एनबीए कार्यक्रम, निति तथा कार्यान्वयन पर सूचना शीट

 

 

वीडब्ल्यूएससी /वीएसएससी अन्य की स्थापना, इसकी भूमिका तथा उत्तरदायित्व और पर्याप्त, स्वच्छ तथा सतत जल आपूर्ति के लिए क्रियाशील समितियां बनाने की नितांत आवश्यकता पर अभिमुखीकरण कार्यशाला

अन्य मुद्रित सामग्री जैसे पत्रक और पोस्टर

 

 

 

कार्यशालाएं आयोजित करना, प्रतिभागियों, रिसोर्स पर्सन्स  का निर्धारण

 

नीचे निधारित किये गए स्टेकहोल्डर्स सभी स्तरों के लिए हैं:

स्टेकहोल्डरों

समर्थनकारी गतिविधियाँ

अपेक्षित निविष्टियाँ

सहायक भागीदार

मिडिया

 

प्रिंट

 

 

इलेक्ट्रॉनिक

 

 

आर्टिस्ट

वाश मुद्दों पर मिडिया  (प्रिंट तथा इलेक्ट्रॉनिक दोनों मिडिया के सम्पादक तथा पत्रकार) को संवेदनशील बनाने के लिए परस्पर बातचीत|

प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक दोनों रूपों में इस्तेमाल के लिए सामग्री

एमएसडब्ल्यूएस

 

एमआईबी

 

यूएन एजेसियाँ

 

सीसीडीयू

 

 

सीबीओ/आईएनजीओ/एनजीओ

 

 

 

राष्ट्र और राज्य/क्षेत्रीय स्तरों पर नियमित अवसर पैदा करना इसमें एनआरडीडब्ल्यूपी तथा एनबीए कार्यक्रमों पर जानकारी भी शामिल है| परिवार तथा समुदाय स्तर पर मुख्य व्यवहार से सम्बन्धित मुद्दों को रेखांकित करना

समाचार-आधारित मिडिया पैकेज

 

फैक्ट शीट्स

 

मानवीय रूचि की कहानियां

 

कार्यक्रम से सम्बन्धित जानकारी

 

 

 

जल की उपलब्धता, पर्याप्तता, गुणवत्ता, समानता, लिंग इत्यादि से सम्बन्धित मुद्दों को रेखांकित करने के लिए स्थलों का क्षेत्र प्रदर्शन दौरा

आगे की जानकारी के लिए प्रमुख सम्पर्क सूत्र

 

 

वाश की सतत जानकारी देने तथा कवरेज सुनिश्चित करने के लिए मिडिया नेटवर्किंग

 

 

 

वाश विशिष्ट/संवेदनशील विषयवस्तु तैयार/शामिल करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक मिडिया हेतु प्रशिक्षण कार्यशालाएं

संवाददाता सम्मेलन तथा हरेक के साथ बैठकें आयोजित करना

 

 

मिडिया के वरिष्ठ लोगों में से जल पर विशेषज्ञता रखने वाले का निर्धारण करना

क्षेत्र दौरों के लिए स्थल निर्धारण

 

 

 

कार्यशालाओं के लिए प्रशिक्षण मॉडयूल विकसित करना

 

 

 

कार्यशालाएं आयोजित करना, प्रतिभागियों, रिसोर्स पर्सन्स  का निर्धारण

 

धार्मिक/धर्म आधारित नेता

पेयजल और साफ-सफाई से संबंधित अहम मुद्दों तथा इस क्षेत्र में सरकार की पहल के बारे मने उन्हें जानकारी देने के लिए हरेक के साथ बैठकें करना ताकि वे इन मुद्दों को अपने एजेंडा का हिस्सा बनायें

एनआरडीडब्ल्यूपी एनबीए कार्यक्रम, निति तथा कार्यान्वयन पर सूचना शीट

यूएन एजेसियाँ

सीबीओ/आईएनजीओ/एनजीओ

 

 

मौजूदा धार्मिक संगठनों के साथ भागीदारी अनुयायियों को संवेदनशील बनाने के लिए निर्धारित किये गए प्रमुख व्यवहारों से सम्बन्धित संदेशों को उनके कार्यक्रमों/सम्मेलनों में शामिल किया जा सके

आईईसी की मुद्रित सामग्री जैसे-पत्रक, पुस्तिका तथा पोस्टर

सीसीडीयू

 

 

आईईसी सामग्रियों वितरित करने के लिए उनके मंचों का इस्तेमाल करना

कार्यशालाएं तथा सम्मेलन आयोजित करना, प्रतिभागियों, रिसोर्स पर्सन्स  का निर्धारण

 

 

आईईसी सामग्रियों वितरित करने के लिए त्योहारों का इस्तेमाल करना

 

 

सीबीओ/आईएनजीओ/एनजीओ

इस मुद्दे पर कार्य करने वाले सभी सीबीओ/एनजीओ का पता लगाना

पेयजल निति, कार्यक्रम तथा कार्यान्वयन पर जानकारी शीट

एसडब्ल्यूएसएम

यूएन एजेसियाँ

सीबीओ/एनजीओ जो विपरीत स्थिति में सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं

 

 

 

प्रमुख मूद्दों पर चर्चा करने के लिए संगठन बनाना और कार्रवाई के लिए सहयोगी तैयार करना

आईईसी की मुद्रित सामग्री जैसे-पत्रक, पुस्तिका तथा पोस्टर

 

 

कुछ ऐसे विशिष्ट xeक्षेत्रों पर प्रशिक्षण कार्यशालाएं आयोजित करना जिन क्षेत्रों में ये संगठन जल क्षेत्र में कार्य कर सकें|

ट्रेनिंग मॉडयूल विकसित करना

 

 

 

कार्यशालाएं  आयोजित करना, प्रतिभागियों, रिसोर्स पर्सन्स  का निर्धारण

 

युवा नेटवर्क

युवा संगठनों जैसे- एनएसएस तथा एनावाईकेएस और विश्वविद्यालयों को कार्य पर लगाना

जानकारी और परस्पर चर्चा के लिए युवा नेताओं हेतु प्रशिक्षण मॉडयूल

एसडब्ल्यूएस

 

एसडब्ल्यूएसएम

 

यूएन एजेसियाँ

 

 

 

युवा नेताओं तथा युवा क्लबों के लिए जागरूकता कार्यशालाएं आयोजित करना ताकि युवाओं मने बदलाव लाने वाले एजेंटों तथा जल, स्वच्छता और साफ-सफाई की महत्ता का समर्थन करने वालों का एक संवर्ग तैयार किया जा सके

युवाओं के लिए विशेष रूप से विकसित किया डिजिटल तथा अन्य सामाजिक मिडिया

 

 

इस प्रयोजन का समर्थन करने के लिए युवा एम्बेसडरों का निर्धारण करना

 

 

अकादमी

वाश के मुद्दे पर कार्य करने वाले अकादमी  का पता लगाना

डेस्क अनुसंधान

 

जल गुणवत्ता, जल आपूर्ति प्रबंधन इत्यादि के लिए किफायती प्रौद्योगिकी का अनुसंधान जैसे सीएसआईआर, आईसीएआर, एनईआरआई, आईआईटी इत्यादि

जागरूकता कार्यशाला

साक्ष्य आधारित समर्थन सामग्री जैसे फैक्ट शीट्स

 

 

क्षेत्र दौरा

अनुसंधान पत्र

 

