जीएसटी व्यवस्था में, किसी भी राज्यांतरिक (राज्य के भीतर) आपूर्ति के लिए किया जाने वाला करों का भुगतान केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी, केन्द्र सरकार के खाते में जमा होगा) और राज्य/ केन्द्र शासित प्रदेश जीएसटी (एसजीएसटी, संबंधित राज्य सरकार के खाते में जमा होगा)। किसी भी अंतर-राज्य आपूर्ति के लिए, किया जाने वाला कर भुगतान एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) है जिसमें दोनों सीजीएसटी और एसजीएसटी के घटक सम्मिलित होंगे। इसके अतिरिक्त, पंजीकृत व्यक्तियों की कुछ श्रेणियों को कर स्रोत पर कटौती (टीडीएस) और कर स्रोत पर एकत्रित (टीसीएस) सरकारी खाता में भुगतान करने की आवश्यकता होगी। इसका भुगतान करना आवश्यक होगा।
आमतौर पर जीएसटी भुगतान का दायित्व वस्तुओं या सेवा आपूर्तिकर्ता का है। हालांकि कई निर्दिष्ट मामलों में जैसे आयात और प्राप्तकर्ता पर यह दायित्व डाला जा सकता है। इसके अतिरिक्त अंतर राज्य सेवाओं की आपूर्ति के कुछ अधिसूचित मामलों में जी. एस.टी. का भुगतान करने की देयता ई-कॉमर्स आपरेटरों पर डाली जा सकती है, जो ऐसी सेवाएं प्रदान करते है। साथ ही सरकार के विभागों को जो विकेता को एक विशिष्टि सीमा से अधिक भुगतान करते है (एक कॉन्टैक्ट पर 2.5 लाख धारा 51(1)डी के अंतर्गत) उन पर टी.डी.एस. कटौती करने की आवश्यकता है और ई-कॉमर्स आपरेटरों को उनके द्वारा की गई आपूर्ति के शुद्ध मूल्य (अतः वस्तु और/या सेवाओं के कर योग्य आपूर्ति का कुल मूल्य लेकिन सेवाओं के ऐसे मूल्यों को छोड़कर जिस पर आपरेटर जी.एस.टी का भुगतान सी.जी.एस.टी अधिनियम 2017 की धारा 9 (5) के अंतर्गत करने के लिए उत्तरदायी है) पर कर (टीसीएस) एकत्रित करने के पश्चात सरकार के पास जमा करना है।
भुगतान को दायित्व वस्तु की आपूर्ति के समय उत्पन्न होत है-जैसा कि धारा 12 में स्पष्ट किया गया है और सेवाओं की आपूर्ति के समय में धारा 13 वर्णन किया गया है। समय आम तौर पर इन तीन में से सबसे पहले का समय होगा, अर्थात भुगतान की प्राप्ति, चालान/बिल जारी करने या आपूर्ति पूरा हो जाने के बाद की तिथि। उपरोक्त धाराओं में विभिन्न स्थितियों की परिकल्पना की गई और अलग-अलग कर अंक स्पष्ट किये गये हैं।
प्रस्तावित जीएसटी व्यवस्था के अंतर्गत भुगतान प्रक्रियाओं की निम्नलिखित विशेषताएं होंगी-
भुगतान निम्न विधियों द्वारा किया जा सकता है -
एक आम करदाता द्वारा करों का भुगतान आगामी महीने की 20 तारीख तक मासिक आधार पर किया जाना चाहिये । नकद भुगतान सबसे पहले नकदी खाता बही में जमा किया जाएगा और करदाता मासिक रिटर्न के भुगतान के समय खाता बही को डेबिट करेगा ओर अपने रिटर्न पर प्रासंगिक डेबिट प्रविष्टि संख्या दर्ज करेगा। जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, भुगतान क्रेडिट खात बही से डेबिट किया जा सकता है। मार्च महीने के लिए करों क भुगतान 20 अप्रैल तक किया जाएगा। संयोजन करदाताओं क तिमाही आधार पर कर का भुगतान करना आवश्यक होगा।
