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पेटेंट (संशोधन) नियम 2016

अधिसूचना

नई दिल्ली, 16 मई, 2016

पेटेंट अधिनियम, 1970 (1970 का 39) की धारा 159 की उपधारा (3) के अधीन यथापेक्षित प्रारूप नियम यथा पेटेंट (संशोधन) नियम, 2015 का प्रकाशन, ऐसे व्यक्तियों से, जिनके उनसे प्रभावित होने की संभावना है, उस तारीख से, जिसको अधिसूचना वाले राजपत्र की प्रतियाँ जनसाधारण को उपलब्ध कराई गई थी, तीस दिन की अवधि की समाप्ति से पूर्व आक्षेप और सुझाव आमंत्रित करने के लिए भारत के राजपत्र असाधारण, भाग-2, खण्ड 3, उपखण्ड (i) में भारत सरकार, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, (औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग) की अधिसूचना संख्यांक सा.का.नि. 806 (अ), तारीख 26 अक्तूबर, 2015 द्वारा किया गया था और उसी दिन जनसाधारण को उपलब्ध करा दिया गया था;

और उक्त प्रारूप नियमों के संबंध में जनता से प्राप्त आक्षेपों और सुझावों पर केन्द्रीय सरकार द्वारा विचार किया गया है;

अत: अब, केन्द्रीय सरकार, पेटेंट अधिनियम, 1970 (1970 का 39) की धारा 159 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, पेटेंट नियम, 2003 का और संशोधन करने के लिए निम्नलिखित नियम बनाती है, अर्थात

  1. इस नियमों का साक्षिप्त नाम  पेटेंट (संशोधन) नियम, 2016 है।
  2. ये राजपत्र में अपने प्रकाशन की तारीख को प्रवृत्त होंगे।

पेटेंट नियम, 2003 (जिसे इसमें इसके पश्चात मूल नियम कहा गया है) के नियम 2 में,

(i) खंड (घक) के बाद निम्नलिखित खंड अंतःस्थापित किया जाएगा अर्थात- (घख) परीक्षण के लिए अनुरोध से अभिप्रेत है परीक्षण के लिए अनुरोध जिसमें नियम 24 ख या नियम 24 ग के संदर्भ में धारा 11 ख के अधीन किया गया त्वरित परीक्षण शामिल है;

(ii) खंड (चक) के बाद निम्नलिखित खंड अंतःस्थापित किया जाएगा अर्थात-

  • (चख) स्टार्ट अप से वह अस्तित्व अभिप्रेत है जहां

i.  उसकी निगमन या रजिस्ट्रीकरण की तारीख से पाँच वर्ष से अधिक का समय व्यपगत नहीं हुआ है;

ii. ऊपर वर्णित पाँच वर्ष में से किसी वित्तीय वर्ष में आवर्त रुपए पच्चीस करोड़ से अधिक नहीं हुआ है; और

iii. यह तकनीक या बौद्धिक सम्पदा जनित नए उत्पाद, प्रक्रिया या सेवाओं के आविष्कार, उन्नयन, परिनियोजन या वाणिज्यिकरण के क्षेत्र में कार्यरत है;

परंतु पूर्व से अस्तित्व किसी व्यवसाय को खंडित कर अथवा पुनर्गठित कर बनाई गई किसी अस्तित्व को स्टार्ट-अप नहीं माना जाएगा। परंतु यह और कि केवल मात्र इसे विकसित करने का कार्य-

क. वह उत्पाद या सेवा या प्रक्रिया जिसमें वाणिज्यिकरण की क्षमता न हो, अथवा

ख. समरुप उत्पाद या सेवा या प्रक्रिया हो, अथवा

ग. वह उत्पाद या सेवा या प्रक्रिया जिसमें उपभोक्ताओं या कार्य प्रवाह के लिए अभिवृद्धि मान सीमित हो या न हो, इस परिभाषा के अंतर्गत नहीं आएगा। स्पष्टीकरण 1- एक अस्तित्व अपनी स्थापना या रजिस्ट्रीकरण की तारीख से पाँच वर्ष पूरा करने अथवा किसी पूर्व वर्ष में रुपए पच्चीस करोड़ से अधिक का पण्यावर्त करने के बाद स्टार्ट अप नहीं रहेगी।

स्पष्टीकरण 2- अस्तित्व से अभिप्रेत है एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी (कंपनी अधिनियम, 2013 में यथा परिभाषित), या एक रजिस्ट्रीकृत भागेदारी फर्म (भागेदारी अधिनियम, 1932 की धारा 59 के अधीन रजिस्ट्रीकृत) या एक सीमित देयता भागेदारी (सीमित देयता भागेदारी अधिनियम, 2002 के अधीन)।

स्पष्टीकरण 3- पण्यावर्त का वही आशय होगा जैसा कि कंपनी अधिनियम, 2013 (2013 का 18) के अधीन परिभाषित है।

स्पष्टीकरण 4- कोई अस्तित्व तकनीक या बौद्धिक सम्पदा जनित नए उत्पाद, प्रक्रिया या सेवाओं के आविष्कार, उन्नयन, परिनियोजन या वाणिज्यिकरण के क्षेत्र में कार्यरत मानी जाती है यदि उसका उद्देश्य यह विकसित और वाणिज्यिकृत करना हो, एक नया उत्पाद या सेवा या प्रक्रिया, या किसी विद्यमान उत्पाद या सेवा या प्रक्रिया में उल्लेखनीय सुधार जिससे उपभोक्ता या कार्य प्रवाह का मान बने या बढ़े।