निजी क्षेत्र

वाश क्षेत्र तथा अन्य क्षेत्र में कार्य करने वाली कम्पनियों का पता लगाना

कम्पनियों के निर्धारण के लिए

डेस्क अनुसंधान

एसडब्ल्यूएस

 

एसडब्ल्यूएसएम

 

 

 

 

 

क्षेत्र दौरा

क्षेत्र दौरा के स्थलों का निर्धारण

यूएन एजेसियाँ

 

 

प्रबंधन संवर्ग , नई व्यावसायिक गतिविधियों के प्रभारी लोगों तथा कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व विभागों में कार्य  कर रहे लोगों के लिए अभिमुखीकरण कार्यशालाओं से ग्रामीण पेयजल के मुद्दों को शामिल करने वाली yojnaoyojnaonयोजनाओं की जानकारी मिलती है और उन पर प्रभाव पड़ता है|

कार्यशालाओं के लिए प्रशिक्षण मॉडयूल विकसित करना

 

 

 

साक्ष्य आधारित समर्थन पैकेज

 

 

 

फैक्ट  शीट्स

 

 

 

वीडियों फ़िल्म

 

 

 

श्रव्य कार्यक्रम

 

 

 

प्रोग्रामों से सम्बन्धित जानकारी वाला प्रस्तुतिकरण

 

चरण: पेयजल के सम्बन्ध में मुख्य व्यवहारों को शामिल  करने के लिए सामाजिक तथा व्यावहारिक बदलाव संचार

प्राथमिक दर्शक

स्टेकहोल्डरों

समर्थनकारी गतिविधियाँ

अपेक्षित निविष्टियाँ

सहायक भागीदार

परिवार- पुरुष, महिलाएँ तथा बच्चे

परस्पर बातचीत

फिल्पचार्ट

ब्लॉक संसाधन

 

अग्रणी कार्यशालाओं तथा समुदाय स्तर के प्रेरकों द्वारा आमने-सामने बातचीत

पत्रक

 

पोस्टर्स

 

पुस्तिकायें

केंद्र (ब्लॉक संसाधन समन्वयक)

 

प्रमुख कार्यक्रमों के जिला समन्वयक पीएचईडी

 

घरों, स्वास्थ्य केन्द्रों, सामुदायिक संगठनों तथा धार्मिक सम्मेलनों में छोटे-छोटे सामूहिक सत्र

शिक्षण सामग्रियों जैसे छोटी सामूहिक चर्चा के लिए शैक्षणिक वीडियो

 

 

 

जिला कलेक्टर/मजिस्ट्रेट कार्यालय

 

सीबीओ/एनजीओ

 

 

 

सामुदायिक एकजुटता

परामर्श सत्रों में मदद करने के लिए एफएलडब्ल्यू द्वारा मोबाइलों का अभिनव प्रयोग

महिला मंडल

 

स्वयं सहायता समूह

 

युवा समूह/क्लब

 

निर्वाचित प्रतिनिधि

 

सामुदायिक नेताओं, पंचायती राज संस्थाओं, स्वयं सेवकों, धार्मिक नेताओं तथा महिला समूहों द्वारा सामुदायिक संवाद तथा स्थानीय बैठकें/क्रियाकलाप

स्थानीय नेताओं, सामुदायिक विशेषज्ञों तथा प्रभावकारी लोगों का पता लगाना तथा उनका निर्धारण करना

 

 

विभिन्न समुदायों तथा स्वास्थ्य सुविधा मंचों जैसे- वीएचएनडी, एडब्ल्यूडब्ल्यू केन्द्रों पर पेयजल के प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करना

फिल्पचार्ट

पत्रक

 

पोस्टर्स

 

पुस्तिकायें

 

 

पेयजल के मुद्दों (जल गुणवत्ता) को स्थानीय त्योहारों के साथ जोड़ना (विशेषकर, जैसे कि जल निकाय, पूजा सामग्रियां फेंकने के प्रमुख स्थान बन जाते हैं)

शिक्षण सामग्रियों जैसे छोटी सामूहिक चर्चा के लिए शैक्षणिक वीडियो

 

 

जल गुणवत्ता जाँच के लिए प्रदर्शन किट

 

 

 

ग्राम सभा की प्रमुख बैठकों को कार्यनीति में निर्धारित पेयजल के मुद्दों को समर्पित करना

 

टीवी/रेडियो सपाट

 

टीवी/रेडियो कार्यक्रम

 

 

सामुदायिक बैठक अथवा स्व-सहायता समूह की बैठक में सकारात्मक विपक्षियों विशेषकर  महिलाओं, किशोरों, पंचायती राज संस्थाओं को मुद्दों पर बोलने के लिए प्रोत्साहित करना

सिनेमा स्लाइड्स

 

लोक मिडिया प्रदर्शन  के लिए पटकथा

 

 

जहाँ कहीं  प्रमुख व्यवहारों  पर परामर्श देने पेयजल शोधन की पद्धतियों, जल शोधन उत्पादों का प्रदर्शन करने, जल तथा अन्य सम्बन्धित प्रमुख कार्यक्रमों, सही व्यवहार सम्बन्धी संदेश वाले खेल के बारे में जानकारी देने इत्यादि की गुंजाइश हो वहाँ प्रदर्शनी (मेले) आयोजित करना|

होर्डिंग्स

 

दीवार पेंटिंग्स

 

 

आउटडोर तथा पारंपरिक मिडिया आईसी समाग्रियों सहित मास मिडिया

 

 

 

पेयजल साफ-सफाई तथा स्वच्छता पर टीवीतथा रेडियों/टीवी तथा रेडियों कार्यक्रम, सिनेमा स्लाइड्स

 

 

 

मिडिया रहित क्षेत्रों में सामुदायिक संवाद के साथ लोक मिडिया कार्यक्रम

 

 

 

उपयुक्त स्थानों पर आउटडोर मिडिया जैसे दीवार पेंटिंग्स तथा होर्डिंग्स

 

 

 

संदेश का प्रचार-प्रसार करने के लिए मेलों, त्याहारों, बाजार, हाट, खेल के रूप में स्थानीय अवसरों का इस्तेमाल

 

 




द्वितीयक

स्टेकहोल्डरों

समर्थनकारी गतिविधियाँ

अपेक्षित निविष्टियाँ

सहायक भागीदार

स्कूली बच्चे

बच्चों के लिए आधारित  संचार क्रियाकलाप

विद्यालय के लिए आईईसी सामग्रियाँ तैयार करना

प्रधान पाठक

 

विद्यालय प्रबंधन समितियां

बाल मंडली

पेयजल, स्वच्छता तथा स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर जानकारी साझा करने और ज्ञानवर्द्धन करने के लिए अलग-अलग आईसी सामग्रियों का इस्तेमाल करना

बच्चों के लिए जल स्वच्छता तथा स्वास्थ्य से सम्बन्धित आमोद-प्रमोद आधारित क्रियाकलाप तैयार करना

पीएचईडी

 

एसएसए

 

जिला समन्वयक

स्कूल  शिक्षक

अलग-अलग आयु वर्गों के लिए निर्धारित आमोद-प्रमोद क्रियाकलाप जिनकी विषयवस्तु जल स्वच्छता तथा स्वास्थ्य हो,

विद्यालयों में दीवार पेंटिंग्स के लिए आसान विषयों का निर्धारण करना

ब्लॉक संसाधन समन्वयक

विद्यालय प्रंबधन समिति

उपर्युक्त विषय-वस्तुओं को सभा, कक्षा चर्चा, वाद-विवाद, ड्राईंग, नाटक, संगीत इत्यादि में शामिल करना| ग्राम पंचायतों के हरेक स्कुल में, नियमित अंतरालों में प्रतियोगितायें आयोजित करना|