नहीं, स्वयं मूल्यांकन दायित्व (सेल्फ-एस्सेसड लायबिलिटी) के मामले में इसकी अनुमति नहीं है। अन्य मामलों में सक्षम प्राधिकारी को समयावधि बढ़ाने या किश्तों में भुगतान की अनुमति देने के अधिकार से सशक्त किया गया है। (सी.जी.एस.टी./एस.जी.एस.टी अधिनियम की धारा 80) ।
ऐसे मामलों में, रिटर्न एक वैध रिटर्न के रूप में नहीं मानी जाती । धारा 2 (117) एक मान्य रिटर्न को परिभाषित करती है जिसका अर्थ है धारा 39 की उप धारा 1 के अंतर्गत प्रस्तुत रिटर्न जिस पर स्वयं मूल्यांकन कर का पूर्ण भुगतान किया गया है। यह केवल एक वैध रिटर्न है जो प्राप्तकर्ता द्वारा इनपुट कर क्रेडिट (आई. टी.सी.) की अनुमति के लिए प्रयोग की जाऐंगी। दूसरे शब्दों में, यदि आपूर्तिकर्ता ने पूर्ण स्वयं मूल्यांकन कर का भुगतान नही किया है और अपनी रिटर्न दाखिल नहीं की है तो प्राप्तकर्ता को आई.टी.सी. की पुष्टि नहीं होगी।
यह सरकार के खाते में जमा की तारीख है।
इलेक्ट्रॉनिक बहीखाते या ई-बहीखाते प्रत्येक पंजीकृत करदाता से संबंधित नकदी और इनपुट टैक्स क्रेडिट के विवरण हैं। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक करदाता के पास एक इलेक्ट्रॉनिक कर देयता रजिस्टर भी होगा । एक बार जब एक करदाता आम पोर्टल (जीएसटीएन) पर पंजीकृत हो जाता है, 2 ई-खाते (नकद और इनपुट टैक्स क्रेडिट) और एक इलेक्ट्रॉनिक कर देयता रजिस्टर स्वचालित रूप से खुल जाएगा और उसके अपने डैशबोर्ड पर प्रदर्शित हो जाता हे ।
कर देयता रजिस्टर एक करदाता की किसी विशेष महीने की कुल कर देनदारी (शुद्ध करने के बाद) प्रतिबिंबित करेगा।
नकद खाता बही करदाता के खाते पर सभी जमा नकद और टीडीएस/टीसीएस प्रतिबिंबित करेगा। जानकारी वास्तविक समय के आधार पर परिलक्षित होगी। यह खाता बही जीएसटी के खाते में होने वाले किसी भी भुगतान के लिये प्रयोग की जा सकती है।
अपने आप मूल्यांकन किये गये मासिक रिटर्न के रूप में इनपुट टैक्स क्रेडिट आईटीसी खाता बही में दर्शाये जाएंगे। इस खाता बही में क्रेडिट/जमा को कर के भुगतान के लिये प्रयोग किया जा सकता है न कि ब्याज, जुर्माना, फीस आदि के रूप में अन्य कोई राशि ।
वहाँ जीएसटीएन और बैंक की कोर बैंकिग सोल्यूशन (सीबीएस) के बीच वास्तविक समय दोतरफा कड़ी होगी। सीपीआईएन इलेक्ट्रॉनिक स्ट्रिग के माध्यम के साथ सत्यापन और भुगतान प्राप्त करने और चालान पहचान संख्या (सीआईएन) बैंक द्वारा आम पोर्टल पर स्वचालित रूप से भुगतान प्राप्ति की पुष्टि के लिए भेज दिये जाएंगे। इस प्रक्रिया में बैंक के कैशियर या टेलर या करदाता सहित किसी के द्वारा भी कोई मैनुअल हस्तक्षेप शामिल नहीं किया जाएगा।