स्पष्टीकरण 5- भारतीय रिजर्व बैंक की विदेशी मुद्रा संदर्भ दर लागू होगी।

नियम 5

मूल नियमों में, नियम 5 के स्थान पर निम्नलिखित रखा जाएगा अर्थात-

प्रत्येक ऐसा व्यक्ति, जो अधिनियम या इन नियमों से संबद्ध कार्यवाहियों से संबन्धित है और प्रत्येक पेटेंटधारी नियंत्रक को भारत में तामील के लिए एक डाक पता देगा और एक ईमेल पता देगा और ऐसी कार्यवाहियों या पेटेंट से संबन्धित सभी प्रयोजनों के लिए वह पता उन कार्यवाहियों से संबन्धित व्यक्ति या पेटेंटधारी का पता माना जा सकेगा। ऐसा पता न दिये जाने पर नियंत्रक पर यह बाध्यता नहीं होगी कि वह किसी भी कार्यवाही या उस पर कोई कार्य प्रारम्भ करे अथवा पेटेंट करे या अधिनियम या इनके नियमों के अधीन दी जाने वाली कोई सूचना भेजे और नियंत्रक इस संदर्भ में स्वतः निर्णय ले सकेगा।

परंतु पेटेंट अभिकर्ता के लिए भारत में रजिस्ट्रीकृत एक मोबाइल नंबर नियंत्रक को उपलब्ध करना होगा।

नियम 6

(i) उप-नियम (1) में शब्द या कोरियर सेवा जहां जहां वे आते हैं उनका लोप किया जाएगा।

(ii) उप-नियम (1) के पश्चात निम्नलिखित उप नियम अंतःस्थापित किया जायेगा, अर्थात;(1क) उप-नियम (1) मे अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, पेटेंट अभिकर्ता सम्यक रूप से अधिप्रमाणित सभी दस्तावेज को केवल इलेक्ट्रॉनिक पारेषण द्वारा फाइल करेगा, छोड़ेगा, बनाएगा या देगा जिसमें मूल रुप से प्रस्तुत किए जाने वाले दस्तावेज़ की स्कैन प्रति भी शामिल है। परंतु मूल रुप से प्रस्तुत किए जाने वाले मूल दस्तावेज़ पंद्रह दिन के भीतर प्रस्तुत किया जाना होगा, और ऐसा न होने पर उस दस्तावेज़ को फाइल नहीं किया गया सा मान लिया जाएगा।

(iii)उप-नियम (2) के स्थान पर निम्नलिखित उप-नियम रखा जाएगा, अर्थात- (2) पेटेंटधारी को, पेटेंट रजिस्टर में लिखे हुए उसके डाक पते अथवा ई-मेल पते पर अथवा नियम 5 के अधीन दिये गए तामील के लिए उसके पते पर अथवा अधिनियम या इन नियमों के अधीन किन्हीं कार्यवाहियों में किसी आवेदक या विरोधी को उस आवेदन या विरोध की सूचना में दिये गए, अथवा तामील के लिए दिये गए डाक पते अथवा ई-मेल पते पर भेजी गयी किसी लिखित संसूचना के बारे में यह समझा जाएगा कि उस पर उचित रूप से पता लिखा गया है।;

(iv)  उप-नियम (3) में, शब्द या कोरियर सेवा का लोप किया जाएगा;

(v)उप-नियम (4) में, शब्द या कोरियर का लोप किया जाएगा;

(vi)उप-नियम (5) के बाद निम्नलिखित उप-नियम अन्तःस्थापित किया जाएगा, अर्थात-(6) उप-नियम (5) पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना और नियम 138 के उपनियम (2) में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, यदि पक्ष द्वारा देरी की माफी की याचिका नियंत्रक के समक्ष तथ्य की परिस्थितियों संबंधी कथन और उस कथन के समर्थन में साक्ष्य प्रस्तुत कर नियंत्रक को समाधान कर सके कि जहां उसका निवास है या उसका व्यवसाय स्थान है वहाँ युद्ध, क्रांति, सविनय अवज्ञा, हड़ताल, प्राकृतिक आपदा, उस क्षेत्र में इलेक्ट्रोनिक संचार सेवा समान्यतया उपलब्ध न होने या अन्य ऐसे कारण से किसी दस्तावेज़ के पारेषण या पुन: प्रस्तुतिकरण में विलंब हुआ, और यह कि स्थिति इतनी गंभीर थी कि उससे उस क्षेत्र की साधारण संचार प्रणाली बाधित हो गई थी और यह कि जैसे ही संभव हुआ उस परिस्थिति की समाप्ति की तारीख से एक महीने के पहले संबद्ध कार्यवाही की गई, नियंत्रक पेटेंट कार्यालय में दस्तावेज़ के पारेषण या पुनःप्रस्तुतिकरण में हुई देरी या पक्ष द्वारा कोई कार्य करने को माफ कर सकेगा: परंतु नियंत्रक द्वारा माफ किया गया विलंब राष्ट्रीय आपातकाल के प्रभावी रहने की अवधि या विहित अवधि की समाप्ति से छः महीने, जो भी पहले हो, से अधिक नहीं होगा। (7) इस नियम के अधीन किसी दस्तावेज़ की प्रामाणिकता संबंधी सबूत, दस्तावेज़ के इलेक्ट्रोनिक पारेषण सहित को फाइल करना, छोड़ना, बनाना या दस्तावेज़ देने का दायित्व और ज़िम्मेदारी सम्बद्ध पक्ष की ही होगी।