प्रदर्शन तथा प्रशिक्षण के लिए लोक मिडिया समूहों का निर्धारण करना

 

 

पेयजल से सम्बन्धित प्रंमुख व्यवहारों को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख स्थानों पर (बच्चों के अनुकूल) दीवार पेंटिंग्स का इस्तेमाल करना

शिक्षकों की प्रशिक्षण नियमावली बनाना

 

 

जल सम्बन्धी संदेशों को बढ़ावा देने के लिए लोक मिडिया-नाटकों/गीतों/जादूगरी तथा स्ट्रीट थियेटर का इस्तेमाल करना| बच्चों को इन क्रियाकलापों में प्रशिक्षित करना तथा पेयजल, स्वच्छता और स्वास्थ्य विषयों पर नियमित प्रतियोगितायें आयोजित करना

बाल मंडली के लिए दिशानिर्देश तैयार करना

 

 

विशेष दिनों को अलग से दर्शाते हुए स्कूल कैलंडर तैयार करना

 

 

जल के सम्बन्ध में अच्छी आदतें प्रदर्शित करने के लिए बच्चों के लिए विद्यार्थी मिलन समारोह आयोजित करना

शिक्षकों/एसएमसी सदस्यों के लिए प्रशिक्षण मॉडयूल तैयार करना

 

 

विशेष दिवसों पर, खासकर उन दिवसों पर जो जल स्वच्छता तथा स्वास्थ्य से सम्बन्धित हों, समारोहों का आयोजन करना तथा उन तारीखों को स्कूल कैलेंडर में  शामिल  करना| रैलियाँ, सम्मान /पुरस्कार समारोह आयोजित करना|

अल्पसंख्यकों के लिए चलाये जा रहे स्कूलों सहित स्कूलों के आंकडें तैयार करना तथा उनका निर्धारण करना

 

 

कार्यबल/स्कूली विद्यार्थियों की बाल मंडलीबनाना तथा उनकी भूमिकायें तथा साफ-सफाई की निगरानी करने में निर्धारित करना|

जल स्वच्छता तथा स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए शिक्षकों को संचार सामग्रियाँ उपलब्ध कराना

 

 

परस्पर बातचीत के लिए निर्धारित किये गए समकक्ष शिक्षकों को प्रशिक्षण देना

 

 

 

समुदाय को जागरूक बनाने के लिए जल तथा स्वच्छता जैसे विशिष्ट मुद्दों पर एक निधारित अन्तराल पर स्कूल रैलियाँ आयोजित करना

 

 

 

स्कूल मंडली/स्कूल क्लब के सदस्य पेयजल स्वच्छता तथा साफ-सफाई की आदतों से सम्बन्धित मुख्य संदेश देने के लिए नियमित अन्तराल पर नियत परिवारों के पास जा सकते हैं|

 

 

 

शिक्षकों का क्षमता निर्माण

 

 

 

शिक्षकों/एसएमसी कोजल स्वच्छता तथा साफ-सफाई की बढ़ावा देने, उनकी निगरानी करने तथा शिकायतों का निपटान करने का प्रशिक्षण

 

 

 

स्कूलों में वाश के कार्यान्वयन के लिए विद्यालय प्रबंधन समितियों के लिए प्रशिक्षण कार्यशालाएँ

 

 

एसएचजी, सामुदायिक नेता, स्वयं सेवक/एनबीए तथा  एनआरडी डब्ल्यू प्रेरक

क्षमता निर्माण

आईपीसी प्रशिक्षण (वाश पर भी जानकारी)

आईईसी/आईपीसी सामग्रियाँ विकसित करना

ब्लॉक संसाधन  समन्वयक

 

वाश मुद्दों तथा संचार कौशल पर स्व-सहायता समूहों, पंचायती राज संस्थाओं, सामुदायिक नेताओं तथा स्वयंसेवकों के लिए प्रशिक्षण कार्यशालाएँ

प्रशिक्षण मॉडयूल

 

 

अच्छी आदतें देखने के लिए शिक्षण विनियम

 

 

 

सामुदायिक एकजुटता में क्रियाकलापों को जोड़ना

 

 

द्वितीयक

स्टेकहोल्डरों

समर्थनकारी गतिविधियाँ

अपेक्षित निविष्टियाँ

सहायक भागीदार

ग्राम पंचायत

क्षमता निर्माण

प्रशिक्षण मॉडयूल विकसित करना

ब्लॉक संसाधन  समन्वयक

 

पेयजल कार्यक्रमों/योजनाओं के कार्यान्वयन तथा अन्य शासकीय कार्यक्रमों जैसे एनबीए, एमजीएनआईईजीएस, एसएसए, आईसीडीएस, आईएवाई, बीएन, एनआरएलएम इत्यादि के साथ उनके सम्बन्ध प्रशिक्षण कार्यशालाएँ

एनआरडीडब्ल्यूपी कार्यक्रम निति तथा कार्यान्वयन पर सूचना शीट्स

 

अन्य मुद्रित सामग्री जैसे पत्रक तथा पोस्टर्स

 

 

प्रदर्शन दौरा

कार्यशालाएँ आयोजित करना, प्रतिभागिर्यों तथा रिसोर्स पर्सन्स का निर्धारण करना

 

 

वीडबल्यूएससी (अथवा ईएसआई तरह की समितियों) की स्थपाना तथा क्रियाशीलता की प्रगति की समीक्षा करने के लिए नियमित बैठकें आयोजित करना

 

 

धार्मिक नेता/समूह

पेयजल तथा साफ-सफाई की महत्ता तथा इस क्षेत्र में सरकार की पहल के बारे में उन्हें बताने के लिए हरेक के साथ बैठकें करना तथा उदाहरणों द्वारा उन्हें नेतृत्व करने के लिए प्रेरित करना और उनके उपदेशों/प्रवचनों में इन मुद्दों को शामिल करना

अलग-अलग धर्मों के पूजा-स्थलों का निर्धारण करना

 

उन स्थानीय त्याहारों की सूची बनाना जिनका इस्तेमाल वाश संदेश को बढ़ावा  देने के लिए मंच के रूप में किया जा सकता है

 

 

 

एनआरडीडब्ल्यूपी कार्यक्रम निति तथा कार्यान्वयन पर सूचना शीट्स

 

 

 

अन्य मुद्रित सामग्री जैसे पत्रक तथा पोस्टर्स

 

 

 

अभिमुखीकरण कार्यशालाएँ आयोजित करने के लिए अल्पसंख्यकों के स्कूलों में शिक्षकों का निर्धारण करना

 

चिकित्सक/कंपाउंडर्स/पैरा मेडिकल स्टाफ/स्वास्थ्य सेवा प्रदाता

जल गुणवत्ता मुद्दों, जल गुणवत्ता का स्वास्थ्य के साथ समबन्ध, जीवाणु, रसायनों से संदूषित जल के उपयोग से जुड़े खतरों के सम्बन्ध में परामर्श देने तथा साफ-सफाई की अच्छी

सावर्जनिक तथा निजी स्वास्थ्य सुविधाएँ/क्लिनिक तथा स्टाफ निर्धारित करना

 

सूचना शीट्स तथा अन्य आईसी स्माग्रियाँ

 

 

