डेयरी उद्योगिता विकास योजना : नाबार्ड
परिचय
नाबार्ड का डेरी उद्यमिता विकास योजना, स्वच्छ दूध उत्पादन के लिए आधुनिक डेयरी फार्मों की स्थापना, बछिया पालना को प्रोत्साहित करना, असंगठित क्षेत्र में संरचनात्मक परिवर्तन लाने के लिए और स्वयं रोजगार क अवसर पैदा करने के उद्देश्य से एक केंद्र प्रयोजित योजना है।
पात्रता/योग्यता
- किसान, व्यक्तिगत उद्यमियों, गैर-सरकारी संगठन कंपनियों पेशनरों, स्वयं सहायता समूहों , डेयरी सहकारी समितियों, दुग्ध संघों, दूध महासंघों आदि सहित संगठित क्षेत्र।
- एक व्यक्ति प्रत्येक घटक के लिए केवल एक बार इस योजना के तहत सभी घटकों कलभ उठाने का पात्र हो सकता है।
- एक परिवार के एक से अधिक सदस्य भी लाभाविंत हो सकते हैं।यदि वे अलग-अलग स्थानों पर अलग बुनियादी सुविधाओं के साथ अलग इकाइयों की स्थापना करते हैं।
अनुदान पैटर्न
- उद्यमी योगदान: परिव्यय का 10% (न्यूनतम)
- वापस में पूंजी सब्सिडी: सामान्य वर्ग के लिए 25% अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए 35%।
- प्रभावी बैंक ऋण : शेष भाग, परिव्यय का 40% न्यूनतम
वापसी
- वापसी अवधि, गतिविधि और नकदी प्रवाह की प्रकृति पर निर्भर करेगा।
- वापसी अवधि 3 से 7 साल का होगा।
- ग्रेस अवधि, डेयरी फार्मों के लिए 3 से 6 महीनों और बछड़ा पालन
आवेदन कैसे करें?
अपने निकटतम पशु चिकित्सक सहायक सर्जन अथवा ब्लोक पशु चिकित्सक अधिकारी के पास निम्नलिखित प्रमाण=पत्रों के साथ जाएँ।
- बरोजगार होने का शपथ पत्र
- यदि ऋण को राशि 1 लाख रूपये से अधिक है तो भूमि के कागजात
- वर्ग प्रमाण की फोतोकोपी (यदि किसी वर्ग के ही तो)
- तीन पासपोर्ट आकार के फोटो।
- यदि रेफ्रिजरेटिड वाहन लेना हो तो ड्राइविंग लाइसेंस की प्रति।
- मोबाईल/स्टेशनरी वेटनरी किलनिक के लिए बी.वी.एस.सी. एवं ए. एच. की डिग्री का प्रमाण पत्र।
निम्नलिखित सहायता के अंतत आने वाले इकाई/घटक
- अधिकतम 10 संकर नस्ल की गायों/भैसों के साथ छोटे डेयरी इकाइयों की स्थापना के लिए 5 लाख रुपया।
- अधिकतम 20 बछियों –बछड़ों के पालन (संकर नस्य/भैंस) के लिए 4.80 लाख
- वर्मी कम्पोस्ट: 20,000
- मिल्किंग मशीन/मिल्क कुलिंग इकाई (यूनिट): 18 लाख रुपया (20 लीटर क्षमता तक)
- डेयरी उत्पाद परिवहन सुविधाओं और कोल्ड चैन की स्थापन के लिए 24 लाख।
- निजी पशु चिकित्सा क्लिनिक: 2.4 लाख मोबाइल क्लिनिक के लिए 1.80 लाख स्थायी क्लिनिक के लिए।
- डेयरी मार्किटिंग आउटलेट/डेयरी पार्लर:56000/रुपया।
लेखन: विश्व भास्कर चौधरी, सीताराम बिशनोई
स्त्रोत:
कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/2/2023
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