नियम 7


I. उप-नियम (2) के खंड (क) के स्थान पर निम्नलिखित खंड रखा जाएगा, अर्थात-(क) अधिनियम अथवा इस नियम के अधीन संदेय फीस समुचित कार्यालय में या तो नकद दी जा सकती है या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से या नियंत्रक, पेटेंट को संदेय और उस स्थान पर किसी अनुसूचित बैंक में आहरित जहां उपयुक्त कार्यालय स्थित है, बैंक ड्राफ्ट या बैंकर चैक द्वारा भेजी जा सकेगी और यदि ड्राफ्ट या बैंकर चैक डाक द्वारा भेजा जाता है तो यह समझा जाएगा कि फीस का संदाय उस तारीख को किया गया है जिसको ड्राफ्ट या बैंकर चैक नियंत्रक को वास्तव में प्राप्त हुआ है।

II. उप-नियम (2) में खंड (ख) का लोप किया जाएगा।

III. उप-नियम 3क के पश्चात, निम्नलिखित उपनियम अंतःस्थापित किया जाएगा, अर्थात:(3ख) यदि किसी स्टार्टअप द्वारा प्रक्रियागत कोई आवेदन प्रकृत व्यक्ति या किसी स्टार्टअप के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति को पूर्णतः या अंशतः हस्तांतरित होता है तो स्टार्टअप से लिए जाने वाली फीस और जिस व्यक्ति को वह आवेदन हस्तांतरित किया गया उससे लिए जाने वाली फीस के परिमाण का अंतर, यदि कोई हो, का भुगतान हस्तांतरण के अनुरोध के साथ नए आवेदक द्वरा किया जाएगा I स्पष्टीकरण- जहां स्टार्टअप पेटेंट आवेदन फाइल करने के बाद अपनी स्थापना या रजिस्ट्रीकरण की तारीख से पाँच वर्ष से अधिक का समय बीत जाने या तदोपरांत पण्यावर्त की यथा परिभाषित निर्धारित वित्तीय सीमा पार कर लेने के कारण स्टार्टअप नहीं रह जाती तो फीस के परिमाण में किसी अंतर का भुगतान नहीं करना होगा।

IV. उप-नियम (4) के स्थान पर निम्नलिखित उप-नियम रखा जाएगा, अर्थात- (4) इस बात के होते हुए भी कि कार्यवाही की गयी है अथवा नहीं, यद्यपि अन्यथा वर्णित हो, किसी कार्यवाही की बाबत एक बार भुगतान की गयी फीस सामान्यतः वापस नहीं की जाएगी: परंतु, यदि नियंत्रक से समाधान हो जाता है कि ऑनलाइन फाइलिंग प्रक्रिया के दौरान एक ही कार्यवाही के लिए एक से अधिक बार भुगतान किया गया है तो अतिरिक्त फीस प्रतिदाय कर दी जाएगी;

V. उप-नियम(4) के पश्चात निम्नलिखित उप-नियम अंतःस्थापित किया जाएगा, अर्थात:(4क) उप-नियम 4 में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, जिस आवेदन के लिए परीक्षण हेतु अनुरोध फाइल किया गया है उसे उस पर आपत्तियों के प्रथम कथन जारी करने से पहले वापस लेने पर फीस, प्ररूप 29 में आवेदक द्वारा अनुरोध किए जाने पर, पहली अनुसूची में निर्धारित सीमा तक वापस की जा सकती है-

  1. मूल नियमों में, नियम 8 में, उप-नियम (2) के स्थान पर निम्नलिखित उप-नियम रखा जाएगा, अर्थात-(2) जहां किसी प्रयोजन के लिए कोई प्ररूप विनिर्दिष्ट नहीं किया गया है, आवेदक दूसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट प्ररूप 30 का उपयोग कर सकेगा।
  2. मूल नियमों में, नियम 13 में,

(i) उप-नियम 4 के स्थान पर निम्नलिखित उप-नियम रखा जाएगा, अर्थात- (4) जहां आविष्कार का रेखाचित्रों द्वारा स्पष्टीकरण अपेक्षित किया जा सकता हो वहाँ ऐसे रेखाचित्र नियम 15 के उपबंधों के अनुसार तैयार किए जाएँगे और उन्हे दावे सहित विनिर्देश में विस्तृत रुप से प्रस्तुत या संदर्भित किया जाएगा जहां आरेख में वर्णित विशेषताओं के अनुसरण में संदर्भ संकेत कोष्ठक में दिया जाएगा।

परंतु सम्पूर्ण विनिर्देश की दशा में, यदि आवेदक अनंतिम विनिर्देश के साथ दिये गए रेखाचित्रों को सम्पूर्ण विनिर्देश के रेखाचित्रों के रूप में या उनके भाग के रूप में वांछा करना चाहता है तो उन्हे ब्यौरे और दावों में इस प्रकार निर्दिष्ट कर देना पर्याप्त होगा कि वे वही हैं जो अनंतिम विनिर्देश के साथ दिये गए हैं।

(ii) उप-नियम (7) के खंड (ख) के स्थान पर निम्नलिखित खंड रखा जाएगा, अर्थात:(ख) सार विनिर्देश में, अंतर्विष्ट विषय-वस्तु का सूक्ष्म सारांश अंतर्विष्ट होगा और सार में, आविष्कार किस तकनीकी क्षेत्र के अंतर्गत आता है, विद्यमान ज्ञान की तुलना में आविष्कार कितना उन्नत है और कल्पित उपयोग को छोड़कर आविष्कार के मुख्य उपयोग को स्पष्ट रूप से दर्शाया जायेगा और जहां आवश्यक हो, सार में उस आविष्कार की विशेषता बताने वाला तकनीकी सूत्र अंतर्विष्ट होगा;

(iii)उप-नियम (8) के स्थान पर निम्नलिखित उप-नियम अंतःस्थापित किया जाएगा, अर्थात:(8) वह अवधि जिसके भीतर निक्षेप के प्रति निर्देश धारा 10 की उपधारा (4) के खंड (i) के उपखंड (अ) के अधीन विनिर्देश में किया जाएगा, आवेदन फाइल किए जाने की तारीख से तीन मास होगी;