यह बताना कि स्वास्थ्य सुविधाओं(विशेषकर सुप्रबंधित जल आपूर्ति तथा स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था) में क्रियाशील तथा सुप्रबंधित वाश सुविधाएँ क्यों जरुरी है

स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए जल, स्वच्छता तथा साफ-सफाई पर प्रशिक्षण मॉडयूल्स

 

युवा समूह/क्लब

उन्हें जल सम्बन्धी मुद्दों की जानकारी देने के लिए युवा बच्चों के साथ जागरूकता कार्यशाला आयोजित करना तथा उन्हें इनके आस-पास क्रियाकलाप शुरू करने और  पेयजल से सम्बन्धित मुख्य आदतों को बढ़ावा देने वाले स्वयं सेवक बनने के लिए प्रेरित करना

युवा क्लबों/समूहों का निर्धारण करना

 

कार्यशालाएं आयोजित करना तथा रिसोर्स पर्सन्स का निर्धारण तथा

 

आईईसी सामग्रियां

ब्लॉक संसाधन  समन्वयक

 

पेयजल से सम्बन्धित मुद्दों पर समकक्ष शिक्षकों को प्रशिक्षित करना

 

 

अग्रणी कार्यकर्ता, एनएनएम्, आशा,एडब्ल्यू, जल संरक्षक /जल सैयया/जल दूत

क्षमता निर्माण

 

आईपीसी प्रशिक्षण

 

तकनीकी रूप से वाश का संदेश देने का प्रशिक्षण

अग्रणी कार्यकर्ताओं के लिए आईपीसी तथा वाश प्रशिक्षण मॉडयूल्स

ब्लॉक संसाधन  समन्वयक

1.  पृष्ठभूमि जानकारी

राज्य

  1. राज्य का नाम:
  2. राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम को कार्यन्वित करने वाले विभाग का नाम और सम्पर्क का वितरण:
  3. राज्य स्तर पर योजनाओं को कार्यन्वित करने वाले अधिकारी  का नाम और सम्पर्क का वितरण:
  4. राज्य स्तर पर (सूची से निर्धारित करें) प्रबंधन/संस्थागत व्यवस्था:

एसडब्ल्यूएसएम(राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन)

राज्य में ग्रामीण जल एवं स्वच्छता विभाग

पीएमयू(कार्यक्रम प्रबंधन इकाई)

  1. परिभाषा :

विभिन्न जिला इकाईयों के बीच सम्पर्क

मानव संसाधन ढांचा

इकाई की भूमिका और उत्तरदायित्व

जिला

  1. राज्य का नाम:
  2. जिला स्तर पर योजना को कार्यन्वित करने वाले अधिकारी  का नाम और सम्पर्क का वितरण:
  3. जिला स्तर पर कौन सी  प्रबंधन व्यवस्थायें:

डीडब्ल्यूएसएम (जिला जल एवं स्वच्छता मिशन)

डीएसयू (जिला समर्थन इकाई)

संप्रेषण योजना हेतु गैर-सरकारी संगठन/कार्यान्वयन एजेंसी

कोई अन्य

  1. कृपया स्पष्ट करें:

विभिन्न जिला इकाईयों के बीच सम्पर्क

मानव संसाधन ढांचा

इकाई की भूमिका और उत्तरदायित्व

ब्लॉक

10.  ब्लॉक स्तर पर संस्थागत व्यवस्था

(ब्लॉक स्तर पर संप्रेषण गतिविधियों को कौन चला सकता है?)

ग्रामीण जल एवं स्वच्छता विभाग (ब्लाक स्तरीय अधिकारी)

बीआरसी (ब्लाक स्तरीय केंद्र)

बीडब्ल्यूएससी (ब्लॉक जल एवं स्वच्छता समिति)

ग्राम पंचायत

11.  संस्थागत व्यवस्था

(ग्राम स्तर पर संप्रेषण गतिविधियों को कौन चला सकता है?)

ग्राम पंचायत/ ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति/अन्य समितियां (नाम तथा घटक)

इनमें से कौन सम्बद्ध हैं तथा उनकी भूमिकायें और उत्तरदायित्व  क्या है?

12.  स्थापना स्थल/स्तर जिनपर ग्राम अभिप्रेरक अवस्थित है:

ग्राम स्तर, अथवा

ग्राम पंचायत आदि

13.  ग्राम अभिप्रेरक कौन है?

कृपया चुनें जो सबसे अधिक उपयुक्त होगा:

आरडब्ल्यूएस कार्यकर्ता

आशा

चिकित्सा पेशेवर

युवा

महिला मंडल सदस्य

स्व-सहायता समूह (एसएचजी)

जल दूत/जल सुरक्षा/जल सहिया

भारत निर्माण स्वयं सेवक (बीएनवी )

कोई अन्य

महिला एवं पुरुष बी.एम. दोनों का चयन किया जाना चाहिए

14.  निगरानी एवं मूल्यांकन योजनाओं के विकास तथा निष्पादन की जिम्मेदारी किसे सौपीं जाएगी

15.  अभी तक क्या कार्य किया गया है: क्या संप्रेषण कार्य योजना मौजूदा है?

बैरियर/चुनौतियों

सीख-सकारात्मक और नकारात्मक

2.   जिला संप्रेषण योजना के मुख्य घटक

नीचे दिए गए प्रयास वे हैं जो जिला, ब्लॉक एवं ग्राम स्तर पर राज्य कार्यनीति की आयोजना को कार्यन्वित करने के लिए अपेक्षित हैं:

कृपया बताएं कि आपके राज्य में इन प्रयासों को शुरू करने के लिए कौन जिम्मेवार होगा तथा कब तक उन्हें पूरा कर लिया जायेगा|

प्रयास

उत्तरदायित्व व्यक्ति/विभाग

समय-सीमा

प्रयास का उद्देश्य

निष्कर्ष

जिला संप्रेषण योजना कार्यान्वित करने हेतु जिला स्तरीय कार्यशालाएं आयोजित करना

 

 

प्रमुख व्यवहारों पर अभिमुखीकरण हेतु जिला स्तर पर प्रमुख खिलाड़ियों को एक साथ लाना तथा राज्य परामर्शों पर राज्य कार्यनीति एवं फीडबैक के अंदर निर्धारित संप्रेषण दृष्टिकोण

प्रचार-प्रसार की गई राज्य कार्यनीति के मुख्य घटक

 

 

 

प्राथमिकता ग्राम पंचायतों (लक्ष्य क्षेत्र,) मुख्य संदेशों (निर्धारित मुख्य भागीदारों/स्टेकहोल्डरों के सन्दर्भ में), संप्रेषण गतिविधियों, समय-सीमा, लागत, भूमिकाओं और योजना के परिचालकों की भूमिकाओं एवं जिम्मेवारियों के निर्धारण सहित जिला संप्रेषण योजना तैयार करना

प्राथमिकता ग्राम पंचायतों में उपयुक्त जिला संप्रेषण योजनायें निर्धारित मुख्य संदेश, संप्रेषण गतिविधियाँ  समय-सीमा, लागत, तथा व्यवस्थित जिम्मेवारियां

उपयुक्त निगरानी योजना तंत्र/निगरानी साधन एवं संकेतक

 

 

संप्रेषण कार्यनीति/योजना में प्रगति की समीक्षा करना और फीडबैक के लिए निवेश प्राप्त करना

निगरानी एवं मूल्यांकन योजना

 

निर्धारित पर्यवेक्षक और निगरानी साधन तथा संकेतक

वित्तपोषण मानक निधारित करना

 