हाँ, करदाता आंशिक रूप से चालान को भर सकते हैं और अस्थायी रूप में चालान को बाद में पूरा करने के लिये सुरक्षित सेव रख सकते हैं। एक सुरक्षित चालान को अंतिम रूप देने से पहले एडिट एडिट किया जा सकता है। करदाता द्वारा चालान को अंतिम रूप देने के बाद, वह करों के भुगतान के उपयोग के लिए, चालान उत्पन्न कर सकते हैं। प्रेषक को अपने रिकॉर्ड के लिए चालान प्रिंट करने का विकल्प उपलब्ध होगा ।
नहीं। चालान उत्पन्न करने के लिये जीएसटीएन पोर्टल पर लॉगिन करने के बाद, करदाता या उसके अधिकृत व्यक्ति द्वारा भुगतान के विवरण को भरना होगा। वह भविष्य में अद्यतन करने के लिए चालान को प्रकिया के बीच सेव सुरक्षित कर सकता है।
यद्यपि एक बार जब चालान को अंतिम रूप दे दिया जाता है और सीपीआईएन उत्पन्न हो जाता है, करदाता द्वारा उसमें आगे कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।
हाँ, चालान उसके उत्पन्न होने के बाद पंद्रह दिनों के लिए वैध होगा और उसके बाद उसे सिस्टम से हटा दिया जायेगा । हालांकि, करदाता अपनी सुविधा के लिए एक अन्य चालान भी उत्पन्न कर सकता है।
सीपीआईएन को एक आम पोर्टल पहचान संख्या (सीपीआईएन) से जाना जाता है जिसे चालान उत्पन्न करने के समय दिया जाता है। यह चालान की पहचान करने के लिए 14 अंकों की एक अद्वितीय संख्या है। जैसा कि ऊपर कहा गया है, सीपीआईएन 15 दिनों की अवधि के लिए मान्य रहता है।
सीआईएन चालान पहचान संख्या व्यक्त करता है। यह एक 17 अंकों की संख्या है अथति सीपीआईएन के 14 अंक और बैंक कोड के 3-अंक । सीआईएन अधिकृत बैंकों/भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा उत्पन्न किया जाता है जब कथित बैंकों या आरबीआई द्वारा भुगतान वास्तव में प्राप्त हो जाता है उनके द्वारा आयोजित प्रासंगिक सरकारी खाते में जमा किया जाता है। यह इंगित करता है कि भुगतान प्राप्त हो चुका है और उचित सरकारी खाते में जमा हो गया है। सीआईएन अधिकृत बैंकों द्वारा उत्पन्न होता है। सीआईएन अधिकृत बैंक द्वारा करदाता के साथ साथ जीएसटीएन को भेजा जाता है।
धारा 49(8) भुगतान का आदेश निर्धारित करती है जहां करदाता की वर्तमान रिटर्न की अवधि के अतिरिक्त भी कर भुगतान का दायित्व बाकी है। ऐसी स्थिति में भुगतान के आदेश का पालन किया जाना चाहिये: सबसे पहले पिछली अवधि का अपने आप किये मूल्यांकन का कर और ब्याज, उसके बाद वर्तमान अवधि के लिये अपने आप किये मूल्यांकन किये कर और ब्याज, और उसके बाद कोई भी अन्य देय राशि जिसमें धारा 73 या 74 के अंर्तगत किसी मांग की पुष्टि की गई है।
शब्द अन्य देय राशि का अर्थ है ब्याज, जुर्माना, फीस या अधिनियम एवं इसके अंतर्गत बनाए गए नियम के अंतर्गत देय किसी भी अन्य राशि ।
ई-एफबीपी इलेक्ट्रॉनिक फोकल प्वाइंट शाखा व्यक्त करता है। ये अधिकृत बैंकों की शाखाएं हैं जो जीएसटी का भुगतान प्राप्त करने के लिए अधिकृत की गई हैं। प्रत्येक अधिकृत बैंक अखिल भारत के लेनदेन के लिये अपनी केवल एक ई-एफपीबी के रूप में एक शाखा को नामांकित करेगा। ई-एफपीबी को सभी सरकारों के लिए प्रत्येक प्रमुख मद के नीचे खाते खोलने होंगे। कुल 38 खातों (सीजीएसटी, आईजीएसटी लिए एक-एक तथा प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकार के लिए एक एक एसजीएसटी) खोलना होगा। जीएसटी के लिये कथित ई-एफपीबी द्वारा प्राप्त की गई कोई भी राशि कथित ई-एफपीबी द्वारा आयोजित उचित खाते में जमा कर दी जाएगी।