परंतु, नियम 24क के अधीन प्रकाशन के अनुरोध के मामले में, ऐसा निर्देश उस अनुरोध के करने की तारीख से या उससे पूर्व किया जाना चाहिए।

नियम 8

8. मूल नियमों में, नियम 14 के स्थान पर निम्नलिखित नियम रखा जाएगा, अर्थात:-: 14. विनिर्देशों के संशोधन:-

(1) जब अनंतिम या पूर्ण विनिर्देश अथवा संलग्न रेखाचित्र संशोधित किया गया हो तो ऐसा पृष्ठ पर संशोधन हैं उसे सतत दस्तावेज़ के लिए रूप मे पुनः टंकित और प्रस्तुत किया जाए।

(2) विनिर्देश अथवा रेखाचित्र जिसमे संशोधन किया हो उसकी एक चिह्नित प्रतिलिपि संशोधनों को दर्शाती जहां संशोधन किया गया हो और वह भाग स्पष्टतया दर्शाने वाला एक कथन (पृष्ठ संख्या और पंक्ति संख्या) भी फाइल की जाए।

(3) संशोधन स्लिप चिपकाकर, या पाद टिप्पणों के रूप में या दस्तावेजों में से किसी की पार्श्व में लिख कर नहीं किए जाएँगे।

(4) जब फिर से लिखे पृष्ठ या संशोधनों को शामिल किए हुए पृष्ठ प्रस्तुत किए जाएँगे, तो पहले के पृष्ठ को आवेदक द्वारा अधिक्रमित और रद्द कर दिया गया समझा जाएगा।

नियम 9

9. मूल नियमों में, नियम 20 में, उप-नियम (1) के स्थान पर निम्नलिखित उप-नियम रखा जाएगा, अर्थात:(1) धारा 7 की उप-धारा (1क) के अधीन पेटेंट सहयोग संधि के अंतर्गत किसी अंतर्राष्ट्रीय आवेदन के अनुरूप आवेदन धारा 7 की उप-धारा (1 क) के अधीन प्ररूप 1 मे किया जाएगा।

स्पष्टीकरण: इस नियम के प्रयोजन के लिए, अंतरराष्ट्रीय आवेदन के अनुरूप आवेदन से पेटेंट सहयोग संधि के अंतर्गत फाइल आवेदन अभिप्रेत है जिसमे अनुच्छेद 19 के अधीन आवेदक द्वारा किए गए संशोधन सम्मिलित हैं, और अनुच्छेद 20 के अधीन अभिहित कार्यालय को संप्रेषित, या संधि के अनुच्छेद 34 के खंड (2) के उप-खंड (ख) के अधीन संशोधन शामिल है-

परंतु, यह कि आवेदक भारत को अभिहित किसी अंतर्राष्ट्रीय आवेदन के अनुरूप ऐसे आवेदन फाइल समय, नियम 14 में निहित उपाबंधों के अनुसार दावा मिटा सकता है।

नियम 10

10. मूल नियमों में, नियम 24 ख में, (i) । उप-नियम (2) के खंड (i) के स्थान पर निम्नलिखित खंड रखा जाएगा, अर्थात-

(i) जहां उप-नियम (1) के अधीन परीक्षण के लिए अनुरोध फाइल किए जाने पर और धारा 11क के अधीन आवेदन का प्रकाशन होने पर, वहां नियंत्रक आवेदन, विनिर्देश और अन्य संबन्धित दस्तावेज़ परीक्षक को निर्दिष्ट करेगा और यह संदर्भ अनुरोध फाइल करने के क्रम में किया जाएगा:

परंतु, धारा 16 के अधीन और आवेदन फाइल करने के संदर्भ में, ऐसे आवेदन का अनुक्रम वही होगा जो पहले उल्लिखित आवेदन का है।

परंतु यह और कि यदि पहले उल्लिखित आवेदन परीक्षण के लिए निर्दिष्ट किया जा चुका है तो अगला आवेदन परीक्षण के लिए अनुरोध के साथ होगा और ऐसे अगले आवेदन को एक महीने के भीतर प्रकाशित कर उस प्रकाशन की तारीख से एक महीने के भीतर परीक्षक को निर्दिष्ट किया जाएगा।;

(ii)   उप-नियम (3) और उप-नियम (4) के स्थान पर निम्नलिखित उपनियम रखे जाएंगे, अर्थात:(3) नियंत्रक द्वारा परीक्षक की रिपोर्ट के निपटान की तारीख से एक महीने के भीतर आवेदक या उसके प्राधिकृत अभिकर्ता को आपत्तियों का कथन, अन्य अपेक्षित दस्तावेज के साथ प्रेषित की जाएगी:

परंतु, जहां हितबद्ध व्यक्ति परीक्षण के लिए अनुरोध फाइल करता है, ऐसे परीक्षण की केवल एक संसूचना उस हितबद्ध व्यक्ति को भेजी जाएगी।

(4) आपत्तियों के प्रथम कथन के उत्तर और परवर्ती उत्तर, यदि कोई हो, की प्रक्रिया उसी क्रम में होगी जिस क्रम में वे उत्तर प्राप्त होंगे।

(5) धारा 21 के अधीन अनुदान के लिए क्रमगत करने के लिए किसी आवेदन को प्रस्तुत करने का समय उस तारीख से छः महीने का होगा जिससे आवेदक को अपेक्षा पूर्ण करने के लिए आपत्तियों के प्रथम कथन जारी किया गया हो।