 

यह निर्धारित करना कि कौन सी निधियों का संप्रेषण गतिविधियों के लिए उपयोग किया जायेगा

संप्रेषण गतिविधियों के लिए निर्धारित बजट

जिला स्तर पर संप्रेषण गतिविधियों के कार्यान्वयन हेतु उपलब्ध संसाधन दलों का चयन

 

 

संप्रेषण गतिविधियों का प्रबंधन/समर्थन करने हेतु एक उपयुक्त जिला संसाधन समूह को रखना

निर्धारित तथा नियोजित मुख्य संसाधन दल

 

 

 

चयनित दल कार्यान्वयन सम्बन्धी कार्य देखेगा, राज्य स्तरीय समर्थन के साथ कार्यवाई करेगा

निर्धारित एवं सम्प्रेषित भूमिकाएँ तथा जिम्मेदारियां

पेयजल सम्बन्धी मुद्दों पर प्रशिक्षित और निर्धारित जिला संसाधन समूह के लिए सम्प्रेषण

 

 

संप्रेषण योजनाओं  को विकसित एवं कार्यान्वित करने हेतु विषयवस्तु (पेयजल से सम्बन्धित मुद्दों) और कौशल पर जानकारी उपलब्ध कराना|

संप्रेषण योजनाओं  को विकास  करने तथा इसको कार्यान्वित करने  हेतु  कौशल के साथ प्रशिक्षित एवं सुसज्जित संसाधन दल

संप्रेषण पैकेज का विकास

 

 

संप्रेषण साधनों और सामग्री सहित व्यापक संप्रेषण पैकेज का विकास| इस प्रक्रिया में नई प्रक्रियाओं को विकसित करने की जरूरत है तथा मौजूदा सामग्री की समीक्षा करना शामिल है| प्रयोग की जाने वाली निर्धारित संप्रेषण सामग्रियों की यह सुनिश्चित करने के लिए पूर्व-जाँच की जानी चाहिए कि वे निर्धारित भागीदार दलों की आवश्यकताओं की पूर्ति करती है और यह कि संदेश सही हैं स्पष्ट है और अनुरूप है

विकसित संप्रेषण पैकेज का विभिन्न स्तरों पर प्रयोग किया जाना चाहिए|

संप्रेषण सामग्री का दुहरापन/प्रचार-प्रसार

 

 

सामग्रियों की पहचान| इसको विकसित किये जाने की क्या आवश्यकता है| अपेक्षित प्रतियों की संख्या/संप्रेषण साधनों/सामग्रियों के प्राप्तकर्त्ताओं का निर्धारण

संप्रेषण साधन विकसित सामग्री

 

निर्धारित प्राप्तकर्त्ताओं

 

विकसित योजना का  प्रचार-प्रसार

 

विभिन्न स्तरों पर क्षमता निर्माण

 

 

प्रशीक्षण में यह प्रावधान होगा,

चयनित एवं प्रशिक्षित ब्लॉक स्त्तरीय गतिशील व्यक्ति

संप्रेषण योजना पर ब्लॉक स्त्तरीय गतिशील व्यक्तियों चयन व प्रशिक्षण तथा पंचायती राज संस्थाओं सहित संप्रेषण सामग्री का प्रयोग सरपंच/प्रधान, ग्राम पंचायतों के वार्ड सदस्य अध्यापक, स्वास्थ्यकर्मी

 

 

पेयजल और सम्बद्ध स्वच्छता तथा साफ-सफाई मुद्दों, एनआरडीडब्ल्यूपी  त्तथा मिश्रित कार्यक्रमों पर जानकारी तथा इसके कार्यान्वयन, संप्रेषण योजना के घटकों में उनकी भूमिका

चयनित एवं प्रशिक्षित ग्राम स्त्तरीय अभिप्रेरक

जल संरक्षक/स्वच्छता, स्वास्थ्यकर्मी एडब्ल्यूएससी/वीडब्ल्यूएससी सदस्यों/अन्य समितियों के नेता स्व-सहायता समूह

 

 

अन्तः परस्पर संप्रेषण कौशल

 

सुविधा सामग्री और निगरानी फार्मटों के प्रयोग हेतु लोकप्रियता तथा कौशल का निर्माण

 

3. निधि प्रबन्धन

राज्यों की दी गई एनआरडीडब्ल्यूपी सहायता निधियों की 5 प्रतिशत राशि के भीतर यह सिफारिश की गई है कि उपरोक्त की 30 प्रतिशत राशि का आईईसी प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जा सकता है और इसे राज्यों के सभी जिलों में समान रूप से संवितरण किया जा सकता है| जिला अंशदान के भीतर विभिन्न संप्रेषण, माध्यमों के लिए निधि आबंटन का ब्यौरा नीचे दिया गया है:

संप्रेषण माध्यम

आईईसी बजट का प्रतिशत

परस्पर संप्रेषण और सामुदायिक जागरूकता (जल के लिए भर्ती किए गए फ्रंटलाइन कर्मियों के लिए सभी प्रकार की आईपीसी प्रिंट सामग्री व प्रोत्साहन सहित)

60 प्रतिशत तक अधिकतम

प्रिंट सीमा-10 प्रतिशत

आउटडोर मिडिया और लोक मिडिया

15 प्रतिशत तक (अधिकतम

प्रिंट सीमा 3 प्रतिशत)

आईईसी सामग्री

5 प्रतिशत तक

बीसीसी  गतिविधियों निगरानी और मूल्यांकन

5 प्रतिशत तक

कार्यनीति पुनः आयोजना के लिए साक्ष्य निर्माण (अनुसंधान/केपी अध्ययन)

5 प्रतिशत तक

 

नीचे दी गई सारणी अखिल भारतीय मुख्य व्यवहार के सभी तीन स्तरों अर्थात् परिवार स्तर पर पेयजल का स्वच्छ भंडारण एवं संचालन के कुछ मुख्य संकेतकों और समिति द्वारा पेयजल आपूर्ति के लिए पंचायती राज संस्थाओं और लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग में प्रतिनिधि तथा कार्यात्मक समितियों की स्थापना की मांग निर्धारित करती है|

संकेंद्रित व्यवहार

मुख्य व्यवहार

प्राथमिक प्रतिभागी/स्टेकहोल्डर

अपेक्षित परिणाम

पेयजल का स्वच्छ भंडारण एवं संचालन

पानी से भरी बाल्टी में हाथ न डुबाएं

परिवार-पुरुष महिला एवं बच्चे

बढ़ी हुई संख्या में व्यक्तियों, पुरुष, महिला एवं बच्चे घर में पेयजल का स्वच्छ भंडारण एवं संचालन करते हैं

 

जल पात्र को ढक कर रखना

 

 

 

जल पात्र से पानी निकालने के लिए नल यह कलछुल का उपयोग

 

स्वच्छ पेयजल सुविधा वाले विद्यालयों की संख्या में वृद्धि

 

जल पात्र को साफ करना

 

स्वच्छ पेयजल सुविधा वाले एडब्ल्यूसी (स्वास्थ्य सुविधा) की संख्या में वृद्धि

उपलब्धि

परिणाम का स्तर

संकेतक

सत्यापन के साधन

उन व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि हुई जो पेयजल के भंडारण एवं संचालन के सही तरीके (उपयुक्त बिंदु) का निर्धारण कर सकते हैं

उन व्यक्तियों की संख्या जो पेयजल के भंडारण एवं संचालन के सही तरीके (उपयुक्त 4 बिंदु) का निर्धारण कर सकते हैं