एनईएफटी/आरटीजीएस लेनदेन के लिए, भारतीय रिजर्व बैंक ई-एफपीबी के रूप में कार्य करेगा ।
टी.डी.एस. का अर्थ है स्त्रोत पर कर की कटौती है। धारा 51 के अनुसार यह प्रावधान सरकार और सरकारी उपकमों और अन्य जहां पर करार के अंतर्गत आपूर्तिकर्ता को कुल आपूर्ति का 2.5 लाख से अधिक है। जब ऐसे करार के अंतर्गत भुगतान किया जाता है तब संबंधित सरकार या प्राधिकरण भुगतान की गई कुल राशि का 1 प्रतिशत कटौती करेगा और निर्धारित जी.एस.टी.खाते में जमा करेगा ।
टीडीएस के रूप में दिखाई गई कोई भी राशि संबंधित आपूर्तिकर्ता के इलेक्ट्रॉनिक नगदी लैजर में दिखाई देगी और वह इस राशि का उपयोग कर, ब्याज, फीस और किसी भी अन्य राशि के प्रति उसकी देयता का निर्वाहन करने के लिए कर सकता है।
टी.डी.एस. कटौतीकर्ता ऐसे टी.डी.एस. के लिए निम्नप्रकार से खाता रखेगे ।
यह प्रावधान केवल सी.जी.एस.टी./ एस.जी.एस.टी अधिनियम की धारा 52 के अंर्तगत ई-वाणिज्य ऑपरेटर के लिए लागू है। प्रत्येक ई-वाणिज्य ऑपरेटर, जो एजेंट नहीं है, को उस राशि का एक प्रतिशत रोकना आवश्यक है जो आपूर्तिकर्ता को वास्तविक भुगतान करने के समय उस पर देय है। ऐसी रोकी गई कथित राशि कथित ई-वाणिज्य ऑपरेटर द्वारा आगामी महीने की 10 तारीख तक उचित जीएसटी खाते में जमा कर दी जायेगी । टीसीएस के रूप में जमा राशि आपूर्तिकर्ता के इलेक्ट्रॉनिक नकदी खाता बही में दर्शायी जायेगी ।
कर योग्य आपूर्ति का शुद्ध मूल्य का अभिप्राय कुल वस्तुओं या सेवाओं की कर योग्य आपूर्ति के कुल मूल्य से है, जो धारा 9(5 व्यक्तिओं द्वारा किसी भी माह में आपूर्ति की गई है, जिसमें से उक्त माह में आपूर्तिकर्ता द्वारा लौटाई गई आपूर्ति कम की जा चुकी है।
हाँ। करदाता जिस क्रेडिट कार्ड से कर का भुगतान करन चाहता है उसे जीएसटीन पर अनुरक्षित आम पोर्टल के साथ उसक पूर्व-पंजीकरण करना आवश्यक है। जीएसटीएन क्रेडिट कार्ड सेवा प्रदाता से कार्ड के सत्यापन की पुष्टि प्राप्त करने के लिये बैंक के साथ समन्वय कर सकता है। क्रेडिट कार्ड के प्रयोग द्वारा व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिये बिना मौद्रिक सीमा भुगतान की अनुमति दी जा सकती ।
स्रोत: भारत सरकार का केंद्रीय उत्पाद व सीमा शुल्क बोर्ड, राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालयअंतिम बार संशोधित : 2/20/2023
इस पृष्ठ में अपराध और दंड, अभियोजन और संयुक्तिकरण ...
इस पृष्ठ में इनपुट टेक्स क्रेडिट की जानकारी दी गयी...
इस पृष्ठ में अग्रिम न्यायिक निर्णय की जानकारी दी ग...
इस पृष्ठ में आंकलन और लेखा-परीक्षण की जानकारी दी ग...