(6) उप-नियम (5) में यथा विहित धारा 21 के अधीन आवेदन को क्रमागत करने के समय को उप नियम (5) के अधीन निर्दिष्ट अवधि की समाप्ति से पूर्व नियंत्रक के समक्ष विहित प्ररूप 4 में निर्धारित फीस के साथ समय विस्तार के लिए आवेदन किए जाने पर तीन महीने की अवधि के लिए और विस्तार किया जा सकता है।

नियम 11

11. मूल नियमों में, नियम 24 ख के बाद निम्नलिखित नियम अन्तःस्थापित किया जाएगा, अर्थात- 24 ग आवेदनों का त्वरित परीक्षण,

(1) आवेदक प्ररूप 18 क में पहली अनुसूची में विनिर्दिष्ट फीस के साथ निम्नलिखित आधारों पर सम्यक रूप से अधिप्रमाणित इलेक्ट्रॉनिक पारेषण द्वारा नियम 24 ख में विहित अवधि के भीतर त्वरित परीक्षण के लिए आवेदन कर सकता है, अर्थात:

(क) यह कि भारत को सक्षम अंतर्राष्ट्रीय खोज प्राधिकरण के रुप में इंगित किया गया है या तत्संबंधी अंतर्राष्ट्रीय आवेदन में अंतर्राष्ट्रीय प्रारम्भिक परीक्षण प्राधिकारी के रूप मे मनोनीत किया है; या

(ख) यह कि आवेदक एक स्टार्ट-अप है:

(2) नियम 24 ख के अधीन फाइल परीक्षण के लिए अनुरोध को नियम 24 ग के उप-नियम (1) के अधीन सुगत फीस का भुगतान कर और उप-नियम (1) के अधीन यथापेक्षित वांछित दस्तावेज़ जमा कर त्वरित परीक्षण हेतु अनुरोध के रूप में संप्रवर्तित किया जा सकता है।

(3) सिवाय वहाँ जहां आवेदन पहले ही धारा 11क की उपधारा (2) के अधीन प्रकाशित हो चुका है या नियम 24 क के अधीन प्रकाशन हेतु अनुरोध फाइल किया जा चुका है, त्वरित परीक्षण हेतु अनुरोध के साथ नियम 24 क के अधीन प्रकाशन के लिए अनुरोध संलग्न होना चाहिए।

(4) जहां त्वरित परीक्षण हेतु अनुरोध इस नियम के अपेक्षानुरूप नहीं होता है तो वहां वैसे अनुरोध का निपटान, आवेदक को सूचित करते हुए, नियम 24ख में निहित उपबंधों के अनुसार किया जाएगा और उसे उस दिन फाइल किया गया माना जाएगा जिस तारीख को त्वरित परीक्षण हेतु अनुरोध फाइल किया गया था।

(5) त्वरित परीक्षण के लिए अनुरोध प्राप्त होने पर, नियंत्रक उस अनुरोध को आवेदन और विनिर्देश और अन्य दस्तावेज़ के साथ त्वरित परीक्षण के लिए अनुरोध फाइल होने के क्रमानुसार परीक्षक को निदेशित करेगा।

परंतु इस नियम के अधीन किसी स्टार्टअप द्वारा फाइल त्वरित परीक्षण हेतु अनुरोध पर केवल इसी आधार पर प्रश्न चिह्न नहीं लगाया जाएगा कि वह स्टार्टअप पेटेंट के लिए आवेदन फाइल करने के बाद अपनी स्थापना या रजिस्ट्रीकरण की तारीख से पाँच वर्ष से अधिक बीत जाने या तदोपरांत पण्यवर्त की यथा परिभाषित वित्तीय सीमा पार करने के कारण अब एक स्टार्टअप नहीं रह गया है।

(6) वह अवधि जिसके भीतर परीक्षक, धारा 12 की उप-धारा (2) के अधीन रिपोर्ट बनाएगा, वह साधारणतया नियंत्रक द्वारा उन्हें वह आवेदन प्रेषित करने की तारीख से एक मास होगी किन्तु दो मास से अधिक नहीं होगी।

(7) जिस अवधि के भीतर नियंत्रक परीक्षक के रिपोर्ट का निपटान करेगा वह नियंत्रक द्वारा रिपोर्ट प्राप्त करने की तारीख से साधारणतया एक मास होगी।

(8) प्रथम आपत्तियों का कथन किसी दस्तावेज़ के साथ, यदि अपेक्षित हो, नियंत्रक द्वारा आवेदक या उसके प्राधिकृत अभिकर्ता को परीक्षक के रिपोर्ट के निपटान से पंद्रह दिन के भीतर भेजी जाएगी।

(9) उस आवेदन की बावत जहां त्वरित परीक्षण हेतु अनुरोध फाइल किया गया है, आपत्तियों के प्रथम कथन का उत्तर और परवर्ती उत्तर, यदि कोई हो, पर उसी अनुक्रम में कार्य किया जाएगा जिस क्रम में उन आवदानों के उत्तर प्राप्त होंगे।

(10) धारा 21 के अधीन किसी आवेदन को अनुदान करने के लिए प्रस्तुत करने का समय उस तारीख से छः महीने का होगा जिससे प्रथम आपत्तियों का कथन आवेदक को जारी किया गया था।

(11) उप नियम (10) में यथाविहित, धारा 21 के अधीन किसी आवेदन को अनुदान के लिए प्रस्तुत करने के समय में तीन महीने का और विस्तार और दिया जा सकता है जब उप-नियम (10) के अंतर्गत विनिर्दिष्ट अवधि समाप्ति के पूर्व नियंत्रक के समक्ष, विहित फीस के साथ, समय विस्तार के लिए प्ररूप 4 पर विस्तार हेतु अनुरोध किया गया हो।