बेसलाइन, मिडलाइन एवं एंडलाइन सर्वेक्षण

 

प्रभाव मूल्यांकन

उन व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि हुई जिन्होंने  पेयजल के भंडारण एवं संचालन के कम से कम दो लाभों को सूचीबद्ध कर दिया

उन व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि हुई जो पेयजल के भंडारण एवं संचालन के  कम से कम दो लाभों सूचीबद्ध कर सकते हैं

 

उन व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि हुई जो पेयजल के भंडारण एवं संचालन और डायरिया के  निर्धारण कर सकते हैं

उन व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि हुई जो पेयजल के भंडारण एवं संचालन और डायरिया के  निर्धारण कर सकते हैं

 

उन व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि हुई जो पेयजल के भंडारण एवं संचालन का कार्य नहीं करने के परिणामस्वरूप होने वाले विशिष्ट वैयक्तिक स्वास्थ्य सम्बन्धी जोखिम को निर्धारित कर सकते हैं|

उन व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि हुई जो पेयजल के भंडारण एवं संचालन का कार्य नहीं करने के परिणामस्वरूप होने वाले विशिष्ट वैयक्तिक स्वास्थ्य सम्बन्धी जोखिम को निर्धारित कर सकते हैं|

 

उन परिवारों  की संख्या में वृद्धि हुई जिन्होंने  पेयजल  भंडारण पात्र को ढंक कर रखा

उन परिवारों  की संख्या में वृद्धि हुई जिन्होंने  पेयजल  भंडारण पात्र को ढंक कर रखा

 

उन परिवारों  की संख्या में वृद्धि हुई जिन्होंने  पानी निकालने के लिए नल/कलछुल के साथ पेयजल  भंडारण पात्र का उपयोग किया

उन परिवारों  की संख्या में वृद्धि हुई जिन्होंने  पानी निकालने के लिए नल/कलछुल के साथ पेयजल  भंडारण पात्र का उपयोग किया

 

उन व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि हुई जो पेयजल के भंडारण एवं संचालन  के  सही तरीके प्रदर्शन  कर सकते हैं|

उन व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि हुई जो पेयजल के भंडारण एवं संचालन  के  सही तरीके प्रदर्शन  कर सकते हैं|

 

प्रक्रिया

 

 

उन परिवारों  की संख्या में वृद्धि हुई जिन्होंने रेडियो/टीवी/प्रिंट/बैनर/पेंटिंग/लोक शैली से पेयजल के स्वच्छ भंडारण एवं संचालन सम्बन्धी संदेश प्राप्त किया

उन परिवारों  की संख्या में वृद्धि हुई जिन्होंने रेडियो/टीवी/प्रिंट/बैनर/पेंटिंग/लोक शैली से पेयजल के स्वच्छ भंडारण एवं संचालन सम्बन्धी संदेश प्राप्त कर सकते हैं

 

त्वरित मूल्यांकन

 

 

प्रगति रिपोर्ट

 

उन निष्पादनों की संख्या (लोक नृत्य संगीत_ नृत्य/नाटक) जिसमें पेयजल के स्वच्छ भंडारण एवं संचालन को विषयवस्तु चुना

 

पेयजल के स्वच्छ भंडारण एवं संचालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अंतर वैयक्तिक संचार (आईपीसी) और सामुदायिक एकजुटता के लिए ज्ञान एवं कौशल वाले अग्रणी कार्यकर्ता, विद्यालय, शिक्षक,  स्वयं   सहायता समूह के सदस्य तथा प्रभावशाली स्वयंसेवक

आईपीसी के उपयोग एवं सामुदायिक एकजुटता सबंधी तकनीक में प्रशिक्षित अग्रणी कार्यकर्ताओं, विद्यालय, शिक्षकों और स्वयंसेवक की संख्या

पूर्व-पश्चिम प्रशिक्षण मूल्यांकन रिपोर्ट

 

 

प्रगति रिपोर्ट

 

आयोजित संप्रेषण कार्यक्रमों की संख्या

 

 

वितरित आईपीसी सहायता सामग्रियों की संख्या

 

 

वितरित मुद्रित  सामग्रियों की संख्या

 

अग्रणी कार्यकर्ता स्वयं   सहायता समूह सामुदायिक एकजुटता के लिए घर-घर दौरे, समूह बैठक की अपनी योजना में जल सम्बन्धी संदेश देना शामिल कर सकते हैं

एफएलडब्ल्यूद्वारा गृह दौरों की संख्या जिसमें परिवार के सदस्यों को जल सम्बन्धी संदेश दिया गया

गृह दौरा पंजी अथवा दैनिक डायरी के आधार पर प्रगति रिपोर्ट

 

संचालित समूह बैठकों की संख्या जिनमें पेयजल के स्वच्छ भंडारण एवं संचालन के सम्बन्ध में लोगों को संदेश दिया गया/चर्चा की गई

समूह बैठक पंजी के आधार पर प्रगति रिपोर्ट

 

संकेंद्रित व्यवहार

मुख्या व्यवहार

प्रथमिकत प्रतिभागी/स्टेकहोल्डर

अपेक्षित परिणाम

समुदाय ग्राम पंचायत स्तर पर पंचायती राज संख्या/पीएचईडी से पयेजल के लिए प्रतिनिधि एवं कार्यात्मक समितियों की स्थापना की मांग करते हैं

समुदाय ग्राम पंचायत स्तर पर प्रतिनिधि एवं कार्यात्मक समिति की स्थापना की मांग करते हैं

समुदाय

 

 

पंचायती राज संस्थाएं

लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग

स्थायी आधार पर स्वच्छ एवं पर्याप्त पेयजल सुनिश्चित करने वाली प्रतिनिधि एवं कार्यात्मक समिति वाली ग्राम पंचायतों की संख्या में वृद्धि हुई

 

समुदाय यह सुनिश्चित करता है कि समिति को जल आपूर्ति योजनाओं की आयोजना, कार्यान्वयन, निगरानी और प्रयोक्ता प्रभार के लिए जिम्मेदार है ताकि जल स्रोतों के परिचालन एवं रखरखाव को सुनिश्चित किया जा सके

 

X  प्रतिशत  महिला प्रतिनधित्व के साथ स्थायित्व समितियों  की संख्या में वृद्धि हुई

 

समुदाय यह सुनिश्चित करता हैं  कि समिति समुदाय (महिला, अ.जा./अ.ज.जा. एवं समुदाय के गरीब वर्गों का उचित प्रतिनिधि हो)

 

X  प्रतिशत  अ.जा./अ.ज.जा. प्रतिनधित्व के साथ स्थापित प्रतिनिधियों  समितियों  की संख्या में वृद्धि हुई

 

प्रक्रिया

आउटपुट

संकेतक

सत्यापन के साधन

उन व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि हुई जो खराब स्वच्छता/खुले में मल त्याग और जल के संदूषण  स्वास्थ्य संबद्धता का निर्धारण कर सकते हैं

उन व्यक्तियों की संख्या जो खराब स्वच्छता/खुले में मल त्याग और जल के संदूषण  स्वास्थ्य संबद्धता का निर्धारण कर सकते हैं

बेसलाइन, मिडलाइन एवं एंडलाइन सर्वेक्षण प्रभाव

 

मूल्यांकन सर्वेक्षण

उन व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि हुई जो जल स्रोत के नियमित परिचालन एवं अनुरक्षण से संबद्ध स्वास्थ्य लाभ का निर्धारण कर सकते हैं