(12) नियंत्रक, उस आवेदन का निपटान प्रथम आपत्तियों के कथन के अंतिम उत्तर की प्राप्ति की तारीख से तीन महीने की अवधि के भीतर या धारा 21 के अधीन आवेदन को अनुदान के लिए प्रस्तुत करने की अंतिम तारीख से तीन महीने की अवधि के भीतर, जो भी पूर्ववर्ती हो, करेगा; परंतु यह समय सीमा अनुदान-पूर्व विरोध के मामले में लागू नहीं होगी।

(13) इस नियम में किसी बात के होते हुए भी, नियंत्रक शासकीय जर्नल में उस त्वरित परीक्षण की नोटिस प्रकाशित कर वर्ष के दौरान प्राप्त किए जाने वाले त्वरित परीक्षण के लिए अनुरोध की संख्या सीमित कर सकता है।

नियम 12

12. मूल नियमों में, नियम 26 के स्थान पर निम्नलिखित नियम रखा जाएगा, अर्थात:26. धारा 11ख की उप-धारा (4) के अधीन आवेदन के प्रत्याहरण हेतु अनुरोध प्ररूप 29 में किया जाएगा।

नियम 13

13. मूल नियमों में, नियम 28 में, उप-नियम (5) के पश्चात निम्नलिखित उप-नियम अंतःस्थापित किया जाएगा, अर्थात-

(6) वीडियो-कन्फेरेंसिंग या श्रवण-दृश्य संचार के माध्यम से भी सुनवाई की जा सकती है; परंतु ऐसी सुनवाई समुचित कार्यालय में की गई मानी जाएगी।

स्पष्टीकरण- इस नियम के प्रयोजनों के लिए, संचार युक्ति की पद का वही समनुदेशित है जो उसे सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (2000 का 21) की धारा 2 की उप-धारा (1) के खंड (ज क) मे दिया गया है।

(7) सुनवाई के सभी मामलों में सुनवाई की तारीख के पन्द्रह दिवस के भीतर, लिखित प्रस्तुति व सुसंगत प्रलेख, यदि कोई हो, फाइल किए जाएँ।

नियम 14

14. मूल नियमों में, नियम 55 में,

(i) उप-नियम (1) के स्थान पर निम्नलिखित उप-नियम रखे जाएँगे, अर्थात:(1) धारा 25 की उप-धारा (1) के अधीन विरोध के लिए अभ्यावेदन उपयुक्त कार्यालय को प्ररूप 7 (क) में, आवेदक को एक प्रति प्रेषित करते हुए, फाइल की जानी होगी, और उसमें अभ्यावेदन के समर्थन में कोई कथन या साक्ष्य, यदि हो, और सुनवाई हेतु अनुरोध, यदि ऐसी वांछा हो, शामिल होंगे।

(ii) उप-नियम (3), उप-नियम (4) और उप-नियम (5) के स्थान पर निम्नलिखित उप-नियम रखे जाएँगे, अर्थात-

(3) अभ्यावेदन पर विचार करते हुए यदि नियंत्रक का यह राय है कि पेटेंट आवेदन को इंकार कर दिया जाए अथवा पूर्ण विनिर्देश में संशोधन की आवश्यकता है तो वह आवेदक को तत्संबंधी नोटिस उस अभ्यावेदन की प्रति से साथ देगा।

(4) उप-नियम (3) के अधीन नोटिस प्राप्त होने पर आवेदक, यदि वांछा हो, तो नोटिस की तारीख से तीन महीने के भीतर अपने आवेदन के समर्थन में अपना कथन और साक्ष्य, यदि कोई हो, विरोधी को एक प्रति देते हुए,फाइल करेगा।

(5) आवेदक द्वारा फाइल किए गए कथन और साक्ष्य, विरोधकर्ता द्वारा फाइल कथन और साक्ष्य सहित प्रतिवेदन, पक्षकारों द्वारा की गई प्रस्तुति पर विचार कर और पक्षकारों को सुनने, यदि ऐसा अनुरोध किया गया हो, के बाद, नियंत्रक पेटेंट अनुदान उपर्युक्त कार्यवाही से समान्यतया एक महीने के भीतर उस आवेदन और अभ्यावेदन पर एक साथ निर्णय करते हुए सकारण आदेश जारी कर या तो उस अभ्यावेदन को अस्वीकृत कर सकता है अथवा पेटेंट अनुदान करने से पहले पूर्ण विनिर्देश और अन्य दस्तावेज़ में समाधान होने तक पेटेंट अनुदान से पूर्व संशोधन करने की माँग कर सकता है या अस्वीकृत कर सकता है।

(iii) उप-नियम (6) का लोप किया जाएगा।

नियम 15

15. मूल नियमों में, नियम 71 में उप-नियम (2), के स्थान पर निम्नलिखित रखा जाएगा, अर्थात:(2) नियंत्रक उप-नियम (1) के अंतर्गत किए गए अनुरोध का निपटान समान्यतया वह अनुरोध फाइल किए जाने की तारीख से इक्कीस दिन की अवधि के भीतर कर देगा; परंतु प्रतिरक्षा और आण्विक ऊर्जा से संबन्धित आविष्कारों के लिए किए गए आवेदनों के संदर्भ में इक्कीस दिन की अवधि की गणना केंद्रीय सरकार से सहमति प्राप्त होने की तारीख से की जाएगी।

नियम 16

16. मूल नियमों में, नियम 93 के स्थान पर निम्नलिखित नियम रखा जाएगा, अर्थात:93. नवीकरण फीस की प्रवृष्टि :- पेटेंट के संबंध में निर्धारित नवीकरण फीस का भुगतान प्राप्त होने पर, नियंत्रक पेटेंट रजिस्टर में उस फीस के भुगतान की तारीख और इस तथ्य की प्रविष्टि करेगा कि फीस का भुगतान कर दिया गया है और पेटेंट नवीकरण प्रमाणपत्र निर्गत करेगा।

नियम 17

17. मूल नियमों में, नियम 103 में, उप-नियम (2) के खंड (ii) के स्थान पर निम्नलिखित खंड रखा जाएगा, अर्थात:(ii) न्यूनतम पंद्रह वर्ष का तकनीकी, व्यवहारिक और अनुसंधान अनुभव हो; और

नियम 18

18. मूल नियमों में, नियम 103 के पश्चात, निम्नलिखित नियम अन्तःस्थापित किया जाएगा, अर्थात- 103क, वैज्ञानिक सलाहकार नामावली मे नाम सम्मिलित होने की निरर्हताएं - कोई व्यक्ति वैज्ञानिक सलाहकार नामावली में शामिल होने का पात्र नहीं होगा, यदि वह –

(i) सक्षम न्यायालय द्वारा विकृत चित्त का न्याय निर्णीत किया गया हो;

(ii) अनुन्मोचित दिवालिया हो;

(iii) अनुन्मोचित दिवालिया होने पर भी, उसने न्यायालय से इस आशय का प्रमाणपत्र अभिप्राप्त नहीं किया है। कि उसके दिवालियापन का कारण उसकी ओर से किसी अवचार के बिना ही दुर्भाग्य था;

(iv) भारत में या भारत के बाहर किसी सक्षम न्यायालय द्वारा किसी अपराध का सिद्धदोष ठहराया गया है और कारावास का दण्ड दिया गया है, जब तक कि जिस अपराध का उसे सिद्धदोष ठहराया गया है वह माफ न कर दिया गया हो या उसके द्वारा दिये गए आवेदन पर केंद्रीय सरकार ने इस निमित आदेश द्वारा, निर्योग्यता हटा न दी हो;

(v) वृत्तिक अवचार का दोषी है।

नियम 19

19. मूल नियमों में, नियम 104 के स्थान पर निम्नलिखित नियम रखा जाएगा, अर्थात- 104. वैज्ञानिक सलाहकारों की नामावली में सम्मिलित होने के लिए आवेदन की विधि - कोई भी हितबद्ध व्यक्ति अपना लेखा-जोखा देने पर अपना नाम वैज्ञानिक सलाहकारों की नामावली में सम्मिलित करने के लिए आवेदन कर सकता है।

नियम  20

20. मूल नियम नियमों में, नियम 107 में, खंड (ग) और उसमें दिये गए परंतुक के स्थान पर निम्नलिखित रखा जाएगा, अर्थात:

(ग) ऐसे व्यक्ति को किसी अपराध का सिद्धदोष ठहराया गया हो और कारावास का दण्ड दिया गया हो या वह अपनी वृत्तिक हैसियत मे कदाचार का दोषी रहा हो और नियंत्रक की यह राय हो कि उसका नाम नामावली से हटा दिया जाना चाहिए; या

(घ) ऐसा व्यक्ति जब उसकी मृत्यु हो जाए;

परंतु, ऊपर खंड (क) और (ख) के अधीन मामलों के सिवाय, इस नियम के अधीन वैज्ञानिक सलाहकारों की नामावली से किसी व्यक्ति का नाम हटाने से पूर्व, ऐसे व्यक्ति को सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर दिया जाएगा।

नियम 21

21. मूल नियमों में, नियम 108 के उप-नियम (1) के स्थान पर लिए, निम्नलिखित उप-नियम रखा जाएगा, अर्थात:(1) धारा 125 के अधीन बनाए गए पेटेंट अभिकर्ता रजिस्टर में प्रत्येक रजिस्ट्रीकृत पेटेंट अभिकर्ता के नाम, राष्ट्रीयता, कारोबार का मुख्य स्थान का पता, शाखा कार्यालयों के पते, यदि कोई हों, अर्हताएँ, रजिस्ट्रीकरण की तारीख और रजिस्ट्रीकरण के नवीकरण का ब्यौरा और नियंत्रक द्वारा यथा निर्दिष्ट कोई अन्य विवरण अंतर्विष्ट होगा।

नियम 22

22. मूल नियमों में, नियम 109 में, उप-नियम (3) के स्थान पर निम्नलिखित उप-नियम रखा जाएगा, अर्थात:(3) ऐसा कोई व्यक्ति जो नियम 110 के अधीन परीक्षा में शामिल होने की वांछा करता है, परीक्षा की उद्घोषणा के उपरांत और उद्घोषणा में निर्दिष्ट अवधि के भीतर, पहली अनुसूची मे विनिर्दिष्ट फीस के साथ नियंत्रक को अनुरोध करेगा।

नियम 23

23. मूल नियमों में, नियम 116 में, खंड (घ) के स्थान पर निम्नलिखित रखा जाएगा, अर्थात:(घ) जब उसने नियम 115 में विनिर्दिष्ट फीस के संदाय में उनके देय होने के तीन महीने बाद तक व्यतिक्रम किया हो; या (ङ) वह भारत का नागरिक नहीं रह गया है; परंतु, सिवाए खंड (क) और (ख) के अधीन, इस नियम के अधीन पेटेंट अभिकर्ता के रजिस्टर से किसी व्यक्ति का नाम हटाए जाने से पूर्व, ऐसे व्यक्ति को सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर दिया जाएगा।

नियम 24

24. मूल नियमों में, नियम 117 में, उप-नियम (3) के स्थान पर निम्नलिखित उप-नियम रखा जाएगा, अर्थात- (3) पेटेंट अभिकर्ता के रजिस्टर में नाम का प्रत्यावर्तन पेटेंट अभिकर्ता को संसूचित किया जाएगा और शासकीय वेबसाइट पर सूचनार्थ प्रकाशित भी किया जाएगा।