उन व्यक्तियों की संख्या जो जल स्रोत के नियमित परिचालन एवं अनुरक्षण से संबद्ध स्वास्थ्य लाभ का निर्धारण कर सकते हैं

 

उन व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि हुई जो जल जाँच के दो लाभों को सूचीबद्ध कर सकते हैं

उन व्यक्तियों की संख्या जो जल जाँच के दो लाभों को सूचीबद्ध कर सकते हैं

 

उन व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि हुई जो स्वच्छ जल के मानदंडों को सूचीबद्ध कर सकते हैं

उन व्यक्तियों की संख्या जो स्वच्छ जल के मानदंडों को सूचीबद्ध कर सकते हैं

 

उन व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि हुई जो उन दो तरीकों को निर्धारित कर सकते हैं जिनमें जल स्रोत को संदूषित किया जा सकता है

उन व्यक्तियों की संख्या जो उन दो तरीकों को निर्धारित कर सकते हैं जिनमें जल स्रोत को संदूषित किया जा सकता है

 

उन प्राथमिक प्रतिभागियों की संख्या में वृद्धि हुई जो यह रिपोर्ट करते हैं कि वीडब्ल्यूएसपी की स्थापना समुदाय के लाभ के लिए हैं

उन प्राथमिक प्रतिभागियों की संख्या  जो यह व्याख्या कर सकते हैं कि वीडब्ल्यूएसपी की स्थापना समुदाय के लाभ के लिए हैं

 

उन प्राथमिक प्रतिभागियों की संख्या में वृद्धि हुई जो यह बताते हैं कि समुदाय के रूप में वे स्वच्छ, पर्याप्त एवं सतत जल आपूर्ति से सम्बन्धित समस्याएँ हल कर सकते हैं

उन प्राथमिक प्रतिभागियों की संख्या जो यह बताते हैं कि समुदाय के रूप में वे स्वच्छ, पर्याप्त एवं सतत जल आपूर्ति से सम्बन्धित समस्याएँ हल कर सकते हैं

 

उन प्राथमिक प्रतिभागियों की संख्या में वृद्धि हुई जो यह बताते है  कि वे स्वच्छ, पर्याप्त एवं नियमित जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए इस समुदाय के अन्य लोगों के साथ कार्य कर सकते हैं|

उन प्राथमिक प्रतिभागियों की संख्या  जो यह बताते है  कि वे स्वच्छ, पर्याप्त एवं नियमित जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए इस समुदाय के अन्य लोगों के साथ कार्य कर सकते हैं|

 

उन प्राथमिक प्रतिभागियों की संख्या में वृद्धि हुई पेयजल आपूर्ति से सम्बन्धित समस्याएँ हल करने के लिए समुदाय के रूप में एक साथ कार्य करते हैं|

उन प्राथमिक प्रतिभागियों की संख्या जो यह बताते हैं कि पेयजल आपूर्ति से सम्बन्धित समस्याएँ हल करने के लिए समुदाय के रूप में एक साथ कार्य करते हैं|

 

उन प्राथमिक प्रतिभागियों की संख्या में वृद्धि हुई जो यह बताते है  कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए कि समुदाय को स्वच्छ, पर्याप्त एवं सतत  जल आपूर्ति हो रही है, आवश्यक मानवीय एवं वित्तीय संसाधन का लाभ लेने के लिए  समुदाय के अन्य व्यक्तियों  के साथ आ सकते हैं|

उन प्राथमिक प्रतिभागियों की संख्या  जो यह बताते है  कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए कि समुदाय को स्वच्छ, पर्याप्त एवं सतत  जल आपूर्ति हो रही है, आवश्यक मानवीय एवं वित्तीय संसाधन का लाभ लेने के लिए  समुदाय के अन्य व्यक्तियों  के साथ आ सकते हैं|

 

समुदाय में उन व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि हुई जिहोंने वीडब्ल्यूएसपी की स्थापना के लिए कार्रवाई की है

समुदाय में उन प्रतिभागियों/व्यक्तियों की संख्या में जो वीडब्ल्यूएसपी की स्थापना के लिए कार्रवाई की है

बेसलाइन, मिडलाइन एवं एंडलाइन सर्वेक्षण

 

प्रभाव मूल्यांकन सर्वेक्षण

समुदाय में उन सरकारी संगठनों की की संख्या में वृद्धि हुई जिहोंने वीडब्ल्यूएसपी की स्थापना के लिए कार्रवाई की है

उन व्यक्तियों की संख्या जो यह बताते हैं कि सरकारी संगठनों ने  वीडब्ल्यूएसपी की स्थापना के लिए कार्रवाई की है

 

उन व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि हुई जिहोंने वीडब्ल्यूएसपी की स्थापना के लिए कार्रवाई की है

उन व्यक्तियों की संख्या जो बताते हैं कि उन्होंने वीडब्ल्यूएसपी की स्थापना के लिए कार्रवाई की है

 

 

प्रक्रिया

परिणाम का स्तर

संकेतक

सत्यापन के साधन

प्रतिनिधि एवं कार्यात्मक वीडब्ल्यूएससी की स्थापना करने के लिए एनआरडीडब्ल्यूपी दिशानिर्देश की ज्ञान वाले प्राथमिक प्रतिभागियों की संख्या में वृद्धि हुई

एनआरडीडब्ल्यूपी सम्बन्धी अभिमुखीकरण कार्यक्रमों की संख्या

पूर्व-पश्चिम प्रशिक्षण

 

 

प्रगति रिपोर्ट

ग्राम पंचायत में पेयजल आपूर्ति की आयोजना, कार्यान्वयन एंव निगरानी के ज्ञान एवं कौशल वाले वीडब्ल्यूएससी सदस्यों की  संख्या में वृद्धि हुई

ग्राम पंचायत में पेयजल आपूर्ति की आयोजना, कार्यान्वयन एंव निगरानी के लिए  कौशल विकसित करने सम्बन्धी प्रशिक्षण कार्यक्रमों   की  संख्या

 

वितरित तकनीक सहायता समाग्रियों की संख्या

 

वितरित प्रोत्साहक समाग्रियों की संख्या

 

 

 

उन प्राथमिक प्रतिभागियों की संख्या में वृद्धि हुई जिन्होंने समूह बैठकों में वीडब्ल्यूएससी की स्थापना के सम्बन्ध में चर्चा आरंभ की है

वीडब्ल्यूएससी पर चर्चा के साथ हुई समूह बैठकों की संख्या

 

प्रचार

प्रगति एवं प्रभाव के लिए प्रचार पहलों एवं अभियानों का मूल्यांकन एवं निगरानी करने की भी आवश्यकता है| प्रचार घटकों के कार्यान्वयन एवं प्रभाव की निगरानी करने के तीनों स्तरों पर संकेतकों की निदर्शनात्मक सारणी नीचे दी गई है| व्यवहारगत बदलाव के  लिए संचार सम्बन्धी राज्य कार्यनीति को कार्यनीति के तहत अपने प्रचार घटक विकसित करने तथा इन पहलों की प्रगति के मूल्यांकन करने के लिए मुख्य साधन निर्धारित करने की आवश्यकता है|

 

प्राथमिक भागीदार/स्टेकहोल्डर

अपेक्षित परिणाम

निति निर्माता, कार्यक्रम प्रबंधक, मिडिया, विचार-निर्माता, युवा, शैक्षिक वर्ग, निजी क्षेत्र