नियम 25

25. मूल नियमों में, नियम 118 में, उप-नियम (1) के स्थान पर निम्नलिखित उप-नियम रखा जाएगा, अर्थात:(1) धारा 125 की उपधारा (1) के अधीन पेटेंट अभिकर्ता अपने नाम, व्यवसाय के मूल स्थान और शाखा कार्यालयों, यदि कोई हो, या पेटेंट अभिकर्ता के रजिस्टर में प्रविष्ट अर्हता, ईमेल पता, दूरभाष, फैक्स या अन्य किसी विवरण में परिवर्तन के लिए आवेदन कर सकता है। ऐसे आवेदन और विवरणों के परिवर्तन हेतु ऐसे अनुरोध के लिए पहली अनुसूची में यथा निर्दिष्ट फीस की प्राप्ति पर नियंत्रक पेटेंट अभिकर्ता के रजिस्टर में आवश्यक परिवर्तन करने के निदेश देगा।

नियम 26

26. मूल नियमों में, नियम 129 के पश्चात, निम्नलिखित नियम अन्तःस्थापित किया जाएगा, अर्थात- 129 क - सुनवाई का स्थगन - एक पेटेंट आवेदक या कार्यवाही का पक्षकार, सुनवाई की तारीख से कमसे कम तीन दिन पहले उचित कारण देते हुए पहली अनुसूची में विनिर्दिष्ट फीस के साथ सुनवाई के स्थगन के लिए अनुरोध कर सकता है और नियंत्रक, यदि वह ऐसा करना ठीक समझे और उन निबंधनों पर जो वह निर्दिष्ट करे, सुनवाई स्थगित कर तदनुसार पक्षकारों को संसूचित कर सकता है।

परंतु किसी भी पक्ष को दो से अधिक स्थगन नहीं दिया जाएगा और प्रत्येक स्थगन तीस दिनों से अधिक का नहीं होगा।

नियम 27

मूल नियमों में, नियम 133 के स्थान पर निम्नलिखित नियम रखा जाएगा, अर्थात:133 - धारा 72 और धारा 147 के अधीन प्रमाणित प्रतियों और प्रमाणपत्रों की आपूर्ति -

(1) पेटेंट कार्यालय में रजिस्टर की किसी प्रविष्टि की प्रमाणित प्रतियाँ, या पेटेंटों से, विनिर्देशों और अन्य सार्वजनिक दस्तावेज़ों, या वहाँ रखे रजिस्टरों और अन्य अभिलेखों से उद्धरण जिसके अंतर्गत कंप्यूटर फ्लॉपी मे अभिलेख, डिस्केट्स या अन्य इलेक्ट्रोनिक प्ररूप भी हैं नियंत्रक द्वारा उसे किए गए अनुरोध पर और पहली अनुसूची मे उसके लिए विनिर्दिष्ट फीस के संदाय पर प्रदाय किए जा सकेंगे।

परंतु प्रमाणित प्रति उसी क्रम में जारी किए जाएंगे जिस क्रम में अनुरोध फाइल किए गए हैं।

(2) उप-नियम (1) मे किसी बात के होते हुए भी, प्रमाणित प्रतियाँ एक सप्ताह की अवधि के भीतर उपलब्ध कराई जाएंगी यदि ऐसा अनुरोध पहली अनुसूची में विनिर्दिष्ट फीस के साथ किया जाएगा।

नियम 28

28. मूल नियमों में, नियम 135 में, उप-नियम (1) के स्थान पर निम्नलिखित उप-नियम रखा जाएगा, अर्थात:(1) इस अधिनियम और इन नियमों के प्रयोजनों के लिए किसी अभिकर्ता का प्राधिकरण ऐसे आवेदन या दस्तावेज़ फाइल करने की तारीख से तीन माह की अवधि के भीतर प्ररूप 26 में फाइल किया जाएगा या मुख्तारनामा के प्ररूप में होगा, अन्यथा ऐसे आवेदनों या दस्तावेज़ों की आगे की प्रक्रिया में, उस कमी को हटाने तक कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी।

नियम 29

29. मूल नियमों में, नियम 138 के स्थान पर, निम्नलिखित उप-नियम रखा जाएगा, अर्थात-138. विहित समय विस्तार की शक्ति- (1) नियम 20 के उप-नियम (4) के खंड (i), नियम 20 के उप-नियम (6), नियम 21, नियम 24ख के उप-नियम (1), (5) और (6), नियम 24ग के उप-नियम (10) और (11), नियम 55 के उप-नियम (4), नियम 80 के उप-नियम (1क) और नियम 130 के उप-नियम (1) और (2) में निर्धारित समय को छोड़कर, अन्य नियमों में किसी कार्य को करने या उसके अधीन कोई कार्यवाही करने के लिए विहित समय, नियंत्रक द्वारा यदि वह ऐसा करना ठीक समझे और उन निबंधनों पर जो वह निदेश करे, एक माह की अवधि तक बढ़ाया जा सकता है।

(2) इन नियमों के अधीन कोई कार्य करने या कोई कार्यवाही करने के लिए विहित समय के विस्तार हेतु अनुरोध इन नियमों में विहित ऐसे समय की समाप्ति के पूर्व ही किया जाएगा।

30. मूल नियमों में, पहली अनुसूची के स्थान पर निम्नलिखित अनुसूची रखी जाएगी I

मुख्य अनुसूचियों व अन्य जानकारी के लिए नीचे दी गयी लिंक पर जाएँ –

पेटेंट (संशोधन) नियम, 2016 का दिशानिर्देश

 

स्रोत: भारत सरकार वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय (औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग)

अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020



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