बेहतर समझ, प्रतिबद्धता एवं पर्याप्त तथा स्वच्छ पेयजल से सम्बन्धित मामलों पर कार्रवाई

 

परिणाम

परिणाम का स्तर

संकेतक

सत्यापन के साधन

उन निर्वाचित प्रतिनिधियों की संख्या में वृद्धि जो स्वच्छ पेयजल के दो लाभों को निर्धारित कर सकते हैं

उन निर्वाचित प्रतिनिधियों की संख्या जो संदूषित जल पीने के जोखिमों को स्पष्ट कर सकते हैं

बेसलाइन, मिडलाइन एवं एंडलाइन सर्वेक्षण

 

प्रभाव मूल्यांकन सर्वेक्षण

उन निर्वाचित प्रतिनिधियों की संख्या में वृद्धि हुई जो स्थायी आधार पर  स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता एवं उपयोग को बेहतर बनाने के लाभों को निर्धारित करते  हैं

उन निर्वाचित प्रतिनिधियों की संख्या जो स्थायी आधार पर  स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता एवं उपयोग को बेहतर बनाने के महत्व की  व्याख्या कर सकते हैं

 

उन निर्वाचित प्रतिनिधियों की संख्या में वृद्धि हुई जो स्थायी आधार पर  स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता एवं उपयोग को बेहतर बनाने के लिए एनआरडीडब्ल्यूपी के मुख्य अवयवों/सरकारी पहलों को सूचीबद्ध कर सकते हैं

उन निर्वाचित प्रतिनिधियों की संख्या जो जानते हैं कि एनआरडीडब्ल्यूपी ग्रामीण भारत के लिए पेयजल के लिए राष्ट्रीय प्रमुख कार्यक्रम हैं

 

उन सरकारी अधिकारियों  की संख्या में वृद्धि हुई जो स्वच्छ पेयजल के दो लाभों को निर्धारित कर सकते हैं

उन सरकारी अधिकारियों  की संख्या जो संदूषित जल का उपयोग करने के जोखिमों की व्याख्या कर सकते हैं|

 

उन सरकारी अधिकारियों  की संख्या में वृद्धि हुई जो स्थायी आधार पर  स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता एवं उपयोग को बेहतर बनाने के लाभों को निर्धारित करते हैं

उन सरकारी अधिकारियों  की संख्या में जो स्थायी आधार पर स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता एवं उपयोग को बेहतर बनाने के महत्व की व्याख्या कर सकते हैं|

 

उन सरकारी अधिकारियों  की संख्या में वृद्धि हुई जो जो स्थायी आधार पर  स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता एवं उपयोग को बेहतर बनाने के लिए एनआरडीडब्ल्यूपी के मुख्य अवयवों/सरकारी पहलों को सूचीबद्ध कर सकते हैं

उन सरकारी अधिकारियों  की संख्या जो जानते हैं कि ग्रामीण भारत के लिए पेयजल के लिए राष्ट्रीय प्रमुख कार्यक्रम हैं

 

प्रक्रिया

 

 

परिणाम का स्तर

संकेतक

सत्यापन के साधन

पर्याप्त एवं स्वच्छ पेयजल से सम्बन्धित मामलों के सम्बन्ध में निति निर्माताओं एवं स्टेकहोल्डरों को जागरूक बनाना

संसद एवं विधान सभाओ में उठाए गए प्रश्नों की संख्या

 

 

संसद एवं विधान सभा में वाद-विवाद की निगरानी

 

सार्वजनिक भाषणों में पेयजल सम्बन्धी मामलों की गई चर्चा की बारम्बारता

सार्वजानिक व्यक्ति की सार्वजनिक भागीदारी सम्बन्धी मिडिया रिपोर्ट

पेयजल सम्बन्धी मामलों की रिपोर्ट करने एवं नीतिगत कार्यसूची तथा शासन के विभिन्न स्तरों को निर्धारित करने के लिए मिडिया को जागरूक एवं अभिप्रेरित किया गया

नई कहानियों की संख्या एवं अन्तर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय एवं स्थानीय मिडिया में उनका महत्व

मिडिया द्वारा निगरानी एवं विशलेषण

निर्वाचित प्रतिनिधियों को संदेश प्रसार करने तथा कार्यक्रम एक समन्वय एवं निगरानी करने के लिए सम्मिलित एवं अभिप्रेरित किया जाता है

निर्वाचित प्रतिनिधियों (जिला परिषद अध्यक्ष) द्वारा आयोजित सार्वजानिक एवं समन्वय बैठकों की संख्या जिनमें पेयजल सम्बन्धी मामलों पर चर्चा की जाती है

स्थानीय मिडिया रिपोर्ट जिला प्रशासन की बैठकों का कार्यवृत

 

संक्षिप्त रूप

आशा  -       मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता

एडब्ल्यूसी - आंगनबाड़ी केंद्र

एडब्ल्यूडब्ल्यू – आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता

बीसीसी - व्यवहारगत परिवर्तन सम्बन्धी संप्रेषण

सीसीडीयू – संप्रेषण और क्षमता विकास एकक

डीआईएसई – शिक्षण की जिला सूचना प्रणाली

डीडब्ल्यूएसएम- जिला जल और स्वच्छता मिशन

जीओआई – भारत सरकार

जीपी - ग्राम पंचायत

आईएवाई- इंदिरा आवास योजना

आईईसी- सूचना, शिक्षण और संप्रेषण

आईपीसी- पारस्परिक संप्रेषण

जेएमपी – संयुक्त अनुवीक्षण कार्यक्रम

केएपी – ज्ञान, प्रवृति और अभ्यास

एमडीजी- सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य

एमडीडब्ल्यूएस – पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय

एमएंडई – अनुवीक्षण एवं मूल्याकंन

एनबीए- निर्मल भारत अभियान

एनएफएचएस- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण

मनरेगा- महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम

एजीपी- निर्मल ग्राम पुरस्कार

एनआरडीडब्ल्यूपी – राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम

एनएसएस- राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण

ओडीएफ- खुले में शौच से मुक्ति

ओ एंड एम- प्रचालन और रखरखाव

पीएचईडी- लोक स्वास्थ्य अभियान्त्रिकी विभाग

पीआरआई- पंचायती राज संस्थाएं

पीएसए- लोक सेवा घोषणा

आरएसएम- ग्रामीण स्वच्छता बाजार

एसबीसीसी – सामाजिक एवं व्यवहारगत परिवर्तन सम्बन्धी संप्रेषण

एसएचएसीएस- स्वच्छता एवं व्यक्तिगत स्वास्थ्य समर्थनकारी कार्यनीति की रुपरेखा

एसएचजी- स्वयं सहायता समूह

एसएमएस – लघु संदेश सेवा

एसएसए- सर्व शिक्षा अभियान

एसडब्ल्यूएसएम- राज्य जल और स्वच्छता मिशन

टीओटी – प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण

यूनिसेफ- संयुक्त राष्ट्र बाल कोष

बीएम- ग्राम अभिप्रेरक

वीएचएससी- ग्राम स्वास्थ्य और स्वच्छता समिति

वीडब्ल्यूएससी - ग्राम जल  और स्वच्छता समिति

वाश – जल. स्वास्थ्य और व्यक्तिगत स्वास्थ्य

डब्ल्यूएचओ- विश्व स्वास्थ्य संगठन

जैडपी- जला पंचायत

 

स्रोत: पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय, भारत सरकार यूनिसेफ|

